1राणा
राणा एक बहुत बहादुर व्यक्ति था। पढ़ा लिखा भी वह काफी था । लेकिन वह एक गरीब परिवार से था। तलवार का वो धनी था। यह कहानी है मुगल काल की।
राणा की सगाई हो रखी थी उसे समय की प्रथा के अनुसार बचपन में ही उसकी माता-पिता नहीं राणा की सगाई कर दी थी। अचानक राणा को उसके होने वाले ससुर का संदेश आया कि 12 साल हो गए हैं सगाई को। जल्दी से अपनी बहू को विदा कर ले जाओ। नहीं तो इसकी शादी में कहीं और कर दूंगा।
2अंतर्यामी
राणा बहुत गरीब था। कपड़े भी फटे पुराने थे। जमीन जायदाद भी नाम की ही थी। बहु को विदा करके लाना था। तो इसके लिए धन चाहिए था। इसलिए बहुत परेशान था। तभी उसे सूचना मिली कि गांव के प्राचीन मंदिर में एक अंतर्यामी बाबा आए हैं। वह सब की समस्या का हाल बताते हैं। राणा जल्दी से बाबा के पास पहुंचा। बोला बाबा जी मैं बहुत गरीब हूं। तलवार का तो धनी हूं। लेकिन इस तलवार के अलावा मेरे पास कुछ भी नहीं है।
बाबा मुस्कुराए और बोले बेटा तो मन का सच्चा है और कर्म का ढीट है। तू बहुत अच्छा आदमी है अपने प्रभु से भक्ति लगा और अपना कर्म करता जा। तू आगे बढ़ता जाएगा। भौतिक और आध्यात्मिक संपत्ति तेरे कदमों में आएगी। राणा बोला कैसे? बाबा ने कहा अभी तो मेरी एक बात मान? जितना बचा तेरे पास है उसे भी रेहन रख ले किसी की सेठ के पास और उस धन को लेकर मेरे पास। राणा ने बची कुची झोपड़ी और बचा खुचा खेत भी गांव के सेठ के पास रेहन रख लिया। सेठ ने उसे थोड़ा बहुत धन दिया। उस धन को लेकर वह बाबा के पास पहुंचा। हालान्कि मन में शंका थी बाबा कोई ठग तो नहीं।
लेकिन बाबा के आसपास मौजूद भक्तों की भीड देखकर उसका यह भ्रम बार-बार मन से हट जाता था। लेकिन बार-बार फिर भ्रम आ जाता था। पर कुछ ही समय में हुआ धन की पोटली लेकर बाबा के पास आया। बाबा ने धन के दो भाग किये। एक भाग तो उन्होंने एक थैली में डालकर वापस राणा को दे दिया। बोले इसे संभाल कर रखो। भविष्य में काम आएगा। बाकी धन से उन्होंने एक सुंदर तलवार, कवच और एक सुंदर सफेद घोड़ा राणा के लिए खरीदवाया। अब उन्होंने राणा से यह सब धारण करने के लिए कहा और रास्ते के लिए राणा के लिए एक पोटली में रोटी, सब्जी आदि भी रखवा दी।
अब ये वस्त्र धारण करके और घोड़े पर सवार होकर राणा सचमुच का योद्धा लग रहा था। अब बाबा ने उसे अपनी ससुराल की और प्रस्थान करने के लिए कहा और कहा रास्ते में ही तुम्हें सब समस्याओं का समाधान मिलेगा।
3राजा से भेंट
राणा अपनी सफेद घोड़े पर शान से ही सुंदर वस्त्र, कवच, तलवार आदि धरण कर आगे बढ़ता जा रहा था। इस समय राणा किसी राजकुमार की तरह लग रहा था।
