Dil Se Dil Tak Ek Tarafah Safar - 2 in Hindi Love Stories by Rupali books and stories PDF | दिल से दिल तक एक तरफ़ा सफ़र - 2

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दिल से दिल तक एक तरफ़ा सफ़र - 2

आप सब कैसे है? मैंने जो स्टोरी लिखी थी दिल से दिल तक एक तरफ़ाह सफर पार्ट १, [अगर आपने इस कहानी का पहला भाग नहीं पढ़ा है तो आप उसको पहले पढ़ लीजिये ताकि आपको इस पार्ट में आगे क्या हुआ यह जानने में रूचि आएगी] उसको आप सभी ने बहुत प्यार दिया और उसी से ही मुझे दूसरा पार्ट लिखने की प्रेरणा मिली। अभी नया नया लिखना ही स्टार्ट किया है तो थोड़ी गलतियां भी हो सकती है लेकिन समय के साथ में अपनी कहानिया लिखने में इम्प्रूवमेंट लाऊंगी।

मैंने इस स्टोरी के पहले पार्ट में बताया था की में उस इंसान से कैसे और कहा मिली ! और साथ ही उनके बारे में भी आपको बहोत कुछ बताया था।

आपको शायद यह भी प्रश्न होगा की मैंने अपनी इस कहानी में अपने काल्पनिक इंसान का प्रोफेशन डॉक्टर ही क्यों चुना ! यह इस लिए क्यूंकि मुझे व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर प्रोफेशन बहुत ही पसंद है | में इस प्रोफेशन की बहुत ही रेस्पेक्ट करती हु | वैसे भी डॉक्टर भगवान् का रूप होते है और मेरा व्यक्तिगत मानना है की डॉक्टर प्रोफेशन के लोग बहुत शांत स्वभाव के होते है | तो इस लिए मैंने अपने काल्पनिक व्यक्ति का प्रोफेशन डॉक्टर पसंद किया | अब चलिए आगे की कहानी देखते है .........

चलिए इस कहानी का दूसरा पार्ट शुरू करते है !!!!!

इस से पहले एक शायरी हो जाये.......

 

तुमको खबर हुई ना ज़माना समज सका,

हम चुपके चुपके तुमपे कई बार मर गए।।

 

 आज रविवार है और हर रोज़ की तरह सुबह उठ कर फ्रेश हो कर चाय नास्ता बनाया और पता है नास्ते में मैंने पराठा और चाय बनायीं थी। फिर , मैं रोज़ की तरह ऑफिस जाने के लिए रेडी हुई। हमारे ऑफिस में रविवार को आधा दिन जाना होता था। फिर में ऑफिस के लिए घर से निकली, और उस टाइम मैं ऑफिस चल के जाया करती थी और मुझे रास्ते में मेरे सहकर्मी मिल गए और फिर में उनके साथ ऑफिस पहुंची। ऑफिस पहुंचने के बाद रोज़ की तरह अपना काम शुरू किया। आपको पता है उस टाइम मेरे पास खुद का फ़ोन भी नहीं था। मतलब ऑफिस में मुझे एक फ़ोन दिया हुआ था जिससे में रोज़ का काम करती थी। मेरा काम ही ऐसा था की जिसमे मुझे सबसे ज्यादा फ़ोन की जरूर रहती थी। तो फिर मैंने अपना काम किया और जब लगा की अब काम नहीं है, मतलब अभी थोड़ा टाइम फ्री हु तो फ़ोन में मैंने अपना सोशल मीडिया अकाउंट ओपन किया और आपको तो पता ही है मैंने अपना खुद का सोशल मीडिया अकाउंट भी सिर्फ डॉक्टर साहब को सोशल मीडिया में फॉलो करने के लिए बनाया था। फिर मैंने जैसे ही उनका अकाउंट ओपन किया तो देखा की उन्होंने अपनी बायो में अपनी जन्म तारीख डाली थी तब जाके हमको उनकी जन्म तारीख का पता चला। में यह बात कर रही हु जनवरी की और उनका जन्मदिन जुलाई में था फिर तो मुझे बहुत ही ख़ुशी हुई की चलो अब कही जाके मुझे उनके जन्मदिन का तो पता चला। उसके बाद में हर रोज़ उनका सोशल मीडिया अकाउंट देखती थी।

फिर जनवरी में लगभग 28 तारीख को मुझे अपने करीबी को वापिस उसी हॉस्पिटल में लेके जाना था जहाँ हमारे डॉक्टर साहब है। फिर क्या हम गए उसी हॉस्पिटल में। मैंने अपने करीबी के रिपोर्ट्स करवाए, उनको चैकअप करवाना था वोह करवाया लेकिन मेरी नज़र तो बस उन्ही को ढूँढ रही थी। फिर में अपने करीबी की रिपोर्ट्स लाने लैब गयी तो वहां पे बहुत ही लम्बी लाइन थी इस लिए मुझे बहार इंतज़ार करना था और पता है आपको यह लैब एकदम उस वार्ड के सामने थी जहा उनका राउंड के लिए आना जाना रहता है। उस टाइम मैंने इधर उधर देखा लगा की कही से उनकी एक झलक ही दिख जाये, लेकिन वह दिखे ही नहीं.....और हम इंतज़ार करते-करते थक गए हैं,अब तो बस उनका दीदार ही चाहिए था... पर मेरी यह ख्वाहिश अधूरी ही रह गयी क्यूंकि इस बार मुझे उनको देखने को ही नहीं मिला !....... 

फिर क्या था मैंने बहुत कोशिश करी ताकि कही से वोह मुझे दिख जाये लेकिन क्या था मुझे वोह दिखे ही नहीं |  फिर मैंने अपने रिश्तेदार के रिपोर्ट ले लिए और डॉक्टर को दिखने गए फिर कुछ दवाईयां ली जो डॉक्टर ने लिखी थी और अब मुझे उस हॉस्पिटल से जाना था और फिर हम हॉस्पिटल से निकले और घर आ गयी |  

यह कहानी आगे चलती रहेगी.... मुझे आशा है की आप लोग इस पार्ट को भी बहुत प्यार देंगे... 

इसका तीसरा पार्ट जल्द ही लाऊंगी.... 

To be Continued.....