अब तक :
आंखें बंद करने पर अंजली का चेहरा बार बार शिवाक्ष की आंखों के सामने घूमता रहा । मिट्टी लगे चेहरे से अंजली का उसे घूरना शिवाक्ष की आंखों में जैसे बस सा गया था ।
कुछ तो बात थी उसमे जो शिवाक्ष को खयालों में पल पल उसका दीदार होने लगा था । |
अब आगे :
अगली सुबह :
अंजली कॉलेज के लिए निकलने लगी तो मकान मालकिन अपने pet dog को नीचे सड़क पर घुमा रही थी ।
Dog ने अंजली को देखा तो भौंकने लगा । अंजली उसके भौंकने से डरकर पीछे हो गई ।
मकान मालकिन ने उसे पकड़ते हुए कहा " no jerry.. " ।
ये सुनते ही उसने भौंकना बंद कर दिया । मकान मालकिन ने अंजली को देखा तो उसने उन्हें गुड मॉर्निंग आंटी कहकर विश कर दिया ।
मकान मालकिन ने उसे उपर से नीचे तक देखा और फिर सिर हिला दिया ।
अंजली निकल गई । वो कॉलेज पहुंची तो देखा की बुली गैंग आज भी में गेट से अंदर ही बैठी हुई थी । " ये लोग रोज-रोज यहां आकर क्यों बैठ जाते हैं ? इन्हें यहां बैठकर बच्चों को परेशान करने के सिवाय और कोई काम नहीं होता होगा क्या... ?? । लेकिन अब चाहे जो भी हो इनसे डरने का कोई मतलब नहीं है। और मैं इनसे बिल्कुल भी नहीं डरूंगी" सोचते हुए अंजलि अंदर की ओर चल दी ।
राजीव ने उसे अंदर आते हुए देखा तो बोला " अरे आ गईं आप.. झांसी की रानी जी.. । आपका ही इंतजार था हम लोगों को... " ।
" बेशक कीजिए... आपके पास इंतजार करने के लिए बोहोत वक्त होता होगा.. । लेकिन मेरा समय बर्बाद मत कीजिए क्योंकि मुझे बोहोत काम है... । " बोलकर अंजली अंदर जाने लगी तो राजीव उसके आगे गेट पर हाथ टिकाए खड़ा होते हुए सवालिया लहजे में बोला " तुम्हारा मतलब है कि हम लोगों को कोई काम नही होता... और हमारे पास बोहोत वक्त होता है... ?? " ।
अंजली ने उसे घूरा और बोली " जहां तक मैंने आप लोगों को देखा है तो आप बस दूसरों को परेशान करते हुए ही दिखाई दिए हैं.. । समय की कोई कद्र नहीं दिखी मुझे आपमें... " ।
श्वेता उसे झटके से अपनी ओर घुमाते हुए बोली " तुम होती कौन हो हमे समय की कद्र सिखाने वाली.. । तुम जैसों को तो हम देखें भी ना.. और तुम आई ही हमे ज्ञान बांटने.. । ब्लडी मिडल क्लास... " बोलकर श्वेता ने उसे दूर धक्का दे दिया ।
अंजली पीछे की ओर लड़खड़ाई तो अक्षत ने उसकी ओर आकर उसकी पीठ पर हाथ लगाकर उसे गिरने से बचा लिया । अंजलि ने खुद को संभाला और अक्षत को देखा । अक्षत वहां से हटकर उससे दूर चला गया ।
" क्या ये सिर्फ मुझे बचाने के लिए आगे बढ़े थे " सोचते हुए अंजलि अक्षत को ही देखे जा रही थी ।
राजीव ने उसके पास आकर उसकी आंखों के आगे चुटकी बजाते हुए कहा " उसे मत घूरो.. तुम्हारी पहुंच से बोहोत दूर है.. । और वो सबके लिए मदद करने आता है.. । पर उससे ज्यादा उम्मीद मत लगाओ.. । क्योंकि वो बाकियों से पहले हमारी सुनता है.... " बोलते हुए राजीव की नज़र अंजली के हाथ पर गई ।
अंजली उसकी बात सुनकर उसे घूरे जा रही थी ।
" आपने समझ क्या रखा है मुझे.. । हटिए मेरे रास्ते से.. " बोलते हुए अंजलि वहां से जाने लगी तो राजीव ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी कलाई से घड़ी उतार ली ।
अंजली उसके ऐसा करने से हैरान सी होकर उसे घूरने लगी । " ये क्या कर रहे हैं आप ? मेरी घड़ी दीजिए... " बोलते हुए अंजलि अपनी घड़ी वापस लेने की कोशिश करने लगी ।
