जय श्री कृष्णा 🙏
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।
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अब बिना देरी किए चलते है कहानी के ओर.....
बनारस ( गंगा घाट )
सब लोग घाट के किनारे आ चुके थे क्योंकि वहां मंदिर के सीढ़ियों पर भक्त का आना जाना लगा हुआ थे। वही अर्पण और भूमिजा वहीं घाट की धरती पर बैठ कर खेल रहे थे, सारे संसार के माया चक्र से दूर अपने ही एक नवीन संसार में, जिसमे आज उन दोनो को अपना एक दोस्त मिला था। वो दोनो खेल रहे थे उसे देख कर सबके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। तभी खनक को अपने जाने का याद आता है।
खनक ( अंबर से ) " अंबर देख भूमि खेलने लगी है इसलिए मै निकल जाऊंगी अगर ये मुझे देखेगी तो मेरे लिए जाना मुश्किल हो जायेगा इसलिए तुम इसके साथ रहो मै जाती हूं, मेरा ट्रेन भी है।"
अंबर हां में सर हिला देती है खनक चुप चाप वहां से निकल जाती है।
क्षितिज ( खनक को जाते हुए देख कर ) " इतनी छोटी सी बच्ची को छोड़ कर कहां जा रही है ?"
अंबर ( खनक को देखते हुए ) " दो दिन के लिए मुंबई जा रही है कुछ जरूरी काम है। वरना तो वो भूमि से एक पल के लिए भी दूर न जाए।"
क्षितिज ( मुस्कुरा कर ) " हां वो तो उनके आंखो में ही दिखता है। वैसे इसके पापा तो होंगे ही।"
अंबर ( गुस्से से ) " नही है इसके पापा।"
क्षितिज ( सकपकाते हुए ) " नही रहे इसके पापा। माफ कीजिएगा वो मै.."
अंबर ( खुद को शांत करते हुए ) " अरे आप माफी क्यों मांग रहे है ? वो इसके पापा जिंदा तो है लेकिन इसके लिए नही है छोड़ दिया है।"
क्षितिज ( हैरानी से ) " क्या ? कोई अपनी वाइफ और बच्ची को कैसे छोड़ सकता है ?"
अंबर ( मुस्कुराते हुए ) " छोड़ने में तो आज कल लड़कियां भी नही हिचकती है। वो तो फिर भी मर्द है।"
क्षितिज ( हैरानी से ) " लेकिन फिर भी कोई इतनी प्यारी बेटी को और इतनी सुंदर बीवी को क्यों छोड़ेगा ?"
अंबर ( मुस्कुराते हुए ) " जब लोगों की चाहत बढ़ने लगती है और वो वेरायटी पसंद हो जाते है तो उनके लिए रिश्ते भी नए पुराने हो जाते है।"
क्षितिज हैरान सा बस अंबर को देखे जा रहा था। उसे हैरानी थी की कोई कैसे अपने बच्चे को छोड़ सकता है ? हालांकि रिवाज को तो पता ही नही था की वो बाप बनने वाला है और जब पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी उसके हिसाब से।
अंबर ( क्षितिज को देखते हुए ) " वैसे अर्पण के पापा नही आए आज ? कहीं गए है क्या ?"
क्षितिज ( मुस्कुराते हुए ) " हां उनकी आज एक मीटिंग थी वो उसी में व्यस्त है।"
अंबर ( अर्पण को देखते हुए ) " वैसे अर्पण के मम्मी पापा का नाम क्या है ? और मम्मी कहां है ? सुबह भी नही दिखी थी।"
क्षितिज ( सीरियस हो कर ) " बॉस का नाम अभिमन्यु कृष्णा है, और लेडी बॉस का नाम अपर्णा अभिमन्यु कृष्णा है।"
अंबर ( मुस्कुराते हुए ) " बड़ा प्यारा नाम है।"
भूमि और अर्पण खेलने में बिजी थे।
कश्यप हाउस,
खनक घर आ चुकी थी और इस वक्त वो ब्रेकफास्ट कर रही थी क्योंकि उसको निकलने में अभी टाइम था इसलिए वो अपना रूटीन फॉलो कर रही थी। उसका खाना खतम होते ही वो प्लेट साफ करके रख देती है और अपना फोन ले कर सोफे कर बैठ जाती है।
खनक ( किसी को फोन लगाते हुए खुद से ) " बस ये फोन उठा ले इसके बाद मेरा काम थोड़ा आसान हो जाएगा।"
एक बार पूरा रिंग जाने के बाद फोन अपने आप कट जाता है, खनक फिर से एक बार कॉल करती है। इस बार करीब चार पांच रिंग के बाद कॉल रिसीव होता है और दूसरे तरफ से एक लड़के की आवाज आती है जो बहुत सीरियस और गहरी आवाज थी।
लड़का ( अपनी गहरी आवाज में ) " हैलो।"
खनक ( नर्वस होते हुए ) " हैलो राघव से बात हो रही है क्या ?"
