Darde Mohhabat - 3 in Hindi Short Stories by aruhi books and stories PDF | Darde Mohhabat - 3

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Darde Mohhabat - 3

वह माया के गर्दन पर अपनी पकड़ टाइट रखते हुए ,,,,,यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है ,,,,,मैं तुम्हें जान से मार दूंगा ,,,,तुम्हारी वजह से मैंने अपना बच्चा,,,,,अपने ही हाथों से मार दिया,,,,

बेवकूफ औरत ,,,,किसी और का बच्चा मेरा बच्चा कहने की हिम्मत कैसे हुई ,,,,,,तुझे तुम्हें मार दूंगा ,,,,,,यह कहते हुए वह गुस्से से माया को दीवार से लगा ,,,,,उसके गरदन पर,,,,,पकड़ टाइट करता जा रहा था,,,,,,

कि तब तक उस कमरे के अंदर,,,,नर्स इकट्ठा हो जाते हैं,,,, और राज के हाथों से माया के गरदन को छुड़ा लेते हैं ,,,,,,जिससे माया जमीन पर जा ,,,,,गिरती है ,,,,और अपने गर्दन पर हाथ रख ,,,,खासते हुए,,,,वह लंबी-लंबी सांस लेने लगते हैं,,,, 
और फिर  अपने सांसों को कंट्रोल कर,,  एक नजर राज की तरफ देखती है,,,,,जो कि इस वक्त गुस्से से उसी को घूर रहा था,,,,,,जिसे देख माया की सांस एकदम से ऊपर नीचे हो जाती है,,,,,जिससे वह,,,,बगैर वक्त गवाई,,,,,जमीन से उठ,,,,वहा से भाग जाती है,,,, 

और धीरे-धीरे कर ,,,,उस कमरे से सभी नर्स चली जाती है,,,और वहां पर ,,,शिवाय पिया और राज के ,,,कोई नहीं होता ,,,

जिसे महसूस कर राज,,,अपनी आंखें मूंद लेता है ,,,,,क्योंकि उसे अब घुटन हो रही थी ,,,,उसे घबराहट और बेचैनी हो रही थी ,,,,,,उसकी सांसे उसके बस में नहीं थी ,,,,,,उसे एक अजीब से बेचैनी हो रही थी,,,,,,कि वह कैसे प्रिया से नजर मिलाएगा ,,,,,वह कैसे उससे बात करेगा ,,,,,और किस मुंह से कहेगा ,,,,,कि मुझे गलतफहमी हुई थी,,,,,,

वह कैसे उसे फेस करेगा,,,,,,उसने खुद ही अपने बच्चों को मार दिया,,,,,,सिर्फ एक बेवकूफ लड़की की वजह से,,,,,,जिससे वह प्रिया को फेस नहीं कर पा रहा था , ,,,इस वक्त राज प्रिया की तरफ पीठ कीए खड़ा था,, 
और वही प्रिया राज को,,,उसे बोर्ड में देख,,,,,वह खुद ही धीरे से बेड से उतर ,,,,उस कमरे से बाहर जाने लगते हैं,  

की एकदम से राज धीरे-धीरे पीछे पलट देखतो है,,,,,तो बेड पर पिया को ना देख,,,,,वह छत से,,,,,,पूरी तरह पलट दरवाजे की तरफ देखता है ,,,,,,तो प्रिया उस कमरे से बाहर जा रहे थे ,   

उसे बाहर जाता देख ,  ,वह झत से प्रिया के एकदम सामने आ,,,,,प्रिया की कलाई पकड़,,,,उसे अपनी तरफ घुमा,,देता है
,, 
और धीरे से,,,,,प्रिया की आंखों में देख,,,, अपनी धीमी आवाज में,,,,,,सॉरी प्रिया ,,,,,,मैं , , उसने इतना ही कहा था,,,   कि एकदम से प्रिया,,,,,अपने दर्द भरी आवाज में खुद ,,,,के हाथों को,,,,राज के हाथों से छुड़ाते हुए,,,,,लाइव राज,,,,