अचानक उसने देखा कि रास्ते में एक तेजस्वी पुरुष भव्य पोशाक पहने कई डाकुओ से युद्ध कर रहा है। उसने कई डाकू मार दिया और कई घायल कर दिए। लेकिन डाकू अधिक थे। इसलिए डाकू उसे पर भारी पड़ते नजर आ रहे थे। यह देख राणा को गुस्सा आया। एक अकेले आदमी पर इतने सारे व्यक्ति आक्रमण कर रहे हैं यह तो अनुचित है। राणा तलवार का धनी तो था ही तुरंत उसने अपनी तलवार निकाल ली और घोड़े को ऐड़ लगा पलक झपकते ही उसने कई डाकुओं को काटकर फेंक दिया।
पहले वाला व्यक्ति और राणा कुछ देर डाकुओं को मारते रहे काटते रहे। कुछ देर में सभी डाकू या तो घायल हो गये या मार डाले गए। राणा ने अपनी तलवार का खून एक डाकू के कपड़े से ही साफ किया और उस व्यक्ति के पास पहुंचा। वो व्यक्ति बड़ा प्रशन्न था। व्यक्ति बोला मैं यहां का राजा हूं। मैं अपने दल से बिछड़ गया था। यह देखकर इस डाकू ने मुझ पर आक्रमण कर दिया। बोलो क्या चाहिए? राजा को देखकर राणा ने राजा को प्रणाम किया और बोला महाराज मैं एक गरीब व्यक्ति हूं और मैं अपनी दुल्हन लेने अपने ससुराल जा रहा हूं। राजा ने कहा मैं तुम्हारे पिता से प्रसन्न हुआ। बताओ तुम्हारे गांव का नाम क्या है? मैं तुम्हें मनवांछित पुरस्कार प्रदान करूंगा। राणा ने बोला महाराज आप मुझे देना ही चाहते हैं तो मुझे फलाने गांव का जागीरदार बना दीजिए। मैं उसी गांव का रहने वाला हूं। राजा ने कहा ठीक है वह गांव ही नहीं आसपास के 64 अन्य गांव भी आज से तुम्हारी जागीर में आते हैं। आज से तुम मेरे जागीरदार हुये। जाओ अपनी दुल्हन को विदा कर लाओ। राणा ने घोड़े को ऐड़ लगाई और कुछ ही दिनों में वह अपनी ससुराल जा पहुंचा।
4वापस गांव लौटा
कुछ दिन ससुराल में रहने के बाद राणा अपनी दुल्हन को घोड़े पर बैठकर अपने गांव की ओर चल पड़ा। कुछ दिनों में वह अपने गांव पहुंचा तो उसने देखा उसके गांव के नजारे बदले हुए हैं। उसकी झोपड़ी की जगह एक भव्य महल बना हुआ है और गांव वालों के मकान भी नये बना दिए गए हैं। गांव के चारों तरफ एक किला बना दिया गया है। राणा के घोड़े पर से उतरते ही गांव वालों ने जय जयकार करके उसका स्वागत किया और बोले राजा के सिपाही आए थे। उन्होंने आपको इस गांव का जागीरदार नियुक्त किया है। इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और आपकी झोपड़ी की जगह यहां ये महल आपके लिए बनवा दिया है और आपने जो कुछ रेहन सेठ के यहां रखा था, वह सब भी उन्होंने धन देकर सेठ से छुड़ा लिया है। आज से आप इस गांव और आसपास के 64 गांवों के मालिक हैं।
यह देख सुनकर राणा बहुत खुश हुआ। अब वो धनपति बन गया था। उसके पास धन की कोई कमी न थी। राजा के आदेश पर उसने एक अच्छी सी सैनिक टुकड़ी का निर्माण भी गांव के जवान पुरुषों को चुनकर किया। साधु बाबा अभी भी मंदिर में ही ठहरे थे। राणा उनके पास पहुंचा और उनके चरण छुए। साधु बाबा ने कहा देखा मैंने कहा था ना ससुराल के रास्ते में ही तुम्हारी उन्नति का मार्ग छुपा हुआ है। तुम्हारी पत्नी साधरन स्त्री नहीं। मां लक्ष्मी का एक अंश अवतार ही है। तुम भी भगवान विष्णु का अंश अवतार बनाकर