बेचारा लेखक सीजन 2
एक दिन में अपनी कुटिया में बैठकर साहित्य सृजन कर रहा था। अचानक सामने सुनहरे कलर का एक यान उतरा। उसमें से वही लड़की बाहर निकली। वह लड़की असल में उस ग्रह की राजकुमारी थी। इतने सालों के बाद भी राजकुमारी की ज्यों की त्यो जवान थी। राजकुमारी तुरंत अपने अंगरक्षकों के साथ मेरी कुटिया में आई।
प्रिय पाठको इससे पहले की कहानी जानने के लिए मेरी रचना बेचारा लेखक सीजन 1जरूर पढ़िए। राजकुमारी का सुंदर मुखड़ा खुशी से भरा हुआ था। मेरी कुटिया में आते ही उसने मुझे प्रणाम किया। मैंने भी नमस्कार का जवाब नमस्कार से दिया।
राजकुमारी ने कहा आप एक महान लेखक हो। आपकी पुस्तक 'बेचारा लेखक' हमारे ग्रह में बहुत फेमस है। वहां इसकी करोड़ प्रतिया बिक चुकी है। आपके कारण ही हमारे ग्रह में जनसंख्या संतुलन ठीक हुआ। आज वहां पुरुष भी काफी मात्रा में उत्पन्न हो गए हैं और हमने अपनी प्रशासन में जवान पुरुषों को भी ले लिया है। मैं आपको अपने ग्रह की तरफ से महान लेखक का अवार्ड प्रदान करती हूं और उसने मुझे एक बहुमूल्य रत्न से बना हुआ सुंदर स्मृति पदक प्रदान किया। साथ ही उसने मुझे बहुत बड़ी संख्या में हीरे मोती और माणिक्य भी प्रदान किये। जिनकी कीमत अरबो खरबो में थी। मैं लेना तो नहीं चाहता था। लेकिन राजकुमारी के बहुत अनुरोध पर मैंने वह ले लिया। वह स्मृति पदक और कुछ बहुमूल्य रत्न तो मैंने अपने पास रखे और बाकी सब मार्केट में बिकवा दिए। इससे मुझे बहुत बड़ी धनरशि प्राप्त हुई। मैंने यह धनराशि एक अच्छे बैंक में रखवा दी। सरकार ने इस पर मुझसे कुछ जीएसटी लिया और मेरा अकाउंट नंबर वन का क्लियर कर दिया। अब मेरा यह धन वाइट मनी में आ गया था। इस धनराशि पर अब मुझे अच्छा खासा ब्याज मिलने लगा। जब राजकुमारी को मेरे इस करनामी की खबर मिली तो वह नाराज होने के बदले बहुत खुश हुई। क्योंकि मैंने उसके द्वारा दिए गए धन का सही प्रयोग किया था। यह ब्याज हर महिने बहुत ज्यादा मात्रा में मिलता था। ये करोड़ों में था। इस धन का प्रयोग मै समाज सेवा में और स्वयं के लिए करने लगा। अब तो विश्व और राज्य सरकार और देश की सरकार कई सरकारों ने मुझे पुरस्कार पर पुरस्कार देना शुरू कर दिया। क्योंकि राजकुमारी द्वारा पुरस्कार देना एक बहुत ऊंची चीज थी। यह देखकर सभी ने मुझे अपने-अपने लेवल पर सम्मानित करना शुरू कर दिया। बहुत ज्यादा धन से लोग घमंडी हो जाते हैं। लेकिन एक लेखक जिसने गरीबी देख रखी है। वह धन को एक अवसर के रूप में देखता है और इसका सदुपयोग करता है।
अब मैंने राजकुमारी के सहयोग से अपना प्राइवेट अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र स्थापित किया। इसमें देश-विदेश के बुद्धिमान वैज्ञानिकों को रखा गया। उन वैज्ञानिकों के सहयोग से मैंने अच्छी खासे यानों और उडनतस्तरियों की रचना अपनी प्रयोगशाला में करवाई। मेरी प्रयोगशाला में राजकुमारी के ग्रह के वैज्ञानिक भी रखे गए थे। अब मैंने एक कई किलोमीटर तक लंबी चौड़ी जमीन खरीदी। इस जमीन को समतल करवाया। चारदिवारी बनवाई। जमीन के कोने में