BEKHBAR ISHQ - 4 in Hindi Love Stories by Sahnila Firdosh books and stories PDF | बेखबर इश्क! - भाग 4

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बेखबर इश्क! - भाग 4

एक दुल्हन के लिबास में कनिषा ना तो अपने हॉस्टल जा सकती थी,और ना ही अपने किसी दोस्त के घर,उसके पास दूसरे कपड़े भी नही थे,जो भी कपड़े उसने लहंगा पहने से पहले पहना था,वो अभी भी इशांक के बंगले में ही था,,इसलिए वो यहां वापस आ गई थी,एक और कारण जो उसे यहां तक खींच लाया था...वो पैसें थे,जिसकी जरूरत उसे अपने डैड की बाईपास सर्जरी करवाने की लिए पड़ने वाली थी,सौतेली मां से पैसें ना मिलने पर उसकी आखरी उम्मीद इशांक ही था,यहां आने से पहले वो ये बात भी अच्छे से जानती थी,की.... इशांक से फिर पैसें मांगने पर वो उसे बिकाऊ लड़की ही कहेगा,,पर वो सिर्फ इसकी वजह से अपने डैड को मारने के लिए भी नही छोड़ सकती थी,इसलिए बड़ी ही सावधानी से बिना कोई आहट किए वो घर के अंदर अपने कदम रख रही थी,,चारो ओर सिर्फ गहरा अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ भी नजर नही आ रहा था...

उसी पल कुर्सी पर बैठे इशांक ने अपने हाथ में लिए शराब की बोतल को फर्श पर पटक दिया, सन्नाटे से इस माहौल में अचानक कुछ टूटने की आवाज से कनिषा के कदम रुक गए और उसका पूरा शरीर कांप गया,वो संभल भी ना सकी थी की तभी इशांक ने हाथ में पकड़ी हुई रिमोट के पहले बटन को दबा दिया,जिससे घर की सारी लाइट्स भी ऑन हो गई,चारो ओर रौशनी होने से कनिषा की नजर सामने कुर्सी पर बैठे इशांक पर पड़ी,जिसकी आंखे लाल और चेहरा गुस्से में डूबा हुआ दिखाई पड़ रहा था,उसे देखते ही कनीषा ने आपकी नजरों को उससे हटा लिया और इधर उधर देखते हुए थूक निगलने लगी!

दूसरी ओर इशांक कुर्सी से उठा और कनिषा की ओर बढ़ने लगा,ज्यादा शराब पी लेने की वजह से उसे हल्का हल्का नशा भी चढ़ गया था,जो उसके शारीरिक आभा से कनिषा को दूर से ही समझ आ रहा था,नजदीक पहुंचते पहुंचते इशांक का ध्यान कनिषा के पतले छरहरे बदन पर गया,जो बिना चुन्नी के गोरा और आकर्षक लग रहा था,वो ऐसी हालत में कहां गई थी, इस बारे में सोच कर ही इशांक का गुस्सा अपने चरम पर पहुंच गया।।

इशांक को इस तरह घूरता देख कनिषा ने जल्दी से अपने हाथों को कमर पर लपेट लिया और कुछ कहने के लिए अपने होंठो को खोलने लगी,तभी इशांक ने सख्त और बेरुखी तरीके से पूछा....."आधी रात को कहां से आ रही हो?"

इस सवाल से कनिषा के आंखो के आगे,आज दिन भर की सारी घटनाएं तस्वीर की तरह उभर आई, उसे अपने डैड का आईसीयू में पड़ा शरीर याद आया तो,उसकी आंखे आंसुओ से भर गई,,फिर भी उसने ईशांक को जवाब दिया...."मैं अपने डैड की टैक्स फाइल करने गई थीं,और उन्हे जेल से...."

उसकी बात अधूरी ही थी,की तभी इशांक ने उसका कटाक्ष करते हुए कहा...."तो कौन सा पुलिस स्टेशन या कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट रात के साढ़े ग्यारह बजे तक सर्विस देता है,या फिर तुम्हारे इस आधे ढके शरीर को देखते हुए उन्होंने तुम्हे कुछ स्पेशल ट्रीट किया???"

इशांक का लहजा सुन कनिषा को अपने आत्मसम्मान पर ठेस लगने जैसा महसूस हुआ,जिसे वो बर्दास्त नही कर पाई और सीधे इशांक की आंखो मे देखते हुए कहने लगी.... "आप अपने शब्दों पर ध्यान दे कर बोलना सीख लीजिए,मेरे साथ अपना ये बरताव और ये भाषा सुधार लीजिएगा,मेरे शरीर की वजह से मुझे कौन क्या ट्रीट करता है,इसकी रिपोर्ट मुझे आपको देने की जरूरत नही है,और जिस कॉन्ट्रैक्ट पर एक साइन की वजह से मुझे आपके जैसे राक्षस से शादी करनी पड़ी है ना... उस कॉन्ट्रैक्ट में भी,ये बात कहीं पर मेंशन नही है की... मुझे आपको हर एक बात की,अपने हर घंटे की रिपोर्ट देनी होगी!".....इतना कह कनिषा ने अपनी पलकों को उस कमरे की ओर उठाया,जहां उसे लहंगा पहने को मजबूर किया गया था,और जहां उसके पुराने कपड़े भी पड़े थे, उस कमरे को पहचान लेने के बाद वो एक पल भी वहां ना रुकी और इशांक के समीप से गुजरने लगी!

