Shyambabu And SeX - 38 in Hindi Drama by Swati books and stories PDF | Shyambabu And SeX - 38

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Shyambabu And SeX - 38

38

हिम्मत

 

 

अब श्याम और उसके बीच  खींचातानी शुरू हो गई৷ इसी जद्दोजहद में श्याम ने उसके बाल पकड़ लिए। उसके नकली बाल उसके हाथ में आ गए तो वह उसका चेहरा देखकर हैरान हो गया। “तुम !! उसने अब एक बार फिर उसे ज़ोर से पीछे धकेला तो वह नीचे जा गिरी৷ “तुम्हें शर्म नहीं आती, “ “यह सब क्या है??”  “मेरी विग थी,  जो तुमने खींच लीं और बॉक्सर के अंदर का दृश्य देखकर तुम समझ गए होंगे कि मैं औरत तो नहीं हूँ। एक मर्द हूँ, जिसे मर्द पसंद है। आई एम गे !!!” उसने गर्व से कहा। श्याम को लगा उसको भूकंप के झटके आ रहें हैं। कुछ सेकण्ड्स पहले, वह समझ गया था कि यह मर्द है,  मगर यह कोई जानने वाला आदमी निकलेगा,  उसने यह कभी नहीं सोचा था।

 

 

गायत्री ने खुश और हैरान होते हुए इमरती से कहा,  “आप यहाँ? “ उसने मुस्कुराते हुए ज़वाब दिया, “मैं अपने फ्रेंड के साथ शॉपिंग कर रही थीं।“ “कौन सा फ्रेंड ?” अब उसने मनोहर  की और  ईशारा किया तो उसने भी सिर हिला दिया। अब वह गायत्री का सवालियां चेहरा देखकर ज़वाब देते हुए बोली, “मेरे गॉंव का फ्रेंड है ,  कुछ दिन पहले ही मुझे यूनिवर्सिटी के बाहर मिला था। आज सोचा क्लॉस के बाद,  इसके साथ शॉपिंग कर लो। कई सालो बाद मिले हैं।“ वह एक ही साँस में  बोल गई। “आप पढ़ रही है?” “हाँ बी.ए. कर रही हूँ।“  उसकी वाणी में एक अभिमान था । अब गायत्री फिर से हैरान हुए बिना नहीं रह सकी। पर “तुम यहाँ कैसे?” “ मैं अपने मंगतेर और भाई के साथ आई हूँ।“ इमरती ने देखा कि गायत्री ने आज भी सिल्क की साड़ी पहनी हुई है और इमरती जीन्स टॉप में खड़ी है। उसने खरीदने के बाद ही चेंज करकर पहन लिए थें। “अच्छा !! तुम मजे करो !! बाय !!!” बोलकर वह मनोहर को साथ लिए,  वहाँ से निकल गई। मगर गायत्री कुछ सेकण्ड्स के लिए वहीं खड़ी रही। तभी उसे संदीप ने आवाज़ लगाई तो उसे उनका ध्यान आया।

 

 

अब श्याम ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा, “ मैं विकास को कहूँगा कि तुम्हारा दोस्त नकुल इस हद तक गिरा हुआ है।“ उसने श्याम को अपनी तरफ खींचते हुए कहा, “ उसे पता है कि मैं गे हूँ और उस दिन मुझे तुम्हें देखकर लगा कि तुम भी मेरी तरह हो, बस छुपा रहें हो।“ श्याम ने उससे खुद को छुड़ाने की कोशिश की। “तुम्हें चैट से नहीं पता चल गया था कि मैं लड़कियों को पसंन्द करता हूँ,” “ तुम खुद को छुपा रहें हो और मैं तुम्हारी शर्म खोलना चाहता हूँ।“ वह अब श्याम पर सवार  हो गया। उसने हाथ जोड़ते हुए कहा, “ मुझे छोड़ दो!!! मैं पहले ही परेशानी का मारा हूँ।“ “मुझे पता चल गया है कि तुम्हें क्या परेशनी है।“ अब उसने श्याम की छाती को चूमना शुरू किया। “नहीं !!! मुझे तुमसे अपनी परेशानी दूर नहीं करवानी। “क्यों, मुझमें क्या बुराई है?” उसने अब श्याम की आधी पहनी हुई शर्ट उसके बदन से अलग कर दी। “कोई बुराई नहीं है, मैं सबकी भावनाओं की बहुत इज़्ज़त करता हूँ।“ वह अब अधमरा सा  हो गया और नकुल उस पर हावी हो गया।

 

संदीप ने पिज़्ज़ा टेबल पर रख दिया। गायत्री अब भी इमरती के बारे में सोच रही है। आज उसे देखकर  कोई कह नहीं सकता कि वह गॉंव से आई है। जितना वो बबलू को जानती है, अगर उसे पता चला कि वह किसी लड़के के साथ मॉल में घूम रही थी तो वह हंगामा मचा देगा और हो सकता है कि उसकी पढ़ाई  भी छुड़वा दे। मगर इमरती के चेहरे पर न शिकन थी न कोई डर ।। वैसे भी जब आपको लगता है कि आप सही हो  तो आपको किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है। ‘फिर मैं किससे डरती हूँ?’ उसने खुद से सवाल किया। ‘अरे! गायत्री तुम खाती क्यों नहीं हो?’ अब विकास ने उसे टोका।

 

नकुल श्याम की पैंट की ज़िप खोलकर उसके अंदर हाथ मारने लगा,  जब श्याम को उसका स्पर्श महसूस हुआ तो वह समझ गया कि अगर उसने अब अपने लिए कोशिश नहीं की तो वह अपनी बचीकुची हिम्मत भी हमेशा के लिए गँवा देगा।