nakl ya akl - 26 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नकल या अक्ल - 26

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नकल या अक्ल - 26

26

प्यार

 

सुनील अब ट्रैन में चिल्लाते हुए इधर उधर भागने लगा, “ मेरी बीवी ट्रैक के नीचे  आ गई,  मेरी बीवी को बचाओ!”  लोग उसे चैन  खींचने की सलाह  देने लगें। मगर जिस डिब्बे में वो था,  वहाँ  ट्रैन  की चैन काम ही नहीं करती थीं। वह सिर पकड़कर अपनी सीट पर ही बैठ गया। कुछ यात्री उसे घेरकर बैठ गए।

 

भाईसाहब !! आपकी बीवी नीचे  क्या  करने गई  थीं?

 

उसे उल्टी आई और वह उसे करने के लिए नीचे गई और उसके बाद वो.... उसकी आवाज़ डर के मारे लड़खड़ा रही है।

 

“हो सकता है,  बहन जी, वही प्लेटफार्म पर रह गई हो। आप अगले स्टेशन पर उतरकर स्टेशन मास्टर से बात करें।“ एक अन्य यात्री ने कहा। अब ट्रेन बड़ी गति से अपने गंतव्य की ओर बढ़ती जा रही है। सुनील ने अब सामान्य होने के लिए पानी पिया,  फिर खिड़की से बाहर देखते हुए सोचने लगा,  “बड़ी  मुश्किल से तो यह गँवार मिली थीं,  इसे मैंने नौकरानी बनाकर रखा हुआ था। इसकी आड़ में मैं अपनी पूरी ऐयाशी कर रहा था,  अब दूसरी ढूँढनी पड़ेगी।“ उसके चेहरे पर परेशानी के  हाव भाव देखकर  एक सहयात्री  ने कहा,  “मुझे लगता है,  तुम्हारी बीवी ठीक होगी,  क्योंकि अगर कोई हादसा हुआ होता तो अब तक इस ट्रैन को भी अलर्ट मिल जाता।“ सुनील भी उसकी इस बात पर गौर करने लगा,  “यह नमूना कह तो सही रहा है। इसका मतलब वो ज़ाहिल औरत वहीं प्लेटफार्म पर ही रह गई  है।“ उसे अब गुस्सा आने लगा,  मगर आसपास लोगों को देखते हुए उसने अपने गुस्से पर काबू करना ही ठीक समझा।

 

 

सोनाली ने अपने  घर का दरवाजा  खोला तो सामने निर्मला को देखकर हैरान हो गई । उसने अपने घरवालों को सारी बात बताई  तो गिरधर  ने सुनील को फ़ोन  करकर  कहा कि  अब गोपाल खुद निर्मला  को आपके  यहाँ छोड़ जायेगा। फ़ोन रखते ही उसने भी आसपास बैठी सवारियों को यह सूचना दी तो सबने राहत की साँस ली। सब उसे देखकर कहने लगे, “ चलो भगवान का शुक्र है कि तुम्हारी बीवी ठीक है।“ वह भी उनकी बात सुनकर मुस्कुराता हुआ वहीं स्लीपर बर्थ पर लेट गया। “मैं तो आराम से  सो  जाओ। कल परसो  जब घर आएगी तब उसे उसकी औकात  दिखाऊँगा।“ उसने आँखे बंद करते हुए  मन ही मन कहा।

 

 

निर्मला खुश है कि उसकी तरकीब  काम  कर  गई और उसे उसके साथ जाना नहीं पड़ा। मगर जब गिरधर ने उसे कहा कि गोपाल उसे कल कानपुर छोड़ आएगा तो वह अकड़कर बोली,  “मैं कहीं नहीं जा रही बापू!”

 

क्या मतलब???  कहीं नहीं जा रही।

 

“मुझे आराम करना है,  मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए कुछ दिन यही रहूँगी।‘ यह कहकर वह छत पर चली  गई  तो गिरधर भी चुपचाप चारपाई पर लेट गया, “पता नहीं इसके ससुराल वाले क्या सोचेंगे कि  हमारी बहू वापिस आने का नाम ही नहीं ले रही। इसकी माँ ज़िदा होती तो इसे समझाती कि मायके में  इतने दिन रहना ठीक नहीं है।‘ वह धीरे से बुदबुदाते हुए बोला।

 

 निर्मला के साथ वाली चारपाई पर लेटी सोना ने पूछा,

 

दीदी कोई बात है तो बताओ।

 

क्या सुनना चाहती है?

 

यही कि  तुम्हारे मन में  क्या चल रहा है?

