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फिर वही??
श्याम सुबह कॉलेज के लिए जा रहा है तो अम्मा ने उसे टोकते हुए कहा कि मैंने महक से उस लड़की की फोटो ले ली है। तू उसे एक बार देख तो ले, उसके बहुत मना करने के बावजूद अम्मा ने उसे लड़की की फोटो दिखा दीं, जैसे ही उसने फोटो देखी उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई, उसे यकीन नहीं हो रहा है कि यह वही लड़की है, अम्मा से उसका नाम पूछने पर चला कि उसका नाम मिताली है, यह कैसे हो सकता है, वह बार- बार फोटो देख रहा है, मगर बार बार देखने से फोटो बदल थोड़ी न जाएँगी। कई विचार उसके मन में चल रहें है, कही यह किसी की साजिश तो नहीं या फिर कोई उसके साथ मज़ाक कर रहा हूँ । इसी उधेड़बुन में जब वह कॉलेज पहुँचा तो कुसुम मैडम ने उसे बताया कि उसके और उसके पति के बीच अब सब सही हो गया है। उसने भी मुस्कुराते हुए उसे भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।
बबलू जब से डॉक्टर के पास से आया है, उसका सुख चैन दोनों छिन गए हैं। इमरती की हर हरकत पर उसकी नज़र है। सुबह नाश्ता करने के बाद, वह दुकान पर आ गया। उसने सोच लिया कि आज वह सच का पता लगाकर ही रहेगा इसलिए उसने इमरती को अभी कुछ कहना ठीक नहीं समझा। जब वो क्लॉस लेने के लिए घर से बाहर निकली तो वह उसके पीछे लग गया। इमरती अपनी ही धुन में चली जा रहीं हैं, इस बात से अनजान कि बबलू उसका पीछा कर रहा है।
हमेशा की तरह इमरती मनोहर से उसके किराए के मकान में ही मिलती है, इसलिए वह उसी मंज़िल के रास्ते पर है, बबलू सोच रहा है कि कॉलेज के लिए तो यह मेट्रो नहीं जाती । तभी इमरती को एक कॉल आया और उसने एक स्टेशन पर उतरकर दूसरी मेट्रो पकड़ ली और सीधा अपने कॉलेज की लाइब्रेरी पहुँच गई। आज वो जल्दी आ गई तो उसने वही बैठना सही समझा। बबलू यह देखकर वापिस घर की ओर चला गया। “मैं बेकार में इमरती पर संदेह कर रहा हूँ,” उसने खुद को कोसा। वही मनोहर ने इमरती को कुछ काम आने के कारण मिलने से मना कर दिया था, इसलिए वह नहीं मिले।
श्याम कॉलेज की कैंटीन में बैठा, उसी लड़की के बारे में सोच रहा है। “क्या उसे वहाँ जाना चाहिए? यह न हो वहाँ जाकर कोई मुसीबत ही खड़ी हो जाए।“ पहले भी बाल-बाल बचा हूँ। मगर कुछ तो करना पड़ेगा, ऐसे भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकता।“ उसने अब बबलू को कॉल किया और उसे सारी बात बताई, उसने उसे एक बार वहीं जाने के लिए कहा। तभी राजेश झा जी उसके पास आकर बैठ गए,” क्यों श्याम? सेहत ठीक है, तुम्हारी ?” “जी सर” उसन चाय पीते हुए कहा। “मैं कुछ सोच रहा हूँ?” “क्या सर ?” “यही कि अपनी बीवी को छोड़कर ममता मैडम के साथ रहना शुरू कर दो।“ श्याम ने यह सुना तो वहीं चाय पीनी रोक दी, “सर, आप रिटायर होने वाले हैं, क्यों बेकार में अपने लिए मुसीबत खड़ी करते हैं। झा जी ने उसकी बात पर गौर किया और फिर सोचते हुए बोले, “कह तो तुम ठीक रहें हो पर फिर क्या करो??” “ घर में तो मन ही नहीं लगता। ममता जी से बात करकर लगता है, कोई अपने लेवल की की औरत है।“ “इन्हे देखो !! इस उम्र में भी अपना लेवल चाहिए और मैं हूँ कि किसी भी लेवल के साथ समझोता करने को तैयार हूँ।“ श्याम ने मन ही मन कहा।
कॉलेज खत्म होने के बाद, उसने गाड़ी वही दौड़ा दीं जहाँ उसने न जाने की कसम खाई थीं। उसकी गाड़ी सड़क पर दौड़ती जा रहीं हैं और उसके पीछे संजू और राकेश बाइक पर आ रहें हैं।