अपनी जागीर की प्रजा की रक्षा और पालन करो। तभी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी तुम पर वास्तविक रूप में प्रसन्न होंगे। राणा यह सुनकर बहुत खुश हुआ और उसने अंतर्यामी बाबा के आशीर्वाद से और उनकी प्रेरणा से ही गांव के पुराने उस मंदिर का जीर्नोधार करके एक नया भव्य मंदिर वहां स्थापित किया। साधु बाबा कुछ दिन तक वही रहे। फिर पर्यटन और तीर्थटन करते हुए हिमालय की ओर चल पड़े।
5अंतर्यामी बाबा ने दिया उपहार
जाने से पहले अंतर्यामी बाबा ने राणा को अपने सामने बुलाया। राणा अंतर्यामी बाबा के चरणों में झुका। जैसे ही उसने नजर उठाई तो वहां उसे बाबा की जगह भोलेनाथ का स्वरूप दिखाई दिया। यह देखकर राणा गदगद हो गया। क्या भोलेनाथ ही उसकी और उसके क्षेत्र की मदद के लिए आए हैं। भोले बाबा ने मुस्कुरा कर सर हिलाया। अचानक भोलेनाथ का स्वरूप लुप्त हो गया और बाबा फिर से दिखाई दिए। बाबा मुस्कराये। बोल बेटा मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न होकर ही हिमालय से आया हूं। लो मेरी एक छोटी सी भेंट तुम स्वीकार करो।
बाबा ने अपने अपने त्रिशूल से त्रिशूल की एक प्रतिलिपि निकाली और राणा से बोले लो त्रिशूल। यह त्रिशूल भी मेरे त्रिशूल से उत्पन्न हुआ है। इसलिए मेरे त्रिशूल के समान ही भयंकर यह भी है। आपातकाल में ही इसका प्रयोग करना और लो तुम्हें मंत्री के रूप में मैं एक भेट देने जा रहा हूं। अचानक बाबा के शरीर से एक छाया से निकली और बाबा से कुछ कदम दूर जाकर खड़ी हो गई। वह छाया धीरे-धीरे बाबा का रूप धारण करने लगी। बाबा बोले देखो मैं अपना एक रूप तुम्हारे यहां छोड़ कर जा रहा हूं। इसे मंत्री पद पर नियुक्त करना। यह स्वरूप हमेशा तुम्हारी रक्षा करेगा और तुम्हें अच्छी-अच्छी सलाह दिया करेगा। यह स्वरूप भी बाबा के समान ही मनमोहक रिश्ट और सुंदर था। यह कहकर बाबा हिमालय की ओर चल पड़े।
6सुंदर जीवन
राणा अब सुंदर जीवन जी रहा था। उसके राज्य में अमन और शांति थी। प्रजा संपन्न और सुखी थी। अचानक राजा का मुगलों से युद्ध छिढ़ गया।
राणा की सैन्य टुकड़ी भी राणा के नेतृत्व में मुगलों से लड़ी। राणा के टुकड़ी जिधर से भी गुजरती। मुगल वहां से साफ हो जाते। हजारों मुगलों का वध राणा ने स्वयं अपने हाथों से किया और उसकी टुकड़ी ने भी हजारों का वध किया। लाखों मुगल सैनिक ढेर रहे। राजा की जीत हुई और राजा का बहुत बड़े क्षेत्र पर अधिकार हो गया। अब राजा एक बड़ा राजा बन गया। राणा की वीरता से खुश होकर राजा ने राणा को अपना एक सेनापति बना दिया। अब वह जागीरदार के साथ-साथ सेनापति भी था और उसकी जागीर बढ़ाकर बड़ी कर दी गई। अब वह हजार गांव का जागीरदार था और कई छोटे बड़े शहर भी उसकी जागीरदारी में आते थे।
7मिश्र का फराओ
