पात्र:
रिशि: एक संवेदनशील, महत्वाकांक्षी युवक जो अपने दिल के गहरे कोने में एक अधूरा सपना संजोए हुए है।
सुरभि: एक सजीव, आत्मनिर्भर युवती, जिसने जीवन के विभिन्न मोड़ों पर कई कड़वे अनुभव किए हैं।
रिशि और सुरभि, दोनों का जन्म एक छोटे से शहर में हुआ था। रिशि के लिए सुरभि सिर्फ एक पड़ोसी नहीं थी, वह उसकी सबसे प्यारी दोस्त थी। दोनों ने बचपन से एक-दूसरे के साथ खेलते, कूदते, और हँसते-गाते बचपन के बेहतरीन पल साझा किए थे। रिशि का दिन तब तक पूरा नहीं होता था, जब तक वह सुरभि से मिल न ले। सुरभि का हँसता चेहरा रिशि के लिए दुनिया की सबसे सुंदर चीज थी।
जब भी रिशि स्कूल से घर लौटता, वह सबसे पहले सुरभि के घर की ओर देखता। अगर सुरभि घर के बाहर खेल रही होती, तो उसका दिल खुशी से झूम उठता। वह अपने खेल छोड़कर सुरभि के साथ खेलने चला जाता। रिशि ने हमेशा सुरभि को दिल से चाहा, लेकिन उसने कभी अपने इस प्यार को शब्दों में ढालने की हिम्मत नहीं की। शायद वह डरता था कि कहीं वह दोस्ती भी न खो दे।
रिशि के मन में यह सोच बसी हुई थी कि वह बड़ा होकर कुछ बन जाएगा, तब वह सुरभि के सामने अपने प्यार का इज़हार करेगा। उसने अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लिया कि वह अपने प्यार को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करेगा।
जैसे-जैसे दोनों बड़े हुए, उनकी जिंदगी के रास्ते अलग होते गए। सुरभि का कॉलेज जाना शुरू हुआ, और रिशि ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर का रुख किया। दोनों के बीच की मुलाकातें कम होती गईं। रिशि जब भी छुट्टियों में घर आता, उसका दिल बस एक बार सुरभि को देखने के लिए बेचैन रहता। वह हर जगह सुरभि को ढूंढता, लेकिन अब सुरभि के जीवन में नई दोस्त और नए अनुभव शामिल हो चुके थे।
रिशि को यह देखकर बहुत तकलीफ होती थी कि अब सुरभि के पास उसके लिए समय नहीं था। वह खुद को काम में डुबोने की कोशिश करता, लेकिन सुरभि की यादें उसे चैन नहीं लेने देती थीं। रिशि की यही सोच थी कि एक दिन जब वह सफल हो जाएगा, तब वह सुरभि के सामने अपने दिल की बात कहेगा।
समय बीतता गया। रिशि ने अपनी पढ़ाई पूरी की और बेंगलोर में एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी हासिल की। उसने सोचा था कि जब वह अपने करियर में स्थापित हो जाएगा, तब वह सुरभि को प्रपोज करेगा। लेकिन जिंदगी ने उसके लिए कुछ और ही तय कर रखा था।
एक दिन जब रिशि छुट्टियों में घर आया, तो उसकी माँ ने उसे बताया कि सुरभि की शादी तय हो चुकी है। यह सुनकर रिशि के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वह इस खबर से बिल्कुल टूट गया। उसका सपना, जिसे उसने वर्षों से संजोकर रखा था, एक पल में बिखर गया। रिशि ने खुद को किसी तरह संभाला, लेकिन उसने तय कर लिया कि वह सुरभि की शादी में शामिल नहीं होगा। उसने बहाना बना दिया कि वह काम में व्यस्त है।
सुरभि की शादी हो गई और रिशि ने खुद को काम में डुबो लिया। उसने अपनी जिंदगी में व्यस्तता बढ़ा दी ताकि वह अपने दिल की तड़प को भुला सके। लेकिन जितना वह भागता, सुरभि की यादें उसे उतनी ही ज्यादा सतातीं। उसने अपने दिल की बातें किसी से साझा नहीं कीं।
