Bepanaah Mohabbat - 4 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बेपनाह मोहब्बत - 4

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बेपनाह मोहब्बत - 4

अब तक :

आज तो मैने संभाल ही लिया लेकिन कल क्या करूंगी.. । 6 लोगों का ग्रुप जब एक साथ परेशान करेगा तो एक अकेला इंसान क्या ही कर लेगा भला.. ?? " बोलते हुए उसके चेहरे पर फिक्र से लकीरें आ गई ।

" जय भोलेनाथ.. संभाल लेना... मुझे भी और उन लोगों को भी.. " बोलकर उसने हाथ जोड़े और कंबल ओढ़कर सो गई ।

अब आगे ;

अगली सुबह :

अंजली अलार्म बजने से पहले ही उठ गई थी और कमरे से लगी बालकनी में आकर टहल रही थी । हाथ में चाय का ग्लास पकड़े वो दूर आसमान में देख रही थी ।

पिछली दो रातों से उसे अच्छे से नींद भी नही आ रही थी । रात भर वो बस करवटें ही बदल रही थी । न जाने क्या बात थीं जो उसकी नींद उड़ाए हुए थी ।

माथे पर फिक्र की लकीरें लिए उसने चाय की एक सिप ली ।

सुबह हो चुकी थी और गर्मियों का मौसम था तो जल्दी ही चारों तरफ उजाला हो गया था ।

" घर से दूर पढ़ने तो आ गई लेकिन अकेले रहना कोई आसान बात नहीं है... । दो दिन से ठीक से नींद भी नहीं आ रही है... । क्या मैं यहां अकेले रह भी पाऊंगी... ? " बोलते हुए अंजली को घर की याद हो आई ।

उदास चेहरे से उसने फोन की तरफ देखा फिर अपनी मां और बाबा को गुड मॉर्निंग का msg भेज दिया ।

फोन की गैलरी निकालकर उसने अपने मां बाबा की तस्वीर को देखा और फिर एक गहरी सांस लेकर उनके अपने पास होने के एहसास हो महसूस करने लगी ।

अंजली का msg deliver हुआ ही था कि उसका फोन बज उठा । अंजली ने फोन को देखा फिर उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई ।

उसने जल्दी से फोन उठा लिया ।

" हेलो मां... " अंजली ने चहकते हुए कहा ।

" कैसी है मेरी गुड़िया... ?? " सामने से अंजली की मां पूनम जी की आवाज आई ।

अंजली " मैं अच्छी हूं मां.. आप बताइए.. " ।

पूनम जी " मेरा क्या होगा ठीक ही तो हूं... । पर तेरे जाते ही दो दिन में तेरी याद आने लगी है । पर मेरी छोड़ तू ये बता कि आज नींद आई या नही.. " ।

अंजली " थोड़ी देर की नींद आई मां.. फिर मैं जाग गई... " ।

पूनम जी " देखा... मैने तो पहले ही कहा था कि बाहर जाकर अकेले रहना आसान नहीं होता... । तुम्हारी zid थी कि बाहर जाकर पढ़ना है और तुम्हारे बाबा का सपोर्ट था कि तुम्हे भेज भी दिया । अब देखो सो भी नही पा रही हो वहां... " ।

अंजली ने उन्हें फिक्र करते सुना तो बोली " मां... आप क्यों इतनी फिक्र कर रही हैं.. । अभी कुछ दिन शायद ऐसा हो लेकिन उसके बाद सब सही हो ही जाएगा... । " ।

पूनम जी " ऐसे कैसे सही होगा.. । मैं जानती हूं ना तुझे.. । और अकेले रहने में खतरा भी बोहोत है.. । कितनी सारी दिक्कतें हो जाती हैं.. अकेले कैसे संभालोगी गुड़िया.. । " । अंजली कुछ बोलने लगी कि इतने में उसके बाबा नरेंद्र जी ने पूनम जी से फोन लेते हुए कहा " तुम्हारी मां की बातों पर ज्यादा मत सोचना अंजली.... । इनकी फिक्र की बीमारी कभी खत्म नहीं होने वाली.. । तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो बेटा... । इतनी दूर जाकर पढ़ने का हौंसला रखना सबके बस का नही होता... । तुमने पहल की है तो अब मन लगाकर पढ़ना.. और कोई भी प्रोब्लम हो.. तो बिना देर किए सबसे पहले बताना... " ।

