Darde Mohhabat - 2 in Hindi Short Stories by aruhi books and stories PDF | Darde Mohhabat - 2

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Darde Mohhabat - 2

जिसे सुन कर भी,,,,  प्रिया कोई रिएक्ट नहीं करती ,,,,उसकी आंखें इस वक्त सोनी थी ,,,,

वह अब भी ,,,उसी तरह बेड पर बैठी हुई थी ,,,,,,मैं तो जैसे अपने सामने माया को देख ही नहीं रही थी ,,,,,,कि तभी माया दोबारा
क्या हुआ प्रिया तकलीफ हो रही है,,,,मेरी बातों से,,,,,,तो सुनो तुम्हारा पति तुम्हारा  कभी था ही नहीं,,,,

वह स्टार्टिंग से ही मेरा था ,,,,,,और मेरी बातें मानता था,,,,,,मैंने सिर्फ जैसे-जैसे कहा,,,,,,,वह मनता गया,,

जैसे मैंने,,,उसे कहा था ,,,,कि मैं प्रेग्नेंट थी,,,,और उसने मान लिया था,,,,,  

और फिर थोड़ा इतराते हुए ,,,,रुको रुको ,,,,अरे झूठ नहीं बोल रही थी मैं,,,,सच में प्रेग्नेंट थी,,,,,लेकिन राज के बच्चे की नहीं ,,,,,अपने असली प्यार राघव के बच्चे की ,,,, 


तूने सही कहा था कि वह बच्चा राज का नहीं राघव का है,,,,,,,लेकिन उसे तेरी बात  नहीं मानी,,,,,क्योंकि वह मुझसे प्यार करता था ,,,,तुझे नहीं,,,,,
और तुझे किसने कहा था,,,,बीच में आने का ,,बोला था,,,बीच में ना आ,,,,, लेकिन तू मानी नहीं, ,,,,अगर मान गई होती तो ,,,,,आज तू यहां ना होती,,, 

अब तुम्हारा,,,,,राज की जिंदगी में आखिरी दिन है,,,,,,तो मैं सोच रही हूं,,,,,,कि मैं तुम्हें सब कुछ बता ही दूं ,,,,कि तुम्हें यहां तक लाने वाली मैं राज को बेवकूफ बनाकर ,,,तुम्हें यहां तक लाया था ,,,,अपने आंसू बहा,,,,राज को मैंने बहकाया था ,,,,,,,ताकि वह तुम्हारे साथ ,,,,ऐसा करें,,,,,,

कैसे मैंने,,,,उस रात राज को बेवकूफ बनाया था ,,,,कि तुमने मुझे धक्का दिया था,,,,,,लेकिन तुमने तो मुझे धक्का दिया नहीं था ,,,,,वह तो मैं खुद थी ,,,,जो स्टेयर से गिरी थी,, 
ताकि मैं उस बच्चों को ,,,,,इस दुनिया से खुद ही रवाना कर दो ,,,,,,,क्योंकि मैं नहीं चाहती थी ,,,,,की राज को पता चले ,,,,,,कि मेरे कोख में,,, पलने वाला बच्चा ,,,,,उसका नहीं राघव का है

  क्योंकि मुझे पता था ,,,,अगर गलती से भी रिपोर्ट राज के हाथ लग जाती ,,,,,तो राज मुझे छोड़ देता,,,,,,और मैं राज और राज की दौलत नहीं छोड़ना चाहती थी,,,,,,,इसलिए मैंने तुझे ही राज के करीब ला,,,,,,तुझे रास्ते से हटा दिया ,,,,,,बहुत शौक है ना मेरे रस्ते में आने का,,,,,,,

मना किया था ,,,, दूर रहे ,,,,,लेकिन नहीं,,,,,तुझे महारानी बनी थी ,,,,तुझे हीरोइन बनना था,,,,,राज को मुझसे बचाने चली थी,,,,,,  देख राज ने खुद ही तेरे को,,,,,यह कहते हुए वह हंसने लगती है

मेरी वजह से,,,,राज ने,,, तेरी एक भी बात पर भरोसा नहीं किया ,,,,,,कि,उस दिन,,,,उसकी जान बचाने वाली,,,,मैं नहीं तु थी,,,,, उसने माना नहीं ना ,,,,,,

