Shadow Of The Packs - 4 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Shadow Of The Packs - 4

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Shadow Of The Packs - 4

जिन दो पुलिस वालो पर उस जानवर ने हमला किया था, उनमे से एक पुलिस वाला जिंदा बच गया था। उस पुलिस वाले की सारी बात सुन लेने के बाद, जोसेफ गोम्स ने वॉकी टॉकी पर सभी लोगों को सावधान करते हुए कहा, “सभी लोग मेरी बात ध्यान से सुनो। किसी जानवर ने हमारे एक साथी पर हमला कर दिया है और उसे अपने साथ ले गया है। हमे किसी भी हाल में उसे ढूंढना होगा। सभी लोग जंगल मे चारों तरफ फैल जाओ और किसी भी हालत मे उसे ढूंढो। सभी लोग चौकन्ने रहना, वो जानवर कहीं भी हो सकता है और किसी पर भी हमला कर सकता है।” जोसेफ गोम्स ने सबको समझाते हुए कहा।

सभी लोग जंगल में फैल गए। बहुत ढूंढने पर भी वो पुलिस वाला नही मिला। उस पुलिस वाले को ढूंढते ढूंढते सुबह हो गई। “पवन जी...! आप हेडक्वार्टर में फोन करके मदद बुलवाइये। हमे इस जंगल का चप्पा चप्पा छानना होगा। किसी भी हालत मे उस आदमखोर जानवर को पकड़ना ही होगा। अगर कहीं वो जानवर शहर की तरफ चला गया तो हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते की कितने लोगो की जान जा सकती है। इसलिए उसे जल्द ही पकड़ना होगा।” जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार से कहा।

“जी सर...। अभी मैं हेडक्वार्टर फोन करके मदद बुलवा लेता हूं।” पवन कुमार ने कहा और हेडक्वार्टर मे फोन लगा दिया।

कुछ ही देर के बाद लगभग 20 पुलिस वाले वाहन आ गए। “सभी लोग ध्यान से सुनिए। इस जंगल में एक बहुत खूंखार और आदमखोर जानवर है, जो लोगो को मारकर खा रहा है। रात मे उस जानवर ने हमारे एक साथी पुलिस वाले पर हमला करके उसे अपने साथ ले गया है। किसी भी हालत में हमें उस जानवर को पकड़ना है, जिंदा या मुर्दा। एक बात का ध्यान रहे, ये जंगल उसका घर है, वो कहीं से भी किसी भी वक्त हमला कर सकता है। जरा सी लापरवाही से आपकी जान भी जा सकती है। सभी लोग चौकन्ने रहना।” जोसेफ गोम्स ने सभी लोगों को समझाते हुए कहा।

सभी लोग जंगल मे फैल गए और उस जानवर की तलाश करने लगे। लगभग 5 से 6 घंटे की तलाश के बाद जोसेफ गोम्स के पास खबर आई की पुलिस वालो को एक इंसान की आधी खाई हुई लाश मिली है। वर्दी देखकर पता चल रहा था की ये वही पुलिसवाले की लाश थी जिस पर रात मे उस आदमखोर जानवर ने हमला किया था और अपने साथ ले गया था।

जोसेफ गोम्स को खबर मिलते है वो कुछ ही देर में वहां पहुंच गए। जोसेफ गोम्स और पवन कुमार ने जब लाश को देखा तो हैरान रह गए। उस पुलिस वाले का आधा शरीर गायब था। लाश को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसे बीच में से फाड़ दिया गया हो।

“जोसेफ सर...! मुझे नही लगता की हम उस आदमखोर जानवर को दिन मे ढूंढ पाएंगे। क्योंकि सर अभी तक जितने भी हमले हुए हैं सब रात में हुए हैं। एक भी हमला दिन में नही हुआ।” पवन कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा।

“आपका कहना शायद सही है पवन जी ! ये बताओ आपके हिसाब से हमे क्या करना चाहिए?” जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार से पूछा।

“सर मुझे लगता है हमे उस आदमखोर की तलाश दिन में ना करके रात मे करनी चाहिए। और सर मुझे नही लगता वो आदमखोर इतनी आसानी से हमे मिलेगा। उसके लिए हमें एक्सपर्ट्स की मदद लेनी पड़ेगी। जो ऐसे आदमखोर जानवरो को पकड़ने में माहिर हो।” पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स को सलाह देते हुए कहा।

पवन कुमार की बात सुनने के बाद जोसेफ गोम्स सोचने लगे की कौन ऐसा होगा जिसको ये काम दिया जाए ! जोसेफ गोम्स के बहुत सोचने पर भी उन्हे किसी ऐसे का ख्याल नही आया जो इस काम मे माहिर हो। “पवन जी...! आपकी नजर में है कोई ऐसा जो इस काम में माहिर हो?” जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार से पूछा।

“जी सर , मैं एक ऐसे आदमी को जानता हूं जो इस काम को कर सकता है।” पवन कुमार ने कहा।

“कौन है वो?” जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार से पूछा। उसी समय पवन कुमार ने अपनी जेब से फोन निकाला और फिर किसी को फोन करने लगे। “हेलो...! सूर्यकांत...! मैं पवन कुमार बोल रहा हूं। मुझे तुमसे एक काम है। तुम जितनी जल्दी हो सके मुझसे आकर मिलो।” पवन कुमार ने किसी सूर्यकांत नाम के आदमी को फोन करके कहा।

“पवन जी...! ये सूर्यकांत कौन है?” जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार से पूछा।

