Rebirth of devil - 6 in Hindi Fiction Stories by Sanju books and stories PDF | रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 6

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रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 6

मंदिर -

बूढ़ी साधु महिला फूल का हार बनाते हूए आसमान को देखी ... मुस्कराकर 'उनका मिलने का समय आ गया है हवाओं का रुख भी बदला गया है जो उनके मिलने का अंदेशा है ..'.
अब देखना होगा वो पहचानेगा... तेरी माया अपरमपार है जय काली माता 🙏🏻🙏🏻
*********-


पार्किंग एरिया में लगे पेड़ पौधे भी हिले लग गए थे अभय सब कुछ देख कर... {मन में}" लगता है! कुदरत हमें मिलाने की, पहले ही साजिश कर लिया है?.आप हमारी यही कही हैं बट दिख नहीं रही हैं।
कहां हैं आप आंशी?. आपको देखने के लिए आपका अभय तरस गया है.. फिर से एक होने वापस आए है."

नव्या ने चहकते हुए क्या हो गया भैया आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?.

नव्या की आवाज से अभय अपने सोच से बाहर आया अपने कोर्ट के बटन लगाते गाड़ी से बाहर निकला।


नव्या, आव्या गले से लगकर वहां से तुरंत ही भाग गई
चोरी चुपके बिना किसी के नजरो में आए

अभय ने ही उन दोनों को बोला था कि जब तक ग्रेजुएशन कम्पलीट नहीं हो जाता तब तक अभय के साथ क्लोज ना रहे।

और दोनों ने भी समर्थन किया था क्योंकि जानते थे कि अगर दोनों बताएं कि मोस्ट हेंडसम प्रोफेसर की बहन है तो कॉलेज की आधी सी ज्यादा लड़कियां उन दोनों से ही रिलेशन में रहेंगे

कुछ ना कुछ बोलते रहेंगे जो कि बिल्कुल भी नहीं चाहती थी..., अपने भाई का टेम्पर से रूबरू थे कि उन्हें किसी भी लड़कियों का अटैचमेंट ज्यादा नहीं पसंद था सिवाय अपनों के

अभय अपनी आंखों में सनग्लासेस लगाए हुए पार्किंग से कॉलेज के स्टाफ रूम की तरफ बढ़ गया

आती जाती लड़कियां और लड़के गुड मॉर्निंग विश कर रहे थे रिस्पेक्ट से

लड़कियां तो आए भरते हुए अपनी नजरे हटा नहीं पा रही थी ।

अभय स्टाफ रूम में आया , स्टॉफ रूम में ऑलरेडी कुछ प्रोफेसर्स थे जो कि अपने सब्जेक्ट के रिलेटेड डिस्कशन कर रहे थे

अभय - दीवाल से लगी एक स्टील की अलमारी के लॉकर के आया जो पासवर्ड का था वो पासवर्ड एंटर कर खोलकर रजिस्टर लिया और लॉक करा सीधे अपने सीधे केबिन की ओर चला गया था।



सारे की प्रोफेसर अभय के बर्ताव को बखूबी जानते थे कि अभय बहुत ही काम बोलता था वो भी वर्क से रिलेटेड ही,

अभय अपने केबिन में बैठा रजिस्टर में हर एक स्टूडेंट के चेकलिस्ट कर रहा था। की कौन स्टूडेंट रेगुलर है और कौन नहीं?.'दरअसल बात ये है कि अभय कुछ हफ्तों से कॉलेज नहीं आ रहा था पर्सनल रीजन से जो {आगे पता चलेगा }'


वो इंटेस निगाह से प्रोफ़्रीड कर रहा था
वो ये देखना चाहता था कि प्रोफेसर एब्सेंट रहेगा तो क्या स्टूडेंट, रेगुलर और पंक्चुअल रहेंगे कि नहीं।
कुछ ही स्टूडेंट्स रेगुलर थे आधे से ज्यादा अप्सेन्ट जिसे देख अभय की आँखे लाल हो गए।

*****

हमारी आंशी अपने दुपट्टे को लहराते हूए कॉलेज के अंदर आई, दोस्त आरुषि के साथ.....

आंशी, आरुषि की दोस्ती बचपन की थी जो टूटे से भी नहीं टूटी, चाहे आंधी, तूफान आ जाए या बीच में जितनी भी गलतफहमियां आ जाए जो कि हमेशा यश दोनों के बीच कुछ ना कुछ नोकझोंक बनाए रखता था।


परी और उसकी नकचड़ी दोस्त मुँह बना लिया आँशी को देख,

परी ने{ एटीट्यूड में} इसका बॉडीगार्ड नहीं आया क्या?.जो इसके पीछे हरदम दुम लहरा रहता है


आरुषि के कानों में जैसी यह बात आई तो गुस्से में रुकी ' तो तुम्हे क्यों प्रॉब्लम हो रहा है ?.'

