Love Contract - 19 in Hindi Love Stories by M K books and stories PDF | Love Contract - 19

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Love Contract - 19

अदिति अपने अध खुली आंखों से टटोल रही थी रिवान
कमड़े से गया कि नहीं , कुछ देर में ही रिवान कमड़े से बाहर चला अाता है । रिवान के जाने के बाद अदिति बेड से झटके में उठी । " मुझे माफ़ कीजियेगा रिवान जी ये सब दिखावा करना बहुत जरूरी था अगर मुझे मां के आहट नहीं मिली होती तो आज राज पर से पर्दा ही उठ जाता , ये शादी नहीं सिर्फ़ एक समझौता है कुछ दिन , महीने साल के । लेकिन मैं रिवान जी से किया वादा भी तोड़ नहीं सकती । मैंने उनका साथ देने का वादा किया है जब तक उनका बचपन का प्यार नहीं मिल जाता तब तक मैं उनका साथ देती रहूंगी एक पत्नी बनकर । जानती हूं सबको और मां को अंधेरे में रखना ठीक नहीं है लेकिन
रिवान जी से किया वादा भी तो तोड़ नहीं सकती हूं ।
मैं भी सुबह सुबह कौन सी बात लेकर बैठ गई ।अपने सिर पर दाएं हाथ से मारती है ये मैं कैसे भूल गई ? फिर बेड से झटके में उतर कर वॉश रूम के तरफ बढ़ गई।

अदिति अपने गीले बालों को खिड़की के पास खड़ी होकर टॉवेल से पानी को पोछ रही थी उसके बाद बालों में कंघी कर , गीली बालों में अपने उंगलियों को फंसा कर बालों को सुखा रही थी । नीचे गार्डेन में बैठा रिवान अदिति को वहीं से बड़े इमतिनान से ऊपर देख रहा था जहां अदिति खिड़की के पास खड़ी थी ।

विराज जॉगिंग कर के आया गार्डेन में , क्या भाई बीबी के आते ही जॉगिंग को भी भूल गया कल को तो तुम हमें भी भूल जायेगा तंज कसते हुए बोला । क्या बकवास कर रहा है विराज ? रोबिले आवाज़ में बोला रिवान बोला ।
मजाक उड़ाते हुए , हां.. हां अब तो हमें कहां याद रखेगा ? वैसे भी सुना है मैंने बहू के आने के बाद बेटा अक्सर बदल जाता है सांवरी जी बोली । क्या मां आप भी विराज के साथ मिलकर मेरी टांग खींच रही है ??
आपको पता है न आपका बेटा आपसे कितना प्यार करता है । हां बेटा मुझे पता है तू मुझसे कितना प्यार करता है लेकिन तेरा भरोसा भी तो नहीं कर सकते फिर विराज और सांवरी जी दोनों हंसने लगते है ।

खुले घने और लंबे सुनहरे बाल जो कमर तक लटक रहे थे , गोरे बदन पर गुलाबी रंग की साड़ी आदिती की
खूबसूरती पर चार चांद लगा रहे थे । पतले होठों पर गुलाबी लिपस्टिक का पहरा और घने काले भौंवो के बीच काली बिंदी , आंखों में काजल अदिति को बहुत आकर्षक लुक दे रहे थे । जिसे कोई भी देखे तो दीवाना हो जाए ।
आज अदिति बेहद खूबसूरत लग रही थी । सिर पर आंचल रख कर हॉल में लगी घड़ी के तरफ नज़रे घुमा झटके से सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी , आखिरी सीढ़ी ख़तम होते ही पता नहीं कहां से अरुण मित्तल व्हील चेयर पर सामने अा जाते है । ख़ुद को संभाली , फिर अरुण मित्तल के पैर के तरफ झुकी लेकिन अरुण मित्तल नाक पर गुस्सा लिए वील चेयर को मेन गेट के तरफ मोड़ लिया । अदिति थोड़ा सा मायूस हो जाती है ।

सांवरी जी किचेन से बाहर आयि , अदिति के पीछे से कंधे पर हाथ रखती हैं " बेटा मायूस मत हो नरम दिल इंसान है रिवान के पापा एक दिन वो भी मान जाएंगे ।।
गुस्सा जितना करते हैं वो उनका दिखावा रहता हैं । मैं उदास नहीं हूं मां , फिर झुक कर आशीर्वाद लेती है ।।।

अदिति को बड़े हैरानी से सांवरी जी देख रही थी " शादी के बाद आज तुम्हारा इस घर में पहला दिन है और इतना बड़ा अपसगुन बहू , नई नवेली दुल्हन को ये सब शोभा नहीं देता है।






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