Shadow Of The Packs - 5 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Shadow Of The Packs - 5

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Shadow Of The Packs - 5

तान्या और उसकी दोस्त के वहां से जाने का बाद, विक्रांत भी कैंटीन से जाने ही वाला था की तभी वहां सुप्रिया आ जाती है। “अरे अचानक कहां चल दिए? अभी तो मैं आई हूं और तुम जा रहे हो! क्या हुआ? तुम्हारा मूड ठीक नही लग रहा बात क्या है!” सुप्रिया , विक्रांत को देखते हुए पूछती है। उसने देखा की रूद्र कुछ upset सा लग रहा था।

“अरे कुछ नही यार, मैं यहां बैठकर आराम से सैंडविच खा रहा था की तभी दो लड़कियां आईं और मेरे सामने बैठ गई। वो आगे होकर मुझसे बात करने लगी और मेरे बारे मे पूछने लगी। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला की मैं अमीर नही हूं तो गरीब फटीचर बोलकर चली गईं।” विक्रांत ने सारी बात सुप्रिया को बताते हुए कहा।

“अरे तो इसमें इतना upset होने वाली क्या बात है। अब हम दूसरो की सोच को तो बदल नही सकते। अच्छा ये बताओ, ऐसा तो नहीं है की उनमे से तुम्हे कोई पसंद आ गई है?” सुप्रिया मुस्कुराते हुए मजाकिया अंदाज मे रूद्र से पूछती है।

“अरे यार ऐसी कोई बात नही है।” विक्रांत इधर उधर d khte hue सुप्रिया से कहता है।

“तो फिर ऐसा उदास सा चेहरा क्यों बना रखा है? चिल्ल करो। चलो बाहर कहीं चलते हैं। आज कहीं घूमने का मन कर रहा है।” सुप्रिया ने मुस्कुराते हुए विक्रांत से कहा। लेकिन विक्रांत ने पढ़ाई का बहाना बनाते हुए घूमने जाने से मना कर दिया। उसने सुप्रिया से कहा की पढ़ाई के बाद उसको हाईवे के पास वाले मोटर गैरेज पर काम करने के लिए जाना है। वो वहां पर पार्ट टाइम काम किया करता था। सुप्रिया भी उसकी स्थिति समझ सकती थी , इसलिए उसने विक्रांत से आगे कुछ नहीं कहा।

दूसरी तरफ सूर्यकांत अपने लोगों के साथ पवन कुमार और जोसेफ गोम्स के पास पहुंचा। “पवन कुमार जी , हमे आज रात से पहले पहले जंगल जाकर जाल बिछाना पड़ेगा।” सूर्यकांत ने पवन कुमार से कहा।

“ठीक है फिर, चलो चलते हैं।” पवन कुमार , सूर्यकांत से कहते हैं। इसके बाद पवन कुमार और जोसेफ गोम्स भी सूर्यकांत और उसके लोगों के साथ जंगल जाने के लिए निकल जाते हैं।

जंगल पहुंचने के बाद सूर्यकांत ने एक जगह चुनी जहां हाल ही में उस जानवर ने लोगों पर हमले किए थे। शाम होने से पहले पहले सूर्यकांत ने सारे जाल और फंदे लगवा दिए। उसने दो निशाने बाजो के लिए पेड़ पर मचान भी बनवा दिए, ताकि वो ऊपर से उस जानवर पर निशाना लगा सकें।

जोसेफ गोम्स, पवन कुमार और सूर्यकांत भी मचान पर रहकर चारो तरफ नजर रखे हुए थे। उन्होंने जानवर को लालच देने के लिए अपना एक आदमी नीचे खड़ा कर रखा था और उसके चारो तरफ जाल बिछे हुए थे। ताकि जैसे ही जानवर उसपर हमला करने वाला हो तो वो जाल में फंस जाए ।

इंतजार करते करते रात के 11 बज गए। सब लोग बड़े चौकन्ने होकर चारों तरफ नजर रखे हुए थे। अचानक से झाड़ियों में कुछ हलचल हुई। सबका ध्यान उस तरफ चला गया। अचानक से झाड़ियों से एक जानवर बड़ी तेजी से उस आदमी पर हमला करने के लिए झाड़ियों के पीछे से बाहर आया।

वो जानवर उस आदमी के नजदीक पहुंचने ही वाला था की जाल ऊपर हो गया और वो जानवर उसमे फंस गया। सब ये देखते ही फटाफट मचान से उतरकर नीचे आ गए। “जरा जाल पर लाइट मारो। देखें तो सही की आखिर ये कौनसा जानवर है?” सूर्यकांत ने अपने लोगों से कहा।

जब जाल पर लाइट पड़ी तो उस जानवर को देखकर सबकी आंखे फटी की फटी रह गई। “ये जानवर तो बिल्कुल वैसा ही है जैसा लोगो ने स्केच बनवाया था।” पवन कुमार ने जाल मे फंसे उस जानवर को हैरानी से देखते हुए कहा।

”मुझे तो अपनी आंखों पर विशवास नही हो रहा। ये तो सच मे एक werewolf है। आजतक मैने इसके बारे मे सिर्फ कहानियों मे सुना था, और फिल्मों में देखा था। कभी नहीं सोचा था की ऐसा कोई जानवर सचमे होगा।” सुरकांत ने उस जानवर को हैरानी से देखते हुए कहा।

“बेहोशी वाला डार्ट मारो इस पर, और जाल को नीचे उतारो।” सूर्यकांत ने अपने लोगों से कहा।