कुछ समय बाद, रिशि को कंपनी के काम से दो साल के लिए कैलिफोर्निया भेज दिया गया। यह मौका उसके करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन उसके दिल में एक अजीब सी खालीपन थी। वह जानता था कि दुनिया के किसी भी कोने में चला जाए, वह सुरभि की यादों से कभी भाग नहीं सकता।
कैलिफोर्निया में रहते हुए रिशि ने खुद को पूरी तरह से काम में झोंक दिया। उसने अपनी कंपनी में नाम कमाया, और उसे कई प्रमोशन मिले। उसकी जिंदगी में सब कुछ था - पैसा, सम्मान, और एक सफल करियर। परंतु उसके दिल में एक गहरी उदासी थी। वह कभी भी सुरभि को अपने दिल से निकाल नहीं पाया।
पाँच साल बाद, रिशि को फिर से भारत लौटने का मौका मिला। उसकी कंपनी ने उसे भारत में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए भेजा। जब वह अपने घर वापस आया, तो उसके माता-पिता ने उसे खुशी से गले लगाया। परंतु रिशि के दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। वह अपने बचपन के उस घर में लौट आया था, जहाँ उसने सुरभि के साथ अपने सबसे प्यारे पल बिताए थे।
शाम को, उसकी माँ ने एक और चौंकाने वाली खबर दी - सुरभि अब वहीं रहती है, क्योंकि उसका अपने पति से तलाक हो चुका है। यह सुनकर रिशि को गहरा धक्का लगा। उसकी माँ ने उसे बताया कि सुरभि की शादी के कुछ ही समय बाद उसकी जिंदगी में समस्याएँ शुरू हो गईं। उसका पति उस पर शक करता था और उसे नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। धीरे-धीरे उसने सुरभि को अपने परिवार और दोस्तों से भी दूर कर दिया।
रिशि ने अपने अंदर उठते तूफान को किसी तरह काबू किया और अगले ही दिन सुरभि से मिलने के लिए उसके घर गया। सुरभि के माता-पिता ने उसे बड़े प्यार से स्वागत किया। रिशि की आँखें बार-बार सुरभि को ढूंढ रही थीं, परंतु वह कहीं नजर नहीं आई। उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी।
जब सुरभि ने घर में कदम रखा, तो रिशि का दिल जैसे जोर से धड़कने लगा। सुरभि के चेहरे पर उदासी की परछाईं साफ दिखाई दे रही थी। उसकी आँखें पहले जैसी चमकदार नहीं थीं। रिशि को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि यह वही सुरभि है, जिसे उसने कभी दिल से चाहा था।
दोनों की नजरें मिलीं, और कुछ पलों के लिए समय थम सा गया। सुरभि ने रिशि से धीमे स्वर में हालचाल पूछा, और रिशि ने भी उससे उसकी जिंदगी के बारे में पूछा। सुरभि ने अपनी तकलीफों को बयान किया, और रिशि ने चुपचाप उसकी बातें सुनीं।
रिशि का दिल टूट चुका था, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को सुरभि के सामने प्रकट नहीं होने दिया। वह जानता था कि अब उसे अपने दिल की बात कहने का समय आ गया है, लेकिन वह यह भी जानता था कि सुरभि ने बहुत कुछ सहा है, और वह नहीं चाहता था कि वह और किसी तकलीफ से गुजरे।
कुछ दिनों बाद, रिशि ने सुरभि को एक पार्क में मिलने के लिए बुलाया। वहां की ठंडी हवा में पेड़ों की सरसराहट और चिड़ियों की चहचहाहट थी। यह वही पार्क था जहाँ वे बचपन में खेला करते थे। रिशि ने सुरभि से कहा, "सुरभि, मैंने हमेशा तुम्हें चाहा, लेकिन कभी कुछ कह नहीं पाया। आज भी तुम्हारे बिना मैं अधूरा महसूस करता हूँ। मैंने तुम्हें अपने दिल में हमेशा एक खास जगह दी है, और वह जगह आज भी तुम्हारे लिए खाली है।"
