Tu bhi Sataya Jayega - 2 in Hindi Fiction Stories by Shalini Chaudhary books and stories PDF | तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 2

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तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 2

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।

हे फैमिली कैसे है आप सब ? आशा है की आप सबको कहानी पसंद आ रही होगी, अपनी विचारों की टिप्पणी अवश्य दे, लव यू फैमिली ❤️

बनारस ( गंगा घाट )

बनारस जो सुकून की दुनिया है जहां महादेव की छत्र छाया है और मां गंगा का आंचल उसी गंगा घाट के किनारे एक लड़की बैठी हुई थी उसका पैर गंगा के पानी में था जो उसे एक सुकून दे रहा था‌, उस लड़की की आंखो से आंसू टपक रहा था, और वो बिना किसी आवाज के एक टक अपनी सूनी आंखो से गंगा मां को देख रही थी, उनकी कल कल करती मनमस्त चाल जिंदगी के बहाव का ही तो प्रमाण है, जैसे नदी हमेशा बहती है, अपने किसी भी जलधारा को खुद में नही रखती बल्कि दूसरो के लिए बहाती रहती है, ऐसी ही तो जिंदगी भी होती है। बस फर्क इतना होता है की नदी कभी भी स्वार्थी नही होती और मनुष्य हर पल में अपने स्वार्थ को अपना ताज बना कर पहने रखता है, किसी के नसीब में खुशियां नही होती तो किसी से जबरदस्ती छीन लिया जाता है। वो लड़की सूनी आंखो से सामने देखे जा रही थी, बेहद खूबसूरत थी, रंग दूध सा साफ था, नाक पतली और होठ मुलायम थे आंखे बड़ी बड़ी, घनी पलके और तनी हुई भृकुटी, बहुत ही सुंदर थी, उसने रॉयल ब्लू कलर का सूट पहना था दुपट्टे को सर से ओढ़े हुई थी, बिना किसी श्रृंगार के थी। तभी पीछे से किसी लड़की की आवाज आती है।

लड़की ( आवाज लगाते हुए ) " खनक ओ खनक सुन रही है।"

लेकिन जब उसे कोई जवाब नही आता तो वो उसके बगल में बैठ जाती है।

लड़की ( खनक को हिलाते हुए ) " खनक पाठक मै तुम्हे ही बोल रही हूं।"

खनक ( गुस्से से उस लड़की के तरफ देखते हुए ) " खनक और सिर्फ खनक नाम है मेरा समझी अंबर, मै सिर्फ खनक हूं कोई खनक पाठक नही।"

अंबर ( खनक को शांत करते हुए ) " शांत देवी दुर्गा शांत, अब से मै बस खनक ही बोलूंगी। लेकिन तू ये बता की तू यहां बैठी हुई क्या सोच रही है, और तू रो रही थी क्या ?"

अंबर उसके गालों पर आंसू के निशान देखते हुए बोलती है।

खनक ( हल्के से मुस्कुराते हुए ) " जिसे जिंदगी ने तोफे के रूप में आंसू दिया हो, वो और कर भी क्या सकता है ? वैसे तू बता क्या काम था ?"

अंबर ( माथा पीटते हुए ) " हे भगवान लो, जिस काम के लिए आई थी वो तो भूल ही गई। वो तेरी शैतान की नानी मां उठ गई है, और तब से घर में हंगामा कर रही है मेरी मां को लाओ, मेरी मां को लाओ। जल्दी चल वरना आज उसके आंसू में अपना घर बह जाएगा।"

खनक ( जल्दी से उठते हुए ) " अब बता रही है, मेरी बच्ची को इतना रुला कर, अब जल्दी चल।"

इतना बोल कर वो उठ कर बनारस की गलियों से भागते हुए अपने घर के तरफ जाने लगती है। अपना घर हां अब यही तो था खनक का घर, घाट के पास ही बसी हुई एक छोटी सी कॉलोनी में था खनक का छोटा सा घर, वो भागते हुए घर के अंदर आती है।

खनक जैसे अंदर पहुंचती है उसे ऊपर से किसी बच्ची के जोर जोर से रोने की आवाज आती है।

खनक ( घबराते हुए ) " हाय मेरी बच्ची कितना रो रही है।"

वो दौड़ते हुए ऊपर जाती है और कमरे में जा कर जल्दी से बिस्तर पर बैठी हुई बच्ची को अपने गोद में ले कर अपने सीने से लगा लेती है।

खनक ( बच्ची को शांत कराते हुए ) " चुप हो जाओ भूमिजा, मां आ गई है। भूमि मेरा बच्चा रोना नही है। श श...."