“सर वो पहले एक फॉरेस्ट रेंजर था, और एक अच्छा ट्रैकर भी । उसने पहले भी ऐसे कई केस सुलझाने मे मदद की है। वो इस केस मे जरूर हमारी मदद कर सकता है।” पवन कुमार ने सूर्यकांत के बारे मे बताते हुए कहा।

अगले दिन सूर्यकांत, पवन कुमार और जोसेफ गोम्स से मिलने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंचा। “कहिए पवन कुमार जी...! इतने समय बाद आपने मुझे कैसे याद किया?” सूर्यकांत ने पवन कुमार से पूछा।

पवन कुमार ने पहले तो सूर्यकांत का जोसेफ गोम्स से परिचय करवाया और फिर उससे कहा, “सूर्यकांत तुमने यहां हो रहे हादसों के बारे मे तो सुना ही होगा! इसी सिलसिले मे हमे तुम्हारी मदद चाहिए। यहां हो रहे हादसों के पीछे एक आदमखोर जानवर है। हमे अभी पता नही है की वो कौनसा जानवर है। पर उस आदमखोर जानवर को पकड़ना बहुत जरूरी हो गया है। और तुमसे बेहतर शायद ही कोई इस काम को कर सकता है।” पवन कुमार ने सारी बात बताते हुए कहा। इसके बाद पवन कुमार ने सूर्यकांत को उस आदमखोर जानवर का स्केच दिखाया।

“पवन कुमार जी... ये तो किसी भालू जैसा लग रहा है! पर इसका फेस किसी भेड़िये जैसा लग रहा है।” सूर्यकांत ने स्केच देखते हुए कहा।

“मुझे भी पहले यही लगा था की ये कोई भालू होगा। पर ये कोई भालू नही है। ये कोई अलग ही जानवर है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वालों को भी इस जानवर की कोई जानकारी नहीं है।” पवन कुमार ने सूर्यकांत से कहा।

“ठीक है पवन जी , मैं अपने लोगो को आज ही बुला लेता हू और तैयारी शुरू कर देता हूं।” सूर्यकांत ने पवन कुमार से कहा , उसके बाद वहां से चला गया।

दूसरी तरफ विक्रांत रोज की तरह कॉलेज आया और अपनी क्लास में जाकर बैठ गया। लेक्चर अटेंड करने के बाद विक्रांत कैंटीन में जाकर खाने के लिए सैंडविच और साथ में कॉफी लेकर एक टेबल पर जाकर बैठ गया। वो जैसे ही सैंडविच खाने जा रहा था की तभी उसके पास दो लड़कियां आकर बैठ गई। “हेलो , मेरा नाम तान्या है और ये मेरी दोस्त काजल है।” उनमे से एक लड़की ने अपना और अपनी सहेली का परिचय दिया।

विक्रांत को ये बहुत अजीब लग रहा था की इन लड़कियों से जान ना पहचान फिर भी वो उसके पास आकर बैठ गईं। उनसे बात करने का मन ना होते हुए भी उसने अपना परिचय देते हुए कहा , “हेलो... मेरा नाम विक्रांत है।” “अकेले अकेले सैंडविच खा रहे हो ! हमे पूछ भी नही रहे हो?” तान्या ने विक्रांत से कहा।

“मै तो आप लोगो को जानता भी नही हूं फिर आप ये कैसे बोल सकती हैं?” विक्रांत ने पूछा।

“अरे जान पहचान होने मे कहां समय लगता है! मै तान्या हूं, और ये मेरी सहेली काजल है। ये लो हो गई जान पहचान।” तान्या ने मुस्कुराते हुए विक्रांत से कहा।

विक्रांत मन ही मन सोचने लगा की कहां से ये मुसीबत आ गई! “ठीक है बोलो तुम दोनो क्या लेना पसंद करोगी?” विक्रांत ने तान्या और काजल से पूछा।

“हम दोनो के लिए एक एक सैंडविच और पेप्सी।” तान्या ने विक्रांत से मुस्कुराते हुए कहा।

विक्रांत अपनी जगह से उठा और उन दोनो के लिए सैंडविच और पेप्सी लेने के लिए चला गया। 3 मिनिट के अंदर ही वो उनके लिए सैंडविच और पेप्सी लेकर आ गया। उसने उन दोनो को पेप्सी और सैंडविच दिया और तीनो बातें करने लगे।

“विक्रांत तुम अपने बारे में कुछ बताओ।” तान्या बड़े गौर से विक्रांत को देखते हुए कहती है।

“तुम मेरे बारे मे क्यों जानना चाहती हो? वैसे भी मेरे बारे मे बताने लायक कुछ भी नही है। मै बस अभी यही बता सकता हूं की मै एक छोटे से घर मे अकेला रहता हूं। इससे ज्यादा मै तुम्हे और कुछ नही बता सकता।” विक्रांत ने अपने बारे मे बताते हुए कहा।

विक्रांत के बारे मे जानते ही तान्या के तो जैसे तेवर ही बदल गए। विक्रांत के बारे मे जानने से पहले वो उससे अच्छे से बात कर रही थी। पर जैसे ही विक्रांत ने उसे अपने बारे मे बताया तो वो अचानक चिड़चिड़ी सी हो गई। “मुझे तो लगा था की तुम किसी अमीर परिवार से हो! मगर तुम तो गरीब फटीचर निकले। चल काजल हमने फालतू में अपना टाइम वेस्ट किया।” इतना बोलकर तान्या और काजल वहां से चले गए। विक्रांत को समझ नही आया की अचानक से इन दोनो को क्या हो गया।

Story to be continued.......
Next part will be coming soon....