तब भी तो बेवकूफों की तरह ,,,, उसके पीछे लगी थी ,,,,,अरे मैं होती तो कब का छोड़ देती ,,,,,अरे ,,,,कहीं तुझे भी तो,,,,उसकी दौलत से तो प्यार नहीं ,,,,,,तभी तु,,,,,उसे,,,छोड़ नहीं रही थी,,,,,यह कहते हुए माया जोर-जोर से हंसने लगती है 

और फिर एकदम से रुक कर,,,,,पैसों के पीछे नहीं है तू,,,,,,,,बात कुछ और है ना ,,,,,,तभी तो तूने इतनी बड़ी आमिर खान दान ,,,,,,रोहित को छोड़ दिया,,,,

अरे तेरे पीछे तो पागल था,,,,मैं भी ट्राई किया,,,,,,साला मुझे पटा ही नहीं ,,,,,,पता नहीं क्या देखा उसने तुझ में  ,    और फिर वह प्रिया के थोड़ा और नजदीक जा ,,,,हंसते हुए,,,,,

लेकिन तू जैसा बेवकूफ ,,,,,मैंनू आज तक नहीं देखा,,,,,,,,सच,,,,,अंधा,, , आज तक नहीं देखा ,,,, 

की तभी अचानक से प्रिया भी अपना सर उठा माया की तरफ देख ,,,,,,एक पल माया को देख,,,,,वह भी अचानक से हंस पड़ती है ,,,,उसकी हंसी,,,,उस कमरे में गूंज उठी थी ,,,, 

जिसे सुन एक पल के लिए,,,,उसे घूरने लगती है,,,,,उसे नहीं पता ,,,,,कि वह अचानक से क्यों हंस पड़े,,,,की तभी उसे एहसास होता है ,,,,कि कोई उसके बाजू को पकड़ ,,,,एक खींच के थप्पड़ मारता है,,,,,जिससे वह सीधा जमीन पर जा गिरती है,,,,,,और फिर चिखते हूए,,,,,तुम्हारी इतनी औकात ,,,,यह कहे वह,,,,,,अपना सर ऊपर कर देखती है,,,,,,तो उसके सामने कोई और नहीं ,,,,राज खड़ा था
,,,,,,जिसे देख माया ,,,,,,अपना सलाइवा घटते हुए,,,,,वह धीरे-धीरे जमीन से उठने लगती है,,, 

वह पूरी तरह जमीन से उठ,, पाती,,,, की   उससे पहले राज दोबारा एक थप्पड़ मार देता है ,,,,,,जिससे माया दोबारा जमीन पर जा गिरती है  , 

जिससे माया भी अब,,गुस्से से ,,,तिलमिला उठती है,,,,,और फिर बगैर मौका दिए,,,,गुस्से से राज का कॉलर पकड़ ,,,, उसकी आंखों में गुस्से से,,,,,,

तुम्हारी इतनी हिम्मत कि,,,,तुमने माया पर हाथ उठाया ,,,,,यह कहते हुए  वह भी,,,,एक खींचकर थप्पड़ राज के चेहरे पर दे मरती है,,,,,,,,जिससे राज का चेहरा ,,,,,,,एक तरफ झुक जाता है ,,,,,,और फिर माया गुस्से से,,,,,,राज की तरफ देखते हुए,,,,  ,,

मिस्टर राज ,,,मैं तुम्हारी सो कॉल बीवी प्रिया नहीं ,,,, कि तुम्हारे बातों का जवाब नहीं दूगी,,,,माया हूं माया ,,,,सुना तुमने ,,,,,,यह कहे वह ,,,दोबारा राज पर हाथ उठाने लगती है,       ,,,,

कि तब तक वह खुद को हवा में पाती है ,,,,,क्योंकि राज गुस्से से,,,,,माया का गर्दन पकड़,,,,,,उसे हवा में उठा देता है,, 
जिससे राज से इस तरह गार्डन से पकड़े हवा में लटकते हुए गुस्से से ,,,, अपने दांत पीसते हुए,,,,,,तुम्हारी इतनी हिम्मत ,,,,,,तुमने इतना बड़ा साजिश रचा,,,,,तुम स्टार्टिंग से ही मुझे धोखे में रख रही थी,,,, 

उस दिन,,, मुझे  आग में बचाने वाली,,,,,तुम नहीं प्रिया थी,,   मुझे बेवकूफ बनाया,,,,,और यह साबित किया ,,,,,कि तुमने मेरी जान बचाई थी,,,,,,यह कहते हुए वह अपने पकड़ उसके गरदन पर ,,,,दोबारा टाइट कर देता है,,,