Bairy Priya - 8 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 8

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बैरी पिया.... - 8

संयम शिविका को उठाए बाहर dining area में आ गया और उसे कुर्सी पर बैठाकर उसने हाथ से दो बार क्लैपिंग कर दी... ।


सर्वेंट् हाथ में एक बाउल उठाए हुए बाहर आया और उसने शिविका के सामने वो बाउल रख दिया । बाऊल को ढक्कन से ढका हुआ था । सर्वेंट हाथ बांधे पीछे खड़ा हो गया । संयम ने बाऊल के ऊपर से ढक्कन हटाया तो शिविका को उसमें से बहुत गंदी बदबू आने लगी । उसने अपनी नाक पर हाथ रख लिया ।


संयम उसके पीछे खड़ा होते हुए उसकी चेयर के दोनों तरफ हाथ रखकर उसके कान के पास झुक गया । और बोला " अब तो तुम्हें चोट भी लगी है । मतलब तुम वीक भी हो.... तो काढ़ा पीना तो बनता है..... । चलो अब पीयो.... " ।


शिविका अब संयम को मना नहीं करना चाहती थी वरना पता नहीं वो आगे क्या करता ।


शिविका ने अपनी नाक को हाथ से दबाए हुए ही कहा " लेकिन इसमें से इतनी गंदी बदबू क्यों आ रही है.... ??? " ।


संयम ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा " क्योंकि इसमें कुछ स्पेशल इनग्रेडिएंट्स डाले गए हैं खास तुम्हारे लिए.... " ।


शिविका ने हल्की सी गर्दन घुमा कर उसके चेहरे को देखते हुए पूछा " स्पेशल इनग्रेडिएंट्स मतलब..... ??? " ।


संयम में एक गहरी सांस लेते हुए बोला " मतलब जैसे कि कॉकरोचेस.. , मकड़ी. , तिलचट्टे , मक्खियां - मच्छर. और..... " ।


" और...... " शिविका ने उड़े हुए चेहरे के भाव से पूछा... ।


" और..... स्नेल्स..... " बोलते हुए संयम ने शिविका को देखा तो शिविका का मुंह रोने का बन गया साथ ही साथ उसे wommit भी होने वाली थी । उसके चेहरे के भाव देखने लायक थे । ना तो वो कुछ बोल सकती थी , ना वहां से कहीं जा सकती थी... और ना ही इस तरह के काढ़े को पी सकती थी... ।


शिविका मन में " ये काढ़ा है या भगवान के पास भेजने का इंस्टेंट रास्ता... " ।।


पीछे खड़े सर्वेंट का चेहरा भी ऐसा था मानो अभी उल्टी कर देगा.. । और हो भी क्यों न afterall उसने तो ये सब बनते देखा था... । लेकिन संयम के सामने कुछ भी शो करना मतलब अपने लिए आफत बुलाना । इसलिए वो बिना किसी भाव के चुप चाप खड़ा था ।


संयम ने स्पून से सूप को हिलाते हुए कहा " चलो मुंह खोलो... । i am taking care of you... " ।


शिविका सहमी नजरों से सूप को देखने लगी । और मन में बोली " येे care करना होताा हैै क्या.... ?? अरे ऐसा खाना तो राक्षस भी ना खाएं... । तो मुझे कैसे खिला सकते हैं... । आदमी है या बकासुर... । Huh... वो भी ऐसा नही होगा... " ।


" राइट.... राक्षस मुझसे अच्छे होते होंगे... । Don't compare.... because there is no comparison.... "। बोलते हुए संयम ने शिविका के मुंह के आगे चम्मच ला दिया.... ।


शिविका हैरान थी कि संयम को कैसे पता वो क्या सोच रही है !!! । क्या उसने ये जोर से अपनी जुबान से बोला था.. ?? । उसनेे अपनेे मुंह पर हाथ रख दिियाा ।


संयम उसके होंठों के पास सूप ले आया तो शिविका को सच में उल्टी आ गई । पैरों में जख्म होने की वजह से वो वहां से जा भी नहीं पाई और उसने वहीं पर उल्टी कर दी.... ।


