नैना ने कहा अब मैं चलती हूं।
विक्की ने हाथ जोड़कर प्रार्थना किया और फिर बोला नैना तुम्हें एक बात बताना था पर अब तक तो नहीं बता पाया।
नैना ने कहा अरे कोई बात नहीं मैं तो फिर आऊंगी।।दस तारीख को।
विक्की ने कहा हां ज़रूर।
फिर नैना वहां से निकल गई और फिर सीधे आश्रम पहुंच गई।
फिर नैना अपने बचे हुए काम पूरे करने के बाद अपना भोजन तैयार किया और खाया ।
फिर नैना फुलों का माला बनाने लगी और फिर मटका ले कर तरह तरह के डिजाइन बनाने लगी और सुखाने लगी।
नैना ने कभी ऐसा सोचा नहीं था कि जिंदगी क्या क्या सिखाएगी।
पर उसे अब एक ऐसा फैसला लेना था जिसका असर विक्की के जिंदगी में भी पड़ेगा ही।।
नैना ने कहा मुझे जब यहां से जाना होगा पर मैं कभी विक्की के पास नहीं जा पाऊंगी वो हक मैंने खो दिया है। मुझे मेरी मंजिल जहां पर ले जाएंगी।
मैं अपर्णा मासी के पास हांगकांग चली जाऊंगी विक्की को कभी नहीं बताना चाहती हुं।
दो दिन बाद ही दादी मां का दसवां दिन है उसमें जाकर कुछ देर रहना चाहती हुं।
आज मुझे सब कुछ बताना होगा अपर्णा मासी को।
फिर नैना कार्यालय में जाकर वहां के बड़े बाबू से कहा कि एक फोन करना है।
फिर नैना ने फोन किया फोन किसी महिला ने उठाया और फिर अपर्णा मासी को दे दिया।
उधर से आवाज आई नैनू मेरी बच्ची कैसे याद किया मासी को।
नैना ने कहा मासी क्या मेरा हक है कि मैं आपके पास आ सकूं।
अपर्णा ने कहा हां मेरी बच्ची बोल कहां है तु?
नैना ने कहा मैं सब बताउंगी पर अभी नहीं।
आगे बोली क्या अभय भाई को भेज सकते हैं मुझे ले जाने के लिए?
अपर्णा ने कहा हां ठीक है तुम अपना एडरैस बताओं।
फिर नैना ने पता बताया और कहा कि पांच दिन बाद ही नैना यू एस से चली जाएगी।
फिर फोन रख कर नैना कमरे में जाकर चटाई बिछाकर लेट गई और फिर रोने लगी कि क्या सोचा था क्या हो गया।जब से निलेश मेरी जिंदगी से चला गया तब से ये सब हो रहा है विक्की ने कभी मुझे समझा नहीं अगर समझ जाता तो आज मैं उसके साथ होती।
फिर नैना सो गई।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर नैना सीधे गुरु जी के पास जाकर बैठ गई और फिर बोली गुरू जी आज से तीन दिन बाद मैं यहां से हमेशा के लिए चली जाऊंगी आप ने जो जो सिखाया उसे कभी भी नहीं भुल सकती हुं।
गुरु जी ने कहा हां ठीक है पर कहा जाओगी।
नैना ने कहा अपनी मासी के पास।
नैना ने कहा हां ठीक है
गुरु जी ने कहा इतने कम समय में तुमने अपनी योग्यता से सब कुछ बहुत अच्छे से किया।
इसके लिए हम बहुत ही खुश हो गए हैं।
नैना वहां से चली गई और फिर सीधे विक्की के बंगले में पहुंच गई।
बंगले में बहुत ही भीड़ थी नैना भी धीरे धीरे अन्दर पहुंच गई।
फिर नैना फुलों का बड़ा हार लेकर दादी मां के तस्वीर पर लगा दिया और फिर एक जगह बैठ गई।