राजीव ने घड़ी को अपने हाथ में पकड़कर पीठ के पीछे कर लिया और बोला " तुम ही बोल रही थी ना कि हमें समय की कदर नहीं है । तो अब से हम लोग भी समय की बहुत कद्र करेंगे । " बोलते हुए राजीव अपने दोस्तों की तरफ घुमा और आगे बोला " तो भाई आज से इसी घड़ी में समय देखकर उसकी कद्र की जाएगी... । समझे सब लोग.. ?? " । पूछते हुए राजीव ने सबके चेहरों को देखा ।
सबने सिर हिला दिए ।
" सब समझ गए.. " बोलते हुए राजीव ने वापस से अंजलि को देखा ।
अंजलि की निगाहें घड़ी को पकड़े हुए राजीव के हाथ पर ही टिकी हुई थी । उसका चेहरा बेचारा सा बन गया था ।
राजीव घड़ी को अपनी कलाई पर पहनने लगा ।
" यह लेडिस वॉच है " बोलते हुए अंजलि ने घड़ी लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो राजीव ने अपना हाथ पीछे खींच लिया और आंखें छोटी करते हुए अंजलि को देखते हुए बोला " so what... । मैं तो पहना ही लेडिस वॉच हूं । अरे सब लोग मुझे इसी नाम से तो जानते हैं.. । The ladies watcher.... " । बोलते हुए राजीव ने अंजलि को देखकर आंख मार दी ।
अक्षत को राजीव की बात पर हंसी आ गई तो वह अपना मुंह छुपा कर हंसने लगा । माही भी राजीव की हरकत देखकर हंस दी ।
राजीव घड़ी को हाथ में पकड़ कर देखने लगा और बोला " हाए कितनी प्यारी घड़ी है... । जी करता है अभी के अभी तोड़ दूं... " बोलते हुए राजीव घड़ी को नीचे फेंकने लगा ।
" नहीं नहीं नहीं नहीं ऐसा मत कीजिए प्लीज... " बोलते हुए अंजलि ने घड़ी को पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिए । " ये घड़ी मेरी मां की है और उन्होंने यहां आने से पहले बहुत प्यार से मुझे दी थी । इसे तोड़िए मत प्लीज... " बोलते हुए अंजलि की आवाज में नमी आ गई ।
राजीव उसे देखकर तिरछा मुस्कुराया और फिर हंसते हुए बोला " अच्छा.. ऐसा क्या.. । मां की दी हुई घड़ी है.. " बोलते हुए उसकी आंखों में एक अजीब सा खालीपन उभर आया ।
राजीव ध्यान से उसे घड़ी को देखने लगा और फिर बोला " ठीक है नहीं तोड़ता पर रहेगी ये मेरे पास ही... " बोलकर राजीव ने घड़ी को अपनी जेब में डाल लिया ।
अंजलि रोनी सूरत बनाकर उसकी जेब की तरफ देखने लगी ।
श्वेता राजीव के पास आई और बोली " अरे जेब में क्यों डाल रहा है ?? तोड़ दे ना राजीव.. ताकि अक्ल ठिकाने आए इसकी... " बोलकर श्वेता अंजलि को अजीब सी नजरों से घूरने लगी ।
अंजली pleading नजरों से राजीव को देखते हुए बोली " नही प्लीज.. घड़ी को कुछ मत कीजिए... " ।
" चुप रहो तुम.. बोहोत सुन ली तुम्हारी बकवास... " बोलते हुए श्वेता ने अंजलि को उंगली दिखाई और राजीव को देखते हुए बोली " राजीव कल का धक्का भूल गया है क्या.. ?? इसके ऊपर रहम करके कोई फायदा नहीं है । मेरी मान तोड़ दे घड़ी... " बोलते हुए श्वेता ने राजीव के कंधे पर हाथ रख दिया ।
राजीव ने एक गहरी सांस ली फिर वहां वहां से जाते हुए बोला " मुझे प्यास लगी है.. मैं पानी पीकर आया.. " । बोलकर राजीव वहां से निकल गया ।
अंजलि ने उसे रोकना चाहा तो श्वेता उसके आगे आकर खड़ी हो गई । अंजलि जाते हुए राजीव को देखते रही ।
श्वेता ने अपने कंधे से अंजलि के कंधे पर मारा और फिर वहां से निकल गई ।
अंजली मायूस सी वहीं खड़ी रह गई । कॉलेज के शुरू होने की bell बजी तो अंजली उदास सी अपनी क्लास की ओर चली गई ।
म्यूजिक रूम :
अक्षत बैठा किताब पढ़ रहा था । तभी राजीव बोला " आज शिवाक्ष कहां रह गया । अभी तक क्यों नहीं आया है.. ?? " बोलते हुए उसने अक्षत की तरफ देखा ।
