Gangster Ka Sanki Ishq - 10 in Hindi Thriller by Sanju books and stories PDF | गैंगस्टर का सनकी इश्क़ - 10

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गैंगस्टर का सनकी इश्क़ - 10

खुशी वैशाली सीडीओ से नीचे हुए आ रही थी

वैशाली की निगाहे जैसे युवराज पर गई तो अपने आप निगाहें शर्म से नीचे झुक गई.... उसे नहीं पता था कि युवराज इस वक्त यहां आ जाएगा वो अचानक से ?.

खुशी ने उसे कोहनी मारते हुए ओ...हो तो बात यहां तक पहुंच गई है एक दिन भी नहीं रहा गया.....

वैशाली... खुशी......

युवराज... तुरंत ही वैशाली के सामने शौर्य को लिए हुए आ गया

शौर्य जैसी अपनी मां को देखा है तो उसकी तरफ जाने के लिए हाथ बढ़ाया वो गिरने ही वाला था लेकिन तुरंत ही वैशाली ने पकड़ ली { डर कर }

इस बीच बचाने के चक्कर में युवराज और वैशाली के हाथ एक दूसरे से टच हो गए थे जिससे दोनों के बदन में ही सनसनहाट हुआ... धड़कन तेज हो गए ....

युवराज वैशाली एक दूसरे के करीब आ गए थे शौर्य चहकने लग गया था और नम आंखों से अपनी मां के सीने में चेहरा छुपा लिया ....

और जैसे कुछ खोजने लग गया था ये महसूस होते ही वैशाली का तो शर्म से बुरा हाल हो गया युवराज से नजरें मिलाकर.....

युवराज इसलिए सिचुएशन को देखकर अनकंफरटेबल हो गया था वो उसकी तरफ पीठ कर लिया था




निलेश जी को किसी ने बुलाया था इसलिए वहां से चले गए थे

सुमित्रा की आंखें भर गई आखिर था तो शौर्य डेढ़ साल का बच्चा जिसे इस वक्त अपनी मां का दूध का पोषण ज्यादा जरूरी होता है।

वैशाली शौर्य को लिए हुए अपने कमरे मैं ऐसा खुशी भी उसके पीछे आ रही।

युवराज के चेहरे पर इमोशन नहीं था देख कोई नहीं कह सकता कि ये वही सख्त युवराज है।

आज उसे महसूस हुआ की शौर्य को किसकी कमी थी जब वो भूखा रोता था तो उसे सबसे ज्यादा माँ की जरूरत होती था लेकिन भाभी नहीं थी.. आँखे बंद कर लिया... "उसके सामने दृश्य आया... वादा करो युवी शौर्य को अपने बेटे मानोगे... कभी पता लगने ना देना... की तुम चाचू हो? (खून से सनी मधु दर्द में तड़पते हुए युवराज के गोद में सर रखी हुईं आखिर सांस ले रही थी) .... तुम हमेशा से देवर नहीं बल्कि बेटा मना अब हम तुम्हे अपने बेटे की जिम्मेदारी दे रहे है.... वादा करो... युवराज रो rha था और कांपते होठो के साथ वादा करते है ) भाभी हम हॉस्पिटल चल रहे है कुछ नहीं होगा.... शौर्य हमारा बेटा है...मधु मुस्करा दी... और सांसे रुक गईं

युवराज हिलाते हुए भाभी उठे ना.... ऋषभ चली गईं वो हमें छोड़कर ....{युवराज की चीख निकल गईं}.... भाभी.........."

युवराज सोच से बाहर आया.....

कमरे में....

वैशाली शौर्य को अपने सीने से लगाए हुए उसके सर को सहला रही थी खुशी ने कहा क्या करें?. ये कैसे चुप होगा?.

सुमित्रा बोतल दूध का लेकर आई और देते हुए वैशाली इसे पिलाओ....