राजा का दरबार लगा था। राणा दरबार में बैठा था। राजा राणा से बहुत खुश था राजा अब एक बहुत बड़ा राजा बन गया था राजा के सलाहकार और सेनापति तथा मंत्री लोग बैठे थे राजा ने राणा को संबोधित किया राणा तुम्हें एक काम के लिए मिश्र। जाना है। वहां का राजा फराहो हमारा मित्र है। तुम्हें उसकी मदद करनी है। उसने हमें पत्र भेजा है। राणा आश्चर्यचकित रह गया। बोला महाराज फराहो तो हजारों साल पहले होते थे। इस जमाने में फराहो कहां होते हैं।
राजा बोला तुम हमारे बारे में नहीं जानते हो। तुम्हें समय यात्रा करके हजारों वर्ष पहले फराहो के दरबार में पहुंचना है। राणा ने कहा यह कैसे? राजा ने अपनी हाथ की उंगलियां उसके सामने की। उसके हाथ की उंगलियों में कई अंगूठियां थी। राजा ने एक उंगली से एक अंगूठी उधर का राणा के हाथ में पहना दी और कहा इस अंगूठी के माध्यम से। एक अंगूठी मेरे हाथ में है और एक अंगूठी मैंने तुम्हें दे दी है। इससे हमारा संपर्क बना रहेगा। अपनी अंगूठी से तुम आराम से फराहो के शासनकाल में हजारों वर्ष पहले पहुंच सकते हो।
8फराहो
इसके बाद राजा ने अपनी अंगूठी में एक बटन दबाया। बटन दबाते ही सामने एक द्वार खुल गया। यह समय यात्रा का द्वार था। राजा ने राणा से कहा जो इस द्वार में घुस जाओ। फरहो से मिलो। वहां काम करके तुम अपनी अंगूठी का बटन दबा देना। फिर यही द्वार खुल जाएगा। राणा अपने घोड़े सहित तुरंत उस द्वार में कूद गया। उसकी जाते ही द्वार बंद हो गया।
कुछ देर में राणा फरहो के भव्य दरबार में था। फराहो ने राणा का स्वागत किया और कहा हमारे मित्र ने तुम्हें यहां भेजा है। वीर योद्धा तुम्हारा बहुत-बहुत स्वागत है। फिर फराओ ने अपने वजीर को आदेश दिया जाओ हमारे सम्माननीय मेहमान को हमारे विशेष अतिथि महल में ठहराओ। वजीर ने राणा को ले जाकर अपने राज्य के सबसे भव्य महल अतिथि महल में ठहराया। वहां राणा की सेवा में हजारों दास दासियां तैनात थी।
राणा ने वहां जाकर गर्म जल में स्नान किया। फिर थोड़ा आराम करके वह नास्ता करने लग गया। नाश्ते में विभिन्न किस्म के व्यंजन बने हुए थे। क्योंकि राणा शाकाहारी था और हनुमान जी का परम भक्त था। इसलिए उसने शाकाहारी भोजन ही किया। फराहो ने राणा के तगड़े शरीर को देखकर उसके लिए अच्छे-अच्छे सरकारी व्यंजन भिजवाए थे। मांसाहारी नहीं। क्योंकि आपने देखा होगा कि मांसाहारी प्राणियों का शरीर कमजोर और छोटा ही होता है। अगले दिन दरबार में राणा फराहो से फिर मिला।
फराहो ने कहा यहां से कुछ दूर एक राज्य है असीरिया। असीरिया के असुरों ने हमारे राज्य के सीमा पर भयानक आतंक मचा रखा है। मैं चाहता हूं कि तुम हमारे फौज का नेतृत्व करो और असिरिया के दोनवो का अंत करो। राणा ने तुरंत हां कह दी और फराहों की विशाल फौज लेकर असीरिया की तरफ चल पड़ा। जाते ही राणा ने कुछ ही समय में सारे असुर, दैत्यो का अंत कर दिया। इसके बाद राणा फराहो के दरबार में पहुंच गया। फराहो ने उसका भव्य स्वागत किया और कहा है वीर योद्धा हम तुम्हें मुंह मांगी मुराद देंगे। राणा ने देखा कि वहां सफाई कर्मचारियों की कुछ विशेष इज्जत नहीं थी। इसलिए राणा बहुत मन ही नाराज था।