अक्षत ने उसे देखा और बोला " पता नहीं मुझे नहीं बताया ।। इस बारे में हमारी कोई बात नहीं हुई । "
राजीव ने उसे घूरा और बोला " तुझे नहीं बताया ऐसा तो हो ही नहीं सकता । तुझे जरुर पता होगा " ।
" मुझे तुमसे झूठ बोलके क्या मिलेगा.. । मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता । " बोलते हुए अक्षत ने एक और बार अपनी बात रखी ।
" wait मैं फोन करके पूछता हूं कि वो आज कहां रह गया... " बोलते हुए श्वेता ने अपना फोन निकाला और शिवाक्ष को कॉल लगाने लगी ।
उसी वक्त शिवाक्ष म्यूजिक रूम के अंदर आ गया ।
" लो आ गया शिव... " बोलते हुए माही ने दरवाजे की ओर देखा ।
शिवाक्ष अपना guitar लिए अंदर ही आ रहा था ।
श्वेता ने उसे देखा तो जल्दी से उसके पास जाकर पूछने लगी " शिवाक्ष कहां थे अब तक ? हम लोग कब से इंतजार कर रहे हैं.. " ।
" किसलिए... ?? " बोलते हुए शिवाक्ष ने एक झलक श्वेता को देखा ।
श्वेता ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा " किसलिए क्या मतलब शिवाक्ष... । तुम आए नही थे तो इसलिए... हम परेशान थे " ।
" इसमें परेशान होने की क्या बात है.. । मैं अपने वक्त से आ जाता हूं.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने अपना हाथ छुड़ाया और बेंच पर बैठ गया । श्वेता उसके बगल में आकर बैठ गई । और उसके करीब खिसक गई ।
शिवाक्ष ने गिटार निकाला और बजाने लगा । श्वेता खोए हुए उसे देखने लगी ।
वहीं पूरी क्लास में अंजली का ध्यान नही था । वो कमरे में बैठी तो थी लेकिन उसका दिमाग घड़ी के पीछे ही भागे जा रहा था ।
क्लास के बाद आकाश और खुशी ने उसके अगल बगल बैठ गए । खुशी ने उसके कंधे पर बाजू टिकाते हुए कहा " क्या हुआ अंजली? कहां खोई हुई हो.. ?? क्लास में भी गुमसुम सी बैठी हुई थी... । " ।
अंजली ने मायूसी से कहा " वो... उन bully करने वाले लोगों में मेरी घड़ी ले ली.. । जो मेरी मां ने मुझे दी थी.. । वो उस घड़ी को तोड़ने की बात भी कर रहे थे । पता नही उसका क्या केरेंगे... । मुझे वो घड़ी बोहोत प्यारी है । अगर उन्होंने तोड़ दी.. तो मेरी बोहोत कीमती चीज मैं खो दूंगी... " ।
आकाश ने सुना तो गुस्से से बोला " ये लोग भी न.. । बोहोत बुरे हैं.. हर वक्त बस हमें परेशान करने का सोचते रहते हैं.. । मन तो करता है सबको अच्छे से देख लूं.. । पर इनसे पंगा कौन ही लेना चाहेगा.. " बोलते हुए आकाश का चेहरा उतर गया ।
खुशी ने अंजली का हाथ पकड़ा और उसे उठाते हुए बोली " अंजली.. तुम चलो और मुझे बताओ.. मैं देखती हूं कि कौन है... । ऐसा मजा चखाऊंगी कि दुबारा किसी को परेशान नहीं कर पाएंगे.. । " ।
अंजली ने निराशा से उसे देखा और बोली " तुम अकेले क्या कर लोगी खुशी... । वो 6 लोग हैं.. । अगर तुम उनसे उलझी तो वो तुम्हे भी परेशान करने लगेंगे.. । और मेरे चक्कर में तुम भी बेवजह ही लपेटे में आ जाओगी... " ।
" ऐसा कुछ नहीं होगा... । मैं अकेले थोड़ी जाऊंगी.. अपने भाई को साथ लेकर जाऊंगी... । मेरे भाई भी यहां फाइनल ईयर में पढ़ते हैं.. उनकी भी कॉलेज में बोहोत चलती है... । मैं उनसे कहूंगी... । और फिर देखना वो उन लोगों को कैसे मजा चखाते हैं.. । सब के सब इधर उधर भागते नजर आएंगे... " । बोलते हुए खुशी की आंखों में चमक थी ।
अंजली और आकाश एक दूसरे की तरफ देखने लगे ।