Savan ka Fod - 9 in Hindi Moral Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | सावन का फोड़ - 9

Featured Books
Categories
Share

सावन का फोड़ - 9

अद्याप्रसाद और रजवंत को उनकी पत्नियां मुन्नका और शामली नियमित कोसती कैसे बाप हो मासूम बच्चे पता नही कहा किस हाल में होंगे पता नही करते और बहाने बना कर हम लोगो को तिहा(सांत्वना) देते रहते अद्याप्रसाद और रजवंत पत्नियों के ताने सुनकर थाना पुलिस और शासन प्रशासन को गुहार लगाते वहां से डांट फटकार खाते बेइज्जती महसूस करते और लौट कर पुनः पत्नियों को नया बहाना बताते ऐसे ही एक दिन अद्याप्रसाद रजवंत जिलाधिकारी के यहाँ अपनी फरियाद लेकर पहुँचे थे दोनों जिलाधिकारी कि प्रतीक्षा कर रहे थे कि वहाँ पहले से बैठा एक व्यक्ति शिधारी ने अद्याप्रसाद प्रसाद एव रितेश से अपना परिचय दिया फिर उनका परिचय जानने के बाद उनके जिलाधिकारी से मिलने का कारण जानना चाहा अद्याप्रसाद ने जब आने का कारण बताया शिधारी तपाक से बोल उठा आप लोगो को बोर्नस्थान जाना चाहिए कुछ दिन पूर्व वहाँ एक बच्चा जैसा आप लोग बता रहे है भैस के पीठ पर लेटा बाढ़ में बहता मिला था वहाँ के लोंगो ने भैस एव बच्चे दोनों को बचा लिया था इससे अधिक हमे कुछ पता ही नही है अद्याप्रसाद एव शिधारी कि बात चीत चल ही रही थी तब तक जिलाधिकारी बाहर निकले और फरियादियों कि फरियाद सुनने लगे अद्याप्रसाद का नम्बर आया अद्याप्रसाद ने जब अपनी एव साथ रितेश कि समस्या बताई और बगल में खड़े शिधारी कि तरफ इशारा करते हुए शिधारी के द्वारा बताई सूचना का हवाला भी दिया जिसे जिलाधिकारी ने स्वंय शिधारी से तस्दीक करने के उपरांत अद्याप्रसाद एव रितेश को बोर्नस्थान ले जाने कि व्यवस्था हेतु निर्देश दिया और अद्याप्रसाद और रितेश को बोर्नस्थान भेज दिया ।बोर्नस्थान पहुंचने के बाद अद्याप्रसाद रजवंत एव सरकारी मुलाजिम शीलभद्र ने आस पास के गांवों के लोंगो से जानकारी एकत्र करना शुरू किया तो पता लग गया कि भैस के पीठ पर लेटे हुआ चार पांच वर्ष का बच्चा बाढ़ में बहता हुआ आया था जो जीवित था जिसे सन्तो के समूह ने ग्रामीणों एव आने जाने वाले राहगीरों कि मदद से बचाया था बच्चे को कोई गांव वाला कानूनी दांवपेंच के भय से रखने को तैयार नही हुआ लेकिन भैस को मल्लार ने अपने पास रखा है जो पास ही गांव का ही रहने वाला है सरकारी मुलाजिम अद्याप्रसाद रजवंत को लेकर मल्लार के घर पहुँचे इतने लोंगो को एक साथ देख मल्लार भय एव किसी अनहोनी कि आशंका से हाथ जोड़ कर कहने लगा माई बाप हम भैस चोरी करके नाही ले आइल हई ई त पानी मे अपने पीठी पर एक मासूम के बइठवले पता नाही कईसे बढ़िया में बहत बिलात बोर्नस्थाने आईके किनारे उलझी रही कुछ साधु संत लोग उधरे से जात रहलें उहे लोग और लोगन के इकठ्ठा कईले हमहू रहनी बड़ी मुश्किल से भैस कि पीठ पर सांस लेत बच्चा और एके बचावल गइल बच्चा अपने पास रखें खातिर केहू तैयार नाही भइल भईस हम लोगन से बड़ा निहोरा कारीक़े अपने पास रखें हई आप लोग चाही त एके ले जाई माई बाप हमार कौनो गलती नाही बा मल्लार बिना कुछ पूछे ऐसे बोले चला जा रहा था जैसे कोई भूत बकबका रहा हो अद्याप्रसाद रितेश एव शीलभद्र ने मल्लार को ढांढस बधाते हुए कहा सुन भाई मल्लार पहिले ई बताव केहू भैस खोजत आइल रहल ह हमन से पहिले मल्लार ने कहा नाही मालिक आपे लोग आइल हई दु महिना बाद सरकारी मुलाजिम शीलभद्र ने पूंछा हम लोग भैस लेने नही आए है हम लोग त ऊ बच्चा खोजत आइल हई जाऊँन एकरे पीठ पर रहा मल्लार के त जैसे जान में जान आई गइल बोलन हाकिम भैस के पीठ के बच्चा त सन्त लोगन के पास रहा ऊ लोग तब तक बोर्नस्थान रहले जब तक बच्चा चले फिरे लायक ना हो गइल ओकरे बाद कहा गइलन हमे नाही पता अद्याप्रसाद ने रजवंत को ढांढस बधाते हुए कहा जरवन्त कम से कम एतना त नियश्चित बा की रितेश जिंदा बा हम लोगन के ऐसे बड़ खुशी का होई अद्याप्रसाद रजवंत और सरकारी मुलाजिम शीलभद्र ने मल्लार से अनुरोध किया कि कुछ दिन उसके यहां ही रुक कर बच्चे कि तलाश करेंगे क्योकि आप पास कि जानकारी तुम्हारे पास है स्थानीय निवासी हो जिससे हम लोंगो को आसानी होगी मल्लार को इस सम्बंध में कोई आपत्ति नही थी ।
अद्याप्रसाद रजवंत और शीलभद्र प्रतिदिन सुबह निकलते और सन्तो कि खोज मंदिरों में जाते आस पास के संत समुदाय से संपर्क करते लेकिन कोई सुराग नही मिलता लगभग तीन चार दिन बाद शील भद्र लौट आएं और आकर कटियार जिलाधिकारी को सम्पूर्ण तथ्यों से आवगत करा दिया लेकिन अद्याप्रसाद और रजवंत तीन माह तक रितेश कि खोज में संत समाज के विषय मे जानकारी जुटाने का प्रयास करते रहे लेकिन कोई सुराग नही मिला अंत मे थक हार कर दोनों गांव कोशिकीपुर लौट आएं रजवंत ने पत्नी मुन्नका को ढांढस देते हुए समझाया और बताया की हम लोंगो के लिए यही कम खुशी कि बात नही है की रितेश जिंदा है आज नही तो कल वह मिल ही जायेगा ।