Saathi - 7 in Hindi Love Stories by Pallavi Saxena books and stories PDF | साथी - भाग 7

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साथी - भाग 7

भाग -7

इस दृश्य के बाद पहले वाले की हिम्मत नहीं हुई कि वह फोन उठा पाता. वह बस उस आ रहे फोन की चमक को एकटक देखता रहा और फिर जब अचानक वह फोन बन्द हो गया. तब अचानक ही पहले कि तंद्रा टूटी और उसने लपक के वह फोन उठा लिया और अपने दूसरे फोन से मिलाकर चेक करने की कोशिश करने लगा कि यह फोन किसने किया था. पर इस बार सामने से कोई जवाब नही आया अर्थात फोन नहीं उठा. पहले वाले को हमेशा कि तरह फिर निराशा ही हाथ लगी. उसने फिर एक बार पहले वाले के उस फोन को यथा स्थान पर रख दिया. अब उसे उस फोन के दुबारा बजने का इंतज़ार रहने लगा. मगर कई महीनों तक वह फोन दुबारा नहीं बजा.

फिर एक दिन दूसरे ने उसी फोन पर अपने फोन से फिर से फोन किया. इस बार फोन लगा और सामने से जो आवाज आयी उसे सुनते ही पहले वाले के हाथ से फोन जमीन पर गिर पड़ा और उसके दोनों हाथ उसके मुख पर आ लगे, उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि जो उसने सुना, 'वह सच है या सपना.' फिर उसने गिरे हुये फोन को देखा उस पर अब भी हेलो की ध्वनि आ रही है. हेलो….! कौन बोल रहा है...? तब पहले वाले ने फोन उठाया और इस बार उसने कहा हेलो...! अब चौकने की बारी सामने वाले की थी क्योंकि सामने कोई और नहीं, बल्कि दूसरा वाला ही था. दोनों एक दूसरे को पहचान चुके थे. दोनों ही की आँखों में आँसू भी थे और हंसी भी थी. आश्चर्य भी था और प्यार भी, गुस्सा भी था और शिकायतें भी, पहले वाले ने दूसरे वाले से मिलने की इच्छा प्रगट की और वह तैयार हो गया.

दोनों ने उसी जगह मिलने का वादा किया जहां से वह जुदा हुए थे. यानी उसी होटल में जहां काम किया था और जहाँ से दोनों को काम मिला था. दोनों पहले की ही भांति एक दूसरे की पसंद के अनुसार वहाँ पहुंचे, दोनों की ही अब उम्र ढल चुकी है. बालो में सफेदी आ चुकी है, पर फिर भी दोनों वैसे ही मिले जैसे पहले मिला करते थे. मिलते ही एक दूसरे को कसके गले लगाया और लोगों से नजरे चुराकर चूम भी लिया. अब भी दोनों के अंदर वो पहले वाली तरंगें दौड़ गयी. इससे पहले कि यो दुसरा वाला अपनी शिकायतों का पुलिंदा खोल पाता, पहले वाले ने उसके होंठों पर अपना हाथ रख दिया और कहा “जो बीत गयी सो बात गयी” उस पल तो दोनों एक दूसरे की आँखों में ही देखते रहे. फिर पहले वाले ने दूसरे वाले को अचानक अपनी ओर खींचते हुए कहा, ‘चलो मेरे साथ, तुम्हारे साथ मगर कहाँ....?’ ‘मेरे घर और कहाँ...? ‘तुम्हारे घर? हाँ क्यू ? नही मेरा मतलब है, तुम्हारा परिवार होगा ना ..., तो तुम उन्हें क्या कहोगे. यह कौन है...? और वो सब ...तुम समझ रहे हो ना ...?

