Mohini ( A thristy witch ) - 1 in Hindi Horror Stories by Shalini Chaudhary books and stories PDF | मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 1

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मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 1

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।

हे फैमिली आशा है आपको मेरी ये धारावाहिक पसंद आएगी ! कॉमेंट और लाइक जरुर करें !




प्रताप गढ़ ( राजस्थान)

एक आलीशान कमरे में तीन लड़की बिस्तर पर बैठी थी। तीनों ने राजस्थानी कपड़े पहने थे और तीनो बहुत ही खूबसूरत और प्यारी थी तीनो लड़कियां बीस से बाईस के बीच की थी, उनके आगे में बहोत सारी किताबें खुली हुई थी जो देखने से गुप्त और रहस्यमई पुस्तकें लग रही थी, वो पुस्तक काफी पुराने थे लेकिन अच्छे रख रखाव की वजह से उनके सारे पन्ने एक सूत्र में बंध कर अपने शान और ज्ञान दोनो को बरकरार रखे थे। उनमें से कुछ पुस्तक ग्रीक भाषा के थे तो कुछ तिब्बती भाषा के और कुछ दुनिया के सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत में लिखे हुए थे। वो तीनो उन पुस्तकों में खोई हुई थी की तभी उनमें से एक लड़की जिसका नाम वैशाली था वो बोलती है, "चंद्रा ऐसे कैसे चलेगा हम सब खुद से इस मोटी मोटी किताबों में कितना ही माथा फोड़ लें, लेकिन कुछ समझ नहीं आने वाला।"

तारा बोली, "हां पहली बार ये मंदबुद्धि सही बोल रही है, हमे एक गुरु की आवश्यकता है, वरना इतना मेहनत करने पर भी कुछ हाथ नहीं आने वाला।"

चंद्रा बोली, "मैं भी जानती हूं पर क्या करु? पूरे सात साल बाद बॉम्बे से आए है हम सब, अब फिर कोई कही नहीं जाने देने वाला।"

तारा बोली, "ये भी है, पर हमें आए छै महीने से ज्यादा समय हो गया अब, बात करके देखते है शायद आज्ञा मिल जाए।"

वैशाली बोली, "हां तारा सही कह रही है, तुम राजा सा से बात करके देखो पहले।"

चंद्रा बोली, "ठीक है।"

तभी तारा वैशाली को कुछ इशारा करती है जिसे वैशाली समझ नही पाती और अजीब अजीब मूंह बनाने लगती है, तब तारा एक लात खींच कर वैशाली के पीठ पर मारती है और फिर इशारा करती है, मार खाने के बाद वैशाली के दिमाग का घोड़ा दौड़ने लगता है। और वो हां में अपना सर हिलाती है।

वैशाली बोली, "चंद्रा हमने सुना है राजा सा तुम्हारा ब्याह करवाने वाले है, लड़के वाले से शायद बात भी हुई है।"

चंद्रा चीखते हुए बोली, "क्या, कब, कहां, कैसे, किसके साथ?"

तारा कान बंद करते हुए बोली, "पहले चिल्लाना बंद करो, और शांत हो जा बहन, वरना अगर रानी सा आ गई न तो हम तीनो को धमाचौकड़ी करने के अपराध में घर से बाहर निकल देंगी। पिछले सप्ताह जब राजा सा माधवगढ़ गए थे तब, वहीं के राजा जयमाल ठाकुर के इकलौते बेटे रुद्र ठाकुर से, सुना है बड़ा वीर है।"

चंद्रा चिढ़ते हुए बोली, "वीर है तो रहे, मैं अभी ब्याह नही करने वाली।"

वैशाली थोड़ा पास खिसकते हुए बोली, "करना भी मत वरना इतनी मेहनत पर पानी फिर जाएगा सारी पढ़ाई चूल्हे में चली जायेगी, अरे कम से कम इतना तो पता चले की वो मणि कैसी है जो राजा सा ने पुस्तकालय में छिपाई है और पहरा भी इतना ज्यादा लगा रखा है।"

तारा बोली, "हां और उसके साथ वो किताब भी उस किताब मैं पुरानी भाषाओं में कुछ जानकारी भी दी गई है।"

चंद्रा खोए हुए बोली, "हम्म यही तो मुझे भी जानना है और उस किताब में भी उस मणि के बारे मैं बताया गया है और भी बहोत कुछ हो सकता है।"

फिर तीनो अतीत की गहराइयों में चले जाते है सिंह भवन के पिछले हिस्से के तरफ भी एक दरवाजा खुलता है पीछे की तरफ एक बहुत सुंदर सा बगीचा बना था। तीनो दोस्त वहां खेल रहे थे तभी उनकी नजर देवराज सिंह पर जाती है जो एक फकीर जैसे दिखने वाले व्यक्ति के साथ कुछ बात कर रहे थे। वो फकीर देवराज सिंह को अपने झोले से एक अजीब सी किताब निकाल कर देता है फिर एक मणि निकालता है। जो देखने में बहोत खूबसूरत थी उस मणि को देख तीनो लड़कियां थोड़ा और नजदीक जा कर एक पेड़ के पीछे छिप जाती है वो ज्यादा तो नहीं सुन पाई बस इतना ही सुना वो फकीर देवराज जी से केह रहा था।