राघव ( सीरियस वॉइस में ) " जी हां राघव से ही बात हो रही है। लेकिन आप कौन ?"
खनक ( रुंधे गले से ) " राघव यार मै खनक बोल रही हूं।"
राघव ( हैरानी वाले वॉइस में ) " खनक तू, तू जिंदा है। कहां है तू बोल मै अभी आता हूं।"
खनक ( मुस्कुराते हुए ) " मै बिल्कुल ठीक हूं। टेंशन मत ले, तू कैसा है ? और भाभी कैसी है ?"
राघव ( रुंधे गले से ) " ठीक है यार सब। तू बता न कहां है ?"
खनक ( पॉइंट पर आते हुए ) " राघव मै कल तक पहुचूंगी मुंबई, ( हिचकिचाते हुए ) वो मै पूछ रही थी की तेरे घर आ जाऊं क्या ?"
राघव ( मुस्कुराते हुए ) " ये भी कोई पूछने वाली बात है। आजा यार। मै तेरा इंतजार करूंगा।"
खनक ( मुस्कुराते हुए ) " ठीक है ! मै जानती हूं की इस समय तेरे मन में बहुत सारे सवाल घूम रहे है। सारे सवालों के जवाब मै आ कर दूंगी। और एक बात और है मेरी बात हुई है तेरे से ये बात तू किसी को नही बताएगा। ये तक नहीं बोलेगा की खनक जिंदा है। बात आई समझ में !"
राघव ( सीरियस टोन में ) " लेकिन क्यों ?"
खनक ( आंख बंद करके खोलती है ) " मै वहां आ कर जवाब दूंगी तेरे सारे सवालों का वैसे अगर फ्री होगा तो स्टेशन पर आ जाना, मै उतर कर कॉल कर दूंगी।"
राघव ( खुशी से ) " मै फ्री ही हूं। तू आजा बस।"
खनक ( मुस्कुराते हुए ) " ठीक है फिर पहुंच कर बात होगी अब। और हां ये नंबर सेव करले।"
राघव ( खनक से ) " हां कर लूंगा। बस तू आ जा। बाय।"
खनक ( रिप्लाई करते हुए ) " बाय।"
इसके बाद कॉल कट हो जाता है और खनक तैयार होने के लिए चली जाती है।
मुंबई ( पाठक मैंशन )
मैंशन पूरी तरह से शांत था कहीं कोई आवाज नहीं थी जैसे वीरान पड़ा हो बस हॉल में टंगी वो बड़ी सी घड़ी में सुई की टक टक की आवाज ही आ रही थी। जैसे पूरा मैंशन खाली हो। तभी एक नौकरानी हाथ में पानी का ग्लास लिए ऊपर टेरेस के तरफ जा रही थी रास्ता रिवाज के कमरे से हो कर गुजरता था, वो नौकर हाथ में पानी का ग्लास पकड़ी हुई जैसे ही उस कमरे के तरफ से गुजरती है उसका ध्यान कमरे के खुली खिड़की से होते हुए अंदर बिस्तर पर जाती है जहां शाइनी और रिवाज एक ही चादर में लिपटे हुए थे उनके कपड़े आस पास फेंक हुए थे, उस नौकरानी की नजर अब बेड पर थी जहां रिवाज बिस्तर पर लेटा था और उसके ऊपर शाइनी बिना कपड़ों के लेटी थी। हालांकि उसने चादर से खुद को कवर किया था लेकिन रिवाज उसे देख सकता था, वो दोनो एक दूसरे में डूब हुए थे। उन्हे ऐसे देख कर उस औरत के चेहरे पर अब घृणा साफ दिखाई पड़ रही थी। उसके आंखो से आंसू छलक कर उस पानी के ग्लास में गिर जाता है।
औरत ( नफरत से ) " छिः मतलब ये लड़की साहब की असिस्टेंट नही है, अब मुझे पूरा विश्वास है की मैडम को इन दोनो ने ही मारा है कोई हादसा नही हुआ है।"
तो आगे क्या होगा इस कहानी में ? कौन है ये राघव ? और क्या ये खनक का साथ देगा ? क्या रिवाज को कभी अपने गलती का एहसास होगा ? जानने के लिए बने रहे ! तू भी सताया जाएगा ! मेरे यानी शालिनी चौधरी के साथ।
मेरे मन की बात,
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✍️ शालिनी चौधरी