अभी भी कनीशा के अंदर इतना घमंड देख इशांक की भौंहैं गुस्से से तन गई और उसने कहा...."रिपोर्ट देने की बात नही लिखी तो.... ये भी नही लिखा की तुम मेरे परिवार की इज्जत उछाल कर लोगों से ट्रीट लो,ये शरीफों और इज्जतदार लोगों का घर है,,और फिर मैने तो इस शरीर की अच्छी खासी कीमत भी अदा की है,जबकि कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक मुझे तुम्हें कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के बाद दस करोड़ देने थे,उसके अलावा तुमने अपनी कीमत बढ़ाई और मुझसे सौदा किया,फिर मुझे एटीट्यूड कैसे दिखा सकती हो?"

"मेरा सौदा मेरी मजबूरी है,शौक होती तो एटीट्यूड दिखाने में शर्म आती!"..... कनिषा कहते हुए वापस इशांक की ओर मुड़ चुकी थी...."और रही बात दस करोड़ को तो....वो रेट मैने फिक्स नही की थी,वो उस लड़की ने की थी...जिसके लिए अपने ये कॉन्ट्रैक्ट रेडी करवाया था,उसकी किस्मत अच्छी थी की वो आपको छोड़ कर भाग गई,और मेरी बुरी जो मैने अनजाने में उस पर साइन कर दिया...वरना सौ करोड़ भी दे देते तो...भी मैं आपके जैसे अभिमानी इंसान की दुल्हन बनना पसंद नही करती।।

कहते हुए कनिषा इशांक के बिल्कुल सामने खड़ी हो गई,उसकी हाइट इशांक से कुछ ज्यादा कम नही थी,फिर भी इशांक उससे दो तीन इंच लंबा ही था,उसकी आंखो के दृढ़ता से देखते हुए कनिषा ने अपनी बात जारी रखी....."आपको लगता है मैं इतनी रात तक लोगों के साथ मन बहलव पर गई थी? और पूरे शहर की शराफत सिर्फ आपके अंदर ही है क्या??क्या मैं शरीफ और इज्जतदार नही हूं?....

कनिषा के इन शब्दों को सुनने से इशांक के चेहरे पर एक व्यंग भरी मुस्कान तैर गई,ये ऐसा था मानो वो उसके हर एक लफ्ज़ का मजाक उड़ा रहा हो,उसके उठे होंठो के कोनो पर कनिशा की नजर पड़ी तो,उसके अंतरात्मा तक को चोट पहुंची,जिसे उसकी आंखो से आंसू छलक गया और उसने रूआसी सी आवाज में कहा...."ये..जब आप ऐसे मुस्कुराते है ना.....ये एक सेकंड की व्यंग्यपूर्ण मुस्कान,आपको लगता है मुझे समझ नहीं आता,खुद को इतना भी उम्मदा नही समझना चाहिए कि भगवान एक दिन गड्ढे में गिर दे।।


"या राइट भगवान...जब इंसान कुछ नही कर पता तो भगवान के नाम से डरना शुरू करता है,और अगर तुम्हे मेरी स्माइल का मतलब इतनी अच्छी तरह से समझ आता है,तो क्या कर लोगी तुम,मेरा कुछ नही बिगड़ सकती।।"....इशांक ने ठंडे एक्सप्रेशनलेस तरीके से कहा,जिस पर कनिषा अपने गुस्से पर काबू ना रख पाई और इशांक पर चिल्लाई...."अच्छा.... अगर मैं शरीफ भी नही हूं, इज्जतदार भी नही हूं,इतनी ही बुरी हूं,तो गलती से साइन कर देने पर आपने कॉन्ट्रैक्ट फाड़ क्यों नही दिया,क्यों मुझे सुबह किडनैप कर के यहां लाए थे,क्यों करना चाहते थे मुझसे जबरदस्ती शादी?अगर मैने शादी के बदले पैसें मांग लिए तो मैं बुरी हो गई,और जो आप मुझसे जबरदस्ती शादी कर रहे थे,उसमे सिर्फ अच्छाई ही छुपी थी.... सारी दुनिया की शराफत और दौलत सिर्फ आपके पास ही है ना,बाकी सब कैरेक्टरलेस और आपके धन के आगे झुकने वाले कटपुटलीयां हैं!"

कनिषा बिना इशांक के गुस्से को समझे बस बोले जा रही थी,दो से तीन मीटिंग में,वो उसे ठीक से जान भी नही पाई थी,इसलिए उसे इशांक के नेचर के बारे में कुछ खास पता नही था,हलांकी वो जब भी इशांक से मिली थी,वो उसे गुस्से में ही दिखा था,फिर भी कनिषा इस वक्त सब भूल गई थी और अपने मन की भड़ास निकाले जा रही थी...."मैने बदन पर एक चुन्नी नही डाली तो,अपने मेरा पूरा कैरेक्टर जज कर लिया,और खुद मुझे किडनैप कर के लाए थे...उसका कुछ नही,,आप खुद को शरीफ कहते हैं ना...तो लेट मी टेल यू...शरीफ घर के लड़के किसी का यूज नही करते,और जो लोग किसी का यूज करते हैं ना..वो शरीफ नही वाहियात होते हैं,और आप बिल्कुल वही हैं.... अ डिजकस्टिंग थर्ड ग्रेड मैन,,बात बात पर शराफत का फलसफा झाड़ने लगते हैं,,शरीफ लड़के लड़कियों से शादी का सौदा नहीं करते,किसी की मजबूरी का फायदा नही उठाते,आपको लगता है...मैं आपके लायक नही हूं,मुझे लगता है....आप मेरे लायक नही है,जरूरत के हिसाब से लुढ़कने वा

ले बिना पेंदी के लोटा है आप!"