Nakal ya Akal - 31 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 31

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नक़ल या अक्ल - 31

31

तरकीब

 

 

 

अगली सुबह  किशोर को हल्दी  लगाई  जा रही है, हल्दी लगाते  समय  घर  की सभी औरते ब्याह के गीत गा रही हैंI उसके बापू ने पंडित जी को घर  बुलाया  हुआ हैI “बारात  आज शाम बजे तक पहुँच  जानी चाहिएI  और  तीन बजे की डोली का समय  हैI” पंडित जी ने अपनी पोथी में  देखते  हुए लक्ष्मण प्रसाद को कहाI “गर्मी की वजह से  शाम का समय ही ठीक है”  उन्होंने यह कहते  हुए हाँ में  सिर  हिला दिया I किशोर को जब यह पता चला तो वह सोच में  पड़ गया, “यह तो बहुत लम्बा समय  है, अगर  इस  बीच कुछ  हो गया तो???” वह अपने दिमाग  पर ज़ोर देने लगाI   फिर पंडित  जी के पास चला गया वो अलग कमरे में  बैठकर नाश्ता कर रहें हैंI किशोर की किस्मत अच्छी है कि  गॉंव का पंडित  बीमार  है, इसलिए किसी  दूसरे  गॉंव से  पंडित  को बुलाया गया  हैI   वह उसके पास आया और उसे प्रणाम करते हुए बोला,

 

पंडित  जी! आपके लिए  और पकवान मंगवाओI 

 

नहीं, बेटा आज तो कुछ ज्यादा ही खा लियाI  

 

ब्याह वाले घर में तो चलता ही रहता हैI  वैसे आपसे कुछ काम थाI 

 

हाँ  बताओ, बेटा?  अब उसने अपनी  जेब से  पाँच  सौ का नोट निकाला और उसे थमाते हुए कहा, पंडित जी, इसे रखिएI 

 

पर यह दक्षिणा  किसलिए ? तुम्हारे  पिता जी  से  इसके बारे में  बात  हो गई  हैI 

 

पंडित जी! यह मेरी  तरफ से  है, अब आप मेरी ध्यान बात  से सुनिएI  “मेरी ससुर जी का स्वास्थ्य  ठीक नहीं  रहता, वह इतनी  देर शादी में  नहीं  बैठ पाएंगेI  अब लड़की वाले होने की वजह से वो यह कहने से कतरा रहें हैंI  मेरे घरवाले मानते  नहीं तो मैंने सोचा कि  मैं उनकी मदद कर दूँI  दामाद भी तो बेटे  की तरह होता हैI”   किशोर पंडित जी के पैर  दबाने लगाI  

 

अब पंडित ने अपनी खाने की थाली को एक तरफ किया और बड़े गर्व से किशोर को देखते हुए बोले, “तुम बिलकुल  सही कह रहें  होI तुम्हारे  जैसा दामाद  सभी को मिलेI”   मगर तुम मुझसे क्या चाहते होI 

 

आप डोली का समय बदल दें और रात बारह बजे कर देंI  उसने अपनी पोथी में  दोबारा देखा और कहा,  “बारह  बजे तो ठीक नहीं है, मगर नक्षत्रों के हिसाब से सवा  बारह  का समय हो सकता  हैI” अँधा  क्या माँगे  दो आँखें,  पंडित के मुँह से यह सुनकर वह बोला, "बस पंडित जी बहुत बढ़िया, अच्छा! एक बात आप और मान लेते तो” वह बोले, “क्या?” “फेरो की रस्मों में  आपकी मंत्र पढ़ने की गति कम  नहीं होनी  चाहिएI उसने अब पचास रुपए और उनके हाथ में पकड़ा दिए तो वह मुस्कुरा दिएI  किशोर पंडित जी के कमरे  से निकलते हुए सोच रहा है, ‘इस ब्याह के लिए पता नहीं, कितने ही पापड़ बेलने पड़ेगेI अभी तो सबसे बड़ी मुसीबत यह बुआ जी का भी कुछ  करना पड़ेगाI”  

 

 

राधा को भी हल्दी लग रही हैI  उसकी मेहंदी का रंग बहुत गाढ़ा चढ़ा हैI उसकी सहेलियाँ उसे छेड़ते  हुए कह रही  है, राधे !!! “तेरा किशोर तुझसे बहुत प्यार करता हैI”  उसने हाँ में सिर हिला दियाI  उनके मुँह से यह सुनकर वह  इतराते हुए बोली, “हाँ वो तो करता हैI”  “चुप! बेशर्म” उसकी बड़ी बहन  सुहानी  ने उसे डाँटा  तो वह शरमा  गईI 