नरेंद्र जी की ही हौंसला देने वाली बातें सुनकर अंजली के चेहरे पर मुस्कान आ गई । उसने सहजता से कहा " आपने जिस भरोसे के साथ इतनी दूर भेजा है उस भरोसे को कायम रखूंगी बाबा.. और जरूर कुछ अच्छा करूंगी... । " ।

नरेंद्र जी " ये हुई ना बहादुरी वाली बात... । अच्छा और कोई प्रोब्लम तो नही हुई ना... । हमने पिछले कल भी तुम्हे फोन करना चाहा था लेकिन लग ही नहीं रहा था.... । " ।

अंजली ने कल ही हुई रैगिंग के बारे में सोचा पर अपने मां बाबा को उसके बारे में बताना उसे सही नहीं लगा । उसने झूठी मुस्कुराहट लाते हुए कहा " नई कोई प्रोब्लम नही है बाबा.. सब अच्छा है... और पिछले कल कुछ नेटवर्क issue था.. तो मैं भी आपको फोन नही कर पाई थी " ।

" hmm चलो कोई बात नही.. । तुम ठीक हो तो फिर सब ठीक है... । अच्छा अभी आराम से कॉलेज जाना और अपना ख्याल रखना... " ।

अंजली " hmm... आप दोनो भी अपना खयाल रखना.. । और मां.. आप मेरी ज्यादा फिक्र मत करना.. और दवाइयां समय से लेते रहना... । मैं जल्दी आने की कोशिश करूंगी... " ।

पूनम जी " हम इंतजार करेंगे... " ।

नरेंद्र जी " अच्छा अभी हम रखते हैं.. तुम्हे भी कॉलेज की तैयारी करनी होगी.. । bye... " ।

" hmm... bye... " कहकर अंजली ने भी फोन रख दिया ।

फिर अंदर जाने लगी कि तभी उसकी नज़र सड़क पर दौड़ते हुए एक लड़के पर पड़ी । लड़का बहुत तेज़ी से दौड़ रहा था । वो लगभग पूरी तरह से पसीने से भीग चुका था लेकिन वो भागने से नहीं रुक रहा था ।

" अपना कैरियर बनाने के लिए हर कोई जी जान से मेहनत करने में लगा हुआ है.. । तुझे भी सारी परेशानियों से लड़ते हुए एक बेहतर भविष्य के लिए काम करना चाहिए अंजली... । कॉलेज की शुरुवात चाहे bully होने से हुई हो लेकिन ये सिचुएशन हमेशा तो नही रहेगी ना... । तू इनसे निपट ही लेगी.... " बोलकर उसने गहरी सांस ली । उसे अपने अंदर एक पॉजिटिविटी महसूस हुई । बालकनी से निकलकर वो अंदर कमरे में चली गई ।

कॉलेज कैंपस :

अंजली कॉलेज पहुंची तो गेट पर ही किसी ने उसकी आंखों पर पीछे से हाथ रख दिए । अंजली कुछ पल को घबरा गई । फिर उसने हाथों को छुआ और अनुमान लगाते हुए बोली " आकाश.... !! ये तुम ही हो ना.. ?? " ।

अंजली ने कहा तो आकाश ने उसकी आंखों के उपर से हाथ हटा दिए और उसके सामने आते हुए बोला " क्या यार.. तुमने दो एक ही बार में सही guess कर लिया... । कम से कम दो नाम तो बोलती अंजली.. " ।

अंजली मुस्कुराई और बोली " दो नामों में पहला नाम तुम्हारा ही है.. जिसे मैं इस कॉलेज में जानती हूं.. तो पहले तुम्हारा ही नाम लूंगी ना " ।

आकाश " और दूसरा नाम किसका है.. ? " ।

अंजली " दूसरा नाम खुशी का है... " ।

खुशी का नाम सुनते ही आकाश के चेहरे पर रौनक आ गई । उसने फिर पूछा " तो तुमने पहले खुशी का नाम क्यों नहीं लिया... ? "

अंजली " यूं ही.. । मेरे दिल से एक आवाज आई कि ये आकाश ही हो सकता है.. इसीलिए मैंने तुम्हारा ही नाम लिया... । और ये guess करना बोहोत आसान था क्योंकि तुम्हारे हाथों को छुने से पता चल गया था कि लड़के के हाथ हैं... तो खुशी का नाम कैसे ले लेती... । अब अगर ये सवाल जवाब हो गए हों... तो अंदर चलें महाराज.. ?? " ।

