Tu bhi Sataya Jayega - 3 in Hindi Fiction Stories by Shalini Chaudhary books and stories PDF | तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 3

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तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 3

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।

हे फैमिली आशा है की आप सब को मेरा ये नया प्रयास पसंद आ रहा होगा। कहानी के हर मोड़ का मजा ले, और अपने विचारों का निसंकोच हो कर टिप्पणी करे। आपके व्यक्त विचारों से मेरे लेखन में एक अद्भुत सहायता प्राप्त होती है। आप सब को मेरा झोला भर कर प्रेम ❤️❤️

अब बिना देरी किए चलते है कहानी के ओर....

बनारस ( कश्यप हाउस )

खनक के हाथो से खून टपक रहा था और वो बिना किसी भाव के उस बह रहे खून को देखे जा रही थी। तभी अंबर की नजर उसके हाथ पर पड़ती है अंबर घबराते हुए।

अंबर ( घबराते हुए ) " खनक हाथ से खून निकल रहा है तू क्या सोच रही है ?"

खनक का कोई जवाब नही आता है वो तो किसी और ही ख्यालों में गुम थी लेकिन उसके हाथों से खून तेजी से बह रहा था। तभी अंबर जल्दी से फर्स्ट एड बॉक्स ले कर आती है और जल्दी से खनक का हाथ अपने हाथ में ले लेती है उसके हाथ में कप के कुछ टुकड़े अभी भी धसे हुए थे, अंबर हल्के हाथों से उसे निकालती है की कहीं खनक को तेज दर्द न हो, और फिर रूई में डेटॉल लगा कर फूंक मारते हुए घाव को पोछती है लेकिन खनक को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था वो एक टक टी वी को घूरे जा रही थी जहां पाठक कंस्ट्रक्शन के बाहर रिवाज का इंटरव्यू हो रहा था, और उसके ठीक बगल में शाइनी खड़ी थी जो दुनिया की नजरों में रिवाज की असिस्टेंट थी।

मीडिया पर्सन ( रिवाज से सवाल करते हुए ) " मिस्टर पाठक कैसा लग रहा है आपको ? इतना बड़ा प्रोजेक्ट पहली बार आपके हाथ लगा है। कैसे देखते है आप इसे ?"

रिवाज ( फुल कॉन्फिडेंस के साथ ) " ये मेरे और मेरे कंपनी के लिए बहुत बड़ी बात है। मै खुशकिस्मत हूं की मुझे इस प्रोजेक्ट के लायक समझा गया। और हां ! इस वक्त मै बहुत ज्यादा ही एनर्जेटिक फील कर रहा हूं, और मुझ में काम करने के लिए एक नई एनर्जी मिली है, सो फीलिंग हैप्पी ☺️ और रही बात इस पर मेरे व्यू की तो मुझे गवर्मेंट के इस डिसिजन से बड़ी खुशी मिली है की मेरी कंपनी पर भरोसा दिखाया गया है। इससे देश में और भी छोटी कंपनीज और स्टार्टअप को एक नई होप मिली है की उन्हे भी गवर्मेंट के तरफ से सपोर्ट मिलेगा। वरना तो अपने देश के अंदर भी कई सारी नामी और एक्सपर्ट कंपनी है। लेकिन मुझे चुनना नई कंपनियों को चांस देने जैसा है जिससे देश में एक नया मैसेज जायेगा और सब अपने स्टार्टअप्स पर काम करेंगे।"

दूसरा मीडिया पर्सन ( दूसरा सवाल दागते हुए ) " आप का क्या प्लान है इस मॉल के लिए ? क्या सब मिलेगा पब्लिक को ?"

रिवाज ( मुस्कुराते हुए ) " देखिए अभी मॉल के डिजाइन या फैसिलिटी के बारे में ज्यादा तो नहीं बता सकता वरना पब्लिक का सप्राइज खराब हो जायेगा। बस इतना कहना चाहता हूं की गवर्नमेंट ने जो भरोसा दिखाया है उस पर खड़ा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा।"

दूसरा मीडिया पर्सन ( नेक्स्ट सवाल करते हुए ) " पिछले छः महीने में आपकी कंपनी को एक नया बूस्ट मिला है, अभी आपके पास कई सारे नेशनल और इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स है। तो आप इस सबका श्रेय किसे देते है ?"