राणा ने फरहो से कहा मेरी इच्छा यह है इन सफाई कर्मचारियों को अच्छी शानदार वर्दी, अच्छा शानदार वेतन, भोजन अच्छा आवास दिया जाए। फराओ इससे बड़ा खुश हुआ। उसने तत्काल इस बात की घोषणा कर दी। सफाई कर्मचारियों को जब ऊंचा ओहदा मिला तो वो भी प्रसन्न होकर अपना कार्य करने लग गये। जिससे फराहो का राज्य पहले से अधिक सुंदर और साफ सुथरा हो गया। इसके बाद फरहो ने राणा को उपहार में राणा को बहुत सा सोना, चांदी, हीरे मोती, माणिक प्रदान किये और अपने मित्र राजा के लिए भी बहुत सारा उपहार राणा को प्रदान किया। राणा सब को लेकर खड़ा हो गया। उसने अपनी अंगूठी का बटन दबाया।
तुरंत समय यात्रा का द्वार खुल गया। राणा साहब भेन्टे और अपने घोड़े सहित उसमें कूद पड़ा। अगले ही छन वह राजा के दरबार में था। राजा ने राणा का बहुत स्वागत किया। राणा ने भी फराहो द्वारा दी गई भेन्टे राजा को अर्पित की और अपनी भेटे लेकर अपनी आवास स्थल चला गया।
9आदिमानव बने सभ्य
राज्य में कुछ आदिमानव रहते थे। यह पेड़ पर पेड़ के नीचे गुफाओं में रहते थे। कुछ झोपड़ी में भी रहने लग गए थे। कपड़े के नाम पर यह पेड़ के पत्ते जानवरों की छाल लपेट करते थे। आज का भी उन्हें कोई खास ज्ञान नहीं था।
इन आदिमानवों का क्षेत्र राणा के जागीर में पड़ता था। राणा ने आदिमानवों के लिए एक छोटा सा शहर बनाया। इस शहर में आधुनिक जीवन की सभी सुविधाएं उपलब्ध थी। फिर आदि मानवों को समझा बूझकर इन शहरों में रहने के लिए राजी किया। उसने आज मानवों को रहन-सहन के ढंग सीखने के लिए कुछ टीचर रखे। उन्हें कपड़े पहनना, भोजन बनाना आदि सिखाए। उनके लिए कुछ रोजगार की व्यवस्था की। इस तरह धीरे-धीरे आदिमानव सभ्य होने लगे और राज्य की अर्थव्यवस्था में हाथ बंटाने लगे।
10दुश्मन का किला
राजा ने राणा को दुश्मन का किला घेरने का आदेश दिया। इस किले में एक तगड़ा दुश्मन अपनी सेना के साथ रहता था जो सेना के साथ बाहर आकर राजा के राज्य में उत्पात मचाता था। राजा ने कई बार अपनी सेना दुश्मन को हराने के लिए भेजी। लेकिन दुश्मन के किले में जाकर छुप जाता था और राजा की सेवा नाकामयाब होकर लौट जाती थी। राणा ने अपनी सेना के साथ किला घेर लिया।
कई दिनों की किलेबंदी के बाद भी राणा नाकामयाब रहा। आखिर में धूर्त शत्रु से राणा ने चतुरता से निपटने की सोची। राणा ने किले में जाने वाला पानी और रसद की आपूर्ति बंद कर दी। आखिर दुश्मन भूख का प्यास से बिलबिलाता हुआ अपनी सेना सहित किले पर से बाहर निकल आया। राणा की सेना दुश्मन पर टूट पड़ी। कुछ ही देर में दुश्मन की पूरी सेना काट डाली गई और किले पर राणा का कब्जा हो गया। राजा को जब यह सूचना मिली तो राजा बहुत खुश हुआ और उसने राणा को मुख्य सेनापति बना दिया।
