Vivan The Super Star - 2 in Hindi Children Stories by Himanshu Singh books and stories PDF | विवान द सुपर स्टार - 2

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विवान द सुपर स्टार - 2

दो साल के विवान को तो पता ही नही था की वह सोशल मीडिया का स्टार बन चुका है। स्टार होता क्या हैं और इस बात की तो उस मासूम को समझ तक नही थी,,, आगे,,,,

लेकिन उसको इतना जरूर पता था की फोन सामने होने पर मुझे मुस्कुराना है। इसको मेरे मम्मी-पापा दोनों ही चलाते हैं। तो फोन बहुत अच्छी चीज है क्योंकि इसको मेरे माता-पिता मुझे खुद देते है तो यह मेरे लिए बहुत अच्छा हैं।

दिनों-दिन विवान का व्यवहार अपने माता-पिता को फोन चलाता देख बदलने लगा। दो महीने में खुश मिजाज रहने वाला वो लड़का अब चिड़चिड़ा होने लगा था।

क्योंकि वह धीरे-धीरे फोन की लत का शिकार होने लगा था ।अब विवान को उठते,सोते,खाते,पीते,हर समय बस अपने हाथों में फोन चाहिए होता था और वह कैसे भी करके अपने माता-पिता से फोन ले ही लेता था।

लेकिन विवान को फोन की लत लग रही है। यह बात समझना तो दूर कि बात उसके माता-पिता कम उम्र में ही विवान को बहुत समझदारी से फोन चलाते देखने पर गर्व महसूस करते थे।

उन्हें लगने लगा था की उनका विवान बड़ा ही क्रियात्मक है। उसका दिमाग बहुत तेज है और वह यह बात लोगों को बहुत खुश हो होकर बताते थे की हमारा विवान इतनी कम उम्र में बहुत समझदार है।

उन्हें लगने लगा था की उनका विवान बड़ा ही क्रियात्मक है। उसका दिमाग बहुत तेज है और वह यह बात लोगों को बहुत खुश हो होकर बताते थे की हमारा विवान इतनी कम उम्र में बहुत समझदार है,,,,,,

विवान के इस तरह के व्यवहार पर उसके माता पिता को चिंता नही बल्कि खुशी मिलती थी। लेकिन समय के साथ उनकी खुशी चिंता का रूप लेने लगी।

जिसका कारण था की विवान की खुश मिजाजी अब बहुत अच्छे से गुस्से और चिड़चिड़ेपन का रूप ले चुकी था। वही जहाँ दो साल के विवान की सभी अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाओं को वह सोशल मीडिया पर डालकर व्यूज़ ले रहे थे।

सात साल का विवान अब समझदार हो चुका था। वह बहुत अच्छे से अपने माता पिता को किसी काम को करने के लिए मना करना सीख चुका था।

जिसके कारण उसके माता-पिता अब ना ही विवान से कोई काम करा पा रहे थे और ना ही उस से कोई वीडियो बनवा पा रहे थे।

वह दोनो विवान को कोई भी काम करने के लिए देते वह तुरंत मना कर देता ना वह ठीक से पढ़ाई करता और ना ही ठीक से खाना खाता था। उसे सिर्फ फोन ही अपने आस पास चाहिए होता था।

आखिरकार विवान का इस तरह का व्यवहार देखकर उसके माता-पिता को उसके भविष्य की चिंता सताने लगी और उनको याद आने लगा की फोन में चिपके रहने से कहीं ज्यादा जरूरी विवान के लिए पढ़ाई करना है।

वही दो साल तक जहां विवान के माता पिता उसे खुश होकर फोन पकड़ाते थे। वही सात साल के विवान के हाथ में फोन देखकर वह उसे मार-मार कर उसके हाथों से फोन छिनने लगे।

अपने माता-पिता के इस तरह के व्यवहार से अब विवान बदतमीज भी हो चुका था।

To Be Continue Part - 3