Heer... - 14 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | हीर... - 14

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हीर... - 14

कहते हैं कि दो दिलों में एक दूसरे के लिये पनपा प्यार अगर मुकम्मल हो जाये तब तो ठीक.. लेकिन अगर प्यार अधूरा रह जाये या अधूरा कर दिया जाये तब दोनों दिलों में से कोई एक दिल उस रिश्ते की टूटन से मिले दर्द की तकलीफ़ को पूरी जिंदगी महसूस करता रहता है और दिल के किसी कोने में अपना प्यार पूरा ना हो पाने की टीस हमेशा बनी रहती है, राजीव से मिले धोखे की वजह से शायद यही टीस अंकिता का दिल भी महसूस कर रहा था इसलिये आज जब अजीत का साथ उसे मिला तो वो टूट गयी और एक एक करके सारी बातें अजीत को बताकर आज उसने अपना पूरा दिल खोलकर उसके सामने रख दिया था!! 

अंकिता जिस तरीके से राजीव के बारे में बता रही थी उसे सुनकर तो यही लग रहा था कि राजीव से मिले धोखे की वजह से उसके दिल की टूटन और टीस दोनों जायज़ थीं लेकिन अगर राजीव ने सच में अंकिता के साथ इतना गलत किया था और वो खुद उतना ही गलत था जितना अंकिता ने अजीत से बताया था तो... राजीव आज जिस हाल में अपने फ्लैट में जमीन पर औंधे मुंह गिरा पड़ा है वो उस हाल में क्यों है? जिन लोगों की फितरत इतनी बुरी हो जैसी अंकिता नेे राजीव की बतायी.. वो लोग धोखा देने के बाद खुद का ये हाल तो नहीं करते जो राजीव ने अपना कर लिया था, धोखा देने वाले धोखा देने के बाद किसी को इतना याद तो नहीं करते कि खुद की जिंदगी बर्बाद कर लें...हैना??

क्या सच है और क्या झूठ... कौन सही है और कौन गलत ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा लेकिन फिलहाल अजीत के सवाल का जवाब देते हुये अंकिता ने आगे कहा- हमने राजीव के फ्लैट से निकलकर हॉस्टल पंहुचते ही राजीव की मम्मी को कॉल कर दिया, हमने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा था उसे देखने के बाद हम खुद को रोने से रोक ही नहीं पा रहे थे इसलिये राजीव की मम्मी ने जब कॉल रिसीव किया तो उनकी आवाज़ सुनकर हमें और जादा रोना आ गया... 

हमने रोते हुये उनसे कहा- आंटी.. आंटी राजीव ने हमें धोखा दे दिया और वो..... 
       इसके बाद जो कुछ भी हमने देखा था वो सारी बात उन्हें एक एक करके बता दीं, हमारी सारी बातें सुनने के बाद वो चौंकने की बजाय बड़े प्यार उल्टा हमें ही समझाते हुये बोलीं- अंकिता बेटा अपने आप को संभालो, किसी भी रिश्ते में इतनी जल्दी कुछ भी डिसाइड करना ठीक बात नहीं है, राजीव तुमसे बहुत प्यार करता है ट्रस्ट मी और सिर्फ वो ही नहीं मैं और राजीव के पापा भी तुमसे बहुत प्यार करते हैं तो तुम किस बात की चिंता कर रही हो? 

हम पहले से ही बहुत टूटे हुये थे इसलिये राजीव की मम्मी कि बात सुनकर हम और भी जादा इमोशनल हो गये, हमें लगा कि वो हमारा साथ पक्का देंगी ओर राजीव को चारू से अलग करने में हमारी मदद करेंगी इसलिये हमने रोते हुये और उनसे रिक्वेस्ट करते हुये कहा- तो आंटी राजीव को समझाइये ना कि वो चारू का साथ छोड़ दे, हम कसम खा कर कह रहे हैं आंटी कि जो कुछ भी हमने देखा है हम वो सब इग्नोर कर देंगे और अपने रिश्ते को एक फ्रेश स्टार्ट देंगे, प्लीज आंटी राजीव को समझाइये ना...!! 
    हमारी बात का जवाब देते हुये राजीव की मम्मी ने जो कहा उसे सुनकर हमारे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी, उन्होंने कहा- ओहो तुम क्यों चिंता कर रही हो और रही बात चारू की तो राजीव और वो दोनों बहुत पक्के और पुराने दोस्त हैं... दोनों जवान हैं, मैच्योर हैं अपना सही गलत समझ सकते हैं, एक स्पेशल दिन में एक दूसरे को खुशी दे रहे हैं तो क्या गलत है!! कौन सा वो दोनों रोज़ रोज़ मिलते हैं... तुम उस पर ध्यान मत दो और राजीव और चारू के साथ अपने राजीव का बर्थ डे एंजॉय करो... चारू बहुत अच्छी लड़की है, तुमने अभी उसे ठीक से जाना नहीं है ना इसलिये तुम्हें बुरा लग रहा है, एकबार उन दोनों के रिश्ते को समझ जाओगी तब तुम्हे उन दोनों की दोस्ती की गहराई का भी अंदाजा हो जायेगा और तुम खुद उसे एक्सेप्ट कर लोगी!! 