11धन्यवाद
जिन मित्रों ने अपनी तरफ से मुझे सामाजिक कार्य करने के लिए धन मेरे अकाउंट में भेजा है। उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद।
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12मुगलों का आक्रमण
मुगलों की एक बहुत बड़ी फौज ने राजा के राज्य पर आक्रमण कर दिया। राजा बहादुरी से लड़ा लेकिन घायल हो गया। राजा की सेना भी मारी गई। राजा को कारागार में डाल दिया गया। राणा भी बहुत घायल हुआ। वह भी कारागार में डाल दिया गया। राजा की बाकी बची सेना इधर-उधर हो गई। मुगलों का राजधानी पर कब्जा हो गया। लेकिन अचानक एक दिन राणा राजा को लेकर कारागार से भाग निकला।
राणा राजा को लेकर एक जंगल में ले गया। वहां उसने एक गुफा में आशियाना बना लिया। उसने स्वयं और राजा की मरहम पट्टी करवाई और जंगली लोग और आदम जनजाति को इकट्ठा किया। उन्हें युद्ध विद्या में माहिर बनाया और फिर उनकी सेना लेकर मुगलों पर आक्रमण कर दिया। सारी मुगल सेना काट दी गई। राजधानी पर फिर राणा और राजा का अधिकार हो गया। राजा को फिर गद्दी पर बिठाया गया।
13राजा हुआ खुश
महान पराक्रमी राजा राणा के शोर्य से बड़ा खुश हुआ। राजा ने राणा को अपना वजीर नियुक्त कर दिया। साथ ही अपने राज्य को पहले से ज्यादा सशक्त बनाया।
आर्थिक और सैनिक दोनों दृष्टिकोण से साथ ही अपने राज्य का विस्तार भी किया और जंगल की आदिवासियों को भी अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया और उनके सुख सुविधा का भी ध्यान रखा। उनका भी आर्थिक, सामाजिक और नैतिक विकास किया। उनके एक दल को भी अपनी सेना में रखा।
14मुगलों का फिर आक्रमण
मुगल अपनी हार से बड़े दुखी थे। उन्होंने फिर एक बहुत बड़ा दस्ता अपनी फौज का राजा के राज्य पर आक्रमण करने के लिए भेजा। राजा और राणा सजग थे और उन्होंने नवीन ढंग से व्यूह रचना कर रखी थी।
जैसे ही मुगलों ने उनके राज्य पर आक्रमण किया। राजा की सेना ने राणा के नेतृत्व में तुरंत उन्हें चारों ओर से घेर लिया। पलक झपकते ही सारे मुगल सेनापति खेत रहे और उनकी सारी सेना मारी गई।
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15सम्मान
राणा की बहादुरी, योग्यता और बुद्धि देखकर राजा ने राणा का बहुत सम्मान किया और ल राणा की जागीर को बढ़ाकर उसे और बड़ा जागीरदार भी बना दिया।
इस प्रकार एक साधारण व्यक्ति से राणा ने आगे बढ़कर एक बड़े व्यक्तित्व को हासिल कर लिया।
16भव्य नगर का निर्माण
राणा ने अब अपने राजगुरु के परामर्श पर एक भव्य आधुनिक विश्व स्तरीय नगर का निर्माण किया। यह नगर अपने समय से हजार साल आगे था। जब राणा ने इस नगर का निर्माण कर राजा को उद्घाटन करने के लिए बुलाया तो राजा इस नगर को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने राणा की भूरी भूरी प्रशंसा की।
