Beast A Tale of Love and Revenge - 9 in Hindi Love Stories by Rituraj Joshi books and stories PDF | बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 9

Featured Books
  • નિતુ - પ્રકરણ 52

    નિતુ : ૫૨ (ધ ગેમ ઇજ ઓન)નિતુ અને કરુણા બંને મળેલા છે કે નહિ એ...

  • ભીતરમન - 57

    પૂજાની વાત સાંભળીને ત્યાં ઉપસ્થિત બધા જ લોકોએ તાળીઓના ગગડાટથ...

  • વિશ્વની ઉત્તમ પ્રેતકથાઓ

    બ્રિટનના એક ગ્રાઉન્ડમાં પ્રતિવર્ષ મૃત સૈનિકો પ્રેત રૂપે પ્રક...

  • ઈર્ષા

    ईर्ष्यी   घृणि  न  संतुष्टः  क्रोधिनो  नित्यशङ्कितः  | परभाग...

  • સિટાડેલ : હની બની

    સિટાડેલ : હની બની- રાકેશ ઠક્કર         નિર્દેશક રાજ એન્ડ ડિક...

Categories
Share

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 9

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज
" एक श्राप से घिरी राजकुमारी "
Episode - 09

Episode 09 बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज (Beast: A Tale of Love and Revenge) : " एक श्राप से घिरी राजकुमारी "

अब तक अपने पढ़ा---------------------

सुधीर को हर कोई छोड़कर जा चुका था . अवंतिका का श्राप उस पर फलित हो गया . सुधीर मौत मांगता लेकिन उसे मौत ना मिलती . थक- हार के सुधीर अवंतिका से माफी मांगने लगा .
तभी अचानक हवाओं ने अपना रुख बदला और अवंतिका की आत्मा सुधीर की इस स्थिति को देखकर हंसते मुस्कुराते प्रकट हुई .
सुधीर को पता था कि गलती उसकी है , इसलिए वह अवंतिका से माफी मांगने लगा .
अब देखना यह है , कि क्या अवंतिका सुधीर को माफी देती है . आईए देखते हैं .....!

अब आगे-----------------

सुधीर के इतना बोलते ही वह आवाज और जोर से अठाहस हंसी हंसने लगी . तभी उस आवाज ने कहा . वह आवाज थी अवंतिका की .
अवंतिका हंसते हुए बोली------------ तुम्हारा तो यही हसर होना था सुधीर प्रताप सिंह . कहा था ना मैंने तुझे , कि तू कभी खुश नहीं रहेगा . देख एक वह समय था , जब मैं बेबस लाचार तेरे सामने थी , और एक आज का समय है . जब तू मौत की भीख मांग रहा है . असहाय पड़ा हुआ है , एक लाचार , बेबस जानवर की तरह . लेकिन तुझे ना मौत मिल रही है , ना ही सहानुभूति . अपने कर्मों का फल तुझे इसी जन्म में और इसी धरती पर भुगतना पड़ेगा . तेरी मौत के बाद मेरा दिया श्राप तेरी पूरी पीढ़ी तेरे पूरे खानदान को लगेगा . और जब तेरी मृत्यु होगी तब मेरी आत्मा को चैन मिलेगा . मेरी आत्मा जो इतने समय से तेरी मौत के लिए भटक रही है , तेरी मृत्यु के बाद वह यहां से हमेशा - हमेशा के लिए चली जाएगी .

तभी सुधीर अवंतिका की यह आवाज सुनकर रो पड़ा . और गिड़गिड़ाते हुए अवंतिका से माफी मांगने लगा .
सुधीर बोला------------- मुझे माफ कर दो .
सुधीर ने अवंतिका से माफी मांगनी चाही , लेकिन अवंतिका आज भी उतने ही गुस्से में थी , जितना गुस्सा उसे समय था . गुस्से की आग में जल रही अवंतिका की आत्मा हंसते हुए सुधीर की इस स्थिति के मजे ले रही थी . .

अवंतिका ने सुधीर की माफी को सुना और फिर हंसते हुए बोली .
अवंतिका बोली------------ तूने गलती की थी . तेरी यह गलती , वह गलती है जिनकी माफ़ी भी तुझे नहीं मिल सकती . यह महा पाप है . जो तूने मेरे साथ किया . नीच , दुष्ट अधर्मी , उसके बाद तुझे ना ही मुक्ति मिल सकती है , ना ही माफी . और मेरा श्राप कभी खाली नहीं जाएगा . ना ही तुझे और तेरी आने वाली वीडियो को इस श्राप का तोड़ पता चलेगा . तूने और तेरे पूरे खानदान ने मेरी इज्जत का जो तमाशा बनते हुए देखा है , वह दर्द तेरे पूरे खानदान की लड़कियों को भी भुगतना पड़ेगा .