आकाश हंसा और फिर सिर हिला दिया । दोनो अंदर जाने लगे तो मेन गेट के बाहर से ही उन्हें bully gang सामने ही बैठी हुई दिखाई दी ।

आकाश " ये लोग तो सामने ही बैठे हुए हैं... हमे देखा तो पक्का परेशान करेंगे... । और अंदर भी नही जाने देंगे... अब क्या करें??" ।

अंजली ने अपने हाथ में पहनी घड़ी की ओर देखा ।

" क्लास का टाइम भी होने वाला है आकाश... । अगर अभी नही गए तो आज फिर से ये क्लास छूट जायेगी.... " बोलकर अंजली ने bully gang की तरफ देखा ।

आकाश " इन लोगों के रहते नही जा पाएंगे अंजली... । पहले इन लोगों को जाने देते हैं उसके बाद चले जायेंगे.. " ।

अंजली ने आकाश को उन लोगों से इतना डरते हुए देखा तो बोली " इन लोगों के डर से रुक तो नही सकते ना आकाश.. । और क्या पता है कि ये लोग यहां से कब जायेंगे... " ।

आकाश "तुम सही कह रही हो अंजली , पर हम और क्या कर सकते हैं अगर इन लोगों ने हमें देख लिया तो फिर से परेशान जरूर करेंगे । "

आकाश की बात सुनकर अंजली ने उनकी ओर देखा और बोली "आज हम क्लास जरूर लगाएंगे आकाश । बस तुम मेरा साथ देना.. । ठीक है !! " ।

आकाश में हां में सिर हिला दिया ।

अंजली ने आकाश के कान में कुछ कहा तो आकाश के चेहरे पर टेंशन और डर दोनों दिखाई देने लगे ।

आकाश ने हकलाते हुए एक बार फिर कन्फर्म करते हुए पूछा " अंजली.... are you sure ? ."

अंजली ने सिर हिलाया और आकाश को हिम्मत देते हुए बोली " भरोसा रखो आकाश.. मैं संभाल लूंगी... । इसके अलावा मुझे और कोई रास्ता नजर नही आ रहा । और तुम फिक्र मत करो... । इन सब में मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगी... । बस जैसा मैंने बोला है तुम वैसा ही करना । "

अंजलि ने आकाश को अपना बैग पकड़ाया और मेन गेट से अंदर चली गई ।

" साथ देना भोलेनाथ... " बोलते हुए अंजली थोड़ी nervous थी लेकिन फिर भी वो bully gang के सामने चली ही गई ।

राजीव ने उसे उपर से नीचे तक देखा ।

गुलाबी दुपट्टे वाला नीला सूट पहने और बालों की चोटी बनाए अंजली बोहोत प्यारी लग रही थी ।

शिवाक्ष ने उसे देखा तो उसकी नज़र उसपर ठहर सी गई ।

राजीव अंजली के सामने आकर उसे देखते हुए बोला " अरे वाह ! कल सॉस से नहाने के बाद तो तुम और भी खूबसूरत हो गई हो यार.. । क्या बात है... ?? लगता है सॉस तुम्हारे लिए ब्यूटी प्रोडक्ट की तरह काम करता है.... " ।

श्वेता ने राजीव के मुंह से अंजली की तारीफ सुनी तो उसे अंजली से जलन होने लगी । श्वेता ने मालविका की ओर हाथ बढ़ा दिया । मालविका ने अपने बैग से पाउडर की बॉटल निकाली और श्वेता के हाथ में पाउडर डाल दिया । श्वेता अंजली के पास आकर बोली " अभी कहां सुंदर लग रही है... । सुंदरता में चार चांद लगाना तो अभी बाकी है... " बोलते हुए

श्वेता ने अंजली के चेहरे को अपनी ओर घुमाया और पाउडर को उसके चेहरे पर फूंक दिया ।

अंजली ने जल्दी से आंखें बंद कर ली ताकि पाउडर उसकी आंख में ना चला जाए । श्वेता के अचानक से उसके चेहरे पर पाउडर फूकने से उसे संभलने का कोई मौका नहीं मिला और उसका पूरा चेहरा पाउडर से सफेद हो गया ।

श्वेता ने उसे दूर धकेला और हंसते हुए बोली " now it's perfect... । Looking like a absolute beauty... " ।

