दादी मां अभी आई सी यु में थी और वो बार बार एक ही नाम ले रही थी नैना, नैना,।
अनिक ने किसी तरह से विक्की को होश में लाया और बोला कायर है तुम खुद को इस तरह से सजा दे रहा है उधर दादी मां की हालत गंभीर बनी हुई है वो सिर्फ नैना से मिलना चाहती है पर तुम यहां पर मुंह छुपाए पड़ा है।
देख जाकर दादी मां की क्या koहालत हो गई वो भी तेरी वजह से।
क्या चाहता है कि दादी मां मर जाएं फिर सब ठीक हो जाएगा नहीं मेरे दोस्त ऐसा मत कर चल जल्दी।
फिर विक्रम सिंह शेखावत जल्दी नहाकर तैयार हो गया और फिर जाने लगा तो दादा जी ने कहा। विक्की सुन ले एक बात।।
विक्की ने कहा दादा जी मुझे पता है कि मैं माफी के लायक नहीं हुं।
दादाजी ने कहा जो गलती तेरी दादी मां ने किया आज वो गलती तुने भी किया फर्क इतना है कि वो आज मौत के मुंह में चली गई और तू खुद को इतना छोटा कर दिया कि अपने बाप की तरह शराब पीने लगे और शायद हमारे परवरिश में कोई कमी रही होगी।
विक्की अपने दादा जी के पैरों पर गिर पड़ा और फिर रोने लगा हां दादाजी मैं सबका गुनहगार हुं ।
दादी मां को मैं वापस ले आऊंगा।
दादाजी ने कहा नहीं बेटा जिसको जाना होगा वो तो जाएगा ही।
तुम बस अस्पताल जाओ।
फिर विक्रम सिंह शेखावत अनिक के साथ अस्पताल चला गया और फिर डाक्टर ने कहा कभी भी कुछ हो जाएगा ये नैना कौन है?
विक्की रोते हुए अन्दर पहुंच गए और फिर दादी मां को गले से लगा लिया और फिर बोला दादी मुझे माफ़ कर दो मैं अंधा हो गया था।
दादी मां ने विक्की को देखते हुए कहा कि वो नहीं आईं मेरी नैना।।
विक्की ने कहा दादी मां नैना को मालूम नहीं है कि आप यहां हो।
दादी मां रोने लगी और फिर बोली बेटा मेरी अंतिम इच्छा ये है कि नैना को वापस घर लेकर आना और उसे सम्मान के साथ शादी करके स्त्री का सम्मान देना मुझसे जो गलती हुई है वो मैं मर का ही शान्ति मिलेगी।
और फिर दादी मां के प्राण पखेरू उड़ गए और सब कुछ स्तब्ध रह गया।
विक्की रोने लगा और चिल्लाने लगा अनिक ने उसे सम्हाल लिया और फिर बोला देखो अब जल्दी से अन्तिम संस्कार का कार्यक्रम शुरू करना होगा।।
विक्की ने कहा हां ठीक है यहां का काम पुरा करने के बाद हम जाएंगे।
फिर अस्पताल में सारा कागज बन जाने के बाद
दादी मां का पार्थिव शरीर लेकर विक्की और अनिक बाहर निकल आया और फिर वहां से निकल कर सीधे जहां अन्तयोषटि होता है वहां जाकर विधिवत पूजन करके दादी मां को अन्तिम संस्कार कर दिया।
विक्की की नम आंखों में सिर्फ एक ही बात याद रह गई थी कि नैना को वापस लाना होगा।
ये सब के बाद दोनों दोस्त बंगले लौट आए।
नहाने के बाद दादाजी के कमरे में जाकर बैठ गया और फिर बोला दादाजी दादी मां हमेशा, हमेशा के लिए हमें छोड़ कर चली गई।।
दादाजी ने कहा हां उसे तो जाना था सभी को जाना होगा एक दिन पर तेरी दादी मां इन दिनों बहुत ही परेशान रहती थी और फिर उसे नैना को अग्नि परीक्षा के लिए आश्रम भेजना बहुत ही असहनीय था वो बाद में इस अपराध बोध में जल रही थी और फिर तुमने भी बहुत अपमानित किया जिसका कभी कल्पना भी नहीं किया था ।
विक्की ने कहा हां मैं मानता हूं कि एक गलती किया मैंने पर मैं तो गलत नहीं था और ना ही नैना गलत थी फिर भी वो अग्नि परीक्षा देने के लिए दादी मां का मान रखा।
दादाजी ने कहा हां मैं मानता हूं और हां दादी मां ने जमीन जायदाद जो कुछ भी है वो तुम दोनों के नाम कर दिया है समान अधिकार प्राप्त होगा पर नैना से शादी करने के एक साल बाद।।
विक्की ने कहा दादाजी यह सब कुछ नहीं चाहिए बस शुकून चाहिए जो कहीं चला गया है।
अब तो दादी मां का अंतिम इच्छा पुरा करना होगा नैना को वापस लाना होगा मुझे।
दादाजी ने कहा हां ठीक है जिस दिन ग्यारहवां दिन होगा उस दिन नैना को यहां आना होगा।
विक्की ने कहा हां पर नैना को तो पता नहीं चल पाया कि ये हो गया।
विक्की अपने कमरे में चला गया और फिर विक्की गिटार बजाने लगा और फिर एक गाना गाने लगा।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
रूठ कर हमसे कहीं
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
