Beyond Words : A Love Born in Silence - 10 in Hindi Thriller by Dev Srivastava books and stories PDF | बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 10

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 10


रात का समय,

सिद्धांत का घर,

लक्ष्मी की बातें सुन कर सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " दीदी, चाहती क्या हैं आप ! "

मिसेज माथुर ने बात संभालते हुए सिद्धांत से कहा, " कुछ नहीं, तुम जाओ, सो जाओ । "

उनकी बात मान कर सिद्धांत ने आगे कुछ नहीं कहा । उसने चुपचाप जाकर हाथ धुला और रूम में चला गया ।

उसके जाने के बाद मिसेज माथुर ने लक्ष्मी को डांटते हुए कहा, " भोलू, क्यों परेशान करती हो उसे ? "

लक्ष्मी ने कहा, " हम तो बस ये सोचते हैं कि उसके होठों पर थोड़ी मुस्कान आ जाए । "

फिर उसने कमरे की ओर देख कर कहा, " लेकिन ये तो और चिढ़ जाता है । "

शांतनु ने कहा, " सही में मम्मी, हम लोग कर तो रहे हैं न ! फिर इसे क्या जरूरत है ये सब करने की ! "

ये सुन कर मिसेज माथुर कुछ सोचने लगीं । कुछ पल सोच कर उन्होंने ने कहा, " अब ये जरूरत नहीं, आदत है उसकी और वैसे भी तुम लोगों को कौन सी इतनी ज्यादा सैलरी मिल जाती है, स्कूल से ! "

शांतनु ने एक गहरी सांस लेकर कहा, " ये तो सही बात है । "

तभी लक्ष्मी ने एक्साइटेड होकर कहा, " हेय सनी, हमारे दिमाग में एक बात आई है, बोलें ! "

शांतनु ने एक गहरी सांस लेकर कहा, " बोलिए ! "

लक्ष्मी ने खुश होते हुए कहा, " क्यों न तुम भी जिम ज्वाइन कर लो ! "

शांतनु ने उसकी ओर देख कर कहा, " पागल तो नहीं हो गई हैं न ! "

लक्ष्मी ने कहा, " क्यों, क्या हुआ ? "

शांतनु ने कहा, " उसने इंटर में ही जिम ज्वाइन कर लिया था इसीलिए हमें पता चलने तक वो कोच भी बन चुका था... "

फिर उसने अपने शरीर को देखते हुए कहा, " और हमारी बॉडी ही देखिए पहले ! "

उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वो बहुत पतला था ।

लक्ष्मी ने कहा, " वो तो सही बात है । इतने पतले बंदे की बॉडी इतनी जल्दी थोड़ी न बनेगी ! "

जहां हॉल में सब अपनी बातों में लगे हुए थें वहीं सिद्धांत कमरे में जाकर टेबल और चेयर पर बैठ गया ।

उसने कुर्सी पर पसरते हुए कहा, " थैंक गॉड ! सबका ध्यान डॉक्टर एस पर से हट गया वरना... "

फिर उसने अपने कानों में हेडफोन्स पहने और अपनी बुक्स और कॉपियां खोल कर बैठ गया ।

कुछ देर बाद, बाकी सब भी अंदर आए तो सबकी नजरें सिद्धांत पर पड़ीं जो अभी भी अपने काम में लगा हुआ था । उसे देख कर सबने अपना सिर ना में हिला दिया ।

मिसेज माथुर ने घड़ी में समय देखा वो बारह बजे का समय दिखा रही थी । उन्होंने लक्ष्मी को कुछ इशारा किया तो वो सिद्धांत की ओर बढ़ गई ।

वो अपने हाथ सिद्धांत के हेडफोन्स की तरफ बढ़ाने लगी लेकिन इससे पहले कि उसका हाथ उन तक पहुंचता, सिद्धांत ने एक झटके से उसका हाथ पकड़ लिया ।

ये इतनी जल्दी हुआ कि एक पल के लिए तो

लक्ष्मी डर ही गई थी लेकिन अगले ही पल वो सिद्धांत पर बरस पड़ी ।

उसने थोड़ी तेज आवाज में कहा, " ये क्या हरकत है, ऐसे कोई हाथ पकड़ता है क्या ? "

सिद्धांत जो अपने हेडफोन्स उतार चुका था उसने लापरवाही से कहा, " आप हमें अच्छे से जानती हैं, फिर भी आपने हमें उंगली की, तो गलती आपकी है । "

लक्ष्मी ने चिढ़ कर कहा, " तुम बहुत बद्दतमीज हो । "

