Beast A Tale of Love and Revenge - 10 in Hindi Love Stories by Rituraj Joshi books and stories PDF | बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 10

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बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 10

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज
" एक श्राप से घिरी राजकुमारी "
Episode - 10

Episode 10 बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज (Beast: A Tale of Love and Revenge) : " एक श्राप से घिरी राजकुमारी "

अब तक अपने पढ़ा---------------------

सुधीर की मृत्यु हो चुकी थी . वहीं उसका अंतिम संस्कार उसी के छोटे भाई देवांश ने किया . उसकी मौत के बाद काफी कुछ बदल गया था . अब तो हर कोई यही समझने लग गया था , की गलती सुधीर की थी और उसकी अब मृत्यु हो चुकी है . तो शायद अब अवंतिका का श्राप उन सब में से किसी को भी परेशान नहीं करेगा .
लेकिन समय का लिखा और दिया गया आशीर्वाद और श्राप कभी नहीं मिट सकता . यह बात वह सब कुछ पल के लिए भूल गए थे .
अब देखना दिलचस्प होगा , कि आखिर प्रताप परिवार की आने वाली पीढियां के साथ क्या होता है ?
आईए देखते हैं .....!

अब आगे-----------------

सुधीर के मरते ही अब हर किसी को यही लग रहा था , कि शायद अब उस श्राप का असर भी खत्म हो जाएगा . लेकिन यह सोचना गलत था . धीरे-धीरे समय बितता गया . देवांश का बेटा पैदा हुआ , जिसे देवांश ने अपना सारा राज पाट दे दिया . उसके बाद देवांश का बेटे सौम्य प्रताप सिंह के घर भी दो पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई .

देवांश को इस श्राप के बारे में पता था . देवांश ने इस श्राप के विषय में अपने बेटे सौम्य को बताया . धीरे-धीरे पीढ़ी दर पीढ़ी यह श्राप हर किसी को पता लगने लगा . मैनादेवी और भानु प्रताप सिंह जी महल छोड़कर जा चुके थे , लेकिन जाने से पहले उन्होंने उस श्राप का तोड़ ऐसी जगह छुपाया था , जिसे ढूंढना शायद नामुमकिन हो . क्योंकि राजपुरोहित जी की बातों के अनुसार वह तोड़ समय आने पर जिसे मिलना होगा , उसे मिल ही जाएगा . यही नियति में भी लिखा था , इसलिए राज परिवार के हर सदस्य ने उसे तोड़ को ढूंढने का प्रयास किया , लेकिन इसमें कोई भी सफल न हो पाया .

समय धीरे - धीरे अपनी गति से बढ़ता गया . प्रताप परिवार में उस श्राप के बाद तीन पीढ़ियां पैदा हो चुकी थी , लेकिन उन तीन पीढ़ियों में अभी तक पुत्री रत्न की प्राप्ति किसी को नहीं हुई थी . हर कोई यही मनोकामना के साथ पूजा अर्चना करता , कि उनके घर पुत्री पैदा ना हो . जिससे उसके जीवन में श्राप का असर ना हो . लेकिन होनी को कौन टाल सकता था , राठौड़ खानदान में उस श्राप के बाद पैदा हुई पहली कन्या . जो थी सौम्या प्रताप सिंह के छोटे बेटे की पहली बेटी . जिसका नाम पड़ा मीनाक्षी प्रताप सिंह .

मीनाक्षी के जन्म पर जितनी धूमधाम से जन्मोत्सव मनाया गया , उतने ही धूमधाम से उसकी शादी की तैयारी भी की गई . हालांकि हर कोई यही समझता था , कि श्राप शायद अब ना हो क्योंकि सुधीर तो मर चुका था और गलती तो उसकी थी . लेकिन श्राप तो श्राप होता है , इतनी आसानी से टल जाए यह तो मुमकिन ही नहीं .
मीनाक्षी के साथ भी ठीक वही हुआ , जो की अवंतिका के श्राप के द्वारा प्रताप खानदान को दिया गया था . मीनाक्षी शादी से पहले ही अपवित्र हो गई . जिस कारण शादी में विघ्न पड़ा और मीनाक्षी के होने वाले पति ने मंडप में ही शादी तोड़ने का ऐलान कर दिया . मीनाक्षी यह सदमा बर्दाश्त ना कर सकी , और छत से कूद कर उसने अपनी जान दे दी . अपनी पीढ़ी की पहली बेटी की यूं खुदकुशी से हर कोई सदमे में था , लेकिन कोई कर भी क्या सकता था .

धीरे-धीरे सपने अपने आप को मना लिया था , कि उनके खानदान में लड़कियों की शादी , बिना इस श्राप को पूरा हुए नहीं हो सकती . और यह श्राप अगर सफ़ल हो जाएगा , तो उनकी बेटियां जीते जी मर जाएंगे . इसलिए अब प्रताप परिवार अपने पुत्रों की शादी ऐसी कन्या की तलाश करने लगे , जिसके भाग्य में ही सिर्फ पुत्र योग ही हो . अब उनका मानना यही था की अगर घर में पुत्री होगी ही नहीं तो ना ही उन्हें यह दुख झेलना पड़ेगा और ना ही ये श्राप !
लेकिन कोई कितना भी क्यों न कर ले . समय का लेखा कोई नहीं काट सकता है .

मीनाक्षी की खुदकुशी के बाद घर वाले सदमे से उभरे ही थे , कि कुछ ही सालों बाद उनके घर में एक नन्हीं कन्या ने जन्म लिया . हर कोई उसके पैदा होने से जितना खुश था , उतना ही उसके भाग्य से दुखी हो रहा था . बड़ी - बड़ी नजरों से उसे पाला - पोसा गया देखने में बहुत सुंदर रंग रूप के अनुसार ही उसका नाम रखा गया नैना प्रताप सिंह . लेकिन उसके श्राप ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा .

धीरे-धीरे नैना नाम बड़ी होती गई . जब - जब वह अपने आसपास किसी की शादी होते देखती तो उसके दिमाग में भी यही बात घर करने लगती , कि आखिर उसकी शादी क्यों नहीं हो रही है ? हर बात अपने माता-पिता से जाननी चाहा . वह इसका जवाब मांगती , तो माता-पिता इस जवाब को टाल देते . लेकिन एक दिन है करके नैना ने अपने पिता से इसका जवाब मांगा .

प्रताप परिवार में फिर एक और बार , एक लड़की ने जन्म लिया . और इस बार उस लड़की को जन्म के समय से लेकर जवानी तक उसे इस श्राप के बारे में हर बार अवगत कराया गया . ताकि वह कभी भी शादी की जिद ना करें .
प्रताप खानदान के परिवार में श्राप के बाद पैदा हो चुकी थी दूसरी लड़की .

लेकिन अब यह तो समय ही जाने की क्या वह लड़की इस श्राप को मानती है ? या फिर कर देती है श्राप को मानने से इनकार . और उठती है कोई बड़ा कदम ? यह तो आने वाला वक्त बताएगा .
आप लोगों को कहानी का यह भाग कैसा लगा ? ढेर सारे कमेंट और ढेर सारी फाइव स्टार रेटिंग और मुझे प्रोत्साहन देने के लिए बहुत सारे स्टीकर देखकर अवश्य बताइएगा .
!!..... धन्यवाद .....!!