A Perfect Murder - 32 in Hindi Thriller by astha singhal books and stories PDF | ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 32

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 32

भाग 32


अमोल ने प्रीति को कसकर अपनी बाहों में भरते हुए कहा, “इतने सालों से हम दोनों प्यार के लिए तड़प रहे हैं। वो प्यार जो हमें तृप्त करे। पर ना तुम्हारा पति और ना ही मेरी पत्नी, हमें वो प्यार दे पाए। अब समय हमारा है। हम अपने हिस्से का प्यार पा कर रहेंगे। भले ही उस वक्त तकदीर ने हमें जुदा कर दिया था पर अब हम कभी जुदा नहीं होंगे प्रीति।” ये कह अमोल ने प्रीति के लिपस्टिक से रंगे लाल होंठों को और अधिक लाल कर दिया।

प्रीति अमोल के इस प्यार भरे आलिंगन और स्पर्श में इतनी खो गई कि सही-गलत का फैसला करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी। अमोल धीरे-धीरे उसे अपने चुंबनों से मदहोश कर रहा था। ऐसी मदहोशी कितने सालों बाद उसने महसूस की थी। कॉलेज में ऐसा अपनापन उसे अमोल की बाहों के घेरे में ही मिलता था। आज भी उसी अपनत्व भरे स्पर्श को पा वह चहक उठी।

अमोल उसे गोद में उठाते हुए बिस्तर पर लेटा देता है। और धीरे-धीरे उसकी सांसें प्रीति की गर्म सांसों में लीन होने लगती हैं। आज इतने वर्षों बाद वह खुल कर अपने होंठों से प्रीति के हर अंग पर स्फूर्ति और बिना किसी ग्लानि के चुंबन अंकित कर रहा था। नीलम के साथ नज़दीक पलों में वो ये नहीं कर पाता था। हर वक्त उसकी आँखें नीलम के गोरे बदन को देख आत्मग्लानि से भर जाती थी। उसे याद है कि बहुत बार अंतरंग पलों के दौरान नीलम बिना तृप्ति का अनुभव किए ही उठ जाती थी। नीलम का ये कदम उसको और अधिक धिक्कारता था। पर आज वापस अपनी प्रीति की बाहों में वो सुरक्षित महसूस कर रहा था।

प्रीति भी अमोल के हर चुंबन की प्रतिक्रिया में अपने होंठों का स्पर्श उसके शरीर पर रख रही थी। अमोल के टूट कर प्यार करने का अंदाज़ उसे हमेशा ही उत्तेजित करता था। आज भी वो उत्तेजित हो रही थी। कितने सालों तक उसका शरीर इस प्यार भरे आलिंगन, मदहोश करने वाले चुंबन और पागल कर देने वाले प्यार के लिए तड़प रहा था। प्रमोद तो केवल उसे एक लाश की तरह इस्तेमाल करता और फिर पटक कर चला जाता था।

प्रीति और अमोल दोनों मर्यादाओं की सीमा को लांघने के लिए बेकरार थे। अपने शरीर पर महसूस हो रही अमोल की हर हरकत प्रीति को उन्मादित कर रही थी। प्रीति के शरीर से उठने वाली हर सिहरन अमोल को भी उत्तेजित कर रही थी। देखते ही देखते दोनों एक दूसरे में पूरी तरह खो गए।

खिड़की पर लगे पर्दों में से रात की चांदनी झांकती हुई बिस्तर पर बिखर रही थी। और प्रीति और‌ अमोल‌ की सांसों की गर्माहट से पूरा कमरा तप रहा था। दोनों ने अपने अंदर सालों से कैद उत्तेजना को अनियंत्रित छोड़ दिया था। दोनों अब प्रणय के चरम सुख का अनुभव कर एक दूसरे को बाहों में भर गहरी नींद में खो चुके थे।

सुबह की पहली किरण जैसे ही अमोल के चेहरे पर पड़ी वो हड़बड़ा के उठ गया। उसने मुड़ कर अपने बगल में लेटी प्रीति को देखा। कुछ पल के लिए वो पिछली रात उसके साथ बिताए उन हसीन पलों में खो गया। कितने सालों बाद उसके पुरुषत्व को सुख की अनुभूति हुई थी। पर फिर दूसरे ही पल उसका चेहरा ये सोच कर फीका पड़ गया कि, क्या जो हुआ वो सही हुआ? बगल में बेसुध लेटी प्रीति के चेहरे पर तृप्ति के भाव देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।

