Devil Ceo Ki Daring Wife - 12 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की डेयरिंग वाइफ - भाग 12

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डेविल सीईओ की डेयरिंग वाइफ - भाग 12

डेविल सीईओ की डेयरिंग वाइफ भाग 12 

 

"सिद्धार्थ ने मारा यश को चाटा..!" 

 

अब आगे

 

क्योंकि सिद्धार्थ ने गुस्से में यश को चाटा मार दिया था और जब यश जमीन पर गिरता है तो अब संजना जी उसके पास दौड़ कर आती हैं और उसको संभाल लेती है..!

 

वही यश के चेहरे पर सिद्धार्थ के हाथ की पांचों उंगलियां उसके चेहरे पर छाप चुकी होती हैं वही सिद्धार्थ की इस हरकत पर पूरा सिंघानिया परिवार शौक रह जाता है..!

 

सिद्धार्थ की इस हरकत पर अब रघुवीर जी अपनी कड़क आवाज में उससे कहते हैं,

 

" सिद्धार्थ ये क्या बातामीजी है अब तुम यश के साथ ऐसा व्यवहार करोगे, अगर उसने गलती की है तो उसकी सजा हम सब मिलकर तह करेगे न कि तुम उस पर हाथ ही उठा दोगे...!"

 

अपने दादा रघुवीर जी की बात सुनकर, सिद्धार्थ उनसे कहता है,

 

" जब ये रिया के साथ ऐसा व्यवहार कर सकता है तो फिर मै इसके साथ क्यू नही कर सकता हु..!"

 

सिद्धार्थ का गुस्सा देखकर, अब सरला जी उससे कहती है,

 

"सिद्धार्थ अपने गुस्से को काबू में करना सीखो नही तो एक दिन कही तुम्हे अपने इसी गुस्से की वजह से पछताना न पड़ जाए और रही बात यश की तो तुम जानते ही हो कि यश और रिया मे ज्यादा अंतर नही है और ये लड़ाई झगडे तो भाई और बहन के बीच में होते ही रहते है..!"

 

सरला जी की बात सुन, रुद्रांश उनसे कहता है,

 

"दादी मां, जब यश को पता था कि रिया को हॉरर थीम से डर लगता हैं तो ये सब करने की क्या ज़रूरत पढ़ गई थी, बताए मुझे...?"

 

रुद्रांश की बात सुन, अब विनोद जी उससे कहते हैं,

 

"बेटा, भाई बहनों में ये सब चलता रहता हैं और शायद इसलिए ही यश ने ये सब कर दिया होगा और तुम तो जानते ही हो जब यश का बर्थडे था तो रिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी, इसलिए अब इस बात को ज्यादा न बढ़ाओ...!"

 

रुद्रांश, विनोद जी की बात सुन, उनसे तो कुछ नही कहता है पर यश को घूर के देख रहा होता है और उससे कहता है,

 

"अब तुम कल से ही सिंघानिया कम्पनी में इंटरशीप कर रहे हो और जब एलतक तुम्हारी इंटरशिप पूरी नही हो जाती तबतक तुम अपने मन से ऑफिस छोड़ नही सकते हो..!"

 

रुद्रांश की बात सुन कर, अब शिवानी जी रुद्रांश से ही कहती है,

 

"हां, ये ठीक रहेगा, वैसे भी कुछ टाइम बाद तो इसको भी ऑफिस ज्वाइन करना ही था तो अभी से ही कर लेगा और साथ में इसको रिया को बेवजह डराने के लिए सजा भी मिल जायेगी और साथ में आफिस का काम भी सीख लेगा..!"

 

शिवानी जी की बात सुनने के बाद, यश शिवानी जी से कहता है,

 

"क्या सच में आप मेरी सगी मां ही हो न... ?"

 

यश की बात सुन, शिवानी जी उसको घूर के देखती हैं और गुस्से से कहती हैं,

 

"यश, तुम्हरा दिमाग तो खराब नही हो गया है ना, क्या बोले जा रहे हो तुम... ?"

 

शिवानी जी की बात सुन, यश उनसे कहता है,

 

"अगर आप मेरी सगी मां है तो मेरे साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार क्यों कर रही हो...?"

 

यश की बात सुन, अब शिवानी जी गुस्से से उसको मरने के लिए आगे बढ़ती है तो संजीव जी बीच में आ जाते हैं और शिवानी जी से कहते हैं,

 

"क्या करने जा रही हो तुम, पहले ही सिद्धार्थ ने इस पर हाथ उठा दिया है और अब तुम भी यही करने जा रही हो...?"

 

संजीव जी बात सुन, अब शिवानी जी उनसे कहती हैं,

 

"आप ने सुना नही ये अपनी सगी मां को ही सौतेली मां बोल रहा हैं और मै इसको दो चार चाटे भी ना लगाऊं...!"

 

शिवानी जी की बात सुन, सिद्धार्थ अब आगे बढ़ने को होता है, तभी समीर उससे कहता है,

 

"सिद्धार्थ, तू पीछे रह, पहले ही यश पर हाथ उठा चुका है अब तू कुछ नही करेगा...!"

