My Devil Hubby Rebirth Love - 16 in Hindi Adventure Stories by Naaz Zehra books and stories PDF | My Devil Hubby Rebirth Love - 16

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My Devil Hubby Rebirth Love - 16

शाम के टाइम

रूही और सुनीता जी दोनों हाॅल में बैठकर बातें कर रही थी सुनीता जी ने रूही को यही रोक लिया था रूही जो यही चाहती थी वह बहुत खुश थे इतने में दरवाजे की घंटी बाजे रूही आप यहां बैठी आंटी में देख कर आती हूं

यह कहकर दरवाजे खोलने चली गई जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर दीपक जी खड़े थे जो रिया के पापा थे जैसे ही रूही अपने पापा को देखकर बहुत खुश हुई जैसे ही वह गले लगाने जाती

एकदम से रुक गई फिर उसने अपने हाथ जोड़े और कहा नमस्ते अंकल दीपक जी जो रूही को देखकर अपनापन का एहसास हो रहा था उन्होंने रूही से कहा नमस्ते तुम कौन हो बेटा इतने में सुनीता जी बहार आई

और दीपक जी से कहा आप पहले-पहल अंदर चलीये फिर मैं बताती हूं यह कौन है ये कहकर तीनों अंदर चले गए दीपक जी जाकर सोफे पर बैठ गए सुनीता जी ने कहा यह हमारी रिया की बेस्ट फ्रेंड है रूही यह बाहर पढ़ने गई थी और यह होटल में रहती

इसलिए मैंने हमारे यहां कुछ दिन रुकने के लिए कहा जैसे ही दीपक जी ने सुनीता जी की बात सुनी उन्होंने रूही की तरफ देखा और कहा तुम्हारी फैमिली कहां रहती है रूही एक्चुअली अंकल मेरी फैमिली नहीं है

मैं अनाथ हूं आप बेफिक्र रहिए मैं जल्दी से अपने रहने के लिए कोई घर देख लूंगी फिर यहां से चली जाऊंगी दीपक जी उसकी कोई जरूरत नहीं है और रूही और सुनीता जी दोनों ने दीपक जी की तरफ देखा और कहा आपका कहने का क्या मतलब है दीपक जी क्योंकि आज से तुम हमारे साथ हमारे घर में रहोगी

और आज से हम ही तुम्हारी फैमिली हैं तुम हमारी बेटी की बेस्ट फ्रेंड हो इसलिए आज से तुम हमारी बेटी की तरह यहां हमारे घर में रहोगी यह कहकर दीपक जी मुस्कुराए और रुही की तरफ देखकर कहा तुम इससे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है

रूही खुशी से दीपक जी से गले लगी और कहा थैंक यू पापा आप बहुत अच्छे हैं दीपक जी ने और सुनीता जी ने जैसे ही रूही के मुंह से पापा सुना तो दोनों चेहरे पर मुस्कान आ गई रूही जल्दी से दीपक जी से अलग हुई

और कहा सॉरी अंकल गलती से निकल गया आपको बुरा लगा हो तो आई एम रियली सॉरी दीपक जी और सुनीता जी दोनों मुस्कुराए और कहा सॉरी कहने की जरूरत नहीं है बेटा आज से तुम हमें पापा ही कहोगी और सुनीता जी ने कहा और मुझे मां क्योंकि आज से तुम हमारी बेटी हो और अब यह सोचने की भी जरूरत नहीं है

कि तुम अनाथ हो समझी रूही ने खुशी से अपना सिर हिला दिया और एक बार फिर दोनों के एक साथ गले लग गई रूही जल्दी से अलग हुई और दीपक जी से कहा पापा आप जाकर फ्रेश हो जाइए फिर खाना कहते हैं आपको भूख लगी होगी ना दीपक जी खड़े हो और कहां हां मुझे बहुत भूख लगी है

मैं जल्दी से फ्रेश होकर आता हूं फिर साथ में सब मिलकर डिनर करते हैं यह कह कर अपने कमरे में चले गए उनके साथी सुनीता जी भी कमरे में चली गई दीपक जी का कैमरा दीपक जी बालकनी में खड़े आसमान को देख रहे थे इतने में उनके पास सुनीता जी आई और का आप ऐसे यहां क्यों खड़े हैं

दीपक जी तुम्हें पता है आज मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि हमारी बेटी हमें छोड़ कर चली गई ऐसा लग रहा था जैसे वह हमारे पास ही है रूही बिल्कुल हमारी रिया की तरह है उतनी शरारती मासूम सुनीता जी आपने सही कहा जब मैं उसे गले लगी थी मुझे बिल्कुल रिया लगी थी

जैसे मैंने रिया को गले लगाया हो अब हम रूही को अपने से दूर नहीं जाने देंगे हम उसे अपनी बेटी की तरह ही मानेंगे दीपक जी ठीक कहा तुमने भगवान ने हमसे एक बेटी छिनी लेकिन दूसरी बेटी दे दी इसलिए आज मैं बहुत खुश हूं

यह कहकर दीपक जी सुनीता जी के गले लग गए सुनीता जी अब जल्दी करिए हमारी बेटी हमारा इंतजार कर रही होगी दीपक जी हां हां तुमने सही कहा तुम नीचे जाउ‌ में थोड़ी देर में आता हूं यह कहकर दीपक जी फ्रेश होने चलेगा



Cantinue