Shadow Of The Packs - 6 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Shadow Of The Packs - 6

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Shadow Of The Packs - 6

एक तरफ जहां जंगल मे उस आदमखोर जानवर को पड़ने मे नाकामयाब होने और कुछ पुलिस वालो की जान जाने को लेकर कमिशनर साहब जोसेफ गोम्स और पवन कुमार को झाड़ने मे लगे हुए थे। वहीं दूसरी तरफ विक्रांत अपने घर में आराम से सो रहा होता है की तभी उसको भयानक सा सपना आता है। उस सपने मे एक भयानक सा जानवर था जो किसी इंसान को मारकर खा रहा था। वो जानवर बहुत ही भयानक लग रहा था। लंबे लंबे दांत, बड़े बड़े नाखून। सपने में ये सब देखकर विक्रांत की नींद खुल जाती है।

विक्रांत नींद से जागा और उठकर बैठ गया। वो सोचने लगा की इतना भयानक सपना उसे आज तक नही आया, फिर आज उसे इतना भयानक सपना कैसे आया! फिर उसने इसे सिर्फ एक बुरा सपना समझ कर इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, और नहाने चला गया।

नहाने के बाद विक्रांत नाश्ता कर रहा होता है की तभी उसके फोन पर सुप्रिया का फोन आने लगता है। “हेलो...! बोलो सुप्रिया...।” विक्रांत फोन पर सुप्रिया से कहता है।

“ये बताओ तुम आज कॉलेज आ रहे हो या नही?” सुप्रिया ने विक्रांत से पूछा।

“आ रहा हूं यार, बस नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकलने ही वाला था की इतने में तुम्हारा फोन आ गया।” विक्रांत , सुप्रिया से कहता है।

“अरे मैने तो बस यही पूछने के लिए फोन किया था की आज कॉलेज आ रहे हो या नहीं! चलो ठीक है तुम नाश्ता करके कॉलेज आओ, कॉलेज में मिलते हैं।” सुप्रिया ने विक्रांत से कहा।

“ठीक है मैं नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकलता हूं।” इतना कहकर विक्रांत ने फोन रखा और फटाफट नाश्ता करके तैयार हुआ और कॉलेज जाने के लिए रवाना हो गया।

विक्रांत घर से कुछ दूर चला ही था की उसे रास्ते में एक आदमी मिला। उसने विक्रांत को रोका और उसको बताया की आगे का रास्ता बंद है।

“भईया...! आगे रास्ता क्यों बंद है?” विक्रांत ने उस आदमी से पूछा।

“भईया ये तो नही पता की क्यों बंद है! लेकिन इतना पता है की पुलिस वालो ने बंद किया है। पूछने पर कुछ बता भी नही रहे हैं की रास्ता क्यों बंद कर रखा है।” उस आदमी ने विक्रांत से कहा।

“अच्छा भईया...! यू एस टी कॉलेज जाने का और कोई रास्ता है क्या?” विक्रांत ने उस आदमी से पूछा।

“अरे भईया आप एक काम करो, यहां से एक कच्चा रास्ता जाता है जो आगे जाकर इसी मैन रोड से मिलता है। यहां से पांच सौ मीटर तक जाओगे, उसके बाद इसी रोड पर पहुंच जाओगे। यहां से लगभग तीन सौ मीटर तक ही पुलिस ने रोड बंद किया है , उसके आगे रास्ता पूरा खाली है।” उस आदमी ने विक्रांत को समझाते हुए कहा।

“अच्छा भईया मैं चलता हूं। रास्ता बताने के लिए शुक्रिया।” इतना कहकर विक्रांत उस कच्चे रास्ते से आगे चल पड़ा। लगभग पांच सौ मीटर के बाद उसे मैन रोड मिल गया। कुछ ही देर में वो कॉलेज पहुंच गया।

विक्रांत जब कॉलेज पहुंचा तो उसने देखा की सुप्रिया कॉलेज के गेट के बाहर खड़ी है। “अरे सुप्रिया...! तुम यहां बाहर क्या कर रही हो? अंदर नही जाना है क्या?” विक्रांत ने सुप्रिया से पूछा।

“अरे मैं तो तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी, चलो अन्दर चलते हैं।” सुप्रिया ने विक्रांत से कहा।

“एक काम करो सुप्रिया, तुम आगे चलो, मैं बाइक पार्क करके आता हूं।” इतना कहकर विक्रांत बाइक पार्क करने चला गया।

विक्रांत बाइक पार्क करने के बाद कॉलेज के अंदर थोड़ी दूर तक पहुंचा ही था की उसे तान्या और काजल दिख गईं। वो आगे जाने ही लगा की तान्या ने उसे आवाज देकर रोकते हुए कहा, “ओय फटीचर...! तेरी हिम्मत कैसे हुई हमें देखकर भी अनदेखा करने की। हमे भी कोई शौंक नही है तूझसे बात करने का। इसलिए हमे ज्यादा अकड़ मत दिखा।” तान्या ने गुस्से में विक्रांत से कहा।

