Devil Ceo's Sweetheart - 22 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 22

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 22

अब आगे,

रूही के पिता अमर के रसोई घर से चले जाने के बाद, रूही की सौतेली मां कुसुम अपना पैर पटकते हुए अपने आप से कहती है, " अब वो करमजली मटर पनीर की सब्जी खायेगी और मै और मेरी बेटी रीना ये करेले खायेंगे, एक बार जाने को इस करमजली के बाप को इस से सारा बदला ले लूंगी, कर के जितने मजे करने है अपने बाप के आने पर, फिर बताऊंगी तुझे तो...!"

रूही के पिता अमर, रूही के कमरे में आ जाते हैं तो देखते हैं कि रूही के नया सा सूट पहन लिया है और वो उस मे गजब की खूबसूरत लग रही है उस मे उसका फिगर उभर के दिख रहा है जिसे देख उस के पिता अमर हाथ में ले रखी खाने की प्लेट को ढक कर साइड में रख देते हैं और अपनी बेटी रूही के पास आकर उस की नजर उतारते हुए कहते है, " सच कहते है लोग बेटियां सच में जल्दी ही बड़ी हो जाती है...!" अपनी बात कह कर रूही के पिता अमर, रूही को अपने गले से लगा लेते हैं।

और फिर रूही से मजाक करते हुए उस से पूछते है, " रूही बच्चा बता मुझे मै तेरे लिए खाने में क्या लेकर आया हु...?"

अपने पिता अमर की बात सुन, रूही उन से बड़ी मासूमियत कहती हैं, " क्या लाए हो आप, बोलो ना...!"

रूही की मासूमियत देख, रूही के पिता अमर उस से कहते है, " बेटा तेरी यही मासूमियत देख मुझे तेरी मां सरस्वती की याद दिलाती हैं और मै तेरे लिए ये मटर पनीर की सब्जी और परांठे लाया हु तो अब जल्दी से खा ले....!"

अपने पिता अमर की बात सुन, रूही तो खाने की प्लेट को देख के ही होश उड़ जाते हैं साथ में उस को तो याद भी नहीं है कि उस ने आखरी बार मटर पनीर कब खाया था क्योंकि उस की सौतेली मां कुसुम उस ने कभी ये उस को खाने ही नही दिया था क्योंकि उस को मटर पनीर बहुत ही ज्यादा पसंद था...!

रूही को ऐसे हैरान देख, रूही के पिता अमर उस से कहते है, " क्या हुआ अब खाने की प्लेट को ही देखती रहेगी या फिर खायेगी भी...!"

अपने पिता अमर की बात सुन, रूही उनके हाथ से खाने की प्लेट ले लेती है और जैसे ही एक निवाला मुंह में डाला ही होता है तो उस को धसका लग जाता है क्योंकि सामने अब रूही की सौतेली मां कुसुम जो आ जाती हैं। रूही को धसका लगते ही रूही के पिता अमर उस की पीठ थप थापा ने लगते हैं और उस को पानी पिलाते हुए कहते है, " बेटा आराम से खाओ, खाना कही भागा नही जा रहा है...!"

रूही ने अपने आप को संभाला और फिर जल्दी जल्दी खाने लगती हैं जिसे देख रूही की सौतेली मां कुसुम उस के पास आते हुए कहती हैं, " आराम से खाओ बेटा, तुम तो ऐसे खा रही हो जैसे दो दिन से कुछ खाया ही न हो और ये मटर पनीर की सब्जी भी तो तुमने ही अपने हाथो से बनाई है...!"

अपनी सौतेली मां कुसुम की बात सुन, रूही के आंखो से अंशु निकल जाता है क्योंकि अब सच तो यही है कि रूही की सौतेली मां कुसुम ने उसे पिछले दो दिनों से खाने को नहीं दिया था जिस कारण ही वो आज सुबह छत पर बेहोश हो गई थी।

रूही की सौतेली मां कुसुम, अपने दूसरे पति अमर से कहती हैं, "और सच कहूं तो मेरी फूल सी बच्ची ने पहली बार मे ही इतनी अच्छी सब्जी बनाई कि मै खुद ही 4 परांठे खा गई थी...!"

अपनी दूसरी पत्नी कुसुम की बात सुन, रूही के पिता अमर उस से कहते है, " क्या सच में ये मटर पनीर की सब्जी मेरी बच्ची ने बनाई है..!

और फिर उसी परांठे का एक टुकड़ा लेकर रूही के पिता अमर ने भी खाया तो कहा, " वाहा क्या बात है मेरी बच्ची ने तो बहुत ही अच्छा खाना बनाया है...!"

अपने दूसरे पति अमर की बात सुन, रूही की सौतेली मां कुसुम, रूही के सिर पर हाथ फेरते हुए रूही की आंखो में देखते हुए अपने दूसरे पति अमर से कहती है, " अब मेरी फूल सी बच्ची ने बनाया है तो अच्छा तो होगा ही...!"

रूही को अपनी सौतेली मां कुसुम की आंखो को देख बहुत ज्यादा खोफ आ रहा होता है क्योंकि उस के पिता के जाने के बाद उस के साथ क्या होगा, उस से अच्छे से कोई नहीं बता सकता है।

To be Continued......❤️✍️

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