वो बच्ची शांत हो जाती है लेकिन रोना बंद नही होता है वो धीरे धीरे सुबक रही होती है। भूमिजा हां यही नाम था खनक की बेटी का । बचा लिया था उसने खुद की बच्ची की जिंदगी।

खनक ( भूमिजा को सीने से लगाए हुए मन में ) " मैने मौत को बड़े ही करीब से देखा है इसलिए अब मुझे मौत का डर नहीं है लेकिन हां मैं मरना नहीं चाहती हूं मैं जियूंगी अपनी बच्ची के लिए, इसके भविष्य के लिए। और अपने बदले के लिए।

खनक की आंखे एक दम लाल हो जाती है, ऐसा लग रहा था जैसे कोई ज्वालामुखी उबल रहा हो।

अंबर ( कमरे में आते हुए ) " खनक भूमि सो गई है तो उसे सुला कर नीचे आ जा न, अचानक से चालीस कप के ऑर्डर आए है पैकिंग करवा दे।"

खनक ( भूमि को सुलाते हुए ) " हम्म चलो आ रही हूं।"

इसके बाद दोनो नीचे हॉल में कप के पैकिंग में लगी हुई थी और टी वी पर न्यूज चल रहा था, तभी एंकर एक दम से बोलती है।

एंकर ( एक दम से बोलती है ) " दिल्ली सरकार के द्वारा खोली जा रही आज तक के सबसे लग्जरी मॉल का आज भूमि पूजन हुआ है, जिस कर विपक्षी दल जम कर सरकार को घेर रही है, विपक्षियों का कहना है की सरकार बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के जगह पर इस तरह के मॉल में पैसा बर्बाद कर रही है, दिल्ली के शिक्षा व्यस्था और पानी की समस्या का कोई समाधान नहीं है तो लोग ऐसे मॉल्स का क्या करेगी ? सुनिए विपक्षी संसद राखी देशमुख को।"

अंबर ( न्यूज सुनते हुए ) " ये ओपोजिशन वाले भी कभी शांत नही रह सकते है बस इन्हे हर मामले में इश्यू खड़ा करना है, कभी साथ नही दे सकते है।"

खनक ( मुस्कुरा कर ) " अगर वो साथ देंगे तो विपक्ष कैसे होंगे ?"

अंबर ( हां में सर हिलाते हुए ) " हां ये भी है अब देखते है कैसा मॉल बनता है ?"

तभी फिर से एक बार एंकर की आवाज सुनाई पड़ती है।

एंकर ( हाथ में पेन घुमाते हुए ) " अब तक की सबसे बड़ी खबर निकल कर आ रही है, दिल्ली में बन रहे इस बड़े मॉल के कंस्ट्रक्शन का सारा काम पाठक कंस्ट्रक्शन को दिया गया है, ये बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। सरकार के इस फैसले से एक बात की खुशी है की इस प्रोजेक्ट के लिए देश की कंपनी को ही लिया गया है, इससे हमारा पैसा घर में ही रहेगा।"

न्यूज आगे भी चल रहा था लेकिन खनक के दिमाग में बस एक वर्ड गूंज रहा था पाठक कंस्ट्रक्शन कैसे भुल सकती थी वो इस नाम को जिस नाम को खड़ा करने में उसने अपनी जिंदगी के पांच साल दिए थे, जिसके शुरुआत में उसका हाथ था, उसकी आंखे गुस्से और नफरत से भर जाती है, और वो एक टक टी वी को घूरे जा रही थी। उसकी मुट्ठी बंद होती है और उसके हाथ में पकड़ा हुआ वो कप टूट जाता है और उसके टुकड़े उसके हाथो में धस जाते है जिससे खून निकलने लगता है, खनक एक टक अपने हाथ से बह रहे खून को देख रही होती है।

तो आगे क्या होगा ? कैसे बची थी खनक ? और वो बनारस कैसे पहुंची ? कौन है अंबर ? और पाठक कंस्ट्रक्शन को गवर्मेंट के तरफ से मिल रहे प्रोजेक्ट पर क्या करेगी खनक ? जानने के लिए बने रहे ! तू भी सताया जाएगा। मेरे यानी शालिनी चौधरी के साथ।

लव यू ऑल ❤️❤️❤️

✍️ शालिनी चौधरी