“मैं तुम्हे अनदेखा नहीं कर रहा था। मैं तो बस थोड़ी जल्दी में था इसलिए तुम्हें देख नही पाया।” विक्रांत ने तान्या से कहा।

“अच्छा एक तो अनदेखा कर रहा है, और ऊपर से अकड़ दिखा रहा है। रूक जा मैं तुझे अभी सबक सिखाती हूं।” इतना कहते हुए तान्या इधर उधर देखने लगी, और फिर उसने एक लड़के को आवाज लगाई। “अरे राहुल ये देखो, ये फटीचर लड़का मुझसे बत्तमिजी कर रहा है।” तान्या ने विक्रांत की शिकायत करते हुए एक लड़के से कहा जिसका नाम राहुल था।

तान्या की बात सुनकर राहुल नाम का लड़का विक्रांत के सामने आया और विक्रांत को धक्का दे दिया। विक्रांत खुदको संभाल नहीं पाया और नीचे गिर पड़ा। ये सब देखकर तान्या को मजा आ रहा था। “ओय फटीचर, तेरी यही औकात है। हमसे कभी नजर मिलाने की भी हिम्मत मत करना। अगर दुबारा ऐसा हुआ तो तेरे साथ इससे भी बुरा होगा।” तान्या ने विक्रांत को धमकाते हुए कहा।

उधर सुप्रिया का ध्यान गया की अभी तक विक्रांत बाइक करके आया नही! “ये विक्रांत कोइतना टाइम तो नही लगना चाहिए! देखती हूं इतना टाइम क्यों लग रहा है?” इतना सोचते हुए सुप्रिया पार्किंग एरिया की तरफ जाने लगी। जब वो पार्किंग एरिया मे पहुंची तो उसने देखा की विक्रांत नीचे गिरा हुआ है। उसके पास खड़े कुछ लड़के और लड़कियां उसका मजाक उड़ा रहे हैं।

सुप्रिया भागती हुई विक्रांत के पास पहुंची और उसको उठाने लगी। तान्या को ये सब देखकर और ज्यादा गुस्सा आने लगा। तान्या आगे आई और सुप्रिया को थप्पड़ मारने ही वाली थी की विक्रांत ने उसका हांथ पकड़ लिया।

“तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की।” तान्या का इतना कहना ही हुआ था की राहुल, विक्रांत पर हांथ उठाने के लिए आगे आया। पर राहुल विक्रांत के ऊपर हाथ उठाता उससे पहले विक्रांत ने राहुल का हाथ पकड़ लिया। जैसे ही उसने राहुल का हाथ पकड़ा तो राहुल दर्द के मारे चिल्लाने लगा। राहुल को ऐसा लगा जैसे उसकी हाथ की हड्डी टूट गई हो। जैसे ही दूसरो ने ये देखा तो वो वहां से दूर हट गए। विक्रांत ने जैसे ही राहुल का हाथ छोड़ा तो राहुल गुस्से में उसे धमकी देने लगा। “तूने जो आज मेरे साथ किया है ना इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। मैं तुझसे इस बात का बदला लेकर रहूंगा।” इतना कहकर राहुल और तान्या वहां से चले जाते हैं।

“विक्रांत तुम ठीक तो होना! और तुमने ये कैसे किया? देखकर तो ऐसा लग रहा था जैसे तुमने उस लड़के का हाथ तोड़ दिया!” सुप्रिया ने विक्रांत को हैरानी से देखते हुए पूछा।

“पता नही यार मुझे अचानक क्या हो गया था! मैं खुद हैरान हूं की ये सब कैसे हुआ?” विक्रांत ने सुप्रिया से कहा।

इसके बाद विक्रांत सोचने लगा की ये मेरे साथ हो क्या रहा है? रात को वो भयानक सपना...! और अब ये सब...? विक्रांत ये सब सोच ही रहा था की सुप्रिया ने उससे कहा–“चलो ज्यादा मत सोचो। क्लास का टाइम हो गया है। चलो चलते हैं।”

क्लास मे बैठे बैठे विक्रांत पूरे समय यही सोचता रहा की आज उसके साथ हो क्या रहा है? क्लास मे लेक्चर खतम हो गया पर विक्रांत तो अपने ही खयालों में खोया हुआ था। उसे पता ही नही था की लेक्चर खतम हो चुका है।

सुप्रिया विक्रांत के पास आई और विक्रांत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा–“कहां खोए हुए हो? चलो लंच टाइम हो गया है। कैंटीन चलते हैं।” सुप्रिया की बात सुनकर विक्रांत का अचानक से ध्यान टूटा। उसने देखा की उसके साइड में सुप्रिया खड़ी है।

“अरे सुप्रिया...! तुम कुछ बोल रही थी क्या?” विक्रांत ने सुप्रिया से पूछा। “अरे यार तुम कौन से खयालों में खोए हुए हो? मैं ये बोल रही थी की चलो कैंटीन चलते हैं।” मुस्कुराते हुए सुप्रिया ने विक्रांत से कहा।

“ओ अच्छा...! चलो ठीक है कैंटीन चलते हैं।” विक्रांत ने सुप्रिया से इतना कहा, उसके बाद वो दोनो कैंटीन जाने के लिए निकल गए।