दूसरी तरफ,
"हाँ बेटा बस हम यहाँ से चल दिए है पहुंच जायेंगे 3:00 बजे तक तो तुम ड्राइवर को भेज देना", सुरेश जोशी ने नितिन से कहा ।
"नो, डैड मै खुद आपको पिक करने आ रहा हू", नितिन ने कहा ।
"ओके मै फिर एयरपोर्ट पहुंच के कॉल करता हू", सुरेश जोशी ने फ़ोन रखते हुए कहा ।
प्रशांत ने सीरत को एयरपोर्ट पर छोड़ दिया ।
काव्या और उसका परिवार बाहर आ गया था । सीरत भाग कर लगभग चीखते हुए काव्या को कस कर गले लगा लिया ।
काव्या ने कहा, " मुझे लगा नहीं था तू आएगी ।"
सीरत ने दाँत दिखाते हुए कहा, भाई मान गए तो आ गई । फिर मिस्टर एंड मिसेज़ जोशी से कहा, " नमस्ते अंकल, नमस्ते आंटी । "
मिसेज जोशी ने कहा, " नमस्ते बेटा , " फिर काव्या की तरफ देख कर कहा, "ये.."
काव्या ने कहा, " मोम सीरत, माय बेस्ट फ्रेंड बताया था ना । "
"ओह, ये तुम्हारे तो गुणगान हो गाती रहती है बेटा," मिस्टर जोशी ने कहा ।
सीरत ने एक स्माइल दी । फिर काव्या ने कहा, "मोम इसे मैंने आज अपने घर रहने के लिए बुलाया है ।"
"अच्छा किया बेटा तुम आ गयी," मिस्टर जोशी ने कहा ।
काव्या ने कहा, " हाँ मुझे ना तुमसे ढेर सारी बात करनी है बहुत कुछ बताना है यार और ।" फिर सामने की और देखते हुये बोली, "भाई...." उसने बहुत जोर से कहा था और भाग कर जा कर नितिन के गले लग गयी ।
सुरेश जोशी और मिसेज़ जोशी दोनों भी मुस्कुराते हुए आगे चले गए । सीरत भी पीछे को पलटी उसे वो लड़का दिखाई नहीं दिया ।
पर ज़ब काव्या साइड हुई तो ममता जोशी उससे गले लगने लगी तब सीरत ने एक झलक देखि ।
फिर खुद मे बोली, " ये तो... वो अरे नहीं नहीं, काव्या का भाई इतना बुरा भी नहीं हो सकता । उसने खुद की सोच को नकार दिया ।
" हाँ लेकिन बंदा था बड़ा हैंडसम । ये क्या सोच रही है पागल कही की खुद को ही चपत लगाते हुए बोली । "
काव्या सीरत के पास आयी और बोली , " तू यहाँ क्या कर रही चल अब ।"
सीरत ने हाँ मे सर हिलाया और आगे बढ़ने लगी ज़ब वह नितिन के पास पहुंची तो उसे देख कर पूरी तरह से शॉक्ड हो गयी । उसके चेहरे पर बारह बज गए थे ।
वो तो घूर घूर कर बस नितिन को देख रही थी । काव्या ने उसे नितिन को घूरते हुए देखा तो बोली, " अरे मेरी जान कितना घूरेगी भाई को, जानती हू बहुत हैंडसम है मेरा भाई । " और हसने लगी ।
सीरत ने झट से काव्या को देखा और बोली, " तू चुप कर क्या बोल रही है । "
इस बात पर नितिन को भी हसीं आ गयी और सीरत की ओर देखते हुए काव्या से बोला, "सही कहा तूने । जो एक बार देख ले तेरे भाई को वो भूलता ही नही । " फिर सीरत ने घूर कर नितिन को देखा तो नितिन ने अपनी आंखे दूसरी तरफ की और कहा चलो कार मे बैठो ओर अपनी आँखों पे शेड्स लगा लिए ।
मिस्टर जोशी ने कहा, " काव्या अभी चलते है घर जा कर मज़ाक मस्ती करना । "
काव्या ने सीरत का हाथ पकड़ा और साथ ले जाने लगी । वे सब कार मे बैठ गए । कार एयरपोर्ट से बाहर आगयी । नितिन कार ड्राइव कर रहा था । सुरेश जी नितिन के साथ बैठे थे । काव्या, ममता जी और सीरत पीछे बैठी थी ।
नितिन ने कार का मिरर सेट किया जिसमे सीरत का अक्ष दिख रहा था और चेहरे पर स्माइल आ गयी ।
