Love Contract - 16 in Hindi Love Stories by Manshi K books and stories PDF | Love Contract - 16

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Love Contract - 16

अदिति ( रसीली बाई ) दुल्हन के जोड़े में बेड पर बैठ कर कहीं खोई हुई थी । कमड़े के अंदर आते हुए अभी तक तुम इसी कपड़े में मां ने तुम्हे दूसरी साड़ी नहीं दी पहनने के लिए रिवान कहता है । अदिति कुछ जवाब नहीं दि , क्योंकि किसी बात को लेकर खोई थी ।
क्या हुआ है ?? किस सोच में डूबी हो रिवान अपना कबर्ड
खोलते हुए बोला । कबर्ड खुलने की आवाज सुन कर नींद से अदिति जगी । कुछ खास नहीं बस बाबा की याद आ रही है मां - पापा के गुजरने के बाद वहीं तो थे जिन्होंने मेरी हर एक ख्वाहिश को पूरा किया । अब मुझे छोड़ कर इस दुनियां से बहुत दूर चले गए , मुझे अकेले छोड़ गए।

" रीवान " मैं जानता हूं अपनों के खोने का दर्द क्या होता है ? जब मेरी नानी मुझे छोड़ कर चली गई थी तो मेरे साथ क्या हुआ था ? उस वक़्त तो मुझे रिश्तों की समझ भी नहीं था । खैर तुम ख़ुद को संभालने की कोशिश करो ।
आपने मां से झूठ क्यों कहा " उनको पूरी सच्चाई क्यों नहीं बताया ? मैं उनकी बहू सिर्फ़ नाम के लिए हूं कुछ दिन मेहमान के रूप में उनके साथ रहूंगी ।
अभी सही वक़्त नहीं है उनको सच्चाई बताने के लिए , और हां ये बात दोबारा अपनी जुबां पर मत लाना समझी । ये बात मेरे , तुम्हारे और विराज के बीच ही रहनी चाहिए ।
जब तक वो मिल नहीं जाती तब तक तुम्हे ये नाटक करना होगा ।

मैं वादा करता हूं तुम्हे यहां किसी भी चीज के कोई कमी नहीं होगी , इसे अपना घर ही समझना ।
आपने जो मेरे लिए किया है उसका कर्ज तो मैं अपना जान देकर भी नहीं चुका पाऊंगी , ये तो बहुत छोटी सी बात है आप बिल्कुल फ़िक्र मत कीजिए मेरे तरफ से कोई भी तकलीफ परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं होगा ।
मां तो बहुत अच्छी है उसके साथ रह के उनका प्यार पाऊंगी बहुत मिस करती हूं मां को , आपने बहुत बड़ी खुशी दिया है एक पूरा परिवार दिया है मेरा बचपन से सपना रहा है मैं पूरे परिवार के साथ जिंदगी भर रहूं ।
जिंदगी भर तो नहीं लेकिन कुछ महीने या कुछ साल ये खुशी मुझे जरूर नसीब होगी ।

" रिवान " मैं मां को अभी भेजता हूं उनसे कुछ साड़ियां ले लो बाकी मैं मां से बोलकर साड़ी मंगवा लेता हूं तुम्हे जो पसंद हो रख लेना । मेरे पास पहले से कुछ साड़ियां है मैं वही पहन लूंगी अदिति बोली । तुम मितल खानदान की बहू हो स्टेटस के अनुसार पहनना पड़ेगा खैर छोड़ो मैं विराज के साथ बाहर जा रहा हूं ।

" सावरी मितल " वाह बेटा बीबी के आए हुए एक दिन भी नहीं हुए और मां को भूल गया । नहीं मां भला ऐसा हो सकता है कि मैं आपको भूल जाऊं।
अपनी सास सावरी जी को आते देख अदिति बेड से उतर कर खड़ी हो जाती है ।
अरे .. अरे ये क्या बेटा तुम मुझे देख कर बेड से क्यों उतर गई ? मैं तुम्हारी कोई सास नहीं हूं मैं तुम्हारी मां हूं और तुम मेरी बेटी हो मुस्कुराते हुए बोली । आदिती भी सावरी जी को देख कर मुस्कुराई फिर उनसे लिपट जाती है ।

