Humsafar - 13 in Hindi Love Stories by Seema Tanwar books and stories PDF | हमसफर - 13

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हमसफर - 13





क्या आपको मेरी story पसंद नहीं आ रहीं है
क्या???

लोग कोई response क्यूँ नही देते,,,,

एकांश ने आस्था को सबके साथ नाश्ता करने बीठा
दिया....

दादासा और अजिंक्य जी को छोड़कर सबके चेहरे
उतर गये. ऐसा नहीं था की उन्हें आस्था से कुछ
दुश्मनी थी ....

बात सिर्फ इतनी थी के वो सब एकांश के लिये सबकुछ
बहोत अच्छा चाहते थे

और उन्हें एकांश के लिये खुबसूरत सुलझी हुयी
समझदार पत्नी चाहिये थी ....

जो एकांश का अकेलापन दूर कर सके और उसकी
जिम्मेदारी ले सके,,,,,

लेकिन आस्था अलग थी .... उसकी काली रंगत और
कम उम्र के वजह से वो नाराज हो चुके थे..,,,

एकांश को ही उसकी जिम्मेदारी उठानी पड़ रही थी,,,.
एकांश के कल सुनाये गये फैसले की वजह से किसी ने
कुछ नहीं कहा और सब अपना नाश्ता करने लग
गये,,,,

स्टाफ ... स्टाफ ... बडी दादीसा गुस्से मे आवाज दी
जी ,,,, राणीसा लगभग सभी किचन स्टाफ वहा आ
गया और उन्ही में से मेन chef ने कहा..

ये किस तरह का नाश्ता बनाया हे आपने... थोड़ी
भी टेस्ट नही हे इसे..... बडी दादीसा

की चाय भी हमेशा की तरह नही थी
दादीसा,,,

सच कहा आपने माँसा
बिल्कुल पसंद नही आयी
हमे भी हमारी कॉफी
हर रोज जैसी नहीं थी,,,

धनुष ने कहा और सभी ने उनके हा से हा मिलाई
,,,,

अब कुछ बोलेंगे .. खाना अच्छा नहीं बन रहा है तो हम नये chef को
अपॉइंट कर देंगे मृणाल,,,,,

वो ... वो ....
खाना सबको गुस्से में देख chef कुछ
बोल ही नही पा रहे थे....

अब बोलिए भी ..... अनिता
आप सबके सवालो का जवाब हम देते है दादासा
ने कहा और सब उनकी और देखने लगे ।

अरे ऐसे क्या देख रहे हे.... आज के चाय और नाश्ते मे
टेस्ट क्यु नही हे पता है क्यु
की जो हर दिन खाना
बनाती ना ...
....
....
आज उन्होने नही बल्की स्टाफ ने खाना बनाया हे ...
दादासा

कोन हर रोज खाना बनाता हे बाबासा... सुनीता
और कोन ... इस घर की बड़ी बहू आस्था....

वही तो खाना बनाती हे .... क्यु आस्था
सब हैरान हो गए,,,

आस्था ने अपना सर झट से और निचे कर दिया
एकांश नाश्ता करते हुये होले हौले मुस्कुरा रहा था...,

क्यु मगर उसे बहोत अच्छा लग रहा था..
उसे आस्था का रूटीन पता था
वो भी तो सुबह
जल्दी उठता था ... और उसके जिम के खिडकी मे से
मंदिर साफ साफ दिखाई देता था .... और मंदिर मे
पूजा करती हुयी आस्था भी ..

उसने आस्था को खाना बनाते हुये भी देखा था ..

एक दो बार तो वो आस्था के पास भी आ गया था उसे
ये बताने की ये उसका काम नही हे ....
लेकिन अपने गिल्ट के चलते वो कुछ बोल हो नही
पाया.………………………

सभी खामोशी से अपना अपना नाश्ता करने लग गये
आस्था ..... आप कुछ खा क्यु नही रही है एकांश

हो गया .... आस्था ने किसी तरह से कहा
...
और बिना कुछ सुने ही वहा से उठकर चली गयी.
डर उसके चेहरे पर साफ देखा जा रहा था,,,

एकांश को बुरा लगा ....
की आस्था उससे इस तरह डर रही हे,,,,

आस्था डर से अपने कमरे मे आ गयी..
आस्था बेटा ,,,,

क्या बात हे .... आप कुँवरसा से
इस तरह क्यु डर रही हे .... दाईमाँ .,,,

....
क्या बात हे बेटा.... दाईमाँ

वो गुस्सा
आस्था ने किसी तरह से कहा,,,,

वह वह गुस्से में
चि ... चीखते हे.,,,ड ... डर लगता हे

आस्था ने किसी तरह से कहा
ऐसा नही हे आस्था .... कुँवरसा बहोत अच्छे हे .... हा
आपके सामने वो चिखे लेकिन उनका स्वभाव
ऐसा बिल्कुल भी नही हे .. शांत हे वो काफी और
समझदार भी ....

दाईमाँ लेकीन मुझे ... नही हमे पसंद नही करते
शायद हमसे नफरत करते हे..

.....
अगर वो आपसे नफरत ही करते ना तो कल आपके
लिये सारे परिवार से नही लढते
दाईमाँ ने कहा,,,

और आस्था ने हैरानी से उनकी और देखा
हम्म यही सच हे .... और दाईमाँ ने कल की सारी
बातें आस्था को बता दी ....

मगर शादी वाले दिन .... आस्था

शादी वाले दिन क्या आस्था... क्या कुँवर आपसे कुछ
कहा था .... दाईमाँ

आस्था ने ना मे सर हिलाया.

उस दिन उनके गुस्सा होने की वजह आपकी रंगत नही
आपकी उम्र थी सिर्फ आपकी कुंडली को देखकर
आपकी और कुँवरसा की शादी उन्हे मंजूर नही थी ....

और यही वजह है की वो गुस्सा हो गये ....
किसी के साथ नाइंसाफी हो.... ये उन्हे बिल्कुल पसंद
नही और यहा तो उन्ही के वजह से गलत हुआ
इसिलिए तो वो इतना गुस्सा हो गये.... दाई माँ इसका
मतलब कुँवरजी को हमसे कोई प्रोब्लेम नही हे ..

वो हमसे गुस्सा नही हे ... आस्था ने मासूमियत से
पुछा .... उसके चेहरे पर खुशी की हल्की से लहर साफ
साफ दिखाई दे रही थी .....