एक आदमी ने उस जानवर पर बेहोशी वाला डार्ट मारा और वो जानवर बेहोश हो गया। जैसे ही जाल नीचे उतारने लगे की एक आदमी के हाथ से जाल की रस्सी छूट गई। जैसे ही जाल नीचे गिरा वो जानवर ना जाने कैसे होश में आ गया। लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही उस जानवर ने उनपर हमला कर दिया। देखते ही देखते उस जानवर ने आधे से ज्यादा लोगो को चीर फाड़ कर रख दिया।

जोसेफ गोम्स और पवन कुमार को थोड़ी बहुत चोट लगी थी। पर सूर्यकांत बुरी तरह घायल हो गया था। उसका एक हाथ लगभग शरीर से अलग ही हो गया था। इसके बाद जब जोसेफ गोम्स ने इधर उधर देखा तो जानवर कहीं नजर नहीं आया। वो वहां से भाग चुका था। पवन कुमार ने हेडक्वार्टर फोन लगाया और हादसे वाली जगह पर मदत भेजने के लिए कहा।

कुछ ही देर में वहां एम्बुलेंस आ गई और पुलिस वाले भी आ गए। सभी लाशों और घायलों को एम्बुलेंस से हॉस्पिटल भिजवा दिया गया। पुलिस वालो को इस बात का डर था की कहीं इस बारे मे मीडिया या न्यूज वालो को पता ना चल जाए। नही तो लोगों में दहशत फैल जाती, और हर तरफ हाहाकार मच जाता।

दूसरी तरफ सुबह जब विक्रांत नींद से जागा तो उसके सर मे अचानक दर्द होने लगा। उसे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था। ऐसा लग रहा था मानो वो बहुत लंबी नींद से जागा हो। तभी उसके फोन की घंटी बजी। जब विक्रांत ने फोन मे देखा तो सुप्रिया का फोन आ रहा था।

“हेलो...! सुप्रिया, आज तुमने इतनी सुबह सुबह कैसे फोन कर लिया?” विक्रांत अपने पास मे रखी हुई घड़ी मे समय देखते हुए सुप्रिया से पूछता था।

“मैने बस ये पूछने के लिए फोन किया था की आज तुम कॉलेज आ रहे हो या नहीं?” सुप्रिया ने विक्रांत से पूछा।

“आना तो चाहता था यार पर अचानक से मेरे सर मे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है। मुझे नही लगता की मैं आज कॉलेज आ पाऊंगा।” विक्रांत ने सुप्रिया से कहा।

“ज्यादा दर्द हो रहा है क्या? तुम अपने घर का पता बताओ, मैं अभी के अभी वहां आ रही हूं।” सुप्रिया ने विक्रांत से कहा। उसको उसकी चिंता हो रही थी।

“तुम यहां पर मत आओ। मुझे लगता है की थोड़ा आराम करूंगा तो ठीक हो जाऊंगा। तुम टेंशन मत लो।” विक्रांत ने सुप्रिया से कहा।

“एक काम करो तुम मुझे अपने घर का पता बताओ। मै तुमसे अभी के अभी मिलना चाहती हूं।” सुप्रिया ने विक्रांत से कहा।

“एक काम करते हैं, हम कल कॉलेज में मिलते हैं। मैं बस अभी थोड़ा आराम करना चाहता हूं।" इतना कहकर विक्रांत ने फोन रख दिया।

सुप्रिया को ऐसा लग रहा था जैसे कुछ गड़बड़ है! विक्रांत थोड़ा अजीब सा बर्ताव कर रहा था। वहीं विक्रांत भी समझ नही पा रहा था की उसके साथ ये हो क्या रहा है! उसके साथ पहले तो कभी ऐसा कुछ नही हुआ।

वहीं दूसरी तरफ पवन कुमार और जोसेफ गोम्स घायलों से मिलने के लिया अस्पताल पहुंचे। उनके अस्पताल पहुंचते ही एक पुलिसवाला भागता हुआ उनके पास आया और उनसे कहा, “सर , आप दोनो को कमिशनर साहब ने मिलने के लिए बुलाया है। और कहा है की जल्दी से जल्दी आप दोनो उनसे मिलने के लिए पहुंचे।”

“ठीक है तुम चलो हम आ रहे हैं।” जोसेफ गोम्स ने उस पुलिस वाले से कहा। इतना कहकर जोसेफ गोम्स और पवन कुमार कमिशनर साहब से मिलने के लिए रवाना हो गए।

थोड़ी ही देर में बाद वो लोग कमिशनर साहब के ऑफिस पहुंच गए। दोनो कमिशनर के ऑफिस के अंदर गए और कमिशनर के सामने खड़े हो गए।

कमिशनर साहब गुस्से भरी नजरों से उनकी तरफ देखते हुए बोले, “ये क्या हो रहा है इस शहर मे? और तुम दोनो कर क्या रहे हो? तुम दोनों ने इस बारे मे मुझसे एक बार पूछना भी जरूरी नहीं समझा। तुम दोनो की लापरवाही के कारण कितने पुलिस वालो की जान चली गई। और कितने ही लोग हॉस्पिटल में घायल पड़े हैं। तुमने एक बार भी नही सोचा की जब रिपोर्टर्स को या जनता को इस बात का पता चलेगा तो कितना बड़ा हंगामा हो सकता है। शाम तक इसकी पूरी रिपोर्ट की फाइल मुझे मेरे टेबल पर चाहिए। अब से इस केश पर बिना मुझसे पूछे तुम दोनो कुछ नही करोगे। अब तुम दोनो जा सकते हो।” कमिशनर इतने गुस्से मे थे की उन्होंने जोसेफ गोम्स और पवन कुमार को कुछ बोलने ही नही दिया।

Story to be continued.....

Next chapter will be coming soon.....