{आरुषि उनमे से नहीं थी जो अपने ऊपर जबान बर्दाश्त कर सके वो सिचुएशन को देखकर रिएक्ट करती थी। }

आंशी -( घबराकर } कलाई को थाम ली और चुप रहने का इशारा किया

आरुषि - तुम मुझे चुप ना कराओ , वैसे हम भला क्यों चुप रहो ये गलत गलत बोल रही है , पता नहीं किस बात का इसमें एटीट्यूड है, चेहरे पर मेकअप लगाए हुए देखने में भूतनी जैसी लगती मन करता है, इसके जो कलर में पेंट सुनहरे बाल है जिन्हे एक दिन में पाऊंगी ना?. तो काट दूंगी। { गुस्से में भड़क उठी }

परी- { अपने बालों के लिए ऐसी बाते सुन खलबला गईं गुस्से में }उंगली दिखाते हूए... ऐ दो कौड़ी की लड़की आई है मुझे सिखाने तुम्हें पता भी है ये फैशन इस जमाने का।


'ओ नो तो भूल ही गई थी यह गवारों थोड़ी समझेंगे फैशन ट्रेंड ।'

' तभी एक आवाज आया' क्यों की गॉड ने सारी समझा तुम्हारे अंदर ही फिट किया है

{आवाज सुन आ गया मुँह बना मन में }परी के ठीक अपोजिट यश जींस में हाथ डाले हुए बड़े स्टाइल के साथ अंदर आ रहा था

आरुषि - अब आई ना "ऊंट पहाड़ के नीचे "
परी - 'यू चिप गर्ल क्या बोला तुमने ऊंट पहाड़ के नीचे वॅटीवर,'


आरुषि - { उसी टोन में }मुझसे बड़ी चिप, नमूना तुम हो....हाथों को फोल्ड करके मिस मेकअप की दुकान , ये मुहावरे है जो कि हमने तुम पर ठोका है बजाओ ताली.... 🤣 फ्रेंड्स.....

सारे स्टूडेंट खिलखिला कर ताली बजाने लग जाते हैं
एक लड़की- अच्छा मजा चखाया इस मेकअप की दुकान को....

परी - इंसल्ट देख कर दांत पीसते हुए मिस गवार तुम्हें इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार हो जाओ। आंशी और नजर डाल.... "तुम्हे तो में बताऊगी "{ वॉर्निग टोन }

यश - क्यों तुम कोई पनिशमेंट देने वाली टीचर हो क्या जो हम तैयार रहे?.


आंशी- सिचुएशन को बिगड़ता देखकर यश, आरुषि तुम शांत हो जाओ तुम क्यों इसे लड़ रहे हो
'ये जानते हुए भी कि हम इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते।'

यश - {आंशी के कंधे पर हाथ रख कर बोला }इन लोगों के खिलाफ मुंह उठाना जरूरी होता है जुल्म बर्दाश्त करने की सीमा उतना ही रखना चाहिए जितना हम सह सके।

नहीं तो सामने वाला समझता है कि हम कमजोर हैं और वो उसी का फायदा उठाकर हमसे दूर - व्यवहार करते हैं जो अभी तुम्हारे साथ किया जा रह है चाहे वो यहां हो याँ फिर......?.


आंशी {धीरे से }" कीचड़ में पत्थर मारेंगे तो किचड़ हम भी आएगे ", इसलिए हमें वो नहीं करना जिससे हम गंदे हो


परी पैर पटकते हुए वहां से अपने दोस्त के साथ चली गई।

आंशी - अब यही खड़े रहना है क्या?.

आरुषि - {😏 मुंह बनाते हुए } खुद तो लड़ती नहीं है, जब हम लड़े तो हमें भी लड़ने नहीं देती नए जनरेशन की गाँधी जी... 🫢 कितना अच्छा ड्रामा एन्जॉय कर रहे थे, सारा पानी फेर देती है 😢


तभी बेल बजाता है
आरुषि - फ्रैंड्स हमें चलना चाहिए क्लासेस स्टार्ट हो गए।

तीनों क्लासेस के अंदर चले गए।

आंशी आरुषि एक सीट पर बैठे हुए थे जो लास्ट के रो में था

यश भी उन दोनों के बगल में ही बैठा हुआ था अपने फ्रेंड के साथ,
उन तीनों को फर्क नहीं पड़ता था कि कहां बैठे?. उन्हें बस स्टडी से रिलेटेड था।

फस्ट रो में, मिस एटीट्यूड यानि 'परी 'अपने चमकियो के साथ