 

बृजमोहन और उनके भाई बन्धु रामलीला मैदान में  लगें  शमियाने की तैयारियों  का जायज़ा  ले रहें हैं  कभी  वह टेंटवाले  को कुछ समझाते  तो कभी हलवाई  को दिशा निर्देश  देतेI   अब राधा को स्नान करने  के लिए भेज दिया तो वहीं  किशोर के घर की औरतें  घड़ोली का पानी मंदिर से लाकर उसके ऊपर  उड़ेलने लगीI

 

शाम  के छह  बजे हैंI  राजू  ट्रेवल की गाड़ी जोकि एक वैन है, वो सजकर किशोर के घर के बाहर आ चुकी  हैंI  बैंड वाले भी गेट पर आकर खड़े हो चुके हैंI सफ़ेद रंग की शेरवानी में किशोर बहुत जँच  रहा हैI   उसे सेहरा पहनाया जा रहा हैI उसकी बहन काजल उसके आँख में सुरमा लगा रही हैI नन्हें भी नील रंग के कुर्ते पाजामे में बहुत अच्छा लग रहा हैI उसके दोस्त भी इस ब्याह को लेकर उत्साहित हैI  अब नन्हें  ने बैंड वालों  को कहा कि “वे बजाना  शुरू करेंI”  उसके यह कहते ही बैंड का शोर गूंजने लगा और सब नाचने लग गएI  किशोर की नज़र अपनी बुआ और दीवार पर लगी घड़ी पर ही लगी  हुई  हैI  

 

राधा को भी उसकी सहेलियाँ  तैयार कर रही हैंI   राधा ने  लाल रंग का लहंगा  पहना  हुआ हैI  गहनों और हल्का सा मेकअप  उसकी सुंदरता को बढ़ाता हुआ, चाँद को भी मात  दे रही हैंI  उसके चेहरे पर किशोर की दुल्हन बनने की ख़ुशी नूर बनकर  दमक  रही हैंI सोनाली ने गुलाबी रंग का लहंगा पहना हुआ है तो वही रिमझिम भी हरे  रंग के लहंगे में  बहुत सुन्दर  लग रही हैंI जब राधा के खुद को शीशे में  निहारा तो शर्म से  उसके गाल और लाल हो गएI उसके घरवाले तो बारात के स्वागत के लिए पहले  ही वहाँ  पहुँच गए,  अब  बाकी घरवाले भी शमियाने में  जाने लगेI राधा के साथ रिमझिम, सोना और उसकी कुछ  सहेलियाँ  रह  गईI सोना के खुद को शीशे में  देखते  हुए कहा, “मैं अपनी शादी में भी गाढ़ा गुलाबी रंग पहनूँगीI” राधा ने पूछा, “कोई ढूंढ  रखा है, क्या?” “नहीं रे!! मैं किसी को नहीं ढूंढ़ने वाली वो खुद ही मुझे ढूंढ लेगाI उसने इतराते  हुए कहा तो राधा रिमझिम  की तरफ देखने लगी पर उसने अपनी नज़रे  राधा की तरफ से हटा लींI

 

घड़ी में समय को खिसकते  देखकर किशोर ने घरवालों  को कहा कि  देर हो रही है तो सब हँसने लगेI “यह छोरा  कैसे बावला हो रहा हैI” उसकी चाची  बोलीI अब किशोर खुद ही  बाहर खड़ी  वैन में  बैठ  गया उसके साथ नन्हें, काजल, नंदन भी बैठ गए और बाकी रिश्तेदार अपने आप रामलीला  मैदान पहुँचने लगेंI  अब घर में  उसके पिताजी और सरला रुके हुए हैंI उन्होंने देखा कि सभी रिश्तेदार तो निकल गए मगर बुआ जी का तो कोई अतापता नहीं है I सरला ज़ोर से बोली, “दीदी जी,” तो वही  लक्ष्मण प्रसाद भी चिल्लाए, “बहनजी कहाँ है, आप? बारात निकल गई हैI” मगर वह कोई आवाज ही नहीं दे रही I अब नन्हें भी वैन से निकलकर अंदर आया और वह भी अपने माता पिता की तरह बोला, “बुआ जी देर हो रही है, कहाँ है, आप?