श्वेता ने कहा तो मालविका ठहाके मारकर हंस दी ।

राजीव ने अंजली के चेहरे पर लगे पाउडर को अपनी उंगली पर लिया और बोला " आए हाय.. । अभी इसके बाद.. कल तुम और ज्यादा सुंदर बनकर आओगी... " बोलकर राजीव ने अपनी उंगली पर लगे पाउडर को अंजली के दुपट्टे में पोंछ दिया ।

अंजली ने अपना चेहरा साफ किया और बोली " आप जैसे बदतमीज लोग मैने आज तक नही देखे.. । किसी को परेशान करना कोई बहादुरी का काम नही होता... । " ।

राजीव " हमे बहादुरी का काम करना भी नही है... " ।

अंजली " आप सब लोग एक नंबर के डेविल हैं.. " ।

राजीव " हान बिल्कुल.. हम तो वही हैं... । तुमने बोहोत लेट पहचाना यार... " ।

" आप लोगों की कॉलेज के प्रिंसिपल से कंप्लेंट करूंगी.... " अंजली ने कहा तो सब के सब हंस दिए ।

अंजली वहां से जाने लगी तो पीछे खड़े शिवाक्ष से टकरा गई । अंजली ने अपने आप को संभाला और पलटकर शिवाक्ष को देखने लगी ।

शिवाक्ष ने आंखों पर चश्मा चढ़ाया हुआ था । उसने अंजली के गाल को थपथपाया और बोला " तो हम तुम्हे डेविल नजर आते हैं... । " ।

अंजली " जी हां.. । राक्षस ही तो हैं आप लोग.. । ऐसे नए बच्चों को परेशान करने का काम शरीफ लोग थोड़ी करते हैं... " ।

शिवाक्ष मुस्कुराया और सिर टेढ़ा करते हुए अंजली को देखने लगा फिर एक ठहराव के साथ बोला " अच्छा पर.. राक्षस वाले तो कोई काम हमने अब तक किए ही नही है... । लेकिन जब करेंगे तो उसके बाद क्या नाम दोगी... " ।

अंजली उसे घूर कर देखने लगी । शिवाक्ष अंजली के नजदीक कदम बढ़ा रहा था तो अंजली कदम पीछे ले रही थी ।

अक्षत दूर खड़ा शिवाक्ष को देखे जा रहा था ।

श्वेता ने शिवाक्ष को उसके नजदीक जाते देखा तो उनकी ओर बढ़ गई ।

अंजली ने कुछ बोलना चाहा कि इतने में श्वेता उन दोनो के बीच में आकर खड़ी होते हुए बोली " ये हमे क्या ही नाम देगी शिवाक्ष.. । ऐसा टॉर्चर करेंगे कि हमारे सामने जुबान तक खोलने में डर लगेगा... । " बोलते हुए श्वेता उसे घूरते हुए पीछे की ओर धकेलने लगी । लेकिन उससे पहली ही अंजली थोड़ा नीचे झुकी और उससे दूर हटकर कॉलेज के अंदर जाने लगी ।

अंजली को भागता देख राजीव ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ लिया । अंजली ने अपना हाथ गोल घुमाते हुए राजीव की पकड़ से हाथ छुड़ा लिया और अंदर की ओर भागने लगी ।

अक्षत उसकी तेजी देखकर मुस्कुरा दिया । शिवाक्ष अपना चश्मा उतारकर उसे देखने लगा ।

श्वेता ने लंगड़ी फसाई तो अंजली लड़खड़ा गई । पर अपने हाथ जमीन पर लगाकर उसने खुद को गिरने से बचा लिया । जमीन पर पड़ी मिट्टी को उसने मुट्ठी में भरा और राजीव की ओर फेंक दी । राजीव ने जल्दी से आखों के आगे हाथ रख दिया । मिट्टी उसके कंधे पर लगी लेकिन कुछ धूल आंखों में भी चली गई ।

अंजली जल्दी से खड़ी हुई और अंदर जाने लगी ।

राजीव की आंखों में थोड़ी धूल जाने से उसे आंखों में जलन होने लगी थी । वो अपनी आंखें मलने लगा ।

शिवाक्ष अंजली के रास्ते में ही खड़ा था तो अंजली उससे फिर से टकरा गई । वो टकराकर गिरने लगी तो शिवाक्ष ने एक हाथ से उसकी कमर को थाम लिया । और दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया । दोनो एक दुसरे की आंखों में देखने लगे । ।

अंजली की धड़कने बढ़ने लगी । उसकी सांसें गहरी चल रही थी ।