Tu bhi Sataya Jayega - 5 in Hindi Fiction Stories by Shalini Chaudhary books and stories PDF | तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 5

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तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 5

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।

आशा है की आप सब को मेरा ये प्रयास पसंद आ रहा होगा। आप सब से अनुरोध है की कहानी को अधिक से अधिक प्रेम दे, और अपने विचारों की टिप्पणी करे, आपकी टिप्पणी मेरे लेखन में अत्यंत सहायता प्रदान करती है। आप सब को मेरा झोला भर कर प्रेम ❤️

अब बिना देरी किए चलते है कहानी के ओर.....

अगली सुबह 🌄

बनारस ( गंगा घाट )

कश्यप हाउस,

अंदर से अंबर की आवाज आ रही थी जो भूमि को शांत करने की कोशिश कर रही थी।

अंबर ( भूमि को पुचकारते हुए ) " अलेले, मेरा बच्चा ! क्यों रो रहा है ? ना बच्चे रोते नही है, मां आ रही है अभी आ जायेगी चुप हो जा। ना ऐसे नही रोते है चुप हो जा। आ.. आ.. "

अंबर की हर कोशिश बेकार होती जा रही थी क्योंकि खनक इस वक्त अपनी पैकिंग कर रही थी, इसलिए वो उसे ले नही सकती थी और उसे जल्दी से नहा कर अपनी पूजा भी करनी थी। दोपहर में ही उसका ट्रेन था, मुंबई के लिए।

खनक ( परेशान होते हुए ) " ये लड़की भी न, मतलब इसी के रोने धोने के वजह से कल घाट आरती में भी नही गई, और आज फिर वही हाल है इसका।"

तभी अंबर भूमि को ले कर उस कमरे में आती है।

अंबर ( परेशान होते हुए ) " खनक ये शांत कहां हो रही है ? एक बार चुप करा दे।"

खनक ( अंबर से ) " अभी ले लूंगी, लेकिन दो दिन तक मै गायब रहूंगी तब कैसे संभालेगी ?"

खनक की बात पर अंबर बच्चों कैसा मूंह बना लेती है।

अंबर ( रोनी सी आवाज में ) " तो क्या करूं ?"

खनक ( मुस्कुराते हुए ) " जब ज्यादा रोए तो इसे घाट पर घुमा देना, वहां जा कर शांत हो जाती है। अब जा ले कर इसे, मुझे पैकिंग भी करनी है और नहाना भी है पूजा भी करना है। सारा काम वैसे ही पड़ा हुआ है।"

अंबर ( मुस्कुराते हुए ) " ठीक है मै इसे घाट घुमा कर लाती हूं तब तक तू तैयार हो जा, और हां पूजा करने साथ में चलेंगे।"

खनक ( मुस्कुराते हुए ) " हम्म ! ठीक है।"

अंबर भूमि को ले कर घाट पर चली जाती है वहीं खनक अब जल्दी जल्दी पैकिंग कर रही थी ज्यादा सामान लेना नही था दो दिन के लिए ही जा रही थी, उसे समान ज्यादा नही लेना था अगर ज्यादा कुछ चाहिए था तो वो है हिम्मत, जिसकी उसे सख्त जरूरत थी। क्योंकि आज वो उस इंसान के खिलाफ लड़ने जा रही थी जिसके लिए उसने अपनी जिंदगी की हर खुशी को किनारे कर दिया था।

खनक ( खुद को शांत करते हुए ) " मै उस इंसान के खिलाफ जाऊंगी ! उसे बर्बाद कर दूंगी वो इंसान मेरी बर्बादी की वजह है अब उसे पता चलेगा कि सब कुछ छीन जाने पर कैसा महसूस होता है ?"

खनक अपने अंदर आत्मविश्वास को भर रही थी क्योंकि वो भी जानती थी की वो जिससे टकराने जा रही है वो मुंबई के ताकतवर लोगों में से है, उसे बर्बाद करना इतना आसान नहीं है कई सारी मुश्किल आएंगी और इन सब में उसे पास होना ही होगा क्योंकि उसके पास कोई और चारा नहीं है। उसकी पैकिंग खतम हो चुकी थी और अब वो नहाने के लिए चली जाती है क्योंकि अंबर आज जल्दी उठ गई थी और उसने घर का सारा काम कर दिया था। खनक नहा कर निकलती है और एक सिंपल सी सूट पहन कर नीचे आती है और किचन में जा कर महादेव के लिए भोग बनाने लगती है।

गंगा घाट,

अंबर भूमि को गोद में लिए घाट पर घूम रही थी। घाट पर आने के बाद भूमि एक दम वैसे ही शांत हो चुकी थी जैसे वो खनक के पास रहती है।