रिवाज ( मुस्कुराते हुए ) " ऑफकोर्स ! अपनी फैमिली को जो कम्पनी में मेरे लिए काम करते है कंपनी में अपना हंड्रेड पर्सेंट देते है और जरूरत पड़ने कर टू हंड्रेड पर्सेंट भी देते है। उन्हे ही सारा श्रेय दूंगा।"

इतना बोलते हुए वो अपनी कार में बैठ जाता है और शाइनी भी उसी कार में बैठ जाती है और कार वहां से निकल पड़ती है कुछ दूर तक मीडिया वाले माइक ले कर उसके पीछे पीछे दौड़ते है लेकिन फिर रुक जाते है।

एंकर ( हाथ में माइक पकड़े ) " तो अभी आप सुन रहे थे पाठक कंस्ट्रक्शन के मालिक रिवाज पाठक को। और अब रुख करते है दूसरे खबरों पर।"

खनक एक टक टी वी को देख रही थी। अंबर पट्टी कर चुकी थी।

अंबर ( गुस्से से खनक को हिलाते हुए ) " कहां खोई है ये तो बता ? कितना चोट लगा है तुझे और तुझे कोई फर्क नही पड़ रहा है क्या ?"

खनक ( दर्द भरी आवाज में ) " जिसने दिल पर चोट खाया हो उसके लिए ये चोट और ये दर्द कुछ भी नही है।"

अंबर ( खनक को गले लगाते हुए ) " यार खनक छोड़ ना पुरानी बातें, वैसे वो आदमी कभी मेरे सामने आया न तो मै उसका सर फोड़ दूंगी तू बस उस हराम खोर का नाम बता।"

खनक ( मुस्कुराते हुए ) " छोड़ ना ये सब। और पैकिंग कर ले।"

इतना बोल कर वो दोनो फिर से पैकिंग करने लगती है।

अंबर ( खनक से ) " लगभग हो ही गया है। तू कर मै चाय बना कर लाती हूं और कुछ स्नैक्स भी, फिर शाम को गंगा आरती करने चलेंगे।"

उतना बोल कर वो चाय बनाने चली जाती है। उसके जाने के बाद खनक के आंखो में एक बार फिर खून उतर आता है।

खनक ( मन में ) " रिवाज पाठक तू नही जानता है अब तेरा पाला किससे पड़ेगा ? मुझसे खनक से, जो अब बहुत बदल चुकी है तूने ही बदला है इसे, चलो देखते है क्या करना है तेरे साथ ?"

उसके दिमाग में कुछ चल रहा था जो रिवाज के लिए बहुत बुरा था।

तभी अंबर वहां आ जाती है।

खनक ( अंबर से ) " अंबर मुझे न कुछ जरूरी काम है इसलिए मै दो दिन के लिए मुंबई जा रही हूं, तुम भूमिजा को संभाल लोगी।"

अंबर ( चाय को चुस्की लेते हुए ) " हां संभाल लूंगी लेकिन ऐसा क्या काम है जिसके लिए तुम्हे मुंबई जाना है। जानती हो ना उसी शहर में मिली थी तुम मुझे कितनी घायल थी तुम। उस शहर ने तो मार दिया था तुम्हे, वापस से उन गलियों में क्यों जाना है ?"

खनक ( मुस्कुराते हुए ) " याद है मुझे कैसे भुल सकती हूं अपने जिंदगी की उस रात को, भूल कर भी नही भूल सकती हूं। लेकिन ये भी एक सच्चाई है की जब लंबी छलांग लगानी हो तो कदम पीछे लेने पड़ते है। समझी। और एक बदलाव के लिए मुझे वहां जा कर अपना काम खतम करना होगा।"

अंबर ( खनक की चिंता करते हुए ) " लेकिन काम है क्या ?"

खनक ( अंबर से ) " पहले काम हो जाए फिर बताऊंगी।"

अंबर ( एक लंबी सांस खींचते हुए ) " ठीक है जो तुझे सही लगे, क्योंकि तेरी खुशी और तरक्की ही चाहिए मुझे। और तू चिंता मत कर मै संभाल लूंगी भूमिजा को।"

खनक मुस्कुरा देती है।

तो आगे क्या होगा इस कहानी में ? क्या है उस रात की सच्चाई ? और क्या करने वाली है खनक ? जानने के लिए बने रहे ! तू भी सताया जाएगा। मेरे यानी शालिनी चौधरी के साथ।

मेरे मन की बात,

हां तो फैमिली कैसा लगा आज का पार्ट ? कॉमेंट में बताइए और अगर पसंद आया तो लाइक करें ❤️ कॉमेंट करे और शेयर करें अपने जैसे नॉवेल लवर्स के साथ और अपनी फैमिली को बड़ा करे ये आपकी भी जिम्मेदारी है 🙂 और अगर हो कोई सजेशन कहानी से रिलेटेड तो कॉमेंट में बताइए आपके सजेशन का तहे दिल से स्वागत है 🙏 आप सबको मेरा झोला भर कर प्रेम ❤️ ❤️ ❤️

✍️ शालिनी चौधरी