 

और फिर समीर, यश की तरफ देख के कहता है,

 

"लगता हैं सिद्धार्थ के एक चाटे ने तेरे दिमाग का स्क्रो डीला कर दिया है, नही तो तूने आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं कहा है और तुझे ऐसा क्यों लग रहा है तेरी सगी मां, तेरे साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है....!"

 

समीर की बात सुन, यश उससे कहता है,

 

"अगर ऐसा नहीं है तो मेरी मां, मेरी साइड लेने की बजाए, रुद्रांश भाई की बात का सपोर्ट क्यो कर रही है और मुझ जैसी नन्नी सी जान को क्यो ऑफिस के कामों में फसा रही है, जबकि अभी तो मेरी खेलने कूदने की उम्र है.....!"

 

यश की बात सुन सब अपना माथा पीट लेते हैं और फिर सरला जी उससे कहती हैं,

 

"सही मे ये लड़का मुझे किसी दिन हार्ट अटैक दिलाकर रहेगा, भला इतनी सी बात का भी कोई इतना बड़ा चढ़ा कर बोलता है...!"

 

सरला जी की बात सुन, अब संजीव जी यश से कहते हैं,

 

"बेटा, अगर समीर बीच में न बोलता ना तो तुम्हारी ये सगी मां या फिर सिद्धार्थ तुम्हे जिंदा ही नही छोड़ते...!"

 

संजीव जी की बात सुन, यश अपना मुंह बना लेता है पर कुछ कहने की हिम्मत नही करता है क्योंकि उसके द्वारा बोला गया एक भी शब्द उसको इस दुनिया से उठाने के लिए काफी है..!

 

अब अमृत, यश से पूछता है,

 

"वैसे तूने किया क्या था जिस को देख मेरी छुटकी बेहोश ही हो गई..?"

 

अमृत की बात सुनते ही सब घर वाले अब यश को घूर के देख रहे होते हैं, और फिर अमृत दुबारा से कहता है,

 

"और यश के साथ मिलकर तो सिद्धार्थ, समीर और मैने भी तो सरप्राइज़ पार्टी तैयारी की थी पर हमे ये नही पता था कि रिया को हॉरर थीम से डर लगता है इसलिए ही तो मैने, समीर और सिद्धार्थ ने तेरे साथ छुटकी के लिए सरप्राइज पार्टी की सारी डेकोरेशन करवाई थी..!"

 

अमृत की बात सुन, समीर उसकी बात से सहमत होकर कहता हैं, 

 

"हां, तू सही कह रहा है..!"

 

अमृत की बात सुन, यश अपने आप में ही कह रहा होता है,

 

"क्या अमृत भाई, आपको ये पूछना जरूरी था, सब क्यो मेरी जान लेने पर तुल चुके हैं और अब मैने कुछ भी बोल दिया न तो रुद्रांश भाई के गुस्से से मुझे कोई नही बचा सकता है और वैसे ही रुद्रांश भाई ने तो पहले ही मुझे सिंघानिया कम्पनी में इंटरशिप पर लगा दिया है जबकि अभी तो मेरा एमबीए भी पूरा नहीं हुआ है..!"

 

अब यश अपने भोलेनाथ से प्रार्थना करते हुए कहता है,

 

"हे मेरे भोलेनाथ अब आप ही मुझे इन सब से बचा सकते हो, प्लीज बचा लो...प्लीज और मैं आप एलको एक नही दो किलो लड्डू चढ़ाऊंगा, अब तो ठीक है ना प्लीज मुझे बचा लो, मै आज के बाद ऐसी गलती कभी नही करूंगा, प्लीज मुझे रुद्रांश भाई के गुस्से से बचा लो, प्लीज मेरे भोलेनाथ..!"

 

अब सिद्धार्थ, यश से थोड़े गुस्से से कहता है,

 

"अब बोलेगा भी या इसके लिए भी मूहर्त निकलवाऊ..!"

 

सिद्धार्थ की बात सुन, यश से कुछ बोलना नहीं बनता है पर फिर भी वो बोलने की कोशिश करता है,

 

"वो... वो...भाई....भाई..!"

 

यश से तो कुछ बोला ही नही जा रहा होता है तभी सिद्धार्थ दुबारा कहता है,

 

"हकला क्यो रहा हैं और वैसे भी एक कम हकलाती हैं जो तू भी हकलाने लग गया है..!"

 

सिद्धार्थ की बात घर में खुद सिद्धार्थ और श्रेया को छोड़ किसी को समझ में नही आती हैं वही अब सिद्धार्थ अपनी बात कहकर श्रेया को घूर रहा होता है तो जब श्रेया अपने ऊपर किसी की नजर महसूस करती है..! 

 

और क्या सिद्धार्थ कभी अपने गुस्से पर काबू पा पाएगा या कभी उसके हाथो से कभी कुछ ऐसा हो जायेगा जिसके लिए उसको पछताना पड़ेगा..?

 

To be Continued.....

 

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