पहले वाला कुछ देर तो कुछ नहीं बोला, फिर अचानक से हंस दिया. ऐसे हंस क्यों रहे हो....? मैंने कोई जोक मारा क्या? ‘तुम बिल्कुल नहीं बदले’, क्या मतलब....?  ‘मैंने शादी नहीं की’. क्या...!? हाँ तुमने ठीक सुना, ‘मैंने शादी नहीं की और तुमने’ ? मैंने भी नहीं की, तो फिर पहले वाले ने दूसरे वाले की ओर ठीक वैसे ही हाथ बढ़ाया, जैसे एक पति अपनी पत्नी के लिए बढ़ाता है. दोनों साथ-साथ घर आये, पहले का घर देखकर दूसरे वाला मारे आश्चर्य के पागल हुआ जा रहा था. कदम-कदम पर नौकर-चाकर, होटल जैसा घर, वाह ....! मेरी जान, 'तुमने तो बहुत तरक्की करली, मजा ही आ गया तुम्हारा घर देखकर. तुम्हारा नहीं, कहो हमारा. अब हम तुम हमेशा साथ-साथ रहेंगे. अब मैं तुम्हें कही नही जाने दूंगा. उस वक्त तो दूसरे ने कुछ नहीं कहा और दोनों साथ -साथ कमरे में चले गये. अगली सुबहा जब दूसरे की नींद खुली तो वह बहुत देर तक पहले को निहारता रहा. जब पहले की भी आंख खुली तो उसने मुसकुराते हुये पूछा, क्या देख रहे हो ? दूसरे ने कहा तुम्हें...! क्यूँ ...? क्योंकि मैं इस बात की तसल्ली करना चाहता हूँ कि यह सब सच है, मैं कोई सपना नही देख रहा हूँ .

उम्र हो गयी है जनाब, अब यह बातें आपको शोभा नहीं देती. क्यों उम्र के साथ प्यार खत्म थोड़ी ना हो जाता है और प्यार की कौई उम्र नहीं होती मेरी जाना....! पहले ने फिर एक बार दूसरे वाले को अपने सीने से लगा लिया, फिर दूसरे ने कहा में चाय बनाता हूँ. अरे नहीं, घर में बहुत लोग है उनसे कह दो वह बना देंगे, तुम आराम करो. दूसरे ने मुड़‌कर देखा और कहा ‘सच में और बिना कुछ कहे ही टी-शर्ट पहनता हुआ बाहर निकल गया’. तभी उसकी नजर उस मोबाइल पर पड़ी और उसने, उसके पास जाकर ध्यान से सब देखा तो उसकी आँखें बड़ी हो गयी...! उसने पहले वाले से पूछा यह सब क्या है और तुम्हें यह सब कहाँ से और कैसे मिला ...? तब पहले वाला उस मोबाइल को देखते हुए फ़्लैशबैक में पहुँच जाता है जब उसे उस अंजान व्यक्ति का फोन आया था वह दूसरे वाले को बताते हुए कहने लगा उस आदमी से मिलने से पहले न जाने क्यूँ मुझे बहुत बेचैनी सी महसूस हो रही थी. मैंने उस घटना से पहले भी तुम को कई बार फोन किया था पर तुम ने ना जाने क्यूँ एक बार भी मेरा फोन नहीं उठाया तो मेरे मन में डर ने एक जगह बना ली थी. लेकिन फिर भी जब मेरे बार -बार फोन करने पर भी तुम ने मेरा फोन नहीं उठाया और तुम्हारी कोई खैर खबर नहीं मिली, तब मुझे भी गुस्सा आ गया था और मैंने भी सोच लिया था कि भाड़ में जाओ तुम. फिर एक दिन तुम्हारे इसी फोन से मुझे एक कॉल आया. पहले वाले ने फोन कि तरफ इशारा करते हुए कहा.

उस रात बहुत तेज बारिश हो रही थी. जब उसका फोन आया उसकी आवाज में चिंता और घबराहट का मिश्रण था. उसने मुझसे कहा आप जिस व्यक्ति को लगातार फोन कर रहे हैं वह एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गया है और मैं उसे लेकर अस्पताल जा रहा हूँ.

इसके बाद आगे क्या हुआ ...? क्या दूसरे वाले ने पहले वाले की बातों पर यकीन कर लिया ? जानने के लिए जुड़े रहिए  'साथी' के साथ और यूं ही अपना प्यार और प्रतिकृया भी देते रहिए.

जारी है ....