ये न सोचा था कभी
इतना याद आओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
मैं तो न चला था दो
कद भी तुम बिन
फिर भी मेरा बचपन
एहि समझे हर दिन
छोड़ के मुझे भला
अब कहाँ जाओगे तुम
छोड़ के मुझे भला
सदा एहि केह्की ही
पुकारा है तुम्हें
क्या कर लोगे मेरा
जो बिगड़ जाओगे तुम
क्या कर लोगे मेरा
जो बिगड़ जाओगे तुम
ये न सोचा था कभी
इतना याद आओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
देखो मेरे आंसू
एहि करते हैं पुकार
आओ चले आओ मेरे
भाई मेरे यार
पूछने आंसू मेरे।
देखो मेरे आंसू
एहि करते हैं पुकार
आओ चले आओ मेरे
भाई मेरे यार
पूछने आंसू मेरे
क्या नहीं आओगे तुम
पूछने आंसू मेरे
क्या नहीं आओगे तुम
ये न सोचा था कभी
इतना याद आओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं.।।
गाना खत्म हो गया और फिर विक्रम सिंह शेखावत भी सो गया।
उधर नैना इन सब बातों से बेखबर थी पर उसका मन बहुत ही उदास हो गया था और फिर विचलित हो उठी थी और फिर नैना अपने काम करने के बाद जब वो खाना खाने लगी तो उसे लगा कि दादी मां उसे बुला रही थी और फिर नैना खाना नहीं खा पायी।
अन्न का अपमान करना नहीं चाहिए इस लिए अन्न को प्रणाम करके रख दिया।
नैना तुरंत गुरु जी के पास जाकर सब बातें बताई और फिर कार्यालय में जाकर बंगले में फोन किया।
फोन विक्की ने उठाया और फिर नैना ने कहा हेलो दादी मां से बात करना था।
विक्की ने कहा हां दादी मां तो अब इस दुनिया नहीं रही ।।कल ही उनका देहांत हो गया।
नैना ये सुनकर ही रोने लगी और फिर बोली अरे तुम क्या बोल रहे हो।
विक्की ने कहा क्या एक बार यहां आओगी।
नैना ने कहा हां ज़रूर।।
फिर नैना ने ये दुखद समाचार गुरु जी को भी दिया।
गुरु जी सुनकर बहुत ही अफसोस किए और फिर बोलें कि कल सुबह एक शोक सभा आयोजित किया जाएगा।
नैना ने कहा जी गुरु जी।
फिर नैना चली गई और फिर अपने कमरे जाकर चटाई बिछाकर लेट गई और फिर दादी मां की वो सब बातें याद करने लगी और फिर बोली दादी मां आप चली गई और कुछ बताया नहीं मुझे इतना दूर जो कर दिया।
किस बात की सजा देकर चली गई आप।। नैना रोते रोते सो गई।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो रोज का काम करने के बाद सबको भवन में बुलाया गया जहां दादी मां कौशल्या देवी के लिए मौन व्रत रखने के लिए कहा गया।
सबने शोक व्यक्त किया और फिर तीन मिनट का मौन व्रत रखा।
उसके बाद नैना ने गुरू जी से आज्ञा लेकर सीधे विक्की के बंगले में पहुंच गई।
जहां पर गेट से ही लोगों का आना जाना शुरू हो गया था।
नैना भी अपने हाथों से फुलों का माला बनाकर ले कर अन्दर पहुंच गई।
जहां बहुत सारे लोग उपस्थित थे।
विक्की,अनिक और दादाजी भी एक साथ बैठे थे।
नैना धीरे धीरे आगे बढ़ कर दादी मां के फोटो पर अपने हाथों से फुलों का माला पहना दिया और फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना किया।
फिर वहां से जाकर एकांत में बैठ गई और फिर ध्यान करने लगीं।
विक्की देखता रहा कि ये कौन है मैं तो इसे नहीं जानता। नैना में इतना बड़ा परिवर्तन देख कर विक्की बहुत हैरान हो गया था और उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
कुछ देर तक नैना वहां बैठी रही फिर उसने रामदीन से कहा कि उसे दादाजी के साथ मिलना है।
फिर नैना दादाजी से मिलने गई।
दादाजी ने कहा आओ नैना।
नैना ने पैर छुए और फिर बोली दादाजी आप कैसे हैं?
दादाजी ने कहा हां ठीक हुं पर अगर तुम आ जाओ तो और भी अधिक अच्छा हो जाऊंगा।।
जानती हो दादी मां की अंतिम इच्छा क्या थी?
नैना ने कहा नहीं।
दादाजी ने कहा वो चाहती थी कि सम्मान के साथ तुम्हें इस बंगले में वापस लाया जाएं और फिर शादी।
तुम्हारे शादी के एक साल के बाद विक्रम सिंह शेखावत और नैना को हर ज़मीन जायदाद का समान अधिकार प्राप्त हो।
नैना ये सब सुन कर रोने लगी और फिर बोली दादाजी मैं ये सब कैसे ले सकती हुं मेरा अग्नि परीक्षा तो चल रहा है।
क्या होगा नैना का अगला कदम, क्या वो फिर से अपनी जिंदगी में वापस आएंगी या फिर एक नया उम्मीद के साथ आगे बढ़ जाएगी।
क्रमशः