सुरभि की आँखों में आँसू आ गए। उसने रिशि से कहा, "काश तुमने पहले अपने दिल की बात कह दी होती। शायद सब कुछ अलग होता। मैंने भी तुम्हें हमेशा एक खास दोस्त के रूप में देखा, लेकिन शायद तुमसे प्यार करने की हिम्मत कभी नहीं जुटा पाई। अब मुझे नहीं पता कि मैं फिर से किसी को प्यार कर पाऊंगी या नहीं।"
रिशि ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा, "मैं जानता हूँ कि तुम्हें बहुत दर्द सहना पड़ा है। मैं तुम्हें किसी भी चीज के लिए मजबूर नहीं करूँगा। मैं बस इतना चाहता हूँ कि हम फिर से वही पुराने दोस्त बन जाएं।"
सुरभि ने रिशि के हाथों को थाम लिया और दोनों ने अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करने का फैसला किया। उन्होंने अपने बीते हुए समय को पीछे छोड़कर एक दूसरे का हाथ थामकर आगे बढ़ने का निश्चय किया।
कुछ समय बाद, रिशि ने सुरभि को शादी के लिए प्रपोज किया। सुरभि ने कुछ समय मांगा, और रिशि ने उसका पूरा सम्मान किया। वह जानता था कि सुरभि के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे, सुरभि के दिल में रिशि के लिए एक नई भावना जाग्रत हुई। उसने रिशि के प्यार को महसूस किया और उसे स्वीकार करने का निर्णय लिया।
कुछ महीनों बाद, रिशि और सुरभि की शादी हुई। यह शादी उनके लिए एक नई शुरुआत थी, एक नया अध्याय, जिसमें वे अपने बीते हुए समय के घावों को भरकर एक साथ खुशहाल जिंदगी जीने के लिए तैयार थे। उनकी कहानी ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार समय और परिस्थितियों के पार होता है, और वह अंततः अपनी मंज़िल तक पहुँच ही जाता है। चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर प्यार सच्चा हो, तो वह हर कठिनाई को पार कर लेता है और अंत में जीतता है।
प्यार के नाम एक कविता
प्यार वो एहसास है, जो कभी ना मिट सके,
दिल की गहराइयों में, जैसे धड़कन से जुड़ सके।
बचपन की वो मासूम हंसी, जब साथ-साथ थे,
उन लम्हों की खुशबू, अब भी सांसों में बसी है।
तुम्हारी हर मुस्कान से, मेरा दिल खिल उठता था,
तुम्हारी एक झलक पाने को, ये दिल बेचैन रहता था।
पर दिल की बात कहने की, कभी हिम्मत ना कर सका,
बस मन ही मन तुम्हें चाहने का सफर तय करता रहा।
वक्त के साथ दूरियां आईं, पर एहसास वही रहा,
तेरी यादों में डूबा ये दिल, कभी चैन से नहीं रहा।
जब सुना तुम्हारा दर्द, तो दिल छलनी हो गया,
प्यार को मैंने सीने में रखा, पर कह ना सका।
अब जब तुम मेरे सामने हो, तो कहने का वक्त है,
कि प्यार कभी पुराना नहीं होता, ये एक अनमोल सबक है।
जो तुझसे शुरू हुआ था, वो सफर आज भी जारी है,
दिल की धड़कनों में, तेरा नाम अब भी भारी है।
आओ मिलकर फिर से, एक नई राह चुनें,
बीते हुए कल की बातें भूलकर, नये सपनों में डूबें।
साथ तुम्हारा चाहिए, इस दिल की यही दुआ है,
प्यार को जीने का, अब यही एक रास्ता है।
क्योंकि प्यार वो एहसास है, जो कभी ना मिट सके,
दिल की गहराइयों में, जैसे धड़कन से जुड़ सके।