संयम दूसरी ओर घूम गया । सर्वेंट ने भी आंखें बंद कर ली.. ।


शिविका को लग रहा था मानो उसकी आंतें भी उल्टी के साथ बाहर निकलने वाली हो । एक तो उसने पहले से ही बोहोत टाइम से कुछ खाया भी नहीं था और ऊपर से वो उल्टी भी किए जा रही थी ।


शिविका ने संयम को देखा तो वो जेब में हाथ डाले उसी को घूर रहा था ।


शिविका ने टिश्यू से मुंह साफ किया । संयम ने फिर से स्पून उठाया तो शिविका चेयर पर ही बेहोश हो गई ।


संयम ने एक झलक उसे देखा और फिर पानी के ग्लास से पानी की कुछ बूंदें उसके चेहरे पर डाली ।
शिविका को होश नहीं आया.. ।


संयम ने एक गहरी सांस ली और उसे गोद में उठाकर लिफ्ट की ओर चल दिया ।


कमरे में जाकर संयम ने शिविका को सोफे पर पटक दिया । लेकिन शिविका को होश नहीं आया ।


" नौटंकी बंद करो और उठो.... "। संयम ने ऑर्डर देते हुए कहा । शिविका ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया तो संयम ने पानी का भरा हुआ jug उसके उपर फेंक दिया । शिविका को झटका लगा तो वो बेहोशी से जाग गई और उठ कर बैठ गई । अपना सिर पकड़ते हुए उसने संयम को देखा । उसका सिर वाकई में चकरा रहा था और वो सच में बेहोश हो गई थी । वो अपने चेहरे से पानी को साफ करने लगी ।


संयम ने उसके गालों को अपनी उंगलियों से पकड़ते हुए कहा " बोहोत चालाक हो हान... ?? कब कहां क्या करना है सब पता रहता है... " ।


शिविका ने उसकी आंखों में देखते हुए शिकायत से भरकर कहा " इसमें चालाकी क्या है.. ?? ऐसा काढ़ा कौन पिलाता है और इसको देखकर तो किसी को भी चक्कर आएगा ही... । और आप ये सब क्यों कर रहे हैं.... ?? ऐसा भी क्या कर दिया है मैने जो आप ऐसा कर रहे हैं... ?? अरे शादी के लिए बस पूछा था आपको जबरदस्ती नहीं की थी.... । इस पे ऐसा खाना कौन खिलाता है भला..... ??? " ।


संयम ने फीका सा हंसते हुए कहा " huh.... जबरदस्ती... मेरे साथ और तुम... कर भी नही सकती... Infact कोई भीी नहीीं कर सकता । SK जो करता है उसकी वजह होती है जो सिर्फ SK ही जानता है । और तुम्हे क्या लगता है कि तुम्हारे लिए 56 भोग बनवाऊंगा मैं...... ?? " । बोलते हुए संयम ने उसके गालों झटके से छोड़ दिया ।


शिविका खड़ा होते हुए बोली " हां तो कम से कम एक भोग तो अच्छा सा बनवा दीजिए... । कीड़े मकोड़े नहीं खाती मैं... । Pure vegetarian हूं... । और मुझे भूखा रख के क्या मिल जायेगा आपको... ??? " ।


संयम ने दांत पीसते हुए कहा " मैने नहीं कहा तुम भूखी रहो... । इतने सारे dish तुम्हारे लिए सुबह के नाश्ते में बनवाए थे । पर तुमने नही खाए.. । और तुम्हे तो जूस पी के ही wommit आ गई । एक बात बताओ वो wommit जूस से ही आई थी या तुम्हारे पेशे का नतीजा दिख रहा है... " ।


शिविका उसे घूरने लगी । उसे समझ में नहीं आया कि संयम किस पेशे की बात कर रहा है । और क्या मतलब पेशे का नतीजा है ।


शिविका संयम को कुछ बोलती इससे पहले ही संयम का फोन रिंग करने लगा ।


संयम ने फोन रिसीव कर लिया । सामने से आवाज आई " SK वो राठी इसी शहर में है और यहीं कहीं छिपा हुआ है.... । यहां से बाहर जाने का उसका कोई चांस नहीं है.... । जल्द ही पकड़ लूंगा उसे... " ।


संयम ने सिर हिलाया और फिर तिरछी नजरों से शिविका को देखने लगा । फिर बोला " i know daksh... उसका पता चल जायेगा.... । प्यादा पास हो तो कुछ भी हो सकता है.. " ।