फकीर बोला, "बेटा इस मणि में बहोत शक्ति है ये कुछ भी कर सकती है अगर ये किसी बुरे व्यक्तित्व के हाथ लग गई तो अनर्थ हो जायेगा और इस पुस्तक में इस मणि की शक्तियों को जागृत और नियंत्रित कैसे किया जाता है इसके विषय में लिखा है।"

देवराज बोला, "बाबा जब ये खुद ही इतनी शक्तिशाली है तो इसे सुरक्षा की क्या आवश्यकता है ? "

फकीर बोला, "कोई यंत्र कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो जब तक जागृत न रहे वो किसी की सुरक्षा नही कर सकता और ऐसे शक्तियों को हमेशा जागृत रख कर छोड़ने से प्रकृति को नुकसान पहुंच सकता है, और तुम ही एक मात्र ऐसे हो जो इस वक्त इसकी रक्षा कर सकते हो।"

देवराज बोला, "संतो की आज्ञा सिर माथे, आप आशीर्वाद दीजिए की में इसकी रक्षा अपने प्राण दे भी कर पाऊं, लेकिन बाबा मुझे कब तक इसकी रक्षा करनी है।"

फकीर बोला, "जब तक इसकी स्वामिनी आ कर ये तुमसे ना मांगे। वो आयेगी तो तुम्हे मेरे विषय में बताएगी मेरा पूरा परिचय देगी जो बहोत कम लोगों को पता है उसमे से एक तुम भी हो उसे दे देना समझे ईश्वर कल्याण करे।"

ये कह कर फकीर वहा से चला जाता है और देवराज जी उस किताब और मणि को लेकर भीतर चले जाते है तीनो लड़कियां भी उनके पीछे पीछे जाने लगती है देवराज जी उस मणि और किताब को लेकर अपने पुस्तकालय में चले जाते है और दरवाजा बंद कर लेते है तभी वो तीनो खिड़की से कूद कर अंदर आ जाती है पुस्तकालय बहोत बड़ा और खूबसूरत था वो देखती है की देवराज जी एक तस्वीर को दीवाल से हटाते है और पीछे एक छेद था बस एक ईंट इतना बड़ा देवराज जी उसमे हाथ डाल कर ताला खोलते है तो पूरी दीवार खुल कर दो भागों में बंट जाती है, अब सामने कोई दीवार नही थी बल्कि एक बड़ा सा कमरा था देवराज जी अंदर चले जाते है।

तारा आंखे बड़ी किए हुए बोली, "हे प्रभु ये दीवाल नही बल्कि एक कक्ष है।"

वैशाली उसका मूंह दबाते हुए बोली, "शू..शू... चुप अगर राजा सा को पता चला की हम तीनो यहां आए है उनके पीछे तो बहुत मार पड़ेगी चुप रह।"

चंद्रा बोली, "चलो वहा से देखते है, पिता जी उस पत्थर को और उस अजीब सी किताब को कहा रखते है।"

फिर वो तीनो थोड़ा आगे जा कर देखती है तो देवराज जी उस किताब और मणि को एक बक्से में बंद कर देते है और पलट कर बाहर आने लगते है देवराज जी को बाहर आता देख तीनो वही टेबल के नीचे छुप जाती है और देवराज जी बाहर चले जाते है तब वो तीनो भी वापस खिड़की से बाहर आ जाते है, तीत के पन्नो से बाहर आ कर वो तीनो एक दूसरे का मूंह ताक रही थी उनके बीच सिर्फ खामोशी थी इस खामोशी को तोड़ते हुए, तारा कहती है, "हो न हो, उस किताब में ही उस मणि का रहस्य है पर ऐसा क्या है जो इतनी सुरक्षा दी जा रही है उस बाबा की आधी बात ही सुनी हमने, कैसी मणि है किसकी है ?कुछ भी नही पता हमे।"

चंद्रा दृढ़ता से बोली, "इस मणि की पहेली को तो हम सहेली ही सुलझाएंगे।"

तीनों एक साथ अपना सर हां में हिलाती है और एक दूसरे के हाथ पर हाथ रख कर साथ होने का इशारा करती है। तारा बोली, "हम करेंगे क्या?"

वैशाली आंखो में चमक लिए बोलती है, "मेरे पास एक रास्ता है।"




क्या होगा इस कहानी में आगे ? क्या रास्ता है वैशाली के पास ? और क्या रहस्य है इस मणि का ? जानने के लिए बने रहे मोहिनी ( प्यास डायन की )।

✍️ शालिनी चौधरी