फिर पंडित जी आ गए और फिर विक्की पुजा करने बैठ गया।
नैना दूर बैठ कर देख रही थी और रो रही थी कि विक्की तुम एक मौका नहीं दिया मुझे अब मैं ही हमेशा के लिए जा रही हुं और शायद फिर कभी नहीं मिलेंगे।
विक्की ने बहुत ही निष्ठा के साथ अपने दादी मां को जल अर्पित किया।
और फिर नैना ने भी पंडित जी के पास जाकर बैठ गई और फिर बोली कि मुझे भी जल अर्पित करना है।
फिर पंडित जी ने नैना के हाथों से भी जल अर्पित करवाया।
फिर सभी ब्राह्मण भोजन करवाया गया और फिर जो भी अतिथि आए थे उनको भी खाना खिलाया गया।
नैना भी थोड़ा सा खाना खाने के बाद विक्रम सिंह शेखावत से जाकर बोली मैं जा रही हुं और फिर शाय़द।।
विक्की ने कहा नैना अभी तुम रूक कर जाओ।
नैना ने कहा नहीं नहीं आश्रम पहुंचना होगा।
अनिक ने कहा नैना कुछ देर रूक कर जाओ।।
नैना ने कहा नहीं मैं जा रही हुं कह कर नैना वहां से चली गई।
विक्की जब सारे मेहमान के जाने के बाद अनिक के रूम में जाकर बैठ गया और फिर बोला कि नैना चली गई क्या?
अनिक ने कहा हां वो अभिमान करके चली गई।
विक्की ने कहा हां मुझे पता है पर दादी मां का अंतिम इच्छा पुरा करना होगा कैसे भी करके।
नैना को वापस लाना होगा।
अनिक ने कहा ये लो दोस्त एक गाना हो जाएं।।
विक्की ने कहा हां गिटार ले कर बजाने लगा।
ऐ काश के हम होश में अब।।
काश के हम होश में अब आने ना पायें
ऐ काश के हम होश में अब आने ना पायें
बस नगमें तेरे प्यार के गाते ही जाएँ
ऐ काश के हम होश में अब आने ना पायें
ऐ काश के हम होश में अब आने ना पायें
खिलती-मेहकती ये जुल्फों की शाम
हँसते-खनकते ये होठों के जाम
खिलती-मेहकती ये जुल्फों की शाम
हँसते-खनकते ये होठों के जाम
झूम के साज़ उठाएँ
बस नगमें तेरे प्यार के गाते ही जाएँ
ऐ काश के हम होश में अब आने ना पायें
बस नगमें तेरे प्यार के गाते ही जाएँ
ऐ काश के हम होश में अब आने ना पायें
ला ला लाला लालाह
हो बस अगर तुम हमारे सनम
हम तो सितारों पे रख दें कदम
हो बस अगर तुम हमारे सनम
हम तो सितारों पे रख दें कदम
सारा जहां भूल जाएँ
बस नगमे तेरे प्यार के गाते ही जाएँ
(ऐ काश के हम होश में अब आने ना पायें)-2
बस नगमें तेरे प्यार के गाते ही जाएँ
(ऐ काश के हम होश में अब आने ना पायें)-2
गाना खत्म हो गया और फिर अनिक ने कहा देखो दोस्त कल मैं वापस जा रहा हुं।
विक्की ने कहा हां सब कोई चले जाओ छोड़ कर मुझे।।
पहले नैना चली गई और फिर दादी मां और अब तुम भी।
अनिक ने कहा हां ठीक है पर अब तुम आओगे मेरे पास।
उधर आश्रम में नैना ने सारी तैयारियां कर लिया था जो जो जरूरी कागजात थे वो रिचा से मंगवा लिया।
फिर सब कुछ तैयार हो गया था और फिर नैना भी तैयार हो गई थी।
