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धमकी
रामलाल बड़ी सावधानी से बिरजू का पीछा करता जा रहा है, सोमेश और नंदन भी उसके पीछे हो लिए I इन सबसे बेख़बर, बिरजू बड़ी गति से अपने गंतव्य की ओर जाता जा रहा हैI वह गॉंव के अंतिम छोर में लगे नीम के पेड़ की तरफ जा रहा हैI “भैया! यह मांजरा क्या है?” “मुझे भी वहीं समझ में नहीं आ रहा कि आख़िर मांजरा क्या हैI” नंदन ने धीरे से ज़वाब दियाI अब बिरजू उस पेड़ के पास पहुँच गया तो वह रामलाल एक कोने में दुबका उसे देखकर सोचने लगा, ‘बिरजू! आज तेरी पोल खुलेगीI मैं भी कोई कम नहीं हूँI मुझे पता है, तेरी हरकते ठीक नहीं हैI” वह अभी यह सोच ही रहा है कि उसे किसी ने आकर टोक दिया, उसने पीछे देखा तो नंदन खड़ा हैI वह घबरा गयाI
काका !! यह इतनी रात को यहाँ कर रहें हो?
कुछ नहीं बेटा, बस घर ही जा रहा थाI
घर जा रहें हो या बिरजू भाई के पीछे, सोमेश बोला तो वह खिसयानी हॅंसी हँसने लग गयाI
“नहीं बेटा !! मैं घर ही जा रहा थाI” अब वह वहाँ से चुपचाप निकल गयाI दोनों ने देखा कि बिरजू भाई भी अब उस पेड़ के पास नहीं खड़े हैI “पता नहीं ये दोनों कम्बख़्त कहाँ से आ गएI उस किशोर की शादी ने पूरे गॉंव को जगा रखा हैI” मुंशी गुस्से में बड़बड़ाता जा रहा हैI वही बिरजू ने उन तीनों को बातें करते देख लिया था इसलिए उसने वहॉं से खिसकना ही बेहतर समझाI यह मुंशी तो मेरे हाथ धोकर पीछे पड़ गया हैI आज अगर ये नंदन और सोमेश न होते तो यह तो मुझे पकड़ ही लेताI अब उसके दोस्त का फ़ोन आया और उसने गॉंव के किसी कोने में जाकर उससे पूड़ियाँ ले लींI उसके दोस्त ने उससे कहा,
भाई !! तू कुछ ज्यादा ही ले रहा हैं, ऐसे तो बहुत जल्द भगवान को प्यारा हो जायेगाI
“यही तो मैं चाहता हूँI” उसने उसे पैसे थमाते हुए कहा और फिर चुपचाप वहॉं से खिसक गयाI
अगले दिन किशोर की बुआ, उसकी माँ सरला शादी में करने वाले रीति रिवाज़ के बारे में बात कर रही हैं तो वहीं किशोर के चेहरे पर परेशानी की रेखायें साफ़ दिखाई दे रही हैI वह बड़बड़ाने लगा, ‘कल शादी है और यह बुआ जी, मेरे सिर पर सवार है, आख़िर मैं क्या करो, इनकाI पहले ज़माने में औरतें बारात में नहीं जाती थीI अब देखो, सब जाने को तैयार हैI ज़माने ने भी अपने हिसाब से खुद को बदला है, तभी तो इस दहेज़ प्रथा पर रोक नहीं लगा सकेंI व्यवहार बदल रहा है पर विचार नहींI” अब उसकी बुआ ने उसे टोकते हुए कहा, किसोर!! “कल तेरा ब्याह है, इसलिए तू घर से बाहर नहीं जायेगाI उसने हाँ में सिर हिला तो दिया, मगर मन ही मन कहने लगा, “आपका कुछ बंदोबस्त करने के लिए बाहर तो जाना ही पड़ेगाI”
नन्हें राजू ट्रेवल की गाड़ी में नंदन के साथ अपना प्लास्टर खुलवाने जा रहा हैI डॉक्टर के पास भीड़ होने की वज़ह से उन्हें इंतज़ार करना पड़ रहा हैI तभी भीड़ में बैठी ज्योति पर नंदन की नज़र गई तो वह नन्हें को बोला, “यह ज्योति यहाँ क्या कर रहीं है?”
