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गीत
अब राजवीर ने उनको सोचते हुए देखा तो वह फिर बोल पड़ा, “मैं तुम्हारी मदद भी कर दूंगा और तुमसे कोई सवाल भी नहीं पूछूँगा अब तुम बापू से तो नहीं पूछ सकती, भाभी तुम्हारे हाथ नहीं आएंगी। भैया से तुम बात नहीं कर पाऊँगी इसलिए मैं ही तुम्हारी मदद कर सकता हूँ और एक फिल्म की ही तो बात है।“ रिमझिम पर उसकी बातों का कोई असर नहीं हुआ। उसने सोनाली का फिर हाथ पकड़ा और उसे लेकर जाने लगी तो सोना ने उसका हाथ छुड़ाते हुए कहा, “ठीक है मैं फिल्म देखने चलूँगी।“ रिमझिम ने उसे डाँटते हुए कहा, “पागल है, क्या !!! कोई ज़रूरत नहीं है।“ मगर सोना ने उसकी बात को अनसुना करते हुए राजवीर से पूछा,
ठीक है, अब मैं फिल्म देखने चल रही हूँ तो मुझे शाम तक नीमवती का पता बताओ ।
सोना! तुमने मुझे सचमुच का गधा समझ लिया क्या !!!
जिस दिन तुम मेरे साथ हॉल के अंदर घुसोगी, उस दिन मैं तुम्हें उनका पता लाकर दे दूँगा।
ठीक है, मंजूर है। अब राजवीर फिर अपने फ़ोन पर लग गया और सोना और रिमझिम घर जाने को हुए।
क्यों री ? तुझे क्या ज़रूरत थीं!!! मैं नानी से निकलवाने की कोशिश कर लेती।
अच्छा !! फिर पहले यह काम क्यों नहीं किया। देख !! रिमझिम, अब भी कुछ नहीं बिगड़ा। तू अपने दम पर पता कर लेगी तो मैं नहीं जाऊँगी। लेकिन तूने नहीं किया तो फिर कोई रास्ता नहीं है।
मुझे ऐसे क्यों लग रहा है कि तू ख़ुद भी उसके साथ फिल्म देखना चाहती है।
मैं शहर के हॉल में फिल्म देखना चाहती हूँ, वो अलग बात है कि मुझे राजवीर दिखा रहा है और यही तो उम्र है, हमारी मस्ती मजे करने की, अगर नौकरी मिल गई तो भी काम करना है और नहीं मिली तो किसी की बीवी बनकर भी यहीं करना है इसलिए मुझे उसके साथ जाने में कोई दिक्कत नहीं है। इस बहाने में शहर का मॉल भी देख लूंगी। आजकल यह हॉल मॉल में ही होते हैं । उसने उत्साहित होकर ज़वाब दिया तो रिमझिम से कुछ कहते नहीं बना।
सुधीर ने गिरधारी चौधरी को बताया कि मधु की तबीयत ठीक नहीं लग रही, इसलिए वो उसे डॉक्टर के पास लेकर जा रहा है। अब वह ट्रेक्टर लेकर खेतो से गुज़रा तो उसे अपने खेतों में काम करता हरीश दिखा, उसने ट्रेक्टर रोकते हुए उसे पुकारा, “हरीश!” वह भागता हुआ आया।
जी!!
मेरे आने तक खेतों में बीज डालने का काम खत्म हो जाना चाहिए।
जी सरकार !!! वैसे सब ठीक तो है?