अब सीरत का मन नहीं कर रहा था की वह काव्या के घर जाये इसलिए बोली , " काव्या मुझे ना याद आया मुझे बहुत जरुरी काम है मै, मै कल आउंगी ओके । "
काव्या ने गुस्से मे घूर कर सीरत की ओर मुँह कर उसे देखा ।
काव्या ने गुस्से मे घूर कर सीरत को देखा । फिर सीरत से बोली, " ठीक है वैसे भी तेरा हर बार का नाटक है । आज भी वही कर रही है ।"
" सीरत का मुँह उत्तर गया ऐसा नहीं है यार " , सीरत ने काव्या का हाथ पकड़ते हुए कहा ।
काव्या ने उसका हाथ झटका और नितिन से कहा , " भाई आप ना कार उस तरफ रोक दो ।"
ममता जी प्यार से बोली , " काव्या ये क्या हरकत है काम होगा तभी कह रही है ना ।"
"नो मोम, शी ऑलवेज do this? ठीक है जाये, " काव्या ने मुँह फेर लिया ।
सीरत ने कहा, " यार ओके गुस्सा मत कर चल रही हू ।"
काव्या ने उसकी और मुँह किया और बोली, " हाँ अगर नहीं गयी तो मै तेरे से बात ही नहीं करूंगी समझी । "
नितिन उनकी हरकत रियर व्यू मिरर से देख रहा था और अपना सर झटका फिर खुद मे कहा, "दोनों ही नौटंकी है । पर अच्छा है तंग करने को मिलेगा और फिर से स्माइल करने लगा ।"
वे लोग जोशी मेंशन पहुंच गए । सब लोग कार से उतरे और अंदर आ गए ।
काव्या ने कहा, " मोम हम मेरे कमरे मे जा रहे है "। फिर सीरत का हाथ पकड़ अपने साथ ले जाने लगी ।
काव्या सीरत के साथ सढ़ियों से ऊपर आयी । ऊपर एक कमरे की और जाते हुए बोली, "तुझे अपना कमरा दिखाती हू चल ।"
काव्या के कमरे के बिलकुल सामने नितिन का कमरा था बिच मे बहुत सा स्पेस था जाहा पर एक सोफा लगा हुआ था और साथ ही छोटा सा टेबल था । और उसके एक तरफ से बाहर का नजारा देखा जा सकता था ।
काव्या सीरत को अपने रूम मे ले आयी । काव्या के रूम मे एक तरफ करके बेड लगा हुआ था । बेड के साइड मे एक छोटा सा टेबल जिसपे एक वास रखा था । उसी के दूसरी साइड उसका वॉड रोब था । दिवार के दूसरी तरफ खिड़की के पास एक स्टडी टेबल थी जाहा कुछ बुक्स रखी हुई थी । रूम का कलर रॉयल ब्लू और ऑफ वाइट था ।
"कैसा लगा मेरा रूम," काव्या ने सीरत से पूछा ।
"बहुत अच्छा", सीरत ने बेड पर बैठते हुए कहा ।
"अच्छा मै फ्रेश हो कर आती हू, " काव्या ये कह वाशरूम की और चली गयी ।
सीरत बेड से खड़ी हुई उसकी नजर तस्वीर पर गयी कुछ तस्वीरे लगी हुई थी दिवार पर । जिसमे काव्या अकेले खड़ी थी । एक तस्वीर मे फुल फॅमिली । दो तस्वीरो मे नितिन के साथ फनी पोज मे ।
सीरत फोटो देख कर हस रही थी तभी कमरे मे नितिन आ कर उसके साइड मे खड़ा हो गया ।
उसने तीसवीर को देखते हुए कहा, "अच्छा लग रहा हू ना ।"
सीरत ने भी खोये हुए अंदाज मे कहा, " हाँ..... "
जब उसे रिलाईज हुआ की वह क्या बोल गयी तब नितिन की और देखते हुए अटक कर बोली, "आप... आप यहाँ क्या कर रहे हो ।"
"मै... मै यहाँ अपनी बहन के कमरे मे हू, और आ सकता हू ज़ब दिल करे " नितिन ने भी सीरत की नक़ल करते हुए कहा ।
"आप मेरी नकल कर रहे हो", सीरत ने बड़े ही मासूमियत से कहा ।
आगे क्या होगा जानने ले लिए पढ़िए " प्यार बेशुमार "
मिलये है अगले भाग मे 🙏
~आरुषि ठाकुर ✍️