गुरु जी ने बुलाया और कहा देखो तुम्हारे भाई आएं हैं।
नैना ने कहा हां अभय भाई आप कैसे हैं।
तभी रिचा ने बताया कि नैना तुम पुरे कालेज में फर्स्ट आईं हो।
नैना ने रिचा को गले से लगा लिया और कहा कि जब सब कुछ ठीक हो गया तब मैं यहां नहीं हुं।
रिचा ने कहा हार्ड कॉपी मैं भेज दुंगी।
नैना ने कहा हां ठीक है।
अभय ने कहा नैना तू तैयार है ना बस अब निकलना होगा।
नैना ने कहा हां भाई।
फिर हम लोग आश्रम से सबको अलविदा कह कर निकल गए।
गाड़ी में बैठ कर नैना रोने लगी और फिर गाड़ी निकल गई आश्रम से।
नैना और अभय एयरपोर्ट पहुंचे और फिर वहां पहुंच कर सारे जो जो काम रहता है वो करके दोनों हवाई जहाज पर सवार होकर बैठ गए।
नैना ने कहा अभय भाई हम कब पहुंच जाएंगे।
अभय ने कहा हां आठ घंटे बाद।
नैना ने कहा ओके।
फिर नैना सो गई और उसे उसके अतीत का लेखा जोखा याद करके बहुत ही दुःख हो रहा था पर कहते हैं कि इन्सान जो सोचता है वैसे होता नहीं है।
नैना ने मन में विक्की को कहा माफ कर देना मुझे।
फिर कैसे बातचीत करते हुए नैना का समय निकल गया और हम हांग कांग में पहुंच गए।
एयरपोर्ट पर कुछ देर रूकने के बाद लगेज बैगेज लेकर सीधे गाड़ी में बैठ गए अभय और नैना।
नैना ने कहा भाई मम्मी हमेशा तुम्हें याद करती थी और कहती थी कभी अभय के पास जरूर जाना।
एक बार बुलाने पर ही भाई तुम लेने आ गए।
अभय ने कहा हां क्यों नहीं हमेशा याद करके राखी जो भेजती थी।
फिर नैना और अभय अपने अपार्टमेंट पहुंच गए।
नैना के लिए सब कुछ नया था।
भाई कितना सुन्दर बागीचा है।
अभय ने कहा हां चल छोटी मम्मा इन्तजार कर रही है।
फिर लिफ्ट में जाकर अभय ने बटन प्रेस किया।
सात तल्ले पर था अभय का घर।
अभय ने बेल बजाया तो एक लड़की ने दरवाजा खोला।
वो लड़की का नाम था लिना।।
लिना ने कहा आइए भईया ।।
फिर अभय नैना को लेकर अन्दर पहुंच गए।
नैना ने कहा मासी कहां है? तभी अपर्णा आ गई और फिर नैना को गले से लगा लिया और रोने लगी और फिर बोली अरे नैना कैसी है मेरी बच्ची।।
नैना रोने लगी और फिर बोली मासी तो मां जैसी होती है आप को छूने के बाद महसूस हो रहा है कि मां है।।
अपर्णा ने कहा हां बेटा चल पहले फ्रेश हो जाओ फिर हम सब नाश्ता करते हैं।
नैना ने कहा हां ठीक है मैं मुझे मेरा रूम।
लिना ने कहा हां मैं आपका कमरा सजा दी है।
नैना अपना लगेज लेकर कमरे में चली गई।
और फिर नहाने चली गई।
इतना कुछ हो गया पर विक्की को कुछ भी पता नहीं चल पाया।।
विक्की ने मन बना लिया कि अब वो आश्रम जाएगा और नैना को वापस लाएगा।
क्या विक्की को सब कुछ पता चल पायेगा या फिर हमेशा
के लिए नैना को खो दिया विक्की ने।।।
क्या होगा नैना का क्या होगा जब विक्की को असलियत का पता चलेगा??
जानने के लिए अगला अध्याय जरूर पढ़ें।।
क्रमशः