सिद्धांत ने अपने सीने पर हाथ रख कर थोड़ा झुकते हुए कहा, " तारीफ के लिए शुक्रिया ! "

लक्ष्मी उसकी बातें सुन कर और उसकी हरकतें देख कर और भी ज्यादा चिढ़ गई । उसने गुस्से में सिद्धांत को देख कर कहा, " शर्म नाम की चीज नहीं है न तुम्हारे अंदर ! "

सिद्धांत ने बिना किसी भाव के कहा, " आपको आज पता चला ! "

उन दोनों की हरकतें देख कर मिसेज माथुर और शांतनु, दोनों को ही बहुत ज्यादा हँसी आ रही थी ।

वहीं सिद्धांत ने आगे कहा, " कितने दुख की बात है कि हम आपके साथ ऑलमोस्ट अट्ठारह साल से रह रहे हैं और फिर भी आपको हमारे बारे में ये बात पहले नहीं पता थी । "

फिर उसने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " आज जाकर पता चली है ! "

लक्ष्मी ने इधर उधर देख कर कहा, " पता तो हमें पहले ही था, बस बोलते नहीं थे । "

इस बार सिद्धांत ने अपनी गर्दन टेढ़ी करके और एक भौंह उठा कर कहा, " ओ रियली ! "

लक्ष्मी फिर से कुछ बोलने को हुई ही थी कि तभी मिसेज माथुर ने उन दोनों के बीच में आते हुए कहा, " बस करो तुम दोनों ! "

फिर उन्होंने सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " और तुम, तुम तो सोने जा रहे थे न ! "

सिद्धांत ने अपना सिर खुजाते हुए कहा, " हां, लेकिन नींद नहीं आ रही थी तो सोचें कि कुछ काम ही कर लें । "

मिसेज माथुर ने अपने हाथ बांध कर कहा, " तुम्हारा दिमाग रात में ही ज्यादा चलता है । "

सिद्धांत ने तुरंत कहा, " अच्छा, अब और गुस्सा मत करिए, जा रहे हैं सोने । "

मिसेज माथुर ने कहा, " तुरंत चलो । "

सिद्धांत ने कहा, " हम्म ! " और अपना सामान समेटने लगा ।



अगले दिन,

सुबह के चार बजे,

सभी लोग नींद में सो रहे थे लेकिन घड़ी में चार बजते ही सिद्धांत की आंखें खुल गईं । उसने एक नजर अपनी मां, अपने भाई और बहन पर डाली जो शांति से सो रहे थें और फिर झुंक कर धरती मां को प्रणाम कर नीचे उतर गया ।

फिर उसने बारी बारी सबके पैर छुए और बाहर चला गया । वहां जाकर उसने पहले एक फोटो के आगे सिर झुका लिया जो उसके पापा की थी । तीन साल पहले उसके पापा की डेथ हो गई थी ।

वहां से वो सबसे पहले बाहर गया । उसने पूरे घर में झाडू लगाया और फिर किचन में जाकर अपनी मां के लिए कुछ होम रेमेडीज तैयार करने लगा क्योंकि मिसेज माथुर को थायरॉयड है । ये सब करने के बाद वो बाथरूम में चला गया ।

लगभग आधे घंटे बाद, वो बाथरूम से बाहर निकला तो वो नहा चुका था । इस वक्त उसने एक ग्रे कलर के लोअर के साथ ब्लू कलर का टी शर्ट पहना हुआ था ।

वो अपने बालों को सुखाते हुए बाहर आया । वो सबसे पहले मंदिर में गया और लगभग पंद्रह मिनट बाद बाहर आया । वो कमरे में गया और फिर से अपने टेबल और चेयर पर बैठ गया ।

तब तक मिसेज माथुर भी जग चुकी थीं । सिद्धांत के आते ही वो चली गईं । लगभग पांच बज कर तीस मिनट पर सिद्धांत के फोन में अलार्म बजने लगा जिसे सुन कर शांतनु और लक्ष्मी भी जग गए और सिद्धांत अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ ।

उसने अपना बैग उठाया और सीधे किचन की ओर बढ़ गया जहां मिसेज माथुर ने पहले से ही उसके लिए कुछ फल और दूध तैयार कर दिया था ।

सिद्धांत ने मिसेज माथुर को देखते ही कहा, " गुड मॉर्निंग, माता श्री ! "

मिसेज माथुर ने कहा, " गुड मॉर्निंग, सिड !"

