पाठकीय प्रतिक्रिया
डा. आशा पथिक का रचना संसार
यशवंत कोठारी
आशा शर्मा की लेखकीय दुनिया से रूबरू होने का मौका मिला . वे आशा पथिक नाम से लेखन करती हैं .लगभग तीस वर्षों के बाद आशा अपनी किताबों के साथ मिलने आई ,आशा आयुर्वेद संसथान में छात्रा रह चुकी है .बाद में नौकरी घर परिवार में व्यस्त हो गयी .
आशा से लम्बी बातचीत हुई .उनकी निम्न पुस्तकों पर भी बात हुई .
१-संवेदना के पथ
२-रिश्तों की डोर
३-मोक्ष द्वार
४-आद्या कि करुण पुकार
५-आयुर्वेद चिकित्सा सार
आशा अपना यू ट्यूब चेनल चलाती है और चिकित्सा सलाह देती हैं .वे राजस्थान सरकार में चिकित्सा अधिकारी है .
संवेदना के पथ आशा का लघुकथा संग्रह है जिसमे उन्होंने मानवता और आम स्त्री की पीड़ा को शब्द दिए हैं.पतित ऐसे ही कथा है.बाँझ भी एक अच्छी लघु कथा है.बेरोज़गारी पर भी एक लघु कथा में करारा व्यंग्य किया गया है . आशा ने पर्यावरण पर भी कलम चलाई है.इस पुस्तक में उसने उपदेशात्मक कहानियां भी लिखी है .
उनकी दूसरी पुस्तक रिश्तों की डोर में लेखिका ने महिलाओं के शोषण को शब्द दिए हैं .बुजुर्गों व काम काजी महिलाओं को ध्यान में रख कर आशा ने अपनी बात कही है.सामान्य संवादों के बहाने लेखिका गंभीर प्रश्नों को उठाती है कई बार समाधान भी बताती है.
मोक्ष द्वार में १४ कहानियां व 31 लघु कथाएं संकलित हैं. जो प्रभाव शाली तरीके से समाज में व्याप्त विसंगतियों को उभारती है .टूटते रिश्ते ऐसी ही रचना है . इस पुस्तक के बहाने युवा लेखिका ने जीवन की समस्याओं को उभारा है.आखिरी रात,सजा ,बुड्ढा वर,दरिया पठनीय कहानिया है .महिला सशक्तिकरण को लेखिका का सोच सही दिशा बताता है.पुत्र मोह को लेकर भी समाज पर व्यंग्य किया गया है .
आशा ने मोक्ष द्वार पुस्तक को अपनी अपनी प्रोफेसर गीता मेडम को समर्पित किया है .इस पुस्तक में बेटियों के प्रति घर ,परिवार ,समाज द्वारा दिखाई जाने वाली उपेक्षा का मार्मिक चित्रण किया है.कुछ कहानियां कम शब्दों में बहुत कुछ कह देती है .गरीब की बेटी,विधवा आदि अच्छी व पठनीय रचनाये हैं.
आद्या की करुण पुकार नमक पुस्तक में भी लेखिका ने भ्रूण हत्या को विषय बना कर सच्ची कथाओं का संयोजन किया है ,प्रभाव शाली तरीके से कन्या भ्रूण हत्या पर लिखा गया है .जिस पर सरकार ने कानून बना दिए हैं.
लगातार अयुर्वेद की प्रेक्टिस के अपने अनुभवों को आशा ने आयुर्वेद चिकित्सा सार ग्रन्थ में संजोया है जो नयी पीढ़ी के वैद्यों के लिए महत्वपूर्ण सन्दर्भ किताब है .पुस्तक उपयोगी है .
अपने संघर्ष शील जीवन व अपने निजी अनुभवों को आशा ने शब्द दिए हैं.ऐसी शिष्या की प्रगति देख कर मैं गौरवान्वित हूँ .
मैं आशा के लेखकीय जीवन में उत्तरोंतर प्रगति की कामना करता हूँ.
वे स्वस्थ रहे ,आगे बढे .आशीर्वाद ,मंगल कामनाएं .
यशवन्त कोठारी ,701, SB-5 ,भवानी सिंह रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015 मो.-94144612 07
प्रभाशंकर का नया व्यंग्य संग्रह मेरे चुनिन्दा व्यंग्य
पाठकीय प्रतिक्रिया
यशवंत कोठारी
प्रभाशंकर का नया व्यंग्य संग्रह मेरे चुनिन्दा व्यंग्य के रूप में आया है जिसे नोशन प्रेस ने छापा है इस संग्रह में कुल 31 हास्य व्यंग्य रचनाएँ संकलित है .कुछ व्यंग्य बेहद प्रभाव शाली है जैसे नाशता मंत्री के घर .
एक गंभीर पाठक की मौत के बाद नामक व्यंग्य पाठक की कमी से परेशान दुनिया पे सटीक लिखा गया है .नेताओं,युवतियों के बाद व्यंग्यकारों का प्रिय विषय कुत्ता ही है ,इस पुस्तक में भी श्वान – स्मरण लेख है .
लेखक की विशेषता है की वो आमआदमी की समस्याओं को समझता है और उनको अपने व्यंग्यो में जगह देता है .डेली पेसेंजर गाथा इसका प्रमाण है .
वरिष्ठ लेखक ने नाश्ता मंत्री का गरीब के घर लिख कर बता दिया की नेता लोग किस तरह से वोटों के लिए नाटक नोटंकी किया करते हैं.घोटालों पर भी एक लेख है जो प्रभावित करता है .
ताबड़ तोड़ साहित्यकार पर भी लेखक ने लिखा है .अंध विश्वासों पर व्यंग्य है जो हमे सही रास्ते पर चलने कि सीख देता है.लेखकी की व्यंग्य पर पकड़ है ये व्यंग्य समसामयिक तो है ही गरीब की परेशानी को भी रेखांकित करते है ,आसन शब्दों में प्रभा शंकर बड़ी बात कह जाते हैं . इनदिनों व्यंग्य में कई नए प्रयोग हो रहे हैं,वन लाइनर ,फन लाइनर ,माइक्रो व्यंग्य ,आदि शब्द हवा में तैर रहे है. लम्बी व्यंग्य रचना को लिखना और छपवाना मुश्किल होता जा रहा है.लेकिन प्रभाशंकर इन बातों की चिंता किये बगेर अच्छा व स्थायी लिख रहे हैं .
लेखक ने पौराणिक प्रसंगों को भी आधुनिक सन्दर्भों में सफलता के साथ उठाया है.जो काफी श्रम साध्य कार्य है .लेखक को बधाई .पुस्तक में अनुक्रमणिका नहीं है काश यह कमी नहीं होती .
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यशवन्त कोठारी ,701, SB-5 ,भवानी सिंह रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015 .