Beyond Words : A Love Born in Silence - 9 in Hindi Thriller by Dev Srivastava books and stories PDF | बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 9

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 9


रात के करीब दस बज कर पंद्रह मिनट पर,

सिद्धांत की बाइक एक गैरेज के सामने आकर रुकी । बाइक की आवाज सुन कर एक आदमी (अमन, उस गैरेज का मालिक) बाहर आया । उसकी उम्र कोई पैंतालिस - छियालिस साल रही होगी ।

उसने सिद्धांत को देख कर कहा, " तुम्हें आने की क्या जरूरत थी सिड, वो चला आता । "

सिद्धांत ने उन्हें टौंट मारते हुए कहा, " हां, हां, आपका बस चले तो इसे अभी ही बॉर्डर पर भी भेज देंगे । "

फिर उसने छोटू की ओर देख कर कहा, " और तू, अंदर जा । "

उसकी आवाज सुन कर छोटू से कुछ बोलते ही नहीं बना और वो चुपचाप अंदर चला गया ।

उसके जाते ही सिद्धांत ने अमन की ओर देख कर कहा, " और आप मामा, इतनी रात को इसे बाहर भेज दिया वो भी बाइक लेकर, आप जानते हैं न, अंडर एज है वो । "

अमन ने मुंह बना कर कहा, " आगे से नहीं भेजूंगा, ठीक है ! "

सिद्धांत ने कहा, " हम्म ? " तो अमन ने कहा, " अब तू भी जा । "

सिद्धांत ने कहा, " हां, हां, जा रहे हैं । "

बोल कर उसने अपनी बाइक स्टार्ट कर ली तो अमन अंदर की ओर जाने लगा । तभी अचानक से उसने अपने कदम रोक लिये ।

उसने वापस सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " सिड, चले तो जाओगे न ! "

सिद्धांत ने अपने बाइक पर हाथ फिरा कर कहा, " हां मामा, जब तक हमारा चेतक हमारे साथ है, हमें क्या प्रॉब्लम हो सकती है भला ! "

अमन ने कहा, " ठीक है, घर पहुंच कर एक बार इनफॉर्म कर देना । "

सिद्धांत ने जान बूझ कर कहा, " ओ के, मम्मी ! "

अमन ने नासमझी से कहा, " मम्मी ! "

तो सिद्धांत ने हंसते हुए कहा, " हां, जो काम वो करती हैं, वो आप कर रहे हैं, तो आपको भी मम्मी ही बोलेंगे न ! "

अमन ने चिढ़ कर कहा, " तुझे मारी खानी है, मुझसे ! "

सिद्धांत ने मुंह बना कर कहा, " क्या है यार, हम जिससे भी बात करते हैं, उसे हमें मारना ही होता है ! "

अमन ने हल्के से हंस कर कहा, " चल, चल, मजाक बहुत हो गया । अब जल्दी से घर जा । "

सिद्धांत ने अपना पर्स निकालते हुए कहा, " पैसे तो ले लीजिए । "

अमन ने थोड़ी कड़क आवाज में कहा, " अब अपने मामा को पैसे देगा तू ! "

सिद्धांत ने गंभीर होकर कहा, " देखिए मामा, रिश्ते अपनी जगह और काम अपनी जगह । "

अमन ने अपने हाथ बांध कर कहा, " फिर तो मुझे तुझे पैसे देने चाहिए... "

फिर उसने अंदर की ओर इशारा करके कहा, " इसे पढ़ाने के लिए । "

सिद्धांत ने कहा, " अब आप हमें शर्मिंदा कर रहे हैं । "

अमन ने कहा, " ऐसा कुछ नहीं है, बस तू अपने पैसे अपने पास रख । "

सिद्धांत ने अपना पर्स अंदर रख कर कहा, " अच्छा, तो हम चलते हैं । "

अमन ने कहा, " संभल कर जाना । "

सिद्धांत ने कहा, " ओ के, मामा । " और अपनी बाइक की स्पीड बढ़ा ली ।

कुछ देर बाद,

सिद्धांत ने अपनी बाइक एक घर के सामने लाकर खड़ी कर दी । ये घर सूर्यकुंड में था ( यहां कुंड की नहीं, उस पूरे एरिया की बात हो रही है ) ।

घर के सामने एक लोहे का गेट था । गेट के अंदर दो कार पार्क करने जितनी जगह थी जहां फिलहाल एक बाइक और एक साइकिल खड़ी थी ।

एक तरफ लाइन से गमले रखे हुए थे जिनमें अलग अलग प्रजाति के बहुत सारे फूल थे । उसके बाद अंदर जाने के लिए कुछ सीढ़ियां थीं और फिर दरवाजा । दरवाजे के बगल में ही एक बेसिन लगा हुआ था ।