फिर उन्होंने नाश्ते की ओर इशारा करके कहा, " नाश्ता कर लो, फिर जाना ! "

सिद्धांत ने कहा, " हम्म ! " और वहीं रैक पर बैठ गया ।

मिसेज माथुर दूसरी तरफ अपने काम में लगी हुई थीं इसलिए उन्होंने ध्यान नहीं दिया लेकिन सिद्धांत ने नाश्ता करने से पहले गैस पर चाय चढ़ा दिया था ।

उसके बाद सिद्धांत ने पांच मिनट के अंदर ही सब कुछ खत्म कर दिया और अपनी मां के पास आकर उन्हें पीछे से बैक हग करके कहा, " थैंक यू, माता श्री ! "

मिसेज माथुर ने उसकी ओर पलट कर कहा, " कितनी बार कहा है कि हमें थैंक यू मत बोला करो ! "

सिद्धांत ने कहा, " कैसे ना बोला करें, माता श्री ! एक आप ही तो हैं जो हम लोगों के लिए इतना सब कुछ करती हैं, सुबह से लेकर रात तक लगी रहती हैं । "

मिसेज माथुर ने वापस पलट कर सब्जियां काटते हुए कहा, " तुम लोग भी तो दिन रात इस घर के लिए ही लगे रहते हो न ! "

सिद्धांत ने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " ये किसने कह दिया आपसे ? "

मिसेज माथुर ने उसकी ओर देख कर कहा, " क्यों, तुम किसके लिए करते हो ये सब ? "

सिद्धांत ने कहा, " ऑफ कोर्स, अपने लिए । "

मिसेज माथुर ने हंस कर कहा, " अच्छा ! "

सिद्धांत ने कहा, " और नहीं तो क्या ! IAS की तैयारी हम कर रहे हैं तो बनेंगे भी हम ही, और जब बनेंगे हम तो उसका बेनिफिट भी तो हमें ही मिलेगा न, तो इस सबके बीच में घर कहां से आ गया ! "

मिसेज माथुर ने अपना सिर ना में हिला कर कहा, " बातें बनाना कोई तुमसे सीखे ! "

सिद्धांत ने कहा, " बातें बनाना भी और चाय बनाना भी ! "

मिसेज माथुर ने नासमझी से कहा, " हां ! " तो सिद्धांत ने एक कप चाय उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा, " हां, ये लीजिए । "

इतने में लक्ष्मी भी वहां आ गई । वो भी नहा चुकी थी ।

सिद्धांत ने उसे देख कर हैरानी के साथ कहा, " हे भगवान, आप नहाती भी हैं या नहीं ! "

लक्ष्मी ने अपने बाल बनाते हुए कहा, " बस, बस, तुम्हारे तरह थोड़ी न हैं जो आधे घंटे तक बाथरूम में ही बैठे रहें । तुम्हें तो... "

वो अपनी बात बोले जा रही थी वहीं, सिद्धांत उसकी बातों को पूरी तरह से इग्नोर करके मिसेज माथुर के कंधे पर अपना हाथ टिकाए हुए खड़ा था ।

वो हंस कर अपना सिर इधर उधर घुमाते हुए अपने हाथों के इशारे से मिसेज माथुर से बोल रहा था, " पक, पक, पक ! "

उसकी हरकत देख कर मिसेज माथुर को जोर से हँसी आ गई तो लक्ष्मी ने भी उन दोनों की ओर देखा तो दोनों ही हंस रहे थें ।

लक्ष्मी ने चिढ़ कर कहा, " तुम्हें तो अभी समझाते हैं हम ! " और उसकी ओर दौड़ पड़ी ।

सिद्धांत तुरंत मिसेज माथुर के पीछे छिप गया । लक्ष्मी वहां गई तो वो दूसरी ओर चला गया । लक्ष्मी ने वहां जाना चाहा लेकिन वो अपने बालों से परेशान हो गई ।

सिद्धांत ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, " पहले जाकर रेडी होइए, फिर समझाइएगा हमें ! "

फिर वो बाहर चला गया तो मिसेज माथुर भी बाहर आ गईं । सिद्धांत ने उनके पैर छूकर कहा, " अच्छा माता श्री, हम चलते हैं । "

मिसेज माथुर ने उसके वालों में हाथ फिरा कर कहा, " हम्म ! आराम से, बचा कर जाना और समय से घर आना । "

सिद्धांत ने अपनी बाइक पर बैठ कर कहा, " ओ के, बाय माता श्री ! "

मिसेज माथुर ने कहा, " बाय ! "


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क्या था सिद्धांत का असली रूप ?

उसने जान बूझ कर सबका ध्यान डॉक्टर एस से क्यों हटाया ?

इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,

बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस

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लेखक : देव श्रीवास्तव