अंबर ( मुस्कुराते हुए खुद से ही ) " सही कहा था खनक ने घाट पर शांत हो जायेगी। यहां जब बड़े लोगों का मन शांत हो जाता है तो ये तो बच्ची है। मां गंगा का आंचल किसी को भी शांत करने के लिए पर्याप्त है।"

अंबर भूमि को ले कर दूसरे तरफ जाने लगती है तो भूमि फिर से रोने लगती है, अंबर उससे पूछती है।

अंबर ( भूमि को पुचकारते हुए ) " क्या हुआ बच्चा ? क्यों रो रही हो ?"

भूमि अपनी उंगली एक तरफ उठा देती है अंबर पलट कर देखती है तो वहां एक छोटा सा बच्चा जो लगभग भूमि के ही उम्र का था एक दम खामोशी से बैठा था, और उसके बगल में एक आदमी भी बैठा था जो तकरीबन 30 साल का होगा, लेकिन उसके चार्म ने उसके उम्र को ढंक रखा था वो बेहद अट्रैक्टिव पर्सनेलिटी का था। और बेहद सीरियस भी लग रहा था, वही भूमि बार बार उस बच्चे के तरफ इशारा कर रही थी जिससे परेशान हो कर वो उसे वहां ले जाती है और उस बच्चे के ठीक बगल में उसे बैठा देती है। अंबर के ऐसे करने से उस बच्चे के बगल में बैठा वो आदमी अंबर को देखने लगता है।

अंबर ( हिचकिचाते हुए ) " वो... ये बार बार इसके तरफ इशारा कर रही थी और रो रही थी इसलिए ले आई। आपको अगर दिक्कत है तो मै ले जाती हूं।"

वो आदमी कुछ बोलने को होता तभी उसके बगल में खड़ा दूसरा आदमी जो उसी के उम्र का था वो पहले वाले आदमी के कान में जा कर बोलता है।

दूसरा आदमी ( पहले आदमी के कान में फुसफुसाते हुए ) " सर खेलने दीजिए वैसे भी यंग मास्टर को बाहर के माहौल में रखने के लिए ही डॉक्टर ने कहा है। और देखिए ना यंग मास्टर खेल भी रहे है।"

पहला आदमी देखता है की उसका बेटा खेल रहा था हैरानी से उसकी आंखे बड़ी हो जाती है, क्योंकि पिछले छः महीने से उसके अंदर कोई हलचल ही नही थी, वो बिलकुल शांत हो गया था।

अंबर जब कोई जवाब नही पाती है तो उसे लगता है शायद उन लोगों को पसंद नही आया इसलिए वो भूमि को गोद में ले लेती है और जाने लगती है तभी वो बच्चा रोने लगता है।

वो आदमी ( गहरी आवाज में ) " सुनिए बच्ची को खेलने दीजिए।"

उसकी बात सुन कर अंबर भी मुस्कुराते हुए भूमि को उस बच्चे के बगल में बैठा देती है और दोनो फिर से खेलने लगते है।

अंबर ( उस आदमी से ) " नाम क्या बेबी का ?"

वो आदमी ( अपने बच्चे को देखते हुए ) " अर्पण।"

अंबर ( मुस्कुराते हुए ) " बहुत प्यारा नाम है। वैसे आपका नाम क्या है ?"

वो आदमी कोई जवाब नही देता है, वो बस अपलक अपने बच्चे को देख रहा था, उसकी नजर भूमि पर भी जाती है उसे वो बहुत प्यारी लगती है। दोनो बच्चे खेल रहे थे, तभी अंबर को खनक का कॉल आता है।

अंबर ( कॉल रिसीव करते हुए ) " हां ! भूमि बिल्कुल शांत है और खेल रही है।"

खनक ( अंबर से ) " ठीक है अब आजा !"

इतना बोल कर वो फोन कट कर देती है। अंबर भूमि को गोद में लेते हुए।

अंबर ( अर्पण से ) " अब जा रही है भूमि, क्योंकि भूमि की मां बुला रही है। बाय क्यूटी।"

इसके बाद वो उसे ले कर चली जाती है उसके जाने के बाद अर्पण फिर से पहले की तरह शांत हो जाता है।

तो आगे क्या होगा इस कहानी में ? क्या होने वाला है मुंबई में ? और कौन है ये अर्पण ? जानने के लिए बने रहे। तू भी सताया जाएगा ! मेरे यानी शालिनी चौधरी के साथ।

मेरे मन की बात,

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✍️ शालिनी चौधरी