"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"(Part -5)
किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति क्यों ख़राब होती है? एक इन्सान जुनूनी क्यों हो जाता है?
ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से कोई व्यक्ति उदास हो जाता है।
ऐसे रोगी को घृणा या तिरस्कार की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। रोगी की उचित देखभाल और अनुकूल वातावरण ही रोगी को शीघ्र स्वस्थ कर सकता है। इसके लिए घर के लोगों को या जिस व्यक्ति को इसकी देखभाल करनी हो उन्हें धैर्य के साथ अपना काम करना चाहिए।
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डॉक्टर शुभम ने पुलिस पदाधिकारी से कागजात की जांच की।
मरीज का नाम मनस्वी था। उसने एकतरफा प्यार में अपनी प्रेमी की हत्या कर दी थी। उसकी मानसिक स्थिति के कारण जज ने उसे मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में भेजने की सिफारिश की थी। मनस्वी को सात साल की क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी।
डा.शुभम ने प्रारंभिक कार्यवाही कर डा.तनेजा को आवश्यक निर्देश दिये। उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इसके बाद डॉक्टर शुभम अपने केबिन में चले गए।
वह थोड़ा तनाव में आ गया।
सोचने लगा कि लोग जुनूनी होकर हत्या क्यों करते है? जिंदगी कितनी अच्छी है, जीने की भी एक कला होती है। यदि मनुष्य संतुष्ट जीवन जिए तो कोई समस्या नहीं होगी। मानवता की खातिर मुझे भी ऐसे मरीज जो अपनी मनमानी करते है , उससे उचित व्यवहार करना होगा।
डॉक्टर शुभम अपना मोबाइल फोन देखने लगे.
युक्ति...
युक्ति का फोटो देखने लगे।
डॉक्टर को युक्ति याद आ गई।
जब वह पहली बार युक्ति से मिले तो हैरान रह गए।
इतनी खूबसूरत लड़की मानसिक रोगी हो गई है? कारण देखना होगा।
डॉक्टर शुभम ने मरीज युक्ति की फाइल मंगवाई।
मरीज युक्ति को अस्पताल में भर्ती कराने से पहले उस पर हत्या का मुकदमा चलाया गया था. अपने पिता की गुप्त रूप से हत्या करना।
लेकिन..लेकिन युक्ति का दिमाग भ्रमित क्यों था?
क्या युक्ति schizophrenia का शिकार हो गई थी?
डॉक्टर शुभम ने मरीज युक्ति की केस हिस्ट्री पढ़नी शुरू की।
डॉ.शुभम को जब मरीज युक्ति के बारे में पता चला तो वे थोड़ा सा चौंक गए।
इतनी जवान और खूबसूरत लड़की ऐसा व्यवहार क्यों करेगी?
उस पिता की हत्या जिसने अपने बच्चे को प्यार से पाला?
नहीं.. नहीं.. मुझे नहीं लगता कि कोई कारण होगा....
डॉ. शुभम को डॉ. मुकुंद मेहता का आलेख याद आ गया।
मुकुंद मेहता लिखते हैं कि...
पहले के समय में किसी को भी डिप्रेशन नहीं होता था, अब ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पहले के समय में चाहे वह पुरुष हो या महिला, घर या बाहर के सारे काम खुद ही करने पड़ते थे, ज्यादातर व्यक्ति एक घर में ही रहता था, संयुक्त परिवार में ।शारीरिक श्रम महत्वपूर्ण था, जनसंख्या आज जितनी बड़ी नहीं थी। आज की तरह कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी और परिणामस्वरूप सभी के मन में शांति और संतुष्टि थी।
डॉक्टर शुभम मन ही मन बुदबुदाया..
एक कारण तो हो गया लेकिन डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं इस बारे में डॉ. मुकुंद मेहता ने अपने दूसरे लेख में भी लिखा है कि आजकल व्यक्ति जुनूनी हो जाने के बाद अपने किए पर पछताता है ।लेकिन डिप्रेशन भी कब होता है व्यक्ति जुनूनी हो जाता है। यह जीवन में होने वाली घटनाओं पर निर्भर करता है।
एक खूबसूरत लड़की को ऐसा नहीं करना चाहिए.
ऐसे में उनसे पूछा नहीं जा सकता। हाँ, उसके दैनिक व्यवहार को नोट करना होगा और उसके अनुसार व्यवहार करना होगा।
डॉक्टर शुभम ने एक महिला नर्स को बुलाया जो युक्ति का विशेष ख्याल रख रही थी।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि मानवता के नाते ऐसे मरीजों की विशेष देखभाल की जानी चाहिए।
. शुभम ने नर्स को युक्ति के दैनिक व्यवहार का रिकॉर्ड रखने और असामान्य व्यवहार करने पर तुरंत उसका ध्यान आकर्षित करने का निर्देश दिया। मरीज सामान्य स्थिति में हो तब अन्य मरीज से मिले तो कोई बात नहीं। मरीज को भी अच्छा लगता है। लेकिन मरीज खुश में रहे ज्यादा सोचने से उनकी मनोदशा बिगड़ सकती है। विचार वायु में मरीज अपने आप को काबू में नहीं रख सकता।
एक दिन नर्स चिल्लाती हुई आई, उसकी आँखों में आँसू थे।
डॉक्टर के पास आईं और डोक्टर शुभम को बताता है कि सर, वह मरीज युक्ति अस्पताल की छत पर चढ़ गई है। जब मेरा ध्यान नहीं था तब छत पर चली गयी। मैं दूसरे काम में थीं। इसलिए इसका ध्यान नहीं रख सका।सर, मुझे माफ़ करना। मुझे डर लगता है कि युक्ति छत पर से कूद न जाए।
डॉक्टर शुभम ने नर्स को डांटा।
और जल्दी जल्दी डॉक्टर शुभम और नर्स अस्पताल की छत पर पहुंच गए।
डॉक्टर शुभम ने देखा कि युक्ति पागलों की तरह छत पर टहल रही थी।
युक्ति की हरकत देखकर शुभम को चिंता हो गई।
नर्स को बोला:-' कोई न कोई तरीके से युक्ति को यहां से ले जाना पड़ेगा।
युक्ति पागल की तरह बोल रही थी और शुभम की ओर देख रही थी।
मैं आऊंगी ,मैं तुम्हारे साथ रहूंगी अगर तुम मेरे पार्टनर बन जाओगे? मुझे खेल खेलने में मज़ा आता है।
ऐसा बोलकर ताली बजाने लगी।