छोड़ो मुझे राज ,,,,,,बात गई रात गई,,,, तुम कौन ,,,और मैं कौन,,,,भूल जाओ ,,,,,सब कुछ ,,,,,,,क्योंकि मैं उन पुरानी यादों को ,,,,याद नहीं करना चाहती ,,,,,,तो आई एम सो सॉरी ,,,,,,मैं तुम्हें नहीं जानती ,,,,,,यह कह वह  दरवाजा खोल बाहर चली जाती है ,,, 


और और वही राज की आंखों में आंसू आ जाते हैं ,,,,,और उसके सामने प्रिया के साथ बिताए हर एक लम्हे घूमने लगते हैं ,,,,,कि कैसे वह प्रिया के साथ रहता था ,,,,,कि कैसे प्रिया उसे अपने हाथों से खाना बना खिलाती थी ,,,,,वह कैसे घंटे साथ बैठ गप्पे मरते थे, ,,,,वह कैसे बच्चों के साथ खेलती थी,     ,,,,,,उसे एक-एक कर ,,,,,,उसकी सारी मासूमियत भरी बातें,,,,और हरकतें याद आ रही थी ,,,,

जिससे उसका दिल टूटता,,,और रोता चला जाता है,    जिससे बगैर वक्त गवा ,,,,,वह अपने आंसुओं को जबरदस्ती साफ कर ,,,,,,वह जल्दी से,,,उस कमरे से बाहर निकल दौड़ते हुए,,,,, ,प्रिया के पास पहुंच जाता है ,,,,,,और बगैर मौका दिए ,,,,,वह झट से,,,,,घुटनों के बल  बैठ,,,,,,प्रिया के दोनों हाथों को पकड़ ,,,,प्लीज मुझे माफ कर दो,,,,,मैं मैंने जो किया ,,,,बहुत-बहुत गलत किया,,,,,,मैं अब आगे ऐसा कुछ नहीं करूंगा ,,,,,बस तुम मुझे माफ कर दो

जिसे सुन प्रिया जोर से हंस पड़ती है ,,,,,,उसकी हंसी में राज को दर्द साफ दिख रहा था ,,,,,,जिससे राज बस एक तक ,,,,प्रिया को देख रहा था ,,,,,,कि तभी प्रिया किस चीज की माफी राज,,,,,मुझसे प्यार का नाटक करने के ,,,,,,मेरे पर भरोसा न करने की ,,,,,,,या खुद के ही बच्चे को मारने की,,,,,,  यह मेरा भरोसा तोड़ने की,,,,,

क्या कसूर था,,,,उस बच्चे का,,,,,,तुमने यह सब सिर्फ माया के लिए किया ना ,,,,,तो जाओ,,अपनी माया के पास,,,    वह तुम्हें मुझसे ज्यादा खुश रखेगी,,,,,,,तुमने मुझसे प्यार का नाटक किया था ना,,,,,,,जाओ उसके सच्चे प्यार के पास,,, 

और भूल जाओ मुझे ,,,,,कि मैं तुम्हारी जिंदगी में कभी आई भी थी ,,,,,,जैसे मैं भूल गई ,,,,,,


सही का राज ,,,,मैंने गलती की थी,,,,तुमसे मोहब्बत करके ,,,,,आज मुझे खुद से नफरत हो रही है,,,,,,कि , मैं ऐसे इंसान से मोहब्बत किया,,,,,तुमने मेरा प्यार कभी डिस्टर्ब करते ही नहीं थे,,,,,,,तुम्हारे लिए माया ही सही थी ,,,,,,और खबरदार मिस्टर राज,,,,,,,अगर दोबारा मेरे पास भटकाने की भी कोशिश की तो ,,,,,,,भूल जाओ ,,,,,,जैसे मैं भूल गई हूं ,,,,,,सभी उन लम्हों को,,,,,,जो मैंने खुद ही तुम्हें दिए थे ,,,

आई हेट यू राज ,,,,आई हेट यू,,,यह कहे प्रिया उस अस्पताल से,,,,,और राज की जिंदगी से बहुत दूर चली जाती है,, 

मेरे प्यारे फ्रेंड्स अगर कहानी अच्छी लगी हो तो प्लीज अपनी कमेंट के जरूर बताइएगा,, 

 र्कमश........