दरवाजा खुलते ही एक हॉल था । हॉल के एक तरफ किचन था । हॉल के दूसरे तरफ एक गैलरी थी जहां दो कमरे थे और अंत में एक बाथरूम था ।

सिद्धांत ने अंदर आकर अपनी बाइक पार्क की और गेट को लॉक करके अंदर की ओर बढ़ गया । उसने बाहर ही हाथ पैर धुले और अंदर, हॉल में चला गया जहां एक लड़का, एक लड़की और एक महिला बैठे हुए थे ।

लड़की की उम्र छब्बीस - सत्ताइस साल रही होगी । उसने इस वक्त एक नीले रंग की थर्मल के साथ काले रंग का पजामा पहना हुआ था । ये सिद्धांत की बड़ी बहन हैं । इनका नाम है, वरलक्ष्मी माथुर लेकिन सभी लोग इन्हें लक्ष्मी नाम से ही जानते हैं ।

लड़के की उम्र बाइस - तेईस साल रही होगी । उसने काले रंग के थर्मल के साथ काले रंग का लोअर पहना हुआ था । उसकी आंखों में पॉवर वाला चश्मा लगा हुआ था । ये सिद्धांत के बड़े भाई हैं लेकिन ये लक्ष्मी से छोटे हैं । इनका नाम है, शांतनु माथुर

ये दोनों भाई बहन प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं और फिलहाल बी एड कर रहे हैं । ये अपना खुद का कोचिंग सेंटर भी चलाते हैं और होम ट्यूशंस भी देते हैं । ये दोनों भी नौ बज कर तीस मिनट पर घर आए थे और फिलहाल एग्जाम पेपर्स बनाने में बिजी थें ।

महिला की उम्र अड़तालिस - उनचास साल रही होगी । उन्होंने एक साड़ी पहनी हुई थी । उनकी भी आंखों पर चश्मा लगा हुआ था । ये हैं इन सबकी मां, विशाखा माथुर । ये एक हाउस वाइफ हैं । सारे बच्चे दिन भर बाहर रहते हैं और घर का सब कुछ ये ही देखती हैं ।

उन्होंने सिद्धांत को अंदर आते हुए देखा तो उठते हुए कहा, " आओ सिड, बैठो । "

सिद्धांत ने कहा, " हम्म ! " और सबके पास जाकर बैठ गया । "

उसने भी अपना फोन निकाला और उसमें कुछ काम करने लगा । कुछ देर में मिसेज माथुर ने खाने की प्लेट्स लाकर कहा, " काम बाद में करना, पहले चलो खाना खा लो । "

सिद्धांत ने अपनी प्लेट लेते हुए कहा, " थैंक यू, माता श्री ! "

फिर मिसेज माथुर ने न्यूज चला दिया और सभी खाने बैठ गए । सभी न्यूज देखते हुए खाना खा रहे थें तभी एक न्यूज ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया ।

रिपोर्टर ने कहा, " जहां आए दिन शहर में लूटपाट और क्राइम्स की खबरें आ रही थीं वहीं अब एक नाम सबके सामने उभर कर सामने आ रहा है जिसकी वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में क्राइम रेट बहुत ज्यादा काम हो चुका है और वो नाम है डॉक्टर एस । "

जहां बाकी सबकी नजरें टी वी की ओर थीं वहीं सिद्धांत आराम से अपने खाने में मग्न था लेकिन जैसे ही उसने ये नाम सुना उसके हाथ खाना खाते हुए रुक गए और वो ध्यान से उस न्यूज को सुनने लगा ।

वही टी वी में रिपोर्टर ने आगे कहा, " जी हां, डॉक्टर एस ! एक ऐसा चेहरा जिसे किसी ने नहीं देखा लेकिन नाम सबने सुना हुआ है ।

ये वो नाम है जिससे अच्छे अच्छे क्रिमिनल्स तक कांपते हैं और इसी बीच उसका नाम फिर से चर्चा में आ रहा है क्योंकि इस बार उसने एक लड़की के रेपिस्ट की वो हालत की है कि किसी की भी रूह कांप जाए ।

और अब कोई भी आदमी ऐसी घिनौनी हरकत करने से पहले सौ बार सोचेगा क्योंकि डॉक्टर एस ने इस लाश के पास ऐसे लोगों के लिए एक मैसेज भी छोड़ रखा है जिसका एक ही मतलब है कि अब ऐसे क्रिमिनल्स की खैर नहीं । "