 

सो जा और मुझे भी सो जाने दें। उसने करवट बदलते हुए जवाब दिया।

 

अगली  सुबह  सरला ने किशोर को सामान की सूची पकड़ाते हुए कहा,  “यह सामान  याद से लेता आइयो और हाँ  जल्दी घर आ जाना। बहू के लिए नेग  में देने के लिए कपड़े भी ख़रीदने है।“ फिर उसने निहाल को रिश्तेदारों  को फ़ोन करने के लिए कहा। नंदन भी मदद के लिए आ गया । सरला ने उसे पूरा घर सजाने के हिदायत दी। काजल ने माँ को उसे भी नए कपड़े दिलवाने की बात कहीं तो वह मान गई। तभी सोमेश और किशन भी आ गए।

 

मौसी कुछ मदद करें?

 

 

तुम्हरी मदद के बिना काम नहीं चलेगा वैसे भी मेरा नन्हें इस समय लाचार है।

 

“मौसी अगर नन्हें भैया के साथ यह न भी होता तो भी हम आपके पास ज़रूर आते।“ यह सुनकर  सरला ने उनको मुस्कुराकर  देखा । अब वे दोनों नंदन के साथ मिलकर,  घर को लाइट  और फूलों  से सजाने लगें।

 

दूसरी तरफ  राधा के यहाँ भी शादी की तैयारियाँ बड़े ज़ोर-शोर से चल रही है। रिमझिम भी उसके घर  आई हुई है। उसने राधा को खुश देखा तो वह कहने लगी, “ राधे !! आख़िर तेरे किशोर ने अपना  वादा निभा ही दिया।“ राधा शरमा गई। “मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा कि  मेरे ब्याह  उसके साथ ही हो रहा है।“ “अरे!!! यकीन कर लें,  वैसे भी तू किस्मत वाली है जो तुझे ऐसा प्यार करने वाला जीवन साथी मिला है।“

 

तुझे भी मिल जायेगा। राधा ने मुस्कुराते हुए कहा।

 

मेरी किस्मत में कहा कोई है।

 

क्यों तूने उसे अपने दिल की बात नहीं बताई?

 

किसको ?? रिमझिम ने हैरानी से पूछा।

 

राधा ने उसके गाल को थपथपाते हुए कहा,  “ क्यों री!! मुझे सब पता है। तू मन ही मन किससे प्यार करती है। 

 

शाम का समय है, किशोर की माँ उसके साथ गॉंव से कुछ किलोमीटर दूर बने बाज़ार में उसके साथ कपड़े खरीद रही है। सभी ज़रूरी खरीदारी करने के बाद, जब वह वापिस घर की ओर जाने लगी तो  अचानक सामने से राधा की माँ पार्वती आती दिखी। सरला भी उसको देखकर वही रुक गई । किशोर के डर के मारे हाथ पैर फूलने लगे,  अब दोनों समधिन एक दूसरे के गले मिली फ़िर सरला मुस्कुराते  हुए बोली,

 

शादी में इतना कम  वख़्त है और अभी बहुत काम बाकी है।  

 

हमारा भी यही हाल है। 

 

वैसे बहनजी यह ठीक भी है कल को कुछ हो गया तो बड़ा लम्बा समय पड़ जायेगा।  

 

हम्म !!! मैं आपकी  परेशानी समझ सकती हूँ।  पार्वती ने उसके हाथ  पर हाथ रखा तो सरला हैरान होते हुए  बोली,

 

“मेरी परेशानी ? हमें कौन सी परेशानी है।“  पास खड़े किशोर की तो सांस ही गले में अटक गई ।   उसे लगा अब अगर बात खुल तो लेने के देने पड़ जायेगे।

 

वही दूसरी तरफ रिमझिम  ने हँसते  हुए पूछा,  “अच्छा !! तू बता की मैं किससे प्यार करती हूँ?

 

बता दूँ?

 

हाँ बता दें,  मुझे भी तो पता चले कि मेरे दिल का हाल कौन कौन जानता है।

 

तू किसोर के भाई निहाल को प्यार करती है। राधा ने उसे गले लगाते हुए कहा, “मैं तो कहती हूँ जल्दी से उसे अपने दिल की बात बता दें ताकि हम दोनों सहेली से देवरानी और जेठानी बन जाए। रिमझिम  को समझ नहीं आया कि वह क्या  कहें,  यह बात तो सही है कि वह नन्हें को प्यार करती है। हाँ, वो उससे प्यार तो करती है पर........ अब उसकी सोच ने और सोचना बंद कर दिया।