रहने के लिए कुछ मकान बनवाया और इस तरह एक सुंदर सा बड़ा सा फार्म हाउस तैयार किया। इस जमीन में मैंने खेती शुरू करवाई जिस भयंकर मुनाफा हुआ। अब मैंने सभी जरूरी वस्तुओं की फैक्ट्रियां भी स्थापित की। इन फैक्टरियो से सामान हमारे लिए तो बनता ही था। साथ ही साथ अतिरिक्त सामान देश विदेश में भी विक्रय हेतु जाता था। अब मेरे पास क्योंकि बहुत कर्मचारी हो गए थे। इसलिये उनके लिए मैंने एक सुंदर आधुनिक नगर की भी स्थापना की। जिसमें सभी सुविधाएं थी। साथ ही कुछ खाली मकान में रखे गये। ताकि नये आने वाले लोगों को रहने और खाने की कोई असुविधा न हो। कुछ गरीब रिश्तेदार फटे पुराने कपड़ों में मेरे पास आये। किसी के बच्चे नहीं थे तो किसी के मां-बाप नहीं थे। कई विधवा थी तो कई विदुर थे। उन सबको मैंने सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई और कुछ खाली मकान उन्हें रहने के लिए दिये। साथ ही उन्हें अच्छे वस्त्र अच्छी जीवन शैली उपलब्ध करायी। साथ ही उन्हें ट्रेनिंग देकर अच्छी सैलरी पर अच्छा जॉब भी अपने नगर में दिलवाया। अब वह सब बड़े खुश थे। बच्चों के लिए मैंने अच्छे विद्यालय में शिक्षा की उचित व्यवस्था करवाई। इसके बाद मैंने सब भाई बंधों और रिश्तेदारों की एक लिस्ट बनाई और उनके बारे में पता किया। यह लोग पूरे देश में फैले हुए थे। मैं सबसे मिला और अपनी तरफ से सब का हर किस्म का कर्ज माफ करवाया। इसमें मेरा काफी धन लगा। इसके बाद मैंने उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उनको काफी धन दिया। उनके बच्चों का अच्छा प्लेसमेंट करवाया और हर तरफ से उन्हें सहायता दी। उनके बिजनेस नौकरी आदि में भी सहायता की। उनके बच्चों की पढ़ाई अच्छी तरह से हो इसका भी ध्यान रखा। इसमें मेरा बहुत सारा धन खर्च हुआ। लेकिन मन को बहुत संतुष्टि मिली। आज 15 दिन बाद सारा देश घूम कर मै अपनी कुटिया में आया। सबसे पहले मैंने कुटिया की साफ सफाई की। थोड़ा बगीचे में भी ठीक-ठाक किया। उसके बाद मै नहाया। थोड़ा आराम और अल्पाहार करके मै अगल-बगल के अपने दोस्तों से मिला और उसके बाद घर आकर मैने थोड़ा आराम किया। इसके बाद मैंने रात के लिए आहार की व्यवस्था की। सब्जी बना दी। दाल बना दी और आटा गूंथ दिया। अब जैसे ही भूख लगेगी वैसे ही आराम से मै रोटी बना सकता था। इसके बाद मै आराम से ध्यान मुद्रा में चला गया। कुछ समय तक ध्यान में रहने के बाद अचानक मेरा ध्यान टूट गया। क्योंकि गांव के कुछ लोग मेरा स्वागत करने और मुझसे कुछ परामर्श लेने आए थे। स्वागत इसलिए कि मैं बहुत दिनों बाद पहुंचा था और परामर्श इसलिए की कोई चीज उनकी बुद्धि के बाहर थी। इसके बारे में वे मुझसे परामर्श लेना चाहते थे। अब राजकुमारी ने मुझे अपने ग्रह आने का न्योता दिया। मैं भी बड़ा खुश था। आखिर राजकुमारी के ग्रह को देखने का मौका जो मिल रहा था। यह बड़ा सुंदर ग्रह था। जैसे ही हम वहा पहुंचे। राजकुमारी के लोगों ने हमारा बहुत शानदार स्वागत किया। हम कई दिनों तक उस ग्रह में मेहमान बन कर रहे। हमें वीआईपी ट्रीटमेंट मिला। मेरे साथ कुछ मेरे मित्र भी थे। सब बड़े खुश हुए। राजकुमारी ने अपने ग्रह पर हमें कीमती की विविधा उपहार दिए और जो भी वस्तु हमें पसंद आती उसे बिना कहे हुए हमें प्रदान करते।