शिविका उसकी नजरें अपने उपर पाकर वो अनकंफर्टेबल फील कर रही थी । क्या वो उसे प्यादा कह रहा था ।




संयम ने फोन रख दिया । और शिविका की ओर बढ़ते हुए बोला " अपने दुश्मन को मैं पानी भी नहीं पूछता... । तुम तो फिर भी मेरे महल में रह रही हो.. शुक्र मनाओ जिंदा हो.... " ।


शिविका को समझ में नहीं आया कि आखिर वो संयम की दुश्मन कब से हो गई । उसने कब दुश्मनी स्टार्ट की... ?? । शिविका को उसके ओरे से डर सा लग रहा था ।


शिविका उसे करीब आता देख अपने कदम पीछे लेने लगी । शिविका की पीठ पीछे दीवार से लग गई ।

संयम उसके बेहद करीब खड़ा होते हुए बोला " शादी हुई है ना हमारी... । मतलब सौदा हुआ है ना हमारा... । जिसमे तुम्हें पैसा और पावर चाहिए... । " ।


शिविका सहमी हुई सी निगाहों से उसे देखने लगी ।
शिविका कुछ नही बोली तो संयम चिल्लाते हुए बोला " बोलो..... " ।


" हा हां.... " शिविका ने डर से आंखें बंद की और हां में सिर हिला दिया ।


संयम ने एक हाथ से उसे कमर से अपनी ओर खींचते हुए कहा " तो ये तो हुई एक तरफ की बात.. बदले में मुझे क्या मिलेगा... " । बोलते हुए संयम ने उसके गीले बालों को चेहरे से साइड हटाया ।


शिविका की सांसें तेज़ चलने लगी थी । वो नजरें चुराकर जमीन की ओर देखने लगी ।


संयम ने उसे बालों से पकड़कर उसके चेहरे को अपने सामने किया और बोला " सामनेेेेेेेेेेेेेेेे देखो " ।


शिविका उसकीी और देखने लगी ।


संयम ने फिर पूछा " उस अनिरुद्ध सक्सेना को क्या दे रही थी... ??? पैसों के बदले...... " ।


शिविका ने दबी हुई सी आवाज में कहा " ब बच्चा.... " ।


संयम ने झटके से उसके बालों को छोड़ा और उसे पीछे की ओर धक्का दे दिया । शिविका पीछे दीवार से जाकर जोर से टकराई... ।


" Oh.... अपना अगला वंशज उसे तुमसे मिलने वाला था... । तो इसके लिए उसे शादी की क्या जरूरत थी । वो तो ऐसे भी कर लेता... । तुम मना थोड़ी करती... " बोलते हुए संयम अजीब सा मुस्कुरा दिया ।


शिविका ने अपनी मुट्ठियां कस ली । उसकी आंखें नम हो आई । शिविका को बोहोत बुरा लग रहा था कि संयम उसके चरित्र को बुरा बोल रहा है ।


संयम ने आई रोल की और दूसरी ओर घूमते हुए पूछा " राठी कहां है... ?? " ।


शिविका असमंजस में उसे देखने लगी । कोई जवाब ना देने पर संयम ने मुड़कर उसकी तरफ देखा ।




शिविका की आंखें नम थी और वो नासमझी से उसे देख रही थी ।




" कौन राठी...... ??? " शिविका ने धीमी सी आवाज में पूछा ।


" Oh तो तुम्हे नहीं पता.... ??? " बोलते हुए संयम ने एक आइब्रो उपर उठा ली... ।


शिविका ने कुछ सोचा और फिर ना में गर्दन हिला दी ।

" Don't be so innocent..... " बोलते हुए संयम ने उसके पैरों की ओर देखा । शिविका बोहोत मुश्किल से खड़ी थी ।


संयम कमरे से बाहर निकल गया । शिविका उसके पीछे बाहर जाने लगी पर उससे पहले ही दरवाजा बंद हो गया । शिविका दरवाजे के पास ही खड़ी रही । उसने दरवाजा खटखटाया लेकिन अब दरवाजा नहीं खुला... ।


शिविका लगड़ाते हुए आकर सोफे पर बैठ गई । उसे बोहोत भूख लगी थी । वो लेट कर सीलिंग को देखने लगी । कुछ ही देर में उसे नींद आ गई ।




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