कुछ देर बाद अदिति ख़ुद को अलग करती है ।
तू कहां जा रहा है रिवान ?? अभी कुछ घंटे पहले ही आया है और फिर जाने की बात कर रहा है । न कुछ खाया न कुछ पिया बस बाहर जाने की बात करने लगा ।
घर में अकेली बहू को छोड़ कर कहां जा रहा है ??
तब तक विराज अा जाता है ' चल भाई चलते हैं ' ।
अच्छा तुम दोनों का प्लान है बाहर जाने का सावरी जी विराज का कान ममोड़ते हुए बोली , चलो शांत से तुम दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठो मैं अभी खाना लगाती हूं । खाना खा कर अपने कमड़े में आराम करोगे ।

" विराज " आप भी किस जमाने में जीती है आंटी जी रिवान को गिफ्ट लेना होगा नई भाभी के लिए कमड़े से बाहर निकलते हुए दोनों आपस में बात करते जा रहे थे ।
हां विराज बेटा बिल्कुल सही कहा इस बारे में मैं तो कुछ सोची ही नहीं सावरी जी । अच्छा ठीक फिर तुम उसे बाहर लेकर जाओ लेकिन उससे पहले खाना खा लो तुम दोनों , घर जल्दी वापस आना । मैं तो काम में उलझी रहूंगी तुम तो अपने अंकल को जानते हो न । बस .. बस.. आंटी जी इससे आगे मत बढ़ना अंकल जी को तो अच्छे से जानता हूं।
आप जल्दी से खाना लगाओ मैं रीवान को लेकर आया । झटके से विराज गया और रिवान को उसके कमड़े से बुला लाया । दोनों झटके से खाना खा कर बाहर निकल जाते है ।

" अरुण मित्तल " सवारी जी .... सावरी जी .... आवाज़
लगाते है । झटके से सावरी जी अरुण मित्तल के पास जाकर " जी कहिए क्या चाहिए आपको ? नई बहू के आने की खुशी में कहीं मुझे भूल तो नहीं गई मेरे दवा लेने का वक़्त हो गया है तंज कसते हुए बोले । सावरी जी जैसे जम सी गई क्योंकि उस वक़्त मितल साहब कुछ ज्यादा ही गुस्से में थे , कुछ ना बोलना ही मुनासिफ समझा ।

अब दवा लाकर खिलाओगी की मैं खुद से खा लूं , तुम जाओ अपनी नई बहू के सेवा में लगी रहो । ऐसा क्यों बोल रहे हो जी ? ये लीजिए पहले दवा खा लिजिए फिर अपना गुस्सा निकाल लीजिएगा ।
गुस्सा मैं निकाल रहा , ख़ुद की गलती तो तुम्हे दिखती नहीं है । बस कीजिए वरना आपकी तबियत ख़राब और हो जाएगी ।

विराज और रिवाण एक मॉल में पहुंचे , भाई तुझे जो पसंद ले लो रिवान विराज से कहता है । नहीं भाई कुछ नहीं चाहिए मुझे कपड़े तो अभी बहुत सारे है । तू मेरा दोस्त नहीं भाई है समझा तो बिना कुछ सोचे अपने लिए पसंद कर खैर तुम छोड़ो मैं खुद ही पसंद कर लेता हूं तुम्हारे लिए और तुम मेरे लिए पसंद करो । विराज हांमी भरता है ।

सवारी जी दौड़ते हुए अदिति के पास अाई " सॉरी बेटा
मैं तुम्हे कपड़े देना तो भूल ही गई ये लो साड़ियां पहन लो फ्रेश हो जाओ तब तक मैं कुछ खाने के लिए लाती हूं ।

साड़ी पहन के अदिति हॉल में आती है जहां उसका सामना अरुण मित्तल से होता है । 🤔🤔🤔


Continue ....