हमने वहां रह कर ग्रह के ज्ञान विज्ञान को समझा और उसका अपनी पृथ्वी से तुलनात्मक अध्ययन किया। वहां से हम अनेक ग्रंथ भी अपने पृथ्वी लोक में लाये। इस तरह से हम वहां से कई चीजे लाकर पृथ्वी में ले आये। ताकि हम पृथ्वी लोक वासी भी लाभान्वित हो सके। गिफ्ट में मिला सब फालतू सामान मैंने बेच दिया। इससे मुझे बड़ी रकम प्राप्त हुई। जिसकी मैंने बैंक में एक बड़ी एफडी बना ली। मेरे पास बहुत सा धन हो गया। इस धन का सदुपयोग मैंने देश की गरीबी हटाने और देश का कर्ज चुकाने में किया। इस प्रकार मेरी सेवा का स्तर व्यक्तिगत स्तर से क्षेत्रीय स्तर और क्षेत्रीय स्तर से लेकर देशीय स्तर तक पहुंच गया। अब मैं सोचने लगा अगर भगवान मुझे और धन दे तो इस धन का प्रयोग में वैश्विक स्तर पर भी करूंगा। मेरी जान पहचान काफी बढ़ गई थी। मैंने अब अपनी जान पहचान और गहरी और बड़ी करने की सोची और मैं देश-विदेश घूम-घूम कर अपनी जान पहचान और तगड़ी करने लगा। लोगों से आत्मिक संबंध स्थापित करने लगा। इससे मुझे बड़ी लोकप्रियता हासिल हो गई। मैंने देश के कुछ महानतम लेखक चुने। इनमें ज्यादातर गरीब लेखक थे और उनके लिए शहर में एक लेखक सिटी बनाई। लेखक सिटी में उनके लिए सब कुछ फ्री था और उन्हें लेखन की स्वतंत्रता थी। उन्हें धन की कोई कमी न हो, साथ ही उनकी एक संस्था भी बनाई। इस संस्था का काम देश-विदेश के सभी लेखकों को आर्थिक मदद और रोजगार देना था। इसे लेखक वर्ग में बड़ी हलचल मच गई और सभी लेखक बड़े ही प्रसन्न हो गए। अब मैंने घर परिवार के लिए एक सुंदर सा महल बनवाया और उसमे रहन-सहन के लिए सभी उपयोगी समान नए सिरे से रखे। घर वालों के लिए अच्छे-अच्छे कपड़े अच्छे-अच्छे भोजन की व्यवस्था की। उनके लिए समय पास करने के साधन दिए। आगे बढ़ने के साधन दिए और उन्हें अच्छे-अच्छे महंगे महंगे गहने भी उपहार दिये। यह सब देखकर घर वाले भी बड़े खुश हुए। इस तरह मैंने अपने परिवार का जीवन भी खुशहाल बनाया और अन्य सभी का जीवन भी खुशहाल बनाया। इससे मेरे मन को बड़ी संतुष्ट प्राप्त हुई और मैं अपने लेखन कार्यों को अनवरत करने लगा। आखिर मेरा लक्ष्य साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कारों को प्राप्त करना था। इसके बाद मैंने एक महान उच्च श्रेणी का महाविद्यालय खोला। इसमें देश-विदेश के लोग पढ़ने के लिए आने लगे। इसके मानक बहुत ऊन्चे रखे गये। जिससे इस महाविद्यालय में हर साल ऊंचे ऊंचे विद्वान और ऊँचे ऊँचे अफसर निकलने लगे। आप स्थिति मेरे हक में आ चुकी थी। चारों तरफ खुशियां ही खुशियां थी। चारों तरफ मस्ती ही मस्ती थी। मेरे चारों तरफ अब कोई गरीब नहीं रह गया था और लेखकों की भी मान्यता बहुत बढ़ चुकी थी। अब मेरे राज में कोई भी लेखक बेचारा लेखक नहीं रहा। अब मेरे राज में सभी लेखक धन-धान्य संपन्न और बुद्धिमान हो गये। अब बेचारा लेखक श्रीमान लेखक बन गया।