राजीव की मम्मी भी उल्टा हमें ही समझाने लगीं लेकिन उस दिन हमें ये कन्फर्म हो गया था कि भगवान ने हमें एक निहायती गंदी सोच वाले परिवार में जाने से बचा लिया था इसीलिये हमने राजीव से खुद को दूर रखना शुरू कर दिया था, उसके बाद राजीव ने हमें बहुत परेशान किया... हम ही जानते हैं कि किन हालातों में हम फाइनल सेमेस्टर का एग्जाम देकर रातों रात उससे बचकर भुवनेश्वर वापस आये थे!! 
      यहां आने के बाद भी राजीव हमें लगातार कॉल करके दिल्ली वापस आने के लिये फोर्स करता रहा, वो कभी प्यार से रिक्वेस्ट करके हमसे शादी करने की बात करता तो कभी किसी साइको की तरह हम पर चिल्लाने लगता तो कभी गंदी गंदी गालियां देकर हमें सबक सिखाने की धमकी देता... उन दिनों हमें लगने लगा था कि राजीव हमें मार डालेगा और इसी डर के चलते हम बहुत परेशान रहने लगे थे फिर हमसे जब ये डर सहन नहीं हुआ तब हमने मम्मी को एक दिन सारी बात बता दी उसके बाद एक दिन जब राजीव का कॉल आया तो मम्मी ने फोन रिसीव करके उसे समझाते हुये कहा- देखो राजीव बेटा तुम दोनों साथ में पढ़े हो, अच्छे दोस्त हो.. यहां आये साथ में घूमे फिरे सब ठीक है लेकिन इतनी सी बात में ये सब करने की क्या जरूरत है और इसमें शादी की बात बीच में कहां से आ गयी?

अपनी बात कहते कहते अंकिता ने अजीत से कहा- तुम्हें पता है अजीत मम्मी की बात सुनकर उस घटिया इंसान ने क्या कहा??

अंकिता की बात सुनकर अजीत ने ना में सिर हिला दिया, इसके बाद अंकिता ने कहा- उसने मम्मी से बहुत रूडली कहा कि "अगर शादी नहीं करवानी थी तो अपनी लड़की को धंधा करवाने के लिये होटल में लायी थी क्या बुढ़िया!!"

"ओ गॉड उसने आंटी से इस तरीके से बात करी!!" अजीत ने चौंकते हुये कहा...

अंकिता बोली- हां और उसकी इस बात की वजह से मम्मी बहुत रोयी थीं, राजीव के यहां आने पर जो हम मम्मी को मिलवाने के लिये उसके पास उस होटल के रेस्टोरेंट में गये थे इसी वजह से उसने ये बात बोली थी... उस दिन के बाद से हमने डिसाइड कर लिया कि राजीव भले हमें जान से मार दे, भले वो हम पर एसिड अटैक कर दे पर हम किसी भी कीमत पर उससे कोई बात नहीं करेंगे और वो आज भी हमें धमकी देता है इसीलिये हमें तुम्हे लेकर डर लग रहा है अजीत... वो गुंडा है, बत्तमीज है और हम नहीं चाहते कि हमारी वजह से तुम उसके निशाने पर आओ... यही हमारा अतीत है और यही हमारी सबसे बड़ी समस्या है!!

अपनी बात पूरी करने के बाद अंकिता अपनी चेयर से उठी और "फिर से वही सब याद करके हमारा मन बहुत खराब हो रहा है अजीत... हम तुमसे बाद में मिलेंगे!!" कहते हुये उदास सी होकर रियो रेस्टोरेंट से अपने घर चली गयी....

क्रमशः