“डॉक्टर के पास क्या करते हैI” नन्हें ने उसे घूरते हुए ज़वाब दिया तो वह बोला, “भाई यह हड्डियों का डॉक्टर है, पर इसके तो कोई फ्रैक्चर ही नहीं लग रहा हैI”
अब नन्हें ने देखा कि ज्योति काफी परेशान लग रही है, उसकी शक्ल ऐसे हो रही है कि जैसे अभी रो पड़ेगीI अब उसका नंबर आया तो वह डॉक्टर के केबिन में गईI करीब पंद्रह मिनट बाद वो बाहर आई, तो उसने भी नन्हें को देख लिया और चेहरे पर ज़बरदस्ती की मुस्कान लाएं, उससे पूछने लगी, “क्यों नन्हें अब पैर कैसा है?” “आज प्लास्टर खुलवाने ही आया हूँ लेकिन तुम यहाँ क्या कर रहीं होII मेरी हड्डियों में दर्द था इसलिए वही दिखाने आई थींI” दोनों ने उसको गौर से देखा तो उसने नज़रे चुरा लींI
शाम का समय है, ढोलक की थाप राधा के घर में गूंज रही हैI उसकी बहन सुमित्रा उसे मेहंदी लगा रही हैI वह बहुत अच्छी मेहन्दी लगाती हैI शादी ब्याह या किसी त्योहार में गॉव के लोग उसे ही मेहंदी लगाने के लिए बुलाते हैI अब उसने राधा के हाथ पर किशोर लिखा तो वह शरमा गईI रिमझिम और बाकी सहेलियाँ उसके साथ मज़ाक करने लगीI फिर नाच गाना भी शुरू हो गयाI
किशोर के हाथ पर शगुन की मेहंदी लगा दी गई हैI वहाँ भी मस्ती और नाच गाने का माहौल हैI सभी यार दोस्त और भाई बहन नाच रहें हैंI मगर अभी नन्हें को डॉक्टर ने पैर ज़ोर डालने के लिए मना किया है, इसलिए वह बैठकर ही सबका आनंद ले रहा हैI
जब सोना को राजवीर नदी के किनारे क्रिकेट खेलते दिखा तो उसने कहा कि “मैंने नीमवती के घर का पता मालूम कर लिया है पर वो तुम्हें भी पता है कि वो पता तुम्हें कब मिलेगाI”
ठीक है. कब चलना है?
यही चार दिन बाद, यह जवानी दीवानी नाम की फिल्म आ रही है, वहीं देखने चलेंगेI
हमारे साथ और कौन कौन जा रहा है?
“फ़िलहाल तो बस हम ही जा रहें हैं, उसने सोना को मुस्कुराकर देखा तो वह भी उसे देखकर मुस्कुरा दीI उसके जाते ही रघु बोला, “तू सोना को कम मत समझना, वो भी बहुत तेज़ है, वह तुझे कुछ भी नहीं करने देगी और फिल्म के पूरे मज़े भी ले लेगीI”
मेरा नाम भी राजवीर चौधरी है, मैं तो अपनी पूरी टिकट वसूल लूँगाI उसने पूरे विश्वास के साथ कहा तो वहाँ खड़े उसके सभी दोस्त हँसने लगेंI
रात तो किशोर की आँखों आँखों में ही कट रही हैI उसके पास बुआ जी के लिए एक तरकीब तो है, मगर वह कामयाब भी होनी चाहिएI “कल कुछ भी हो जाएँ, मैं बुआ को अपनी शादी में तो नहीं ले जा सकताI” उसने अब करवट बदलते हुए सोचाI
वही निर्मला को सुनील ने फ़ोन पर धमकाते हुए कहा “अगर तीन चार दिन में तुम कानपुर नहीं आई तो मैं सचमुच तुम्हें ट्रैन के आगे धक्का दे दूँगाI” यह सुनकर वह काँप गईI “मेरे न आने से इसके कितने काम रुक रहें होंगे” यह मुझे अच्छे से पता हैI उसने चिढ़ते हुए कहा I मगर फ़ोन रखने के बावजूद वह अब भी उसकी धमकी से डरी हुई हैI