न्यूज देखते हुए ही मिसेज माथुर ने कहा, " ये बंदा सही काम कर रहा है । इस समाज को ऐसे ही लोगों की जरूरत है । " इस वक्त उनकी आंखों में अलग ही चमक थी ।

उनके शब्द सुन कर सिद्धांत के मुंह से निकला, " हां ! "

तो मिसेज माथुर ने कहा, " और नहीं तो क्या ! ऐसी हरकत करने वालों को तो बीच चौराहे पर गोली मार देनी चाहिए । "

सिद्धांत ने उनकी ओर देख कर अपनी भौंहें उठा कर कहा, " मतलब आप क्राइम को सपोर्ट कर रही हैं । "

मिसेज माथुर ने उसकी ओर देख कर कहा, " नहीं, हम क्राइम को नहीं बल्कि क्रिमिनल्स को सजा देने वाले को सपोर्ट कर रहे हैं । "

ये सुन कर सिद्धांत की आंखें मुस्करा दी लेकिन उसने बात बदलने के लिए शांतनु की ओर देख कर कहा, " वैसे भैया, सेंटर का क्या हाल है ? "

शांतनु ने निवाला तोड़ते हुए कहा, " इट्स गुड, बस तुम भी जल्दी ही वापस आ जाओ । "

सिद्धांत ने अपने खाने पर ध्यान देते हुए कहा, " वो शायद ना हो पाए । "

ये सुन कर सबने एक साथ उसकी ओर देख कर कहा, " क्यों ? "

सिद्धांत ने थोड़ा संकोच करते हुए कहा, " वो, हम... मार्शल आर्ट्स क्लासेज ज्वाइन करने जा रहे हैं । "

लक्ष्मी ने मुंह बना कर कहा, " अब वो भी सीखना है तुम्हें ! "

सिद्धांत ने उसकी ओर देख कर कहा, " सीखना है ! "

फिर उसने हंस कर कहा, " सीखना नहीं, सिखाना है । "

शांतनु ने सिद्धांत को ऊपर से नीचे तक देख कर कहा, " तुम्हें मार्शल आर्ट्स आते भी हैं ! "

सिद्धांत ने उसकी ओर देख कर कहा, " अगर आता नहीं, तो हमें ये ऑफर मिलता ही क्यों ! "

लक्ष्मी ने अपनी कमर पर हाथ रख कर कहा, " तुमने मार्शल आर्ट्स कब सिख लिया ? "

सिद्धांत ने उसकी ओर देख कर कहा, " जब आप लोगों को पता नहीं चला, तब ! "

लक्ष्मी ने चिढ़ कर कहा, " साफ - साफ बताओगे ! "

सिद्धांत ने उसकी ओर घूम कर कहा, " दीदी प्लीज, जैसे आप सबको पता चले बिना जिम ज्वाइन कर लिये थें, वैसे ही मार्शल आर्ट्स भी सीख लिये । "

मिसेज माथुर ने उनकी बातों को नजरंदाज करके कहा, " तो कब से हैं क्लासेज ? "

सिद्धांत ने अपने खाने पर ध्यान लगाते हुए कहा, " सुबह में ! "

शांतनु ने उसकी ओर देख कर कहा, " तो क्या दिक्कत है, शाम को आ जाओ । "

सिद्धांत ने कुछ सोच कर कहा, " ठीक है, आ जाएंगे । "

फिर उसने मिसेज माथुर की ओर देख कर कहा, " अच्छा माता श्री, हमारा हो गया, हम सोने जा रहे हैं । "

ये सुन कर लक्ष्मी ने कहा, " इसका अच्छा है ! बाहर से आते ही खाना खाओ और सोने चले जाओ । "

सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " दीदी, चाहती क्या हैं आप ! "

मिसेज माथुर ने बात संभालते हुए सिद्धांत से कहा, " कुछ नहीं, तुम जाओ, सो जाओ । "

उनकी बात मान कर सिद्धांत ने आगे कुछ नहीं कहा । उसने चुपचाप जाकर हाथ धुला और रूम में चला गया ।

उसके जाने के बाद मिसेज माथुर ने लक्ष्मी को डांटते हुए कहा, " भोलू, क्यों परेशान करती हो उसे ? "

लक्ष्मी ने कहा, " हम तो बस ये सोचते हैं कि उसके होठों पर थोड़ी मुस्कान आ जाए । "


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सिद्धांत को मार्शल आर्ट्स कैसे आते थे ?

क्या है उसका असली चेहरा ?

डॉक्टर एस की न्यूज सुन कर सिद्धांत का रिएक्शन ऐसा क्यों था ?

इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,

बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस

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लेखक : देव श्रीवास्तव