वैशाली ने लेकर उसे हाथ में टच किया कहीं ज्यादा गर्म तो नहीं है...?हल्का गुनगुना महसूस कर शौर्य के मुंह पर लगाए लेकिन बार-बार शौर्य अपना मुंह यहां वहां कर रहा था.... (हाथ को वैशाली के सीने पर रखे हुए )

वैशाली को रोना आ गया था अपने बेटे की यह हालत देखकर

खुशी ने कहा इसमें रोने की क्या बात है रुक जाओ मैं इंटरनेट पर चेक करके बताती हूं.....!

वैशाली से रहा नहीं गया और शौर्य के आंसू को पोछते हुए काकी आप बाहर जाए इन्हे चाय नास्ता,

सुमित्रा - ठीक है बेटा अगर किसी की जरूरत हो तो बुला लेना....ये कहकर चली गईं...

वैशाली ने खुशी से शहद लाने को कही उसे याद आया उसने एक आर्टिकल में एक बार पढ़ा था अगर बच्चे दूध न पिए तो कैसे पिलाया जाए ?.

खुशी शहद लेकर आई

वैशाली ने अपना दुपट्टा हटाया खुशी बस देख रही थी कि वैशाली करना क्या चाहती है?.थोड़ी देर बाद उसकी आंखें भर आई हुई थी यह प्यार देखकर 🥺

वैशाली ने दुपट्टा हटाया और सूट को ऊपर करके अपने चेस्ट में शहद लगाया

शौर्य के सर को आराम से सीने से लगाई...... तो वो वैशाली के नेप्पल को मुँह से लगा लिया......

वैशाली यह मीठा सा एहसास पाते ही आँखे बंद कर ली.....

खुशी - वैशाली के पास बैठ कैसा लग रहा है?.

वैशाली शौर्य को सीने से हटाकर दूध का बोतल लगाया और दुप्पटे से ढक दिया...... जैसे प्यासे को कुआ मिल जाए.....

युवराज वॉच पर टाइम देख रहा था....

ऑस्ट्रेलिया

रुद्र फर्स्टरेट होकर बोला अभी तक एक इनफॉरमेशन निकालने के लिए बोला और तुमसे वो भी नहीं किया जा रहा है?. किस बात के लिए रखा गया है।

असिस्टेंट- डरते हुए सर हमने बहुत पता लगाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने इनफॉरमेशन काफी सीक्रेट रख दिया है।

रुद्र गुस्से में उसका कॉलर पकड़ कर बोला गेट आउट... वो चला गया

गेट पर फिर से दस्तक होता है...

रूद्र हमने कहा ना जाओ अभी....

संजना हम है... {कांजीवरम साड़ी पहनी कोई घबराहट से उसे ही देख रही थी}

रूद्र - तुम्हें किसने बोला यहां आने के लिए हमने कहा ना हमारे पर्सल और प्रोफेशनल में दखल मत किया करो?.

तुम्हें पत्नी का दर्जा दिया गया है उसी में ही खुश रहो ज्यादा की उम्मीद मत रखो....

संजना - {उदासी में }हम ज्यादा उम्मीद रखने की कोशिश बहुत पहले ही छोड़ दिए हैं हम यहां इस लिए आए हैं कि कृष आने वाला है....

रुद्र गुस्से में कृष का नाम लेकर मुझे इमोशनल मत करो तुम जानती हो कि कृष की वजह से तुम हमारे साथ हो।

जो कुछ भी हुआ था नशे में हुआ था उसकी जिम्मेदारी मैंने ली है।

और तुमसे ज्यादा मुझे पता है कि वह कब आ रहा है?. क्या करता है?. किसके साथ अटैच में है?.




संजना - {सर झुकाकर }मैं तो बस कह रही थी आपको अगर बुरा लगा हो! तो माफ कर दीजिएगा,,,वैसे वैशाली का कुछ पता चला कहां है?

