Devil Ceo's Sweetheart - 26 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 26

Featured Books
Categories
Share

डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 26

अब आगे,

और रूही की सौतेली बहन रीना से इतने से कपड़ो को बस छत पर सुखाने मे ही मौत आ रही होती हैं। फिर वो उन कपड़ो को उठाते हुए अपने आप से ही गुस्से से कहती हैं, " एक बार उस बुढ़ाऊ (रूही के पिता अमर) को जाने दे रूही फिर मैने तुझे तेरी औकात नही दिखा दी ना तो....!"

रीना ने इतना बोला ही था कि रूही के पिता अमर अपने घर की दहलीज पर ही खड़े होते हुए, रीना से कहते है, " अरे रीना, जल्दी से कपड़े सुखा दे नही तो धूप तेज हो जायेगी तो तुझ से छत पर खड़ा भी नहीं हो पाएगी....!" अपनी बात कह कर वो वही खड़े हो जाते है।

जिस से रीना को उन की बात का जवाब देते हुए और अपने आप को नॉर्मल करते हुए, अपने सौतेले पिता अमर से कहती है, " हां, आप ने सही कहा, पापा और आप मेरी प्यारी सी गुड़िया रूही का ख्याल रखो, जब तक मै कपड़े सुखा के आती हु...!"

अपनी बात कहकर रीना जैसे तैसे कर के छत पर कपड़े सुखाने के लिए ले जाती हैं और फिर सारे कपड़े सुखा कर वही बैठ जाती हैं और जीने के सीढ़ियों के सहारे धीरे धीरे उतर का नीचे आ जाती है और उस को बस एक काम करने मे ही एक घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है।

और नीचे आ कर जैसे ही उस ने घर मे कदम रखा होता है कि उस के सौतेले पिता अमर उस से कहते है, " क्या बेटा इतने से काम को करने मे आज बहुत समय लगा दिया तुम ने जब कि तुम ये काम रोज ही तो करती हो फिर भी....!"

अपने सौतेले पिता अमर की बात सुन, रीना अपने मन में सोचती है, " तुम्हे क्या लगता है सारे काम मै करती हु, नही बल्कि ये सारे काम तो तेरी अपनी इकलौती बेटी रूही से करवाते है और तुझे तो पता नही क्या क्या करते हैं हम उस के साथ...!" और अपनी बात बोल कर ही उस के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं।

जिसे देख रूही के पिता अमर, रूही की सौतेली बहन रीना से कहते है, " क्या हुआ तुम हंस क्यों रही हो और जाओ जाकर अपनी मां के साथ रसोई घर में हाथ बटवाओ, वो बहुत देर से रसोई घर में लगी हुई हैं...!"

अपने सौतेले पिता अमर की बात सुन, रीना मुंह बनाते हुए जाने लगती हैं तो अमर उस की रोकते हुए कहते है, " और हां, मेरे लिए एक कप चाय ले आना...!"

अपने सौतेले पिता अमर की बात सुन, रीना उस समय कुछ नही कहती है पर रसोई घर में जाकर अपनी सगी मां से गुस्से से कहती हैं, " कब जाएगा ये तुम्हारा दूसरा पति यहां से...?"

अपनी सगी बेटी रीना की बात सुन, उस की मां कुसुम उस से कहती है, " धीरे बोल सुन लेंगे वो...!"

अपनी सगी मां कुसुम की बात सुन, रीना उन से चिड़ते हुए कहती है, " तो क्या करू और सुनते हैं तो सुन ले, पर आज उस बदनसीब रूही की वजह से मेरे हाथ पैरो में इतना दर्द हो रहा है जो आज तक कभी नही हुआ था...!"

अपनी सगी बेटी रीना की बात, उस की मां कुसुम उस से कहती हैं, " तू जाके आराम कर अपने कमरे मे और मै तेरे लिए हल्दी वाला दूध लेकर आती हु पीकर सो जाना ठीक हो जायेगा, जा मेरा बच्चा...!"

अपनी मां कुसुम की बात सुन, रीना वहा से जाने लगती हैं तभी उस को याद आता है कि रूही के पिता अमर ने कुछ कहा है तो वो अपनी मां कुसुम से कहती है, " और आप के दूसरे पति ने एक कप चाय मांगी है वो भी दे देना नही तो फिर से बोलने लग जायेंगे....!"

अपनी सगी बेटी की रीना की बात सुन, कुसुम उस से बड़े प्यार से कहती है, " तू जा मै देखती हु उनको, तू जाके आराम कर...!" अपनी सगी मां कुसुम की बात सुन रीना वहा से अपने कमरे मे जाकर बेड पर फैल कर सो जाती हैं।

और रूही की सौतेली मां कुसुम अब अपने दूसरे पति अमर के लिए चाय बना के उनको देने जाती हैं, तो अमर किसी से फोन पर बात कर रहे होते है फिर कुसुम जब चाय अमर के सामने रखती हैं तो पूछती हैं, " क्या खायेंगे आप दोपहर के खाने में...!"

अपनी दूसरी पत्नी की बात सुन, अमर उन से कहते है, " मेरा दुपहर का खाना मत बनाना और मै रात तक ही आऊंगा क्योंकि मेरे बॉस आज बनारस किसी मीटिंग के सिलसिले में आ रहे हैं तो मुझे वहा जाना पड़ेगा...!"

अपने दूसरे पति अमर की बात सुन, कुसुम के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है और वो अपने मन में कहती है, " अब देखती हूं कौन बचाता हैं इस करमजली को, मेरे कहर से....!"

और साथ में अमर से नाटक करते हुए कहती हैं, " क्या पर आप आज ही तो घर आए थे और अब दुबारा जा रहे हैं...!"

कुसुम की बात सुन, अमर उस से कहते है, " अरे दिल्ली नही जा रहा हूं बस बनारस में ही किसी काम से जा रहा हु बस, और परेशान मत हो रात तक घर आ जाऊंगा...!"

अमर की बात सुन, कुसुम उन से कहती हैं, " ठीक है...!"

To be Continued......❤️✍️

इस चैप्टर पर अपने रिव्यू दे और कमेंट करके बताए कि आप को चैप्टर कैसा लगा और आगे जानने के लिए पड़ते रहे मेरी कहानी अगला चैप्टर सिर्फ मातृभारती पर।