Devil Ceo's Sweetheart - 29 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 29

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 29

अब आगे,

करीब आधा घंटे बाद,

रूही और वो दादा जी हाइवे वाली किराने की दुकान तक पहुंच जाते है और उस दुकान को खुला हुआ देख, रूही अपने आप से कहती है, " हे बाके बिहारी आप का बहुत बहुत आभार...!"

रूही की बात सुन, दादा जी उस से कहते है, " क्या बेटा इतनी सी बात के लिए भी कोई भगवान को परेशान करता है भला...!"

दादा जी की बात सुन, रूही बस मुस्करा देती हैं क्योंकि उस की सौतेली मां कुसुम उस के साथ जो व्यवहार करा करती हैं उस की वजह से उस का राशन के बगैर जाना अपनी मौत को बुलावा देने जैसा था।

अब रूही उस किराने वाली दुकान पर पहुंच जाती हैं पर आज ज्यादा भीड़ नजर आ रही होती हैं, क्योंकि आज मंगलवार होने से पूरे बनारस की सारी दुकानें बंद रहती हैं। और धूप तेज होने की वजह से रूही अपनी चुनरी से अपना चेहरा को ढक लेती है।

पर रूही को लाइन में खड़े होने से कोई परेशानी नही थी बस रूही तो इस बात से ही खुश थी कि दुकान खुली हुई हैं और उस को राशन मिल जायेगा। और रूही भी जाकर लाइन मे खड़ी हो जाती हैं।

करीब एक घंटे बाद,

रूही का नंबर आता है तो उस की सौतेली मां कुसुम ने जैसा कहा था उस के मुताबिक वो उतने ही चावल और आटा ले लेती हैं और दुकान से वापस आ जाती है।

अब वो देखती है कि वहा उस हाइवे पर सब्जी वाले भी खड़े हुए हैं तो वहा से सब्जी भी ले लेती हैं और अब बस किसी फल वाले को देख रही होती हैं कि कोई मिल जाए नही तो उस को फल मंडी जाना पड़ेगा और कही वो भी बंद मिली तो घर पहुंचने में ही रात हो जायेगी।

रूही ये सोच ही रही होती है तभी वहा एक बूढ़े बाबा अपना फल का ठेला लेकर आ रहे होते है तो रूही उन को रोक कर उन से बचे हुए रुपए से फल ले लेती हैं। और वहा से अपने घर के लिए जाने लगती हैं।

और वो बूढ़े बाबा अपना ठेला लेकर रोड क्रॉस करने लगते है तभी एक तेज रफ्तार में एक ब्लैक लक्जरी कार वहा गुजरती हैं और उस बूढ़े बाबा के फल का ठेले से टकरा जाती है।

जिसे देख रूही जल्दी से उन बुढ़े बाबा के पास जाती हैं और उन को खड़ा कर के उन से पूछती हैं, " बाबा, क्या आप ठीक है...?"

वो बूढ़े बाबा अपना सिर पकड़ कर बैठ जाते है क्योंकि उन के ठेले पर जितने भी फल थे वो हाइवे की सड़क पर गिर कर खराब हो चुके थे और वहा मौजूद लोगो का ध्यान सिर्फ उन्ही की तरफ हो गया था।

वो ब्लैक लक्जरी कार, उस फल वाले के ठेले से टकराने के बाद आगे जाकर रुक जाती हैं। और रूही अपना सामान का थैला वही बूढ़े बाबा के पास रख कर गुस्से से उस ब्लैक लक्जरी कार के पास जाती हैं।

और उस गाड़ी का शीशा के खटखटाते हुए कहती हैं, " ओ मिस्टर, अपनी गाड़ी से बाहर आइए और क्या आप सड़क पर चल रहे लोगो को इंसान नही समझते हैं जो इतनी तेज रफ्तार से गाड़ी चला रहे है...?"

अब तक उस हाइवे की सड़क पर लोग इक्कटा होने शुरू हो गए थे, गाड़ी के अंदर बैठा आदमी, रूही का चेहरा तो नहीं देख पा रहा था क्योंकि उस ने धूप से बचने के लिए अपना चेहरा अपनी चुनरी से ढक रखा होता है। पर वो आदमी, रूही को गुस्से से देख रहा होता है।

रूही बिना रुके उस आदमी की गाड़ी के शीशे पर अपना हाथ मारे जा रही होती हैं। तभी उस गाड़ी का दरवाजा खुलता है और एक थ्री पीस फॉर्मल सूट पहने हुए एक आदमी बाहर आता है।

रूही उस आदमी को देख ही रही होती हैं क्योंकि वो उस की हाइट से बहुत ज्यादा बड़ा होता है और उस को देखने के चक्कर मे रूही ये भूल ही जाती हैं कि वो आदमी उस को अपनी गहरी भूरी आंखो से उसे ही देखे जा रहा होता है। जैसे वो उस के अंदर तक झांकने की कोशिश कर रहा हो। पर उस के चेहरे पर कोई भी भाव नजर नही आ रहे होते है।

वो आदमी रूही को देखे जा रहा होता है तो रूही एक पल के लिए अपनी नजर उस पर से हटा लेती हैं और फिर दूसरे ही पल सोचने लगती हैं, " कही ये आदमी गूंगा तो नही है ना, क्योंकि ये कुछ बोल ही नही रहा है...?"

रूही अपनी ही सोच मे कही गुम थी तभी उस आदमी की ठंडी आवाज रूही के कानो में पड़ती है, " क्या चाहिए तुम्हे, मुझ से...?"

उस आदमी की बात सुन, रूही थोड़ी दूर हट जाती हैं और फिर उस से कहती है, " आप को उन बूढ़े बाबा से माफी मांगनी होगी...!"

रूही की बात सुन, वो आदमी अपनी भोहे सिकोड़ते हुए उस से कहता है, " क्या...!"

उस आदमी का जवाब सुन, रूही को लगता है कि उस आदमी ने उस की बात ठीक से सुनी नही है इसलिए वो उस आदमी से दुबारा कहती है, " मैने कहा कि आप को उस बूढ़े बाबा से माफी मांगनी पड़ेगी क्युकी आप की इस कार की वजह से उन का बहुत नुकसान हो गया है..!"

To be Continued......❤️✍️

इस चैप्टर पर अपने रिव्यू दे और कमेंट करके बताए कि आप को चैप्टर कैसा लगा और आगे जानने के लिए पड़ते रहे मेरी कहानी अगला चैप्टर सिर्फ मातृभारती पर।