रुद्र की भावनाएं बदल गई एक दीवार के सामने आया दीवाल पर लगी फ्रेम में विशा और वैशाली की तस्वीर को देख

रूद्र फोटो फ्रेम को टच करते हुए कहां पता लगा लेंगे 10 साल पहले ज़ब पता चला की हमारी वैशाली जिन्दा है... तो उम्मीद जाग गया.... हमारी प्यार की अमानत... हमारी बेटी यादो में चला गया

फ्लेशबैक......

10 पहले....

रूद्र स्टडी रूम में काम कर रहा था ....तभी कॉल आया अननोन नंबर से .... रूद्र ने पहले इग्नोर किया लेकिन फिर पिकअप करके बोला कौन?.

दूसरी तरफ से तुम्हारी बेटी जिंदा है क्या तुम जानना नहीं चाहते कहां है?.

रुद्र जैसे यह सुनता है अपनी जगह से खड़ा हो गया और तड़प के साथ बोल कहां है मेरी बेटी अगर तुमने झूठ बोला तो तुम मरने के लिए रेडी रहना?.

दूसरी तरफ से झूठ बोलने के लिए फोन नहीं किया है बल्कि सच बताने के लिए कॉल किया है उस मॉल अटैक में तुम्हारी बेटी जिंदा बच गई थी और उसे बचाने वाला कोई और नहीं विशा का भाई है

क्या अभी तुम्हें कोई प्रूफ चाहिए अगर चाहिए तो मैं फोटो भेज सकता हूं.....

ये कहकर फोन कट कर दिया और व्हाट्सएप से पिक सेंड कर दिया था

रूद्र जैसी अपनी बेटी को देखा उसकी आंखें भर आई हुई थी उसकी नन्ही सी गुड़िया....

उस से वो फोन करने वाले और वैशाली का रूद्र पता लगाने लग गया था।

उसे विशा का भाई का कहीं अता पता नहीं चला रुद्र जमीन आसमान एक कर दिया था लेकिन ढूंढ नहीं पाया था....

फ्लैश बैक एंड.....

10 सालों से अपनी बेटी को गले से लगाने के लिए तड़प रहे हैं

संजना उसकी तड़प देखकर उसके कंधे पर हाथ राखी और बोली पता चल जाएगा हार मत मानिए

हमने अपने इनफॉर्मल से भी कह दिया है।

रूद्र -{ इमोशनल को चेंज शर्द लहजे से }तुम्हें किसने कहा पता लगाने के लिए?. तुम बस अपने बेटे का ख्याल रखो उतना ही बस.... हमारी बेटी का ख्याल रखने के लिए हम हैं।

और अगर हमारी बेटी हमारे पास आ गई तो तुम उसके साथ सौतेला व्यवहार करी ना तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा?.

संजना की आंखें भर आई और उसके सामने आकर बोली रुद्र तुम हमें जानते हो कि नहीं क्या तुम्हें हम बेरहम सौतेली मां दिख रहे हैं क्या?.

जब वह हमारे पास भी थी तो उसे मां जैसा ही प्यार देते थे सौतेला व्यवहार नहीं करते थे आखिर विशा के हम दोस्त थे कोई दुश्मन नहीं है.....

रुद्र कठोर भावनाओं से कहा हमें कुछ नहीं सुनना यहां से जाओ... हमे मदद नहीं चाहिए...

संजना वहां से चली गई रोते हुए

रूद्र {विशा की तस्वीर को देखते हुए } आपके बगैर सब कुछ अधूरा सा लगता है काश आप हमारे साथ होते तब हमारी वैशाली भी हमसे दूर नहीं जाती

आपके जाने के बाद सब कुछ बिखर सा गया है... आपका रूद्र मर रहा है आपके बगैर....

"बार बार चोट से तो पत्थर भी टूट जाते है, फिर हम तो इंसान है यार.... "

मुस्कराने का मन तो बहुत करता है लेकिन बिता हुआ पल याद कर फिर से रुला देता है