17अंतर्यामी बाबा का स्वरूप
अंतर्यामी बाबा का जो स्वरूप बाबा से मिला था। वह दिन रात पूजा पाठ और तपस्या में लगा रहता था और उचित समय आने पर राणा को अच्छी-अच्छी जानकारी देता था। राणा भोले शंभू की इस स्वरूप को बहुत पावन मानकर हमेशा उनकी बात को आदर के साथ ग्रहण करता था।
18राजा ने ली राणा की परीक्षा
राजा ने राणा की परीक्षा लेने की सोची। राजा ने अपने पराक्रम से एक बड़े बहुत बड़े महाद्वीप पर कब्जा किया था। इस महाद्वीप में असभ्य जंगली आदिमानव रहते थे। राजा चाहता था कि राणा इन जंगली आदम मानवों को सभ्य मानव में बदले।
19राजा हुआ प्रसन्न
राणा ने राजा को अपनी सहमति प्रदान की। राजा कुछ लोग लेकर आदिमानव के महाद्वीप में जा पहुंचा और स्थानीय लकड़ी आदि से उसने वहां एक बहुत बड़े महानगर का निर्माण करवाया।
बीच में उसने अपने किले का निर्माण करवाया और महानगर के चारों तरफ भी चार दिवारी का निर्माण करवाया। किले में राणा अपने विश्वास साथियों के साथ रहा और उसने वहां अपने भोजन वस्त्र, पानी आदि की भी व्यवस्था स्थानीय उत्पादन से करवाई। महानगर के बाहरी हिस्से से हटकर कुछ फैक्ट्री आदि के लिए एक नगर की स्थापना की गई ।
20बने सभ्य मानव
राणा के सैनिक आदि मानवो को पकड़ पकड़ कर नगर में लाने लगे और उन्हें आधुनिक जीवन जीने का ढंग सीखने लगे। उनके बच्चों को स्कूलों में डाला गया और उन्हें फैक्ट्री आदि में कार्य करना भी सिखाया गया।
साथ ही उसने आदिमानवो को प्रशिक्षित करके एक सेना का भी निर्माण किया। जिसकी कमान उसने खुद के हाथ में ले ली। धीरे-धीरे सारे महाद्वीप के आदिमानव सभ्य होने लगे और फैक्ट्री आदि में कार्य करते हुए राजा की अर्थव्यवस्था और अपने महाद्वीप की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने लगे।
21नगरीकरण
अब राना बहुत अधिक धन अपने महानगर में बैठ बैठ के कमाने लगा। कुछ धन राजा को कर के रूप में भेज देता और कुछ धन अपने महानगर की उन्नति में लगाता। अब उसका विदेश व्यापार भी प्रारंभ हो गया था। बचे धन से उसने सारे महानगर में नए-नए नगरों का निर्माण करवाया और इन नगरों में भी आदि मानवों को सभ्य करके रखा गया।
22अन्य महाद्वीप
राजा ने राणा को अब उस महाद्वीप का पद किसी गवर्नर को देने को कहा और उसे एक अन्य महाद्वीप में ऐसा ही विकास करने के लिए भेज दिया। राणा यह आदेश पाकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने अपने एक चुने हुए गवर्नर को महाद्वीप का गवर्नर बना दिया और खुद कुछ लोगों को लेकर दूसरे महाद्वीप का विकास करने चल पड़ा।
23विकास और आध्यात्म
राणा के कार्यो से विकास और आध्यात्म की धार बह निकली। राणा ने राजा के आदेश और मार्ग निर्देशन में कई महाद्वीपों का विकास किया और वहां आध्यात्मिक तथा नैतिक मूल्यों को स्थापित किया।