हाँ बस लुगाई की तबीयत ठीक नहीं थी। इसलिए उसको लेकर दवाखाना जा रहा हूँ। उसने अब ट्रेक्टर आगे बढ़ा दिया। हरीश ने एक नज़र मधु पर डाली और मधु भी उसको देखकर मुस्कुराने लगी।
शाम को राधा के घर से नाचने गाने की आवाजें आ रही है। सोनाली और रिमझिम भी वहीं पहुँची हुई है। वे दोनों राधा और उसकी बहनों के साथ नाच रही हैं । अब पार्वती ने राधा को डाँटते हुए कहा, “क्या बेशर्मो की तरह अपने ब्याह में नाचे जा रहीं हैं।“ “अरे !! चाची अब ज़माना बदल गया है।“ सोना ने चिल्लाते हुए ज़वाब दिया। फिर सब औरते ज़ोर ज़ोर से गाने लगी,
“बन्नो रानी तुम्हें सियानी होना ही था
होना ही था होना ही था
एक राजा की तुमको रानी
होना ही था होना ही था होना ही था
बन्नो रानी एक दिन तुमको
बन्ने राजा के घर डोली में जाके
हम सखियों से यूँ अंजानी
होना ही था होना ही था होना ही था”
किशोर के घर में भी ढोलक बज रही है। ब्याह के गीत जाए रहें हैं। घर की औरतों और लड़कियों के साथ सोमेश, किशन, नंदन और किशोर के दोस्त भी नाच रहें हैं। नन्हें दूर चारपाई पर बैठा, सबको नाचते देखकर ख़ुश हो रहा है।
“मतथे ते चमकन वाल, मेरे बनरे दे
लाओ नी लाओ ऐनु
शगना दी मेहँदी
लाओ नी लाओ ऐनु
शगना दी मेहँदी
गाने दे रंग ने कमाल
मेरे बनरे दे
गाने दे रंग ने कमाल
मेरे बनरे दे
मतथे ते चमकन वाल, मेरे बनरे दे”
इन्हीं संगीत और नाच में पूरी शाम बीत गई और अब किशोर ने सबको खाना खाने के लिए कहा तो सब पंक्ति में बैठ गए और फिर सबकी थाली में खाना परोसा जाने लगा। नन्हें को खाना देते वक्त किशोरने पूछा “तेरा प्लास्टर कल खुलेगा न?” हाँ भाई !! मैं तो बिल्कुल लाचार हो गया हूँ, सब मजे कर रहें है और मैं ऐसे बैठा हूँ।“ तभी बुआ उसके पास बैठते बोली, “मेरा नन्हें तो बहुत बहादुर है। ये तो छोटी मोटी चोटे है, इनसे बहुत जल्दी उभर जायेगा।“ उसने सुना तो वह ख़ुश हो गया। “लेकिन बुआ जी मैं बहादुर नहीं हूँ। मुझे आपका कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा क्योंकि अगर आपको राधा के बापू ने देख लिया तो मेरा ब्याह रुक जायेगा और मैं राधा को उस साहिल की नहीं होने दे सकता।“ किशोर ने मन ही मन सोचा।
अब रात को राजवीर के घर पर सब खाना खाने बैठे तो गिरधारी चौधरी ने मधु से कहा,
“ बहू तू अब से अपना ध्यान रख, मैं कल ही कोई खाने बनाने वाली लगा दूंगा।
“अरे! बापू जी थोड़ा काम करना तो सही होता है,” उसने उनकी थाली में रोटी डालते हुए कहा। राजवीर बिरजू और सुधीर भी वही ज़मीन पर बैठकर खाना खा रहें हैं। अब गिरधारी ने सुधीर को कहा, “बावले !! अपनी घरवाली को ज़्यादा काम न करने दियो। मैं तो कहता हूँ कि घर में नौकरो की फ़ौज और बढ़ा दें।“ राजवीर ने चावल का एक कौर मुँह में डालते हुए पूछा, “ऐसा क्या हो गया है, भाभी को।“
“अरे! बवाली बूच !! तू चाचा बनने वाला है।“ “अरे !! वाह भाभी सुधीर भाई बाप बनने वाला है।“ अब मधु शरमाकर अंदर चली गई और दोनों भाई सुधीर को बधाई देने लगे। रसोई में खड़ी मधु अपने पेट पर हाथ रखते हुए बोली, “मेरा और उसका बच्चा!! यह हमारे प्यार की निशानी है।“ अब उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई।
किशोर अपनी बुआ जी को घूरता जा रहा है, तभी नंदन सोमेश के पास आया और बोला, “भाई कोई और मदद चाहिए तो बताओ और यह आप बुआ जी को क्यों घूरते जा रहें हो?” “कुछ नहीं,” उसने अपनी नज़रें हटाते हुए कहा। “अभी कोई काम नहीं है, कल नाश्ता करने के बाद आराम से आ जाना।“ उसने नंदन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
वे दोनों अब किशोर के घर से निकले तो रास्ते में उन्होंने देखा कि बिरजू के पीछे पीछे जमींदार का मुंशी छुपते छिपाते जाता जा रहा है। “यह रामलाल बिरजू भैया का पीछा क्यों कर रहा है ।“ सोमेश और नंदन दोनों हैरान है ।