अमोल ने झुक कर प्रीति के होंठों पर अपनी दस्तक दी। प्रीति ने बिना आँखें खोले मुस्कुराते हुए कहा, “एक बार और अमोल! तृष्णा खत्म नहीं हो रही।”

अमोल प्रीति के कंबल में घुस गया और उसे पागलों की तरह चूमने लगा। प्रीति की आहें तेज़ होने लगीं। उसे देख लग रहा था जैसे वो जन्मों से प्यासी बैठी थी,अमोल के इंतज़ार में। आज वो इंतज़ार पूरा हो चुका था और वो इस पल को अधिक से अधिक जीना चाहती थी। दोनों की सांसें गर्म होती जा रही थीं। चुंबनों की झड़ी ख़त्म ही नहीं हो रही थी। प्रीति की तड़पती आवाज़ और तेज़ हो गई थी। अमोल आज उसे परम सुख देने को आतुर हो रहा था। तभी प्रीति और अमोल की तेज़ सांसे धीमी पड़ गईं और दोनों एक दूसरे को शांति और सुकून से देखने लगे।

प्रीति ने कस कर अमोल के हल्के से गीले हो चुके शरीर को जकड़ कर पकड़ते हुए कहा, “अमोल अब मुझसे दूर मत जाना। मुझे और मेरे शरीर को तुम्हारी ज़रूरत है।”

अमोल ने भी प्रीति के उन्माद से भरे शरीर को, जो अभी भी गर्म था, को अपनी मज़बूत बाहों के घेरे में लेते हुए कहा, “कभी भी नहीं प्रीति। अब दुनिया की कोई ताकत हम दोनों को अलग नहीं कर सकती। तुम और मैं बने ही एक-दूजे के लिए हैं। बहुत सही लिया, अब और नहीं।”

ये कह दोनों फिर से एक दूसरे में खो जाने को आतुर हो उठे।

प्रीति अमोल की बाहों के घेरे में खोई हुई थी कि अचानक कविता की आवाज़ उसे वर्तमान समय में ले आई।

“तो मतलब तुम दोनों…. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर?” कविता ने हैरत प्रकट करते हुए पूछा।

“मैं जानती हूंँ कविता कि तू मुझे ग़लत समझेगी, इसलिए मैं…बताना नहीं चाहती थी..” प्रीति ने रोते हुए कहा।

कविता को अभी प्रीति से बहुत कुछ पता करना था। इसलिए प्रीति पर गुस्सा आते हुए भी उसने मुस्कुराते हुए उसे चुप कराया और कहा, “नहीं बहन, मैं तुम दोनों को जज नहीं कर रही हूं। किस्मत ने वैसे ही तुम्हारे साथ बहुत मज़ाक किया है। कितना सहा है तूने तो। खैर, तो फ़िर क्या हुआ? तुम दोनों मिलने लगे?”

“हुं…मैं अक्सर परिवार से मिलने का बहाना कर दिल्ली आती थी। और होटल में रुकती थी। अमोल भी उतने दिन ज़्यादातर वक्त मेरे साथ ही बिताता था।” प्रीति अमोल की यादों में फिर से खो जाना चाहती थी। पर कविता के प्रश्न उसे ऐसा करने नहीं दे रहे थे।

“अमोल की एक साधारण सी नौकरी है। यदि वो ज़्यादातर वक्त तुम्हारे साथ बिताता था तो उसकी सैलरी कटती होगी?”

“देख मैं जो तुझे बता रही हूँ तू किसी को मत बताना…दरअसल अमोल की जितनी सैलरी कटती थी उसकी भरपाई मैं कर देती थी। उसका नुकसान क्यों होने देती?” प्रीति ने कविता को बताया।

“ओह! ये तो तू बढ़िया करती थी। वैसे अमोल मान गया इस बात के लिए?” कविता ने प्रश्न किया।

“नहीं, पहले तो मान नहीं रहा था। पर फिर मेरे ज़्यादा ज़ोर देने पर मान गया।” प्रीति की मुस्कुराहट बता रही थी कि उसे अपने पर कितना गर्व महसूस हो रहा था।

“अमोल को लगता था कि नीलम उसे धोखा दे रही है? उसे उस आदमी का नाम पता था?” कविता ने प्रीति से जानकारी हासिल करने की कोशिश की।

“हाँ, अमोल जानता था उसे। पर सबूत हाथ नहीं लग रहा था इसलिए कुछ कर नहीं पा रहा था।” प्रीति ने कहा।

कविता के पैरों तले ज़मीन खिसक गई जब प्रीति ने उसे उस आदमी का नाम बताया।

क्रमशः
आस्था सिंघल