Shyambabu And SeX - 49 in Hindi Drama by Swati books and stories PDF | Shyambabu And SeX - 49

The Author
Featured Books
  • हीर... - 28

    जब किसी का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जाता है ना तब.. अचान...

  • नाम मे क्या रखा है

    मैं, सविता वर्मा, अब तक अपनी जिंदगी के साठ सावन देख चुकी थी।...

  • साथिया - 95

    "आओ मेरे साथ हम बैठकर बात करते है।" अबीर ने माही से कहा और स...

  • You Are My Choice - 20

    श्रेया का घरजय किचन प्लेटफार्म पे बैठ के सेब खा रहा था। "श्र...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 10

    शाम की लालिमा ख़त्म हो कर अब अंधेरा छाने लगा था। परिंदे चहचह...

Categories
Share

Shyambabu And SeX - 49

49

थप्पड़ 

 

चाँदनी श्याम को देखकर चौंकी, मगर फिर मुस्कुराते हुए बोली,  तू यहाँ और वो भी....... अब उसने गायत्री को एक नज़र देखा।  दोनों अंदर आ गए, श्याम ने उसे अब मिताली की फोटो दिखाते हुए पूछा, चाँदनी जी,  यह सब  क्या है? और यह मिताली  कौन हैं?”  चाँदनी ने  फोटो को गौर से देखा और फिर बिस्तर पर पसरकर बोली,

 

यह मेरी छोटी बहन है!!! हम दोनों जुड़वाँ है। अब दोनों चांदनी का मुँह ताकने लगें। 

 

“मेरी माँ भी यही काम करती थीं,  उसने पैदा होने के कुछ सालो बाद,  हमारा दाखिला  हॉस्टल में  करवा दिया ताकि हम पढ़ लिख लें। मुझे पढ़ने में  कोई  दिलचस्पी नहीं थी, इसलिए मैं वहां से भागकर  वापिस माँ के पास आ गई और जवान होकर यही काम करने लगी।  माँ बीमार हो गई तो यह इसको यहाँ से लेकर चली गई पर तेरे पास यह फोटो कहाँ से आई ?”

 

मेरे लिए इसका रिश्ता आया है। यह टीचर बन चुकी है और गाज़ियाबाद में  रहती है।

 

जानती हूँ, मैं भी कभी कभी उनसे मिल जाती हूँ। मेरी बहन मेरी तरह बुरी नहीं है, अच्छी है।

 

बुरी तो आप भी नहीं  है, यह तो आपका काम है।  अब चांदनी उसकी तरफ देखने लगी तो गायत्री भी मुस्कुरा दी। “लेकिन मैं इनके लायक नहीं हूँ।“

 

मुझे पता है, तेरे साथ क्या दिक्कत है।  चाँदनी ने अब एक ब्लाउज़ सिलना शुरू कर दिया। चिंता मत कर,  मेरी बहन सब ठीक कर देगी।  यह सुनकर गायत्री का मुँह उतर गया। 

 

आपकी बहन ने पहले ही बड़ी मुश्किलें झेली है अब तो  उनको कोई ऐसा मिले जो उन्हें खुश रखें इसलिए मैं उनसे शादी नहीं कर सकता ।  चांदनी के चेहरे पर एक मुस्कान है। 

 

“यहाँ हवस के पुजारी तो बहुत आए पर पहली बार कोई सच्चा आदमी आया है,  यूँ बोले तो असली मर्द।  जा  खुश रह।“ अब उसने गायत्री को देखा तो वह भी  मुस्कुरा दी।

 

अब वह जाने लगा तो वह बोली,  “ तू  भी खुश रहना सीख तेरे पास जो है, उस पर ध्यान दें।“

 

गायत्री तो कमरे से  बाहर निकल गई पर श्याम ने वही रुकते हुए कहा,  कोशिश तो आप भी कर सकती है।

 

जब दोनों श्याम की गाड़ी के पास पहुँचे तो गायत्री ने कहा, ” श्याम तुमने मुझे पहले कभी अपनी परेशानी के बारे में क्यों नहीं बताया? “ क्योंकि मैं डरपोक हूँ, हर मामले में ।“ अब दोनों  हँसने लग गए  कि तभी  संजू एंड ग्रुप भी वहाँ आ धमका।

 

 

रात  के नौ बजे किसी काम के बहाने से इमरती छुपते-छुपाते मनोहर से मिलने गई,  इस बार भी इस बात से अनजान कि बबलू भी उसका पीछा कर रहा है।  अब एक सुनसान गली में  दोनों मिले, उसे देखकर इमरती बोली, “ मुझे लगा आज हम मिलेंगे ही नहीं।“  “क्यों नहीं मिलेंगे,”  यह कहते  हुए मनोहर ने उसके होंठ  चूम लिए।  जवाब में उसने भी बबलू  को कसकर  पकड़ते  हुए उसके होंठो को चूमना शुरू कर दिया।

 

“सर,  आपकी इस विजिट की हमने वीडियो बना ली हैं। अब हमे इंटरनल के नंबर और फाइनल का पेपर चाहिए,  वरना प्रिंसिपल सर के पास इस वीडियो  को पहुँचा देंगे।“ संजू के मुँह से यह सुनकर श्याम के तो होश  उड़ गए। इससे पहले वो कुछ कहता गायत्री बोल पड़ी, “संजू उस दिन फेस्ट में नेहा मैडम का पर्स चोरी  हो गया था,  इसलिए हमने सभी कैमरे चेक करवाए और तभी मुझे यह नज़र आया,  उसने संजू और उसके ग्रुप को वह वीडियो दिखाई,  जिसमे वो ड्रिंक में वियाग्रा मिला रहें  हैं। “अब  सोचो, मैंने इसकी कंप्लेंट कर दी तो तुम्हारा पूरा करियर ख़राब हो जायेगा। क्यों शालू।“ 

 

गायत्री ने संजू  के हाथ से फ़ोन लिया और श्याम की वीडियो हटा दी। “स्टूडेंट हो स्टूडेंट बनकर रहो।  टीचर की ज़िन्दगी से तुम्हारा कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। हम भी बिना पेपर के बहुत परीक्षा दे रहें हैं  समझे !!”  अब सब मुँह लटकाए वहां से चले गए।  संजू ने सबको फिर से उकसाने की  कोशिश की, मगर किसी ने उसका साथ नहीं दिया।

 

श्याम और गायत्री चहकते हुए बबलू की बेकरी में  पहुंचे तो वहां पर इमरती ने उसका गर्मजोशी से स्वागत करते हुए उन्हें ढोकला और  पेस्ट्री खाने को दिए कि  तभी बबलू  गुस्से में  आया और अपने नौकरो को वहां से जाने का बोलकर,  हैरान होती  इमरती के मुँह पर खींचकर थप्पड़ रसीद कर दिया।   और उसे  फिर से मारने के  लिए आतुर हो उठा।