इस तरह एक सदियां बीत गए।।
लेकिन नैना वनवास खत्म नहीं हुआ था शायद वो अब जिंदगी को एक नया मोड़ पर समझना चाहती थी।
और फिर नैना को अब सब कुछ अच्छा लगने लगा था क्या चल रहा था नैना के मन में,वो यहां रहना चाहती थी।
तभी एक महिला जिसका नाम नीरजा था उसने कहा कि गुरु जी बुला रहे हैं।
नैना ने कहा हां ठीक है मैं आ रही हुं। फिर नैना गुरु जी के पास जाकर बैठ गई और फिर बोली प्रणाम गुरु जी आप ने बुलाया।
गुरु जी ने कहा हां तुम्हारे घर से फोन आया था एक बार बात करना चाहतें हैं।
नैना ने कहा मेरा कोई भी नहीं है मैं किसी से बात नहीं करना चाहती हुं।
गुरु जी ने कहा ये नाकारात्मक विचार आना उचित नहीं है तीन महीने में ये नहीं सिखा।
नैना ने कहा हां सिखा है पर अगर मैं बात नहीं करना चाहती हुं।
गुरु जी ने कहा नहीं तुम्हें बात करके ये बताना होगा।
नैना ने कहा कि ठीक है।
फिर नैना आश्रम के कार्यालय में जाकर बैठ गई कुछ देर बाद ही नैना का फोन आया।
विक्की को वनवास मंज़ूर था पर किसी वजह से वो वापस आना पड़ा क्योंकि उसकी और भी बहुत जिम्मेदारी निभानी थी जिसे वो नकार नहीं सकता था।
थक हार कर उसने फोन किया नैना को।।
विक्की ने कहा हेलो नैना कैसी हो?
नैना ने कहा हां ठीक हुं।
विक्की ने कहा तीन महीने हो गए।
नैना ने कहा हां पर मुझे यहां अच्छा लग रहा है।
विक्की ने कहा तुम्हें लेने आ रहा हूं
नैना ने कहा कभी नहीं, तुम अगर आए तो मैं ऐसी जगह चली जाऊंगी जहां से कभी कोई वापस नहीं आता।
विक्की ने कहा नहीं नहीं ऐसा नहीं करना मैं नहीं आऊंगा।
नैना ने कहा आगे फोन नहीं करना।
कह कर फ़ोन रख दिया और चली गई।
फिर विक्की का फोन आया और फिर वो आदमी ने कहा अरे वो तो चली गई।
विक्की ने कहा अरे चली गई वो।
विक्की बहुत ही मायुस सा हो गया वो ये मानने को तैयार नहीं था कि नैना ये सब बोल रही थी इतना परिवर्तन कैसे हुआ?
ये सब दादी मां की वजह से हुआ वो ऐसा कैसे कर सकती हैं।
विक्की ने दादी मां के पास जाकर सब कुछ बताया और कहा कि दादी मां ये क्या कर दिया आपने ऐसा क्यों किया जिस वजह से नैना नाराज़ हो कर ये फैसला किया।
ये कैसा वनवास है कब खत्म होगा।
विक्की एक दम टूट गया था।। और फिर अपने कमरे में जाकर सब तोड़ फोड़ करने लगे और फिर अनिक आ गया और फिर बोला कि अरे बाबा ये सब क्या कर रहा है चल हम बाहर चलते हैं।
विक्की ने कहा मुझे अकेला छोड़ दो। नैना का वनवास खत्म हो गया है पर वो वहां से आना नहीं चाहती है मैं क्या करूं।
अनिक ने कहा अरे बाबा देखो सब ठीक हो जाएगा दादी मां की तबीयत ठीक नहीं है उन्हें तकलीफ मत दो ।
विक्की ने कहा हां ठीक है पर नैना का पढ़ाई-लिखाई सब कुछ खत्म हो जाएगा।तीन महीने में अब वो सब कुछ भुला दिया होगा।
आश्रम में इस समय पौधों को पानी दे रही थी नैना।
फिर नैना ध्यान लगाने बैठ गई।
फिर नैना और बाकी सब महिलाएं बैठ गई और फिर नैना ने गाना गाना शुरू किया।
जो राह चुनते हैं, राहे पे राही चलते हैं रे जलते रहें रे पेड़ का साया के काम न सेवा में सभी की जनम हर कोई भी रे रे पे राहे चलते हैं रे आपकी कहानी ये दपर्ण बोल रहा है भीगी आंख का पानी, हकीक खुले है ढलते रंग रे रे रे पे राहे चलते हैं रे
आपकी कहानी ये दपर्ण बोल रहा है भीगी आंख का पानी, हकीक खुले है ढलते रंग रे रे रे पे राहे चलते हैं रे जीवन के बाद भी ऐसे ही मोड हैं हमेशा चलने के लिए कहीं ज छूट न न न न न सम सम सम s रे रे पे राहे चलते हैं रे
तेरे जनता के साथी जो पसंद भी हों दे झूठ बोलो खुद को छलते जाओ रे रे रे पे राहे चलते हैं रे