इतना कहकर अवंतिका हंसते-हंसते फिर गायब हो गई . उसे गायब होता देख सुधीर गुस्से से उबल गए और जोर-जोर से चिल्लाने लगा .
सुधीर बोला------------- अवंतिका.....! अवंतिका ......! सामने आओ तो मेरे . तुम ऐसे ही मुझे छोड़कर नहीं जा सकती हो . मेरे सवालों के जवाब दिए बिना , तुम कहीं गायब नहीं हो सकती हो अवंतिका .

लेकिन अवंतिका तो जा चुकी थी . सुधीर अकेला असहाय पड़ा हुआ था . तभी सुधीर ने कुछ सोचा और फिर कुछ ऐसा करने की ठानी , जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी .

सुधीर ने अपनी तलवार निकाली और जोर से गरजते हुए बोला .
सुधीर बोला------------- मैं तुम्हारा श्राप कभी फलित नहीं होने दूंगा अवंतिका . तुमने अगर मेरी पीढ़ी को श्राप दिया है , तो याद रखना इस श्राप को तोड़ने वाला भी जरूर आएगा . और मैं तुम्हें कभी नहीं जितने दूंगा . फिर चाहे मुझे मार कर , प्रेत आत्मा बन कर ही क्यों ना उस तोड़ की रक्षा करनी पड़े , लेकिन मैं तुम्हें कभी नहीं जितने दूंगा . मैं साबित करके दिखाऊंगा पूरी दुनिया को , कि तुम्हारा श्राप सिर्फ एक छलावा है . जिसका कोई मोल नहीं . तुमने मुझसे मेरे बेटे को तो छीन लिया और मेरी बीवी को छीन लिया है . लेकिन अब नहीं ! अब तुम राठौड़ खानदान से कुछ नहीं छीन पाओगी .

इतना कह कर सुधीर ने अपने गले को अपनी तलवार से काट डाला . और कुछ ही चंद पलों में अचानक से पूरी जमीन में खून ही खून हो चुका था . सुधीर मर गया था , लेकिन उसके अंतिम समय के कहे वचन . आज भी उस महल में गूंज रहे थे . वह आत्मा निकल पड़ी थी , अपने खानदान को दिए गए श्राप को बचाने के लिए .

वहीं दूसरी ओर सुधीर के छोटे भाई देवांश को भी सुधीर की मृत्यु के बारे में पता चल गया था . हालांकि देवांश के माता - पिता ने सुधीर को अपनी जमीन जायदाद से बेदखल कर दिया था . लेकिन देवांश नहीं चाहता था , कि सुधीर का अंतिम संस्कार लावारिसों की तरह किया जाए . इसलिए उसने फैसला किया कि , वह सुधीर पूर्ण रूप से इस दुनिया से विदा करेगा .

देवांश उस जगह आया , जहां सुधीर की लाश थी . देवांश ने देखा कि सुधीर की लाश में से बदबू आ रही है . शरीर का अधिकांश हिस्सा सड़ चुका है . देवांश ने फिर भी क्रिया कर्म करने की ठानी . थोड़ी देर में सुधीर के अंतिम संस्कार की हर विधि हो चुकी थी , उसे शमशान घाट ले जाया गया . जहां उसके शव को अग्नि को समर्पित कर दिया गया . सुधीर के मरते हैं , अब हर किसी को यही लग रहा था , कि शायद अब इस श्राप का असर भी खत्म हो जाएगा .

फिलहाल यह भी देखना दिलचस्प होगा , क्या अवंतिका के श्राप और सुधीर की आत्मा जो की प्रेत बन चुकी है . वह दोनों एक नया अध्याय लिखते हैं ?
या फिर आता है कोई नया तूफान . यह तो आने वाला वक्त बताएगा !
और क्या उस श्राप का असर सुधीर के मरते ही खत्म हो जायेगा . जानेंगे कहानी के आने वाले भाग में !
फिलहाल आप लोग कमेंट सेक्शन में यह बताना ना भूलिएगा , की आप सभी को कहानी का यह भाग कैसा लगा साथ ही में ढेर सारे स्टिकर और रेटिंग देना ना भूलियेगा ?
!!.... धन्यवाद ....!!