गाना खत्म हो गया और नैना के आंखों में एक भी आंसु नहीं था उसने क्या अपने आप को ये जीवन के लिए तैयार कर लिया था क्या पता नहीं जिंदगी में और क्या क्या रंग देखने को मिलेगा और फिर नैना ने शायद समझौता कर लिया था अपने गमों से उसने सीख लिया था।
समझौता गमों से कर लो, समझौता गमों से कर लो।दूर कहीं से ये गाने की धुन आने लगी थी और फिर नैना अपने कमरे में जाकर चटाई बिछाकर लेट गई।
कभी कभी कोई ऐसा गीत कब अपनी जिंदगी की धड़कन बन जाती है पता नहीं चल पाता।।
जिंदगी में गम ही मिलते हैं ओ ओ ओ।
समझौता ग़मों से कर लो ज़िन्दगी में गम भी मिलते हैं पतझड़ आते ही रहते हैं के मधुबन फिर भी खिलते हैं रात कटेगी, होंगे उजाले फिर मत गिरना, ओ गिरनेवाले इन्सां वो खुद संभले औरों को भी संभाले भूल सभी से होती आई कौन है जिसने ना ठोकर खाई भूलों से सीखे जो मंज़िल उस ने रात कटेगी, होंगे उजाले फिर मत गिरना, ओ गिरनेवाले इन्सां वो खुद संभले औरों को भी संभाले भूल सभी से होती आई कौन है जिसने ना ठोकर खाई भूलों से सीखे जो मंज़िल उस ने पाई।
गाना खत्म हो गया पर नैना की अतीत और वर्तमान में दो राह पर ही रह गई थी। नैना तुम ऐसे हार नहीं मान सकती हो जिंदगी में अकेले ही कैसे जी पाऊंगी।
विक्की क्या चाहता है जब कहेगा जाने को और जब कहेगा आने को ।
क्या मेरा कोई अस्तित्व नहीं क्या कोई आत्म सम्मान नहीं।
एक नारी के लिए वनवास क्यों? अग्नि परीक्षा के लिए नारी ही घर से जाएं?
मैं अगर चाहती तो दादी मां का कहना न मान कर होस्टल जा सकती थी पर मैने दादी मां को सम्मान किया पर उन्होंने ऐसा क्यों किया?
नैना हंसने लगी यहां गुरु जी कहते हैं कि दूसरों के लिए जीना होगा बस,
फिर धीरे धीरे कब आंख लग गई।
आज नैना अपने समय से उठ गई और फिर स्नान करने के बाद कपड़े सुखाने डाल दिया और फिर एक, एक बेल पत्र लेकर पुजा घर पहुंच गई और फिर वहां जाकर सारे बेल पत्र को धोने के बाद सुखा दिया और फिर एक सौ आठ पत्र में ओम शांति लिखना शुरू किया वो भी कलम और दवात से।
आश्चर्य की बात है जो नैना इतनी फ़ैशन करने वाली आज वो जिंदगी के उस अहम पल को जी रही है शायद ये ही विधिः का लिखा है।
नैना ओ नैना सब हो गया।
नैना ने कहा हां बस कुछ बाकी है बानो।
आज नैना ने वो कर दिखाया जो शायद कोई आम लड़की परदेस में आकर नहीं कर पाती थी।
और फिर उसका ये कलयुग में वनवास ही तो है पर नैना क्यों यहां से जाना नहीं चाहतीं हैं।
क्या विक्की और नैना कभी नहीं मिल पाएंगे?
नैना अग्नि परीक्षा देने के बाद भी कभी उस खानदान की बहू नहीं बन सकती है।
क्या कुछ सहा है नैना ने शायद इसलिए वो उस जिंदगी में वापस नहीं जाना चाहती है।
विक्की अगर चाहता तो सब कुछ रोक सकता था पर आज विक्की की हालत भी देखी नहीं जाती न खाने का होश,ना सोने का ठिकाना।।
बस जो है उसे भी पुरा कर नहीं पाया और इस वजह से दादी मां की हालत भी कुछ ठीक नहीं थी।उनको शायद अब इस बात का अफसोस हो रहा है कि नैना को अग्नि परीक्षा के लिए भेजना बहुत पाप हो गया। नैना ने वादा किया था कि वो मेरे जाने के बाद विक्की को कभी अकेला नहीं छोड़ेगी।पर ये क्या हो गया नैना तो अब वहां से आना नहीं चाहती है।
दादी मां की तबीयत बिगड़ी गई थी उन्हें अनिक ने जल्दी से अस्पताल में भर्ती कराया।
दादी मां अभी आई सी यु में थी।
तो क्या दादी मां ये सदमा बर्दाश्त
नहीं कर पाएंगी?
नैना का फैसला क्या होगा?
आखिर विक्की